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प्रेगनेंसी में न्यूट्रिशियन बहुत ज़रूरी होता है। शिशु अपने जीवन के शुरुआती नौ महीनों में पोषण के लिए अपनी मां के शरीर पर निर्भर करता है। इस चरण में उसे जो पोषण मिलता है वही उसे आगे तक मदद करता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए उचित पोषण लेना बहुत ज़रूरी होता है।
नयूट्रिशनल फूड में संतुलित आहार शामिल होता है जिसमें गर्भवती महिला को अपने आहार में ज़रूरी पोषक तत्व लेने होते हैं। इनमें से एक आयोडीन भी है। सामान्य महिला को 150 एमसीजी आयोडीन की ज़रूरत होती है जबकि गर्भवती महिला को 220 एमसीजी आयोडीन रोज़ चाहिए होता है।
आयोडीन क्यों ज़रूरी होता है
आयोडीन का सेवन करने से शरीर का विकास होता है। आपको ये बात समझनी चाहिए कि आपके बच्चे के विकास के लिए आपको अपने आहार में आयोडीन को शामिल करना ज़रूरी है। इससे बच्चे के दिमाग और नर्वस सिस्टम का विकास होता है। जिस दर पर आपका शरीर अपनी ऊर्जा उपयोग करता है (या इसके बजाय चयापचय की दर) वो गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा आयोडीन की खपत द्वारा निर्धारित किया जाता है। गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी की वजह से थायराएड ग्लैंड नियंत्रित नहीं रहता है।
अगर आप अपने बच्चे को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो ये आपका कर्त्तव्य है कि आप अपने आहार में सही मात्रा में आयोडीन का सेवन करें।
गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी के कारण
गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी के कई लक्षण होते हैं जैसे शुष्क त्वचा या बहुत ज़्यादा ठंड लगना। आयोडीन की कमी की वजह से गर्भवती महिला का मेटाबोलिज्म रेट भी प्रभावित होता है।
इस समस्या से बचने के लिए गर्भवती महिला को आयोडीन की सही मात्रा का सेवन करना चाहिए। कई महिलाएं सही आहार नहीं लेती हैं जिसकी वजह से आयोडीन की कमी हो सकती है और ये आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए ही खतरनाक हो सकता है।
आयोडीन की कमी की वजह से छोटा कद होने की परेशानी आ सकती है और इसका निदान भी बहुत मुश्किल होता है। मां के शरीर में आयोडीन की कमी की वजह से बच्चे के दिमाग का विकास रूक जाता है। इसकी वजह से बच्चा उम्रभर के लिए मानसिक रोगी बन सकता है।
धीरे विकास होना
गर्भावस्था के दौरान और शिशु के शुरुआती जीवन में समय-समय पर कुछ ऐसे ज़रूरी मुकाम होते हैं जिन्हें हासिल करना महत्वपूर्ण होता है। जैसे कि एक उम्र तक बच्चे को बोलना सीखना है और चलना शुरु करना है। ये सब काम बच्चा अपने दिमाग के विकास की मदद से करता है।
अगर गर्भ में आयोडीन की कमी की वजह से बच्चे के दिमाग का विकास नहीं हो पाता है तो ये सब चीज़ें भी प्रभावित होती हैं। इससे बच्चा अपनी उम्र के बाकी बच्चों की तुलना में धीरे विकास करता है।
नवजात हाइपोथायरायडिज़्म
