Sunday, 22 December 2024

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फर्जी खबरें और अफवाहें रोकने के लिए व्हाट्सएप का फैसला, एक मैसेज पांच बार से ज्यादा फॉरवर्ड नहीं होगा.....

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नई दिल्ली। देश में फर्जी खबरें और अफवाहें फैलने के बाद सामने आईं हत्या की घटनाओं के कारण आलोचना झेल रहे व्हॉट्सएप ने बड़ा कदम उठाने का निर्णय किया है। व्हॉट्सएप ने शुक्रवार को संदेश भेजने (फॉरवर्ड) की सीमा को एक बार में पांच चैट के लिए सीमित करने समेत देश में अपनी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। व्हॉट्सएप ने बयान में कहा कि वह एप पर संदेश भेजने की सीमा को निर्धारित करने के लिए परीक्षण शुरू कर रही है। इसके अलावा उसने कहा कि वह मीडिया संदेशों के बगल में दिखाई देने पर वाले क्विक फॉरवर्ड बटन को भी हटाएगा।
 
व्हॉट्सएप ने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि भारत में उसके उपयोगकर्ता अन्य देशों के उपयोगकर्ताओं की तुलना में अधिक संदेश, तस्वीर और वीडियो भेजते हैं। आज हम संदेश भेजने की सीमा को निर्धारित करने के लिए एक परीक्षण शुरू कर रहे हैं। यह व्हॉट्सएप के हर उपयोगकर्ता पर लागू होगा। भारत में हम संदेश को एक बार में पांच चैट के लिए सीमित करने का भी परीक्षण करेंगे और मीडिया संदेश के बगल में दिखाई देने पर वाले बटन को भी हटाएंगे। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर भ्रामक और फर्जी खबरें प्रसारित होने के बाद व्हॉट्सएप को भारत सरकार की ओर से तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा था। सरकार ने इस तरह की खबरों को रोकने के लिये जरूरी कदम उठाने को कहा था।
 
गुरुवार को ही सरकार ने व्हॉट्सएप को दूसरा नोटिस भेजकर फर्जी और भ्रामक संदेशों के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी समाधान करने को कहा है। सरकार ने कंपनी को चेतावनी दी है कि अफवाहों के प्रसार में माध्यम बनने वाले भी दोषी माने जाएंगे और मूक दर्शक बने रहने पर उन्हें भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, कंपनी ने इस नोटिस पर अब तक जवाब नहीं दिया है। व्हॉट्सएप ने ब्लॉग में कहा कि कंपनी का मानना है ये बदलाव उसे एक निजी संदेशवाहक (मैसेजिंग) एप के रूप में बनाए रखने में मदद करेंगे। जिस काम के लिए इसे डिजाइन किया गया था। उसने कहा, हमने व्हॉट्सएप को निजी संदेशवाहक के तौर पर बनाया है, जो कि अपने परिवार और दोस्तों के साथ जुड़ने का सरल, सुरक्षित और विश्वसनीय तरीका है। इसलिए हमने नए फीचर्स को जोड़ा है। हम आपकी सुरक्षा और निजता को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम अपने एप को बेहतर बनाए रखने का कार्य जारी रखेंगे।
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थर्ड जेंडर को अब तक सामाजिक और पारिवारिक सहयोग पूर्ण रूप से नहीं मिल पाया है।.....

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सभी जगह एक समूह बनाकर रहते हैं। इनके की बात ही निराली होती है। एक किन्नर दूसरे किन्नर के यहां मेहमान बतौर आता-जाता रहता है। वे इस प्रक्रिया को मेहमाननवाजी की तरह निभाते आ रहे हैं और आने वाले मेहमान किन्नर का स्वागत और बिदाई जी-जान से करते हैं। मेहमान किन्नर को विदा करते समय इनकी आंखों में आंसू देखे गए हैं। वे कहते हैं कि बस ये ही तो हमारा परिवार है, जहां पर हम एक-दूसरे के सुख-दु:ख में सम्मिलित होते रहते हैं। भी होता रहता है, जहां वे अपने मुखिया किन्नर के समक्ष अपनी समस्या को रखते हैं। सिंहस्थ में किन्नर अखाड़ा भी है।
 
