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घर के अंदर अपने फुर्तीले शिशु को व्यस्त रखना आसान नहीं होता, खासकर जब किसी चीज में ज्यादा देर तक उसका मन नहीं लगता और खिलौनों से भी बड़ी जल्दी उसका मन भर जाता है। अगर आपका बच्चा भी नटखट और शरारती है तो अपनी ऊर्जावान शिशु को मौज-मस्ती और खेल-खेल में कुछ सिखाने और उसे व्यस्त रखने के लिये ये तरीके आपके काम आ सकते हैं। हम यहां आपको कुछ उपयोगी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो घर में आप और शिशु दोनों का मन बहलायेंगी।
शिशु का मन बहलाने और व्यस्त रखने के लिए उपाय
दिन भर काम या ऑफिस के बाद, हम आपके लिए दिन भर बच्चों को संभालना थोड़ा कठिन हो जाता है, इसलिए कुछ ऐसे तरीके जो आपके बच्चे को बिजी और खुश रखेंगे। जरूर पढ़ें ...
#1. पहले कार्यक्रम बनायेंः
इससे आपको कब, क्या करना है, यह पता हो जाता है। इसमें मौज-मस्ती से सीखने वाल कामों और खेलों को शामिल करें। हर हफ्ते के आखिर में अगले हफ्ते करने वाली चीजों को तय करें। जब आप खाने, नहाने आराम करने और सोने के समय का हिसाब लगायेंगी तों आपके पास शायद तीन से पांच घंटे का समय इन कामों के लिये बचा रहेगा। आप इस समय में कुछ मेहनती कामों को मिला कर सीखने वाले खेल, घर के अंदर खेले जा सकने वाले खेल और चित्रकारी और शिल्पकारी की मदद से अच्छी तरह से बच्चे का मन बहला सकती हैं और शिशु को ज्यादा नहीं पर कुछ देर तक टेलीविजन भी देखने दे सकती हैं। इसके लिये वह समय चुनें जब शिशु पूरी तरह से चुस्त हो जैस दोपहर की झपकी लेने के बाद।
#2. शारीरिक कामः
शारीरिक मेहनत वाले कामों में मौज-मस्ती शामिल होने से शिशु की ऊर्जा को दिशा देने में मदद मिलती है। घर के अंदर खेलने वालें खेलों के जरिये आप शिशु को ऐसे शारीरिक कामों में व्यस्त रख सकते हैं। आपको बाहर जाकर शिशु को क्रिकेट, बैडमिंटन, बास्केटबाॅल, बाॅलिंग या और कोई खेल सिखाने की जरूरत नहीं है। घर की बैठक या खाना खाने वाले कमरे में थोड़ी जगह बनाकर शिशु के साथ खेलने के लिये तैयार हो जायें। घर अंदर खेलने वाले खेल जैसे लुका-छिपी, पकड़ा-पकड़ी, गेंद लपकना और रस्सी कूदना जैसे खेल शिशु को घर में दौड़-भाग कराने के आसान तरीके हैं। या आप पता लगा सकती हैं कि आजकल कौन से खेल शिशु के लिये बेहतर हैं। खेल को दिलचस्प बनाने के लिये घर के अलग-अलग कमरों में खेलने की कोशिश करें।
अपने 3 साल की शिशु को घर के कामों में शामिल करें जैसे धुले हुये कपडों को टांगते समय उसे कपड़ा फंसाने की चिमटी देने, खाने की मेज पर चटाई बिछाने, धुले बर्तनों को सजाने या टेबल से धूल हटाने के लिये कहें। अच्छा काम करने पर हर बार ताली बजाकर उसकी तारीफ करें। इससे उसका हौसला बढ़ेगा और आपका काम भी जल्दी से हो जायेगा।
#4. मन बहलाने के लिये नाचना-गानाः
गाना बजायें और आवाज बढ़ा दें (यकीनन् ज्यादा नहीं)। अपनी शिशु को उसकी पसंदीदी धुन पर नाचने दें। अगर आपके एक से ज्यादा बच्चे हैं तो उनमें मुकाबला करा कर इसे और मजेदार बना सकती हैं। और बेहतर होगा यदि आप भी इसमें शामिल हो जायें।
आप शिशु के लिये तकिये, कुर्सियां, डलिया या जो कुछ भी आपके पास है, से एक छोटी आड़ बनायें और अपने शिशु के साथ दौड़ लगायें पर इस खेल को खेलने से पहले उस जगह से नुकीले कोनों वाली टेबल और सभी नुकीली चीजें को हटा दें।
#6. हर जगह गुब्बारे होंः