इस अवस्था को जन्मजात हाइपोथायरायडिज़्म कहते हैं और ये नवजात शिशु में थायरायड के पर्याप्त उत्पादन के ना होने की वजह से होता है। इसमें बच्चे के ग्लैंड में एनाटोमिक विकार या थायरायड मेटाबोलिज्म में दिक्कत होती है। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी की वजह ये बहुत ज़्यादा होता है।
गॉइटर
इस बीमारी को नवजात शिशु में प्राइमरी हाइपोथायरायडिज़्म के नाम से भी जाना जाता है। ये बहुत दुर्लभ मामलों में होता है। हालांकि, ये बहुत खतरनाक होता है और अगर शिशु के जन्म के बाद ही इसका पता ना लग पाए तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। इसका एक ही इलाज है और वो है हार्मोन रिप्लेसमेंट जोकि ना सिर्फ बच्चे के लिए मुश्किल होगा बल्कि खर्चीला भी होता है। बेहतर होगा कि गर्भवती महिला उचित मात्रा में आयोडीन का सेवन करे।
किसी भी गर्भवती महिला के लिए ये सबसे मुश्किल दौर होता है। आयोडीन की कमी की वजह से भ्रूण पनप नहीं पाता है और गर्भपात हो जाता है। इससे गर्भवती महिला के शरीर और दिमाग दोनों पर ही बुरा असर पड़ता है। इस मुसीबत से बचने के लिए आपको गर्भधारण करने से पहले ही अपने शरीर में आयोडीन की कमी को पूरा कर लेना चाहिए। अगर आपके मन में कोई संशय है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात कर सकती हैं। अपने लाइफस्टाइल में ये छोटे-छोटे बदलाव कर आप अपने शिशु को स्वस्थ और लंबा जीवन दे सकती हैं।
::/fulltext::जब बात खूबसूरती को निखारने की आती है तो आप में से ज्यादातर लोग इंटरनेट में टिप्स और ट्रिक्स तलाशने लगते हैं. लेकिन ये जरूरी नहीं कि सभी टिप्स आपके काम की हों और आपको फायदा पहुंचाएं. इन टिप्स पर आंख बंद करके भरोसा करने से पहले ये जान लीजिए कि क्या ये आपकी स्किन टाइप, सेंसिटिविटी और टेक्शचर को ध्यान में रखकर लिखी गईं हैं या नहीं. यहां पर हम आपको स्किन केयर से जुड़ी पांच ऐसी गलतियों के बारे में बता रहे हैं जो आपको नुकसान पहुंचा रही हैं:
1. एक्सपायरी डेट न पढ़ने की आदत
जब भी ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदें उनकी एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें. खासकर स्किन केयर प्रोडक्ट्स में एक्टिव इंग्रीडेंट्स होते हैं जो तय समय के बाद खराब होने लगते हैं. ऐसे प्रोडक्ट को तुरंत डिस्कार्ड यानी कि कूड़े में डाल देना चाहिए. और हां भूलकर भी इनका इस्तेमाल न करें.
2. मेकअप उतारने को झंझट मानना
जब भी मेकअप लगाएं उसे उतारना न भूलें. जब आप अपना मेकअप नहीं उतारती हैं तब रात भर आपकी त्वचा उसे सोखने का काम करती है. नतीजा इरिटेशन, पिंपल्स और रूखापन.
3. अंध भक्त बनना
इंटरनेट ने हमारे लिए कई दरवाजे खोले दिए हैं लेकिन सही दरवाजा खोलना जरूरी है. जब भी आपका फेवरेट एक्टर किसी नए ब्यूटी प्रोडक्ट का विज्ञापन करते हुए दिखाई दे तो तुरंत उसे खरीदने के पीछे मत भागिए. किसी भी नए ब्यूटी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उसकी जांच करें. सैंपल लेकर उसे अपनी स्किन पर लगाएं. अगर वो आपकी स्किन को सूट करता है तो ही उसे खरीदें.
