Monday, 23 December 2024

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गर्भावस्था के दौरान यौन संबंध बनाना पूरी तरह से सुरक्षित है, बशर्ते ये आपकी डॉक्‍टर की निगरानी में किया गया हो.....

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गर्भावस्‍था के दौरान अकसर गर्भपात का डर उन्‍हें डराता रहता है, लेकिन डॉ अनुप धीर कहते हैं कि गर्भावस्था के दौरान यौन संबंध बनाना पूरी तरह से सुरक्षित है, बशर्ते ये आपकी डॉक्‍टर की निगरानी में किया गया हो. 

गर्भावस्था के दौरान सेक्स कप्‍लस के लिए गंभीर चिंता का विषय है. बच्चे की सुरक्षा और मां के स्‍वास्‍थ्‍य की चिंताएं लगातार कप्‍लस को परेशान करती रहती हैं. ऐसे में वह गर्भावस्था के 9 महीनों में आनंददायक संभोग से दूर भागते नजर आने लगते हैं. लेकिन इसमें कप्‍लस को दोषी ठहराना सही नहीं होगा, क्योंकि गर्भावस्‍था के दौरान अकसर गर्भपात का डर उन्‍हें डराता रहता है, लेकिन डॉ अनुप धीर कहते हैं कि गर्भावस्था के दौरान यौन संबंध बनाना पूरी तरह से सुरक्षित है, बशर्ते ये आपकी डॉक्‍टर की निगरानी में किया गया हो. 

वह कहते हैं, गर्भावस्था के दौरान यौन संबंध न बनाना कपल्‍स में सबसे आम समस्‍या है. गर्भावस्‍था की पहली और तीसरी तिमाही में यौन संबंध बनाना पूरी तरह से सुरक्षित होता है. आप चाहे तो सावधानी के साथ दूसरी तिमाही में भी इसे जारी रख सकते हैं. पर यह सब स्त्री रोग विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाना चाहिए.

डॉ. अनुप के अुनसार, अगर किसी तरह की कोई स्त्री रोग संबंधी समस्या नहीं है, तो गर्भपात की संभावनाएं काफी कम होती हैं. 

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हालांकि, गर्भावस्था के दौरान यौन संबंध बनाएं रखने के लिए विभिन्न स्थितियों को ध्‍यान में रखने की जरूरत होती है. कप्‍लस को केवल उसी पॉजिशन में सेक्‍स करना चाहिए जिसमें महिला को पेट पर कोई दबाव न पड़े. गर्भावस्था के दौरान मिशनरी स्थिति असहज हो सकती है.


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डॉ. अनुप के अनुसार, बच्चे के जन्म के बाद कपल्‍स का यौन जीवन चिंता का एक और विषय है. डिलीवरी के बाद कामेच्छा कम सकती है. आपकी योनि कमजोर हो जाती है. इसलिए डिलीवरी के बाद कम से कम 6 सप्ताह तक सेक्स से दूर रहना चाहिए. यह इंफेक्‍शन से बचने और बच्‍चे के जन्म के बाद अन्य मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक मुद्दों से निपटने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।

डॉ. अनुप कहते हैं, यह सभी सुझाव सामान्य गर्भावस्था के लिए मान्य हैं. वह कहते हैं कि माता-पिता को पता होना चाहिए कि उनका बच्चा सामान्य स्थिति में है या नहीं. हम यहां केवल सामान्य गर्भावस्था के बारे में बात कर रहे हैं, जिनमें कोई जटिलता नहीं है. इन्हें तभी माना जाना चाहिए जब मां का गर्भपात या चिकित्सा संबंधी कोई इतिहास न हो.

गर्भावस्‍था में सेक्‍स के दौरान रखें इन बातों का ध्‍यान:

1. अगर वॉटर बैग से पानी निकल गया है तो सेक्‍स से परहेज करें.
2. अगर सेक्स के दौरान योनि से किसी तरह का रक्तस्राव होता है तो सावधान रहें.
3. जिन महिलाओं का गर्भाशय कमजोर है और बच्चे को कैरी नहीं कर पा रहा है. उन्‍हें गर्भावस्था के दौरान यौन संबंध बनाने को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए.
4. जिन महिलाओं का प्‍लसेंटा लॉ होता है उन्‍हें भी सावधानीपूर्वक सेक्‍स करना चाहिए.
5. इसके अलावा यदि आपके साथी को यौन संक्रमण रोग है तो गर्भावस्था के दौरान सेक्‍स से बचना चाहिए.