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फिल्म 'कुंवारा बाप' में ये गीत काफी चर्चित हुआ था- 'सजी रही गली मेरी...'। जब कहीं पहली संतान होती है, तो वे वहां पहुंचकर व नाच-गाकर कर नेग मांगते हैं एवं बधाई पर बच्चे के लिए ऊपर वाले से दुआ भी मांगते हैं। सवाल ये है कि अधिकांश आवेदन में तो रहता है किंतु किन्नर का उल्लेख नहीं मिलता है, ऐसा क्यों? इनसे समाज की दूरियां भी समझ में नहीं आती। महिला-पुरुष इनसे दूरियां बनाकर रहते हैं जबकि वे भी इंसान हैं। धरती पर इनका भी अधिकार है। थर्ड जेंडर को अब तक सामाजिक और पारिवारिक सहयोग पूर्ण रूप से नहीं मिल पाया है। थर्ड जेंडर का मालूम होते ही इनके समुदाय में किन्नरों द्वारा शामिल किया जाता है। पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते छोड़कर इनको जाना होता है। कई किन्नर इतने सुन्दर होते हैं कि फिल्मी हीरोइन भी उनके सामने कुछ नहीं है। कहते हैं कि इनकी दुआएं काफी असरदार होती हैं।
 
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अपनी आजीविका ये नाच-गाकर ही चलाते हैं। इन्हें सुविधाएं प्रदान कर इनकी समस्याओं का निदान होना चाहिए। जो हक महिला-पुरुष को प्राप्त है, वैसा ही हक थर्ड जेंडर को भी मिलना चाहिए। उनकी अपनी दुनिया है। भागदौड़भरी दुनिया में उनकी समस्याओं को अनदेखा न करें, आखिर वे भी तो इंसान हैं।
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एमबीबीएस में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी युवती ने जैन साध्‍वी की दीक्षा ग्रहण कर अध्‍यात्‍म का रास्‍ता अपना लिया....

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में अरबपति परिवार से ताल्लुक रखने वाली और एमबीबीएस में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी युवती ने जैन साध्‍वी की दीक्षा ग्रहण कर अध्‍यात्‍म का रास्‍ता अपना लिया है। इस दौरान उन्होंने सांसारिक सुखों के त्याग के रूप में अपने केश दान किए और श्वेत वस्त्र धारण कर लिए। खबरों के मुता‍बिक, एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखने वाली और एमबीबीएस में गोल्डमेडलिस्ट 28 वर्षीय हिना हिंगड ने पूरे विधि विधान के साथ सांसारिक सुखों का परित्याग कर बुधवार को जैन साध्वी बन अध्यात्म का रास्ता अपनाया लिया। वे अब साध्वी श्रीविशारदमाला के नाम से जानी जाएंगी।

उन्‍होंने आध्यात्मिक गुरु आचार्य विजय यशोवर्मा सुरेश्वरजी महाराज से दीक्षा ली। वे 12 साल से अपने परिवार को इसके लिए मना रही थीं, क्‍योंकि वे एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखती हैं, इसलिए उनके परिवार को यह फैसला मंजूर नहीं था। हालांकि बाद में परिवार ने उनकी बात मान ली। उन्‍होंने दीक्षा के लिए जरूरी 48 दिनों का ध्यान गुजरात के पालिताणा में किया। हिना ने अपने पिछले जन्म में किए गए ध्यान और श्रद्धा की वजह से भिक्षु बनने का रास्ता अपनाया है। वे अपने परिवार में छह बहनों में सबसे बड़ी हैं। वे पिछले तीन साल से मेडिकल की प्रैक्टिस कर रही थीं। छात्र जीवन से ही अध्यात्म में उनकी गहरी दिलचस्पी थी।

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