5. ब्यूटी प्रोडक्ट्स के पीछे भागना
कोई नया ब्यूटी प्रोडक्ट बाजार में आता है. आप उसका इस्तेमाल करते हैं और ये एक्साइटमेंट कुछ ही दिनों में गायब हो जाती है. अगर एक हफ्ते में कोई रिजल्ट नहीं दिखा तो फिर आप किसी दूसरे प्रोडक्ट की तलाश में जुट जाते हैं. क्या ऐसा आपके साथ भी होता है? अगर हां तो ये जान लीजिए कि स्किन सेल्स को रिजेनेरेट होने में कम से कम एक महीने का समय लगता है. ऐसे में किसी सीरम को एक हफ्ते तक इस्तेमाल करने के बाद रिजल्ट की उम्मीद न करें. अगर अच्छा रिजल्ट चाहिए तो फिर कम से कम एक महीने तक उस प्रोडक्ट का इस्तेमाल कीजिए और फिर किसी नतीजे तक पहुंचिए.
::/fulltext::दुनियाभर में भारतीयों को उनके संस्कार, प्रेम और पारिवारिक मूल्यों के लिए जाना जाता है। हालांकि, आपको कभी ना कभी ये बात भी समझ आ ही जाती है कि ज़िंदगी में अकेले संस्कार ही काफी नहीं होते हैं।
आज हम आपको उन चीज़ों के बारे में बताने जा रहे हैं जो भारतीय माता-पिता को बचपन से ही अपने बच्चों को सिखाना चाहिए। उन्हें ये चीज़ें सिखाकर आप उन्हें ज़िंदगी में आने वाली परेशानियों के लिए तैयार कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि असल में माता-पिता को अपने बच्चों को क्या सीख देनी चाहिए।
उन्हें टैक्स फाइल करना सिखाएं ताकि वो आखिरी समय पर परेशान ना हों और हर साल 21 जुलाई से पहले ही अपना काम पूरा कर लें। पैरेंट्स और स्कूल दोनों ही बच्चों को टैक्स भरने के बारे में नहीं बताते हैं। अमूमन लोग सीए के पास जाकर टैक्स भरवाते हैं।
माता-पिता होने के नाते आपको अपने बच्चे को ये सिखाना चाहिए कि रसोई और घर का काम लड़के और लड़कियों दोनों को ही मिलकर करना चाहिए। कई परिवारों में बच्चों को घर के काम करना नहीं सिखाया जाता है क्योंकि इसे उनके विकास के लिए ज़रूरी नहीं समझा जाता है। उन्हें घर का काम सिखाकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें।
बच्चों को सेक्स के बारे में सिखाना बहुत ज़रूरी होता है। आमतौर पर बच्चे पोर्न देखकर या अपने दोस्तों से इन चीज़ों के बारे में जानते हैं। ये उन्हें नुकसान पहुंचाता है क्योंकि वो इससे सेक्स को लेकर सहमति, गर्भनिरोधक और महत्वपूर्ण पहलुओं की मूल नैतिकता को नहीं जान पाते हैं।
बच्चों को कम उम्र से ही बचत और निवेश करना ज़रूर सिखाएं। अलग-अलग तरह से निवेश और बचत सिखाकर आप उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं।
अपने बच्चे को छोटे कपड़े या रात को देर से आने पर टोकने की बजाय आत्मसुरक्षा की ट्रेनिंग दिलवाए। खुद को सुरक्षित रखने का गुर सीखने के बाद उनके आत्मविश्वास में भी बढ़ोत्तरी होगी।
आमतौर पर बच्चों को बड़ों की पीठ पीछे बात करने के लिए मना किया जाता है क्योंकि से संस्कारों के विरूद्ध माना जाता है। इसकी बजाय बच्चे को अपनी बात को खुलकर रखना सिखाएं। उन्हें बड़ों से प्यार और नम्रता से जवाब देना सिखाएं।
अक्सर हम छोटे बच्चों को अंगूठा चूसता हुआ देखते हैं, ये बच्चों में एक सामान्य सी आदत होती है। कुछ बच्चों की अंगूठा चूसने की आदत पैरेंट्स के लिए मुसीबत बन जाती है। उन्हें सोशल एटिकेट्स से लेकर पर्सनल हाइजिन तक की चिंता सताने लगती है। बच्चें कुछ कारणों के वजह से अंगूठा चूसते हैं, अगर उन्हें समय रहते उनकी ये आदत नहीं छुड़ाई गई तो इसके गलत परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। आइए सबसे पहले जानते है कि आखिर बच्चें क्यों अंगूठा चूसते हैं?