पहले से हवा भरे हुये गुब्बारों के बजाय कुछ सादे गुब्बारे खरीदें और उन्हें फुलायें। आपकी शिशु को इन हवा भरे गुब्बारों को इधर-उधर फेंकना अच्छा लगता है। उसके साथ हवा भरे गुब्बारे से टेनिस खेलें। गेंद के बजाय गुब्बारे सुरक्षित होते हैं और उनसे घर में चीजों के टूटने का खतरा नहीं होता। अगर गुब्बारा फूट जाता है तो इसके टुकड़ों को तुरंत घर से बाहर फेंक दें।
शिशु को खेल-खेल में सिखाने वाले खेलों में शामिल करें जैसे ब्लाॅक जोड़ने-लगाने वाले खेल। ज्यादातर जोड़ने-लगाने वाले ब्लाॅक पर नंबर या अक्षर लिखे होते हैं और यह कई रंगों के होते हैं। आप शिशु को इन अक्षरों को सिखा सकते हैं या जोड़ना सिखा सकते हैं क्योंकि शिशु को इस खेल में मजा आता है। फ्लैश कार्ड भी बच्चों को सिखाने का अच्छा तरीका है। आप इन्हें घर पर ही बना सकती हैं या बजार से खरीद सकती हैं। आमतौर पर कार्ड के एक तरफ एक कोई अक्षर होता और दूसरी तरफ इस अक्षर से शुरू होने वाली तस्वीर। पहेलियां शिशु को व्यस्त रखने का एक और तरीका है। उसे एक पहेली हल करके दिखायें और उसे दूसरी पहेलियां हल करते हुये देखें।
शिशु के साथ पढ़ना, उसे बच्चों की कविताऐं और कहानियों की पहचान करा कर उसमें किताबों की दिलचस्पी बढ़ाने में आपकी मदद करता है। आप जोर-जोर से पढ़ें और शिशु को अपनी नकल करने के लिये कहें।
9. चित्रकारी करनाः
शिशु को चित्रकारी करने दें और उसे चित्र बनाने, रंग भरने और पेंटिंग के कामों में शामिल करें। इसके लिये आप रंग भरने वाली किताबें या सादा पेपर भी इस्तेमाल कर सकती हैं। शिशु को व्यस्त रखने के लिये आप सभी तरह के रंग भरने और पेंटिंग करने के तरीके अपना सकती हैं, हाथों और उंगलियों को इस्तेमाल भी कर सकती हैं। सब्जियां जैसे भिण्डी या आलू को काटकर इसे रंग में डुबा कर इससे सादे कागर पर छापें, रंग भरें या मजेदार आकार बनायें।
शिशु को जन्म देने के बाद सभी महिलाओं को इस बात की चिंता जरूर सताती है कि कैसे अपने वजन को कम करें। नॉर्मल डिलीवरी होने की स्थिति में तो आप आराम से वजन कम करने के उपायों को आजमा सकती है लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के मामले में आपको बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। सिजेरियन डिलीवरी के बाद आपके डॉक्टर भी आपको पर्याप्त आराम करने की सलाह देते हैं और जब तक ऑपरेशन के दौरान पेट पर लगे हुए टांके पूरी तरह से ठीक ना हो जाए तब तक आपको किसी तरह का एक्सरसाइज करना भी नहीं चाहिए।
लेकिन आप बिल्कुल परेशान ना हों और आज हम आपको इस ब्लॉग में बताने जा रहे हैं कि सीजेरियन डिलीवरी के बाद आप वजन कम करने के लिए किस तरह के व्यायाम कर सकती हैं और आपको किस तरह का आहार लेना चाहिए।
सीजेरियन डिलीवरी के बाद वजन कम करने के उपाय
सीजेरियन डिलीवरी के बाद कम से कम 3 महीने तक आपको अपने शरीर को पूरी तरह से आराम देने की आवश्यकता होती है। इस दौरान आप किसी तरह का कसरत नहीं ही करें तो आपके लिए बेहतर होगा।
पेट में लगे टांकों के ठीक हो जाने के बाद डॉक्टर की सलाह से आप कुछ आसान एक्सरसाइज करना शुरू कर सकती हैं जो आपके वजन को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं।
हालांकि बाजारों में बहुत सारे वेट लॉस करने की दवाएं उपलब्ध है लेकिन शिशु के जन्म के बाद इस तरह की दवाओं का प्रयोग करना आपके और बच्चे की स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी छोड़ सकते हैं तो इसलिए आपको चाहिए कि घरेलु नुस्खों को आजमाएं।
आयुर्वेद के विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त कर आप और कई नुस्खों के बारे में जान सकती हैं। इस ब्लॉग में बताए गए उपायों को आजमाएं।
