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माइकोप्लाज्मा जेनिटेलियम (MG) नामक एक नई सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज (STD's) सामने आया है। जिसके बारे में कहा जा रहा है कि समय रहते अगर इस बीमारी की समस्या का हल नहीं खोजा गया तो ये आने वाले समय में ये HIV जितना खतरनाक हो सकता है। ये सेक्सुअली डिसीज, अनसेफ सेक्स की वजह से फैलता है। इन दिनों माइकोप्लैज़्मा जेनिटेलियम (MG) विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय पर इस बीमारी के लक्षण नहीं पहचानें गए, तो यह एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति काम करना बंद कर देता है। जिससे बाद में इलाज करना मुश्किल हो जाता है। ये बीमारी आने वाले समय में काफी खतरनाक साबित हो सकती है।
बीमारी के शुरुआती लक्षण
माइकोप्लाज्मा जेनिटेलियम के लक्षण बहुत हद तक क्लैमीडिया और गोनोरिया जैसे यौन संचारित रोग की तरह ही है। जरुरी नहीं है कि इसके लक्षण पहचान में आ जाएं। ऐसे में बहुत हद तक यह संभव है कि आपको इसके बारे में कभी पता ही न चले। विशेषज्ञों की मानें तो माइकोप्लैज़्मा जेनिटेलियम (MG) बीमारी के कोई शुरुआती लक्षण नहीं होते, लेकिन इससे महिला और पुरुष, दोनों के जननांगों में संक्रमण हो सकता है। इस बीमारी के चपेट में आने से दोनों में डिस्चार्ज होने की समस्या देखी जा सकती है। ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि इससे औरतों में बांझपन भी हो सकता है। इसके शुरुआती लक्षण समझ में नहीं आने के कारण इसका इलाज भी मुश्किल है और अगर इलाज ठीक से न हो तो इस पर एंटिबायॉटिक्स का असर भी खत्म हो जाता है।
क्या है माइकोप्लैज़्मा जेनिटेलियम?
माइकोप्लाज़्मा जेनिटेलियम एक जीवाणु है जिससे पुरुषों और महिलाओं को पेशाब के रास्ते में सूजन हो सकती है। इसका नतीजा दर्द, रक्तस्राव और बुखार के रूप में देखने को मिलता है। HIV की तरह ही असुरक्षित यौन संबंध को इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है। इस बीमारी के बारे में पहली बार ब्रिटेन में 1980 के दशक में पता चला था। उस समय सिर्फ 1 से 2 फीसदी
इस बीमारी का इलाज
पॉलिमेरस चेन रिएक्शन स्टडी (polymerase chain reaction study) नामक एक टेस्ट के जरिए इस बीमारी का अध्ययन कर डिस्चार्ज का पता किया जा सकता है। इसका उपचार एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए संभव है, लेकिन यह उपचार संक्रमण के शुरुआती दिनों में ही प्रभावी होता है। यदि बीमारी का पता नहीं चल पाता है, तो यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध (antibiotic resistance) का कारण बन सकती है। दवाई जैसे एरिथ्रोमाइसिन डॉक्सीसाइक्लिन से इलाज संभव है, लेकिन मरीज पर ट्रीटमेंट का असर नहीं होता, तो क्विनोलोन्स (quinolones) का इस्तेमाल करर इस बीमारी का इलाज किया जाता है। हालांकि, आपको कोई भी ऊपर दिए गए लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
इससे बचाव
अन्य यौन संचारित रोगों की तरह कंडोम के बेहतर इस्तेमाल से इस रोग से बचा जा सकता है। सुरक्षित यौन संबंध ही इस रोग से बचाव का सबसे सही और आसान उपाय है। इसके अलावा रिसर्च की माने तो प्यूबिक हेयर को ट्रिम, वैक्स या शेव करने के कुछ दिनों तक यौन संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से भी कई तरह के STD's होने के ज्यादा सम्भावनाएं रहती है।
::/fulltext::देश में लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ आए दिन होता है। कारण, लोग जागरुक नहीं है और सरकारों के पास आम लोगों की समस्याओं को सुनने का समय नहीं है। यही वजह है कि देश में कई सारी ऐसी चीजें बिकती हैं, जिन पर विकसित देशों ने प्रतिबंध लगा रखा है। जानते हैं, इन्हीं में से कुछ चीजों के बारे में...
एनर्जी ड्रिंक के रूप में रेड बुल का प्रचार किया जाता है। हालांकि, यह स्वास्थ्य के लिहाज से काफी नुकसानदेह है।शोध से पता चला है कि इसे पीने से अवसाद, तनाव और दिल की बीमारी होती है। इसे फ्रांस और डेनमार्क में बैन कर दिया गया है। मगर, भारत में यह धड़ल्ले से बिक रहा है। दर्द निवारक गोली डिस्प्रिन विदेशों में मानकों पर खरी नहीं उतरी, इसलिए वहां इसे बैन कर दिया गया। इसी तरह कोल्ड और फ्लू ठीक करने वाली डी कोल्ड की गोली किडनी से रिलेटेड बीमारियां दे सकती है। इसलिए इसे विदेशों में बैन कर दिया गया है। वहीं दर्द में काम आने वाली निमुलिड को ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका में बैन कर दिया गया है।
जैली से बनी मिठाईयां और टॉफी हर दूसरी दुकान में मिलती है। ये यूएस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में बैन है। कारण इनके खाने से बच्चों का दम घुटने का खतरा रहता है। खिलौने के साथ मिलने वाली किंडर जॉय चॉकलेट बच्चों को काफी पसंद आती है। मगर, इसे खाने से उनका दम घुटने का खतरा रहता है। इसलिए अमेरिका ने इसे बैन कर दिया है। खाने के बाद चुइंग गम को जहां फेंका जाता है, यह वहीं चिपक जाता है। इसे साफ करना आसान नहीं होता, लिहाजा सिंगापुर ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।
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