कई बार जब बच्चा भूखा हो और उसे समय पर दूध या खाना ना मिले तब वह अपना अंगूठा चूसना शुरू कर देता है।\
आराम के लिए
आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी, अंगूठा चूसने की वजह से बच्चों को पॉटी करने में आराम मिलता है। जी हां, इस दौरान उनको भी थोड़ा बहुत स्ट्रेसफुल महसूस होता है इसलिए वो कम्फर्ट फील करने के लिए अंगूठा चूसते है।
तनाव की वजह से
आपको क्या लगता है सिर्फ बड़ों को ही स्ट्रेस होता है, बच्चों को भी स्ट्रेस होता है। जब हम तनाव में होते है तब कुछ की तो भूख ही मर जाती हैं, वहीं कुछ को ज्यादा भूख लगने लगती है। ऐसा ही बच्चों के साथ भी होता हैं। जब कभी आपका बच्चा तनाव की स्थिति में होता है, तब उसका मन कुछ खाने को करता है। ऐसे में अगर खाने की कोई चीज उनके आसपास मौजूद नहीं होती है, तो वे अंगूठा चूसने लगते हैं।
अंटेशन पाने के लिए
कई बार बच्चें अंटेशन पाने के लिए अंगूठा चूसना शुरु कर देते है। अगर काफी देर से मां-बाप बच्चें के आस-पास नहीं आते है तो असुरक्षा की भावना और माता-पिता से प्यार न मिल पाने के कारण भी वो ऐसा करना शुरु कर देते हैं। कैसे छुड़ाए ये आदत
ज्यादा समय बिताएं
जब भी आपका बच्चा अकेला महसूस करता है तो वह अंगूठा जरूर चूसता है इसलिएआप उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं उसके दिमाग को इधर-उधर भटकाएं ताकि बच्चा बोर ना हो और वो मुंह में अंगूठा न डालें।
थोड़ी-थोड़ी देर में आप अपने बच्चें को कुछ न कुछ खाने के लिए जरुर दें। बच्चों को बार-बार खाने की चीज़े दें। जैसे- फल, दलिया या दूध आदि। इससे उसका पेट भरा रहेगा और वह अंगूठा मुंह में नहीं डालेगा।
नीम और नींबू
बच्चें के अंगूठे पर नींबू का रस या नीम का पेस्ट लगा दें। नींबू की खटास और नीम के कड़वेपन की वजह से बच्चा अपना अंगूठा मुंह में लेना बंद कर देगा।
थंब गार्ड लगा लें
आप चाहे तो अपने बच्चें के अंगूठे को टेप या कपड़े से टाइट बांध सकती है। इसके अलावा मार्केट में मिलने वाले थंब गार्ड से बच्चें के अंगूठे को कवर कर सकती है। इससे वो अंगूठा नहीं चूसेगा।
मार्केट में कई प्रकार की चीज़े उपलब्ध हैं जिससे बच्चे की त्वचा और नाखून को बचाया जा सकता है। उसके मुंह में निप्पल या शुगर कैंडी डाल दें जिससे वह अपने अंगूठे को मुंह में न डाल सके। उसका ध्यान अंगूठे की ओर से हटा कर खिलौने, पज्जल या गाने की ओर आकर्षित करें।
प्यार से बात करें
अगर आपका बच्चा बार-बार मुंह में अंगूठा डाल रहा है तो फिर से बच्चे के सामने कभी भी गुस्सा या झुंझलाहट न दिखाएं। इसलिए जब वो अगली बार ऐसा करता हुआ दिखे तो उससे प्यार से बात करें।
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