मां बनना हर महिला के लिए सुखद अनुभूति होती है। विवाह के बाद हर महिला चाहती है कि वह मां बने, लेकिन कुछ वजहों से कई महिलाएं मां नहीं बन पातीं। इस वजह से उन्हें कई ताने भी सुनने पड़ते हैं। जरूरी नहीं कि गर्भवती न हो पाने की वजह महिला ही हो, लेकिन फिर भी उन्हें समाज में तरह-तरह की बातें सुननी पड़ती हैं। दरअसल बदलते लाइफस्टाइल की वजह से फर्टिलिटी की समस्या (Infertility Reason) इसका बड़ी वजह है। इसके अलावा कई अन्य कारण भी हैं, जिनकी वजह से कई महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। आइए जानते हैं उन वजहों के बारे में जिनकी वजह से महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं हो पाती हैं।
क्या हैं गर्भधारण ना कर पाने के मुख्य कारण?
कुछ कारण/आदतें जो किसी महिला को प्रेग्नेंट होने से रोक सकतें हैं। पूरा ब्लॉग पढ़ें...
मोटापा व वजन - डॉक्टरों के अनुसार, कई केस में मोटापा अधिक होने के कारण भी महिलाएं मां नहीं बन पातीं। दरअसल मोटापे की वजह से इंफर्टिलिटी की समस्या हो जाती है। जिससे गर्भधारण करने में दिक्कत आती है। यही नहीं मोटापे से वजन अधिक हो जाता है, इससे भी गर्भधारण करने पर असर पड़ता है। हालांकि इस बात का भी ध्यान रखें कि वजन जरूरत से ज्यादा कम भी न हो। क्योंकि बहुत कम वजन होने से भी मां बनने में दिक्कतें आती हैं। कम वजन होने से महिला के हाइपोथैलेमस में खराबी आती है और ओवरी सही से काम नहीं करती।
तनाव – आज के समय में तनाव (डिप्रेशन) की वजह से भी कई महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। तनाव की वजह से फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। इसके अलावा अगर आपको ठीक से नींद नहीं आ रही तो इसे कंट्रोल करें, क्योंकि यह भी मां बनने के सुख से दूर करता है। नींद न आने की स्थिति में आप डिप्रेशन का शिकार होने लगती हैं।
सही समय पर सहवास न करना - गर्भधारण करने के लिए जरूरी है कि आप सही समय पर सहवास करें। डॉक्टरों के अनुसार, गर्भधारण करने के लिए ओव्यूलेशन यानी डिंबोत्सर्जन के समय में सहवास करना जरूरी है। अगर इस समय आपने सहवास नहीं किया तो गर्भवती होने की संभावना बहुत कम होती है।
गलत पोजीशन में सेक्स – आजकल युवा पीढ़ी कुछ नया करने के लिए सेक्स के अलग-अलग पोजीशन को अपनाते हैं। पर गर्भधारण करने के लिए यह ठीक नहीं है। गलत पोजीशन की वजह से भी आप गर्भधारण करने से वंचित रह सकती हैं। गर्भधारण के लिए सेक्स के दौरान महिला का नीचे होना व पुरुष का ऊपर होना सबसे बेहतर पोजीशन है। हालांकि वीर्य स्खलन के बाद आप कुछ देर लेटी रहें।
ज्यादा गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने के कारण – आजकल दंपत्ति अनचाहे गर्भ से बचने के लिए गर्भनिरोधक का काफी इस्तेमाल करते हैं। इसकी वजह से भी गर्भधारण करने में दिक्कत आती है। दरअसल गर्भ रोकने के लिए इंजेक्शन और गोलियां अधिक लेने से महिलाओं की फर्टिलिटी कम होती है और भविष्य में कंसीव करने के चांस कम होते हैं।
ओव्यूलेशन न होना – ओव्यूलेशन मासिक धर्म के दौरान होने वाली वो अवस्था है, जिसमें महिलाओं में सबसे अधिक अंडोउत्सर्जन होता है। गर्भधारण के लिए यह सबसे सही समय माना जाता है, पर कई महिलाओं में ओव्यूलेशन होता ही नहीं है। ऐसे में गर्भधारण करना मुश्किल होता है। ओव्यूलेशन के ठीक से न होने की वजह पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम होता है।
फेलोपियन ट्यूब का बंद होना – कई बार ओव्यूलेशन की समस्या फेलोपियन ट्यूब बंद होने की वजह से होती है। इससे महिलाओं में अंडोत्सर्जन न होने की समस्या होने लगती है। इस ट्यूब में किसी भी ब्लॉकेज के कारण शुक्राणु अंडकोष तक नहीं पहुंच पाते हैं। इस समस्या के होने पर महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पातीं।
पोलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) – पोलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम होने पर मेल हार्मोन की मात्रा नॉर्मल लेवल से अधिक होती है। इससे पीड़ित होने पर टेस्टोस्टेरोन और प्रोजेस्टेरोन की कम मात्रा होने की वजह से महिलाओं में एग फोल्लिक्ल का विकास नहीं हो पाता और महिलाएं गर्भधारण से वंचित रह जाती हैं।
थायरॉइड - थायरॉइड की स्थिति में भी महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। दरअसल हाइपर थायरॉइड होने पर महिलाओं को रिप्रोडक्टिव हार्मोन बैलेंस करने में परेशानी आती है। थायरॉइड डिसऑर्डर से मेंस्ट्रुअल साइकल में परेशानी आने लगती है। इससे बेवक्त पीरियड्स, पीरियड्स में न के बराबर खून निकलना, बहुत ज्यादा खून निकलना जैसी दिक्कतें आती हैं। वहीं एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का कम मात्रा में सेक्रीशिन होना थायरॉइड लेवल में कमी की सबसे बड़ी वजह है। इससे महिलाओं को ओवरियन सिस्ट हो सकता है व उनके गर्भधारण करने की संभावना खत्म हो सकती है।
अनियमित पीरियड्स - गर्भधारण करने के लिए पीरियड्स (मासिक धर्म) का सही समय पर आना बहुत जरूरी है। जब यह सही या नियमित समय पर नहीं आता, तो महिला को पीरियड्स के दौरान बहुत दर्द होता है। ये दोनों वजहें ही गर्भधारण में बाधा बनती हैं।
गर्भाशय में गांठ – गर्भाशय में गांठ यानी फाइब्रॉयड होने से भी गर्भधारण करने में परेशानी आती है। फाइब्रॉयड में मासिक धर्म के दौरान सामान्य से ज्यादा खून बहना, यौन संबंध बनाते समय दर्द होना, पीरियड्स के बाद भी खून आने जैसी दिक्कतें आती हैं और इस वजह से अंडाणु और शुक्राणु आपस में मिल नहीं पाते। इस स्थिति में मां बनना संभव नहीं होता है।
अधिक उम्र – कई मामलों में महिला और पुरुष दोनों की अधिक उम्र की वजह से भी गर्भधारण करना मुश्किल होता है। माना जाता है कि अगर महिला की उम्र 32 से ऊपर हो तो उसकी प्रजनन क्षमता काफी कम हो जाती है।
नशा – आजकल कई महिलाएं भी खूब नशा करती हैं, जो गर्भधारण करने के लिहाज से ठीक नहीं है। धूम्रपान से उनकी फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। अगर नशा ज्यादा हो, तो मां बनने की संभावनाएं लगभग खत्म हो जाती हैं।
सर्वाइकल – सर्वाइकल होने की स्थिति में भी गर्भधारण करने की संभावना नहीं रहती है। सर्वाइकल प्रॉब्लम की वजह से स्पर्म सर्वाइकल कैनाल से नहीं गुजर पाते हैं। ऐसे में महिलाएं मां नहीं बन पाती हैं
महिलाओं के गर्भधारण न कर पाने की एक बड़ी वजह पुरुषों की कमी भी है। दरअसल आजकल कई केस ऐसे आ रहे हैं, जिनमें पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम होने की वजह से उनकी फर्टिलिटी कम हो जाती है और इस वजह से वह प्रजनन नहीं कर पाते।ग्रैंड मास्टर आर वैशाली ने महज 14 साल की उम्र में मुंबई में नेशनल वीमैन चैलेंजर्स का खिताब जीत लिया था. कई जूनियर टूर्नामेंट में जीत दर्ज करने के बाद उन्होंने पहली बार एक बड़ा खिताब अपने नाम किया. इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा......
दुनिया की नज़र भी उन पर पड़नी शुरू हो गई. जब उन्होंने 2017 में एशियाई व्यक्तिगत ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी. जब वो 2018 में भारतीय वीमैन ग्रैंड मास्टर बनीं तो पूर्व विश्व चैंपियन ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद ने उन्हें बधाई देते हुए ट्वीट किया था.
आर वैशाली के परिवार में शतरंज खेलने का माहौल है. उनका 15 साल का भाई आर प्रज्ञानंद दुनिया के सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर्स में से एक हैं. 19 साल की बड़ी बहन आर वैशाली वीमैन ग्रैंड मास्टर हैं. दोनों ही भाई बहनों ने बहुत कम उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था.
वैशाली ने अपने करियर की शुरुआत में ही साल 2012 में अंडर-11 और अंडर-13 नैशनल चैंपियनशिप जीत कर बड़ी कामयाबी हासिल की. उसी साल उन्होंने कोलंबो में अंडर-12 श्रेणी में एशियाई चैंपियनशिप और सोलवेनिया में यूथ चेस चैंपियनशिप अपने नाम किया.
शुरुआती दौर की परेशानी
चेन्नई में शतरंज खेलने की संस्कृति काफी समृद्ध है लेकिन इसके बावजूद वैशाली बताती हैं कि उन्हें शुरुआत में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा था क्योंकि ट्रेनिंग और यात्राओं की वजह से उन्हें यह खेल महंगा पड़ रहा था. ट्रेनिंग के शुरुआती दिनों में उनके पास कंप्यूटर नहीं था और वो अपनी मौलिक जानकारियों और रणनीति विकसित करने के लिए किताबों पर ही निर्भर थीं.
वो शुरुआत में शतरंज के कई विकसित सॉफ्टवेयर और टूल्स से महरूम रहीं. स्लोवेनिया में 2012 में वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप जीतने के बाद वैशाली को स्पॉन्सरशिप के जरिए लैपटॉप मिला. जिसकी मदद से वो एक खिलाड़ी के तौर पर आगे और मजबूत हुई.
इसके बाद वैशाली और उनके भाई ने स्पॉन्सर्स का ध्यान अपनी ओर खींचना शुरू किया. वैशाली कहती हैं कि उनके माता-पिता ने हमेशा उनका साथ दिया. उनके पिता ने उनकी ट्रेनिंग संबंधी ज़रूरतों को पूरा किया तो माँ टूर्नामेंट के दौरान उनके साथ बनी रहीं.
वैशाली कहती हैं कि दुनिया की सबसे कम उम्र की ग्रैंड मास्टर्स में से एक बनने की वजह से भी उनके लिए चीजें बाद में आसान हुईं. हालांकि दोनों भाई-बहन अक्सर प्रैक्टिस साथ नहीं करते हैं लेकिन वे रणनीति पर बातचीत करने पर बहुत वक्त एक साथ बिताते हैं. उनके भाई प्रज्ञानंद ने कई अहम सलाह देकर कई टूर्नामेंट की तैयारियों में वैशाली की मदद की है.
नकी करियर में अहम पड़ाव उस वक्त आया जब जून 2020 में उन्होंने पूर्व विश्व चैंपियन एंटोनिटा स्टेफानोवा को FIDE chess.com वीमेन्स स्पीड चेस चैंपियनशिप में हराया. उन्होंने इस जीत के साथ शतरंज की दुनिया में हलचल पैदा कर दी.
वैशाली कहती हैं कि लगातार मिलती कामयाबी और तारीफों की वजह से उन्हें और कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है. उनका मकसद अब वीमेन इंटरनेशनल मास्टर्स का ख़िताब हासिल करना है और उसके बाद ग्रैंड मास्टर पर उनकी नज़र है. वैशाली ने शतरंज की दुनिया में खुद से एक ऊंचाई हासिल की है लेकिन वो कहती हैं कि अपने करियर के दौरान कई दूसरी महिला खिलाड़ियों को कई तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
वो कहती हैं कि महिला खिलाड़ियों की उपलब्धि को पुरुष खिलाड़ियों की उपलब्धि की तरह नहीं देखा जाता है. महिलाओं और पुरुषों को मिलने वाली पुरस्कार राशि में यह फर्क आप देख सकते हैं.