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Placenta Previa: क्या है प्लेसेंटा प्रिविया, इसके लक्षण, बचाव और उपचार.....

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गर्भावस्था के अंतिम चरण में अगर प्लेसेंटा ग्रीवा को ढ़क ले, तो यह सामान्य या प्राकृतिक प्रसव के दौरान बच्चे के बाहर निकलने के रास्ते को पूरी तरह से रोक देती है, ऐसे में सीजेरियन ऑपरेशन ही एक रास्ता बचता है. 

गर्भावस्था एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हर महिला के अनुभव अलग होते हैं. इस दौरान मिलने वाला प्यार और केयर भला किसे पसंद नहीं. ज्यादातर महिलाओं के लिए जीवन का यह दौर बेहद सुखद और यादगार होता है. लेकिन आज के भागम-भाग भरे जीवन में, हमारी बदली और अव्यवस्थित जीवनशैली काफी हद गर्भावस्था पर प्रभाव ड़ालती है. कभी-कभी काम और करियर बनाने के लिए हम फैमिली प्लेनिंग को टालते रहते हैं. ऐसे में जब वह खुशी आपको नसीब होती है, तो कई बार अपने साथ लाती है उम्र और लाइफस्टाइल से जुड़े कई कॉम्लिकेशन्स... इन्हीं में से एक है लॉ लाइंग प्लेसेंटा या प्लेसेंटा प्रिविया.

क्या है प्ले्सेंटा प्रिविया: 

गर्भ में अंडे का निषेचन होने के समय निषेचित अंडा यानी फर्टलाइज्ड एग फेलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है. इसी प्रकिया के दौरान सामान्य मामलों में एग खुद को गर्भाशय में सबसे ऊपर की ओर प्रत्यारोपित करता है. लेकिन कई बार निषेचित अंडा गर्भाशय के निचले हिस्से से ही खुद को जोड़ लेता है. 

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सरल शब्दों में कहें तो इस तरह के मामलो में गर्भनाल या प्लेसेंटा जो बच्चे के विकास में अहम रोल निभाता है, ठीक गर्भाशय के मुंह पर स्थित हो जाता है. जो कई तरह से खतरनाक साबित हो सकता है. इस तरह के मामले कई बार भारी रक्तस्राव का कारण बन सकते हैं और खतरा पैदा कर सकते हैं. अगर गर्भावस्था के अंतिम दौर में भी लॉ लाइंग प्लेसेंटा की समस्या होती है, तो यह काफी रिस्की हो सकता है. ऐसी स्थिति में गर्भवती को बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी जाती है. 

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ज्यादातर मामलों में बच्चे के सुरक्षित जन्म के लिये सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है, क्योंकि ऐसे मामलों में गर्भाशय का मुंह प्लेसेंटा द्वारा ढ़का हुआ होता है, जो सामान्य डिलिवरी को जोखिम भरा या इंपॉसिबल बना सकता है. यह समस्या तकरीबन 200 में से एक महिला को होती है.

प्लेसेंटा प्रिविया की स्थितियां

मार्जनल प्लेसेंटा प्रिविआ- इसमें नाल आंतरिक ग्रीवा को खोलने वाले किनारे को ढ़क लेती है.

पार्शियल प्लेसेंटा प्रिविआ- इसमें आंतरिक ग्रीवा को खोलने वाला हिस्सा नाल द्वारा आंशिक रूप से ढ़क जाता है.

कंप्लीट प्लेसेंटा प्रिविआ- इसमें आंतरिक ग्रीवा को खोलने वाला हिस्सा या कहें गर्भाशय का मुंह पूरी तरह नाल द्वारा ढ़क लिया जाता है.

कैसे पता चलता है 
सामान्य तौर पर 20 सप्ताह पर होने वाले अल्ट्रासाउंड के समय इस समस्या का पता चलता है. अल्ट्रासाउंड में प्लेसेंटा के नीचे की ओर होने का पता चलता है. कई बार जब प्लेसेंटा गर्भाशय की पिछली दीवार से जुड़ा होता है, तो इसकी सही जांच के लिए टीवीएस यानी ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड से की जाती है. टीवीएस अल्‍ट्रासाउंड में डॉक्टर योनि के अंदर ट्रांसड्यूसर डालकर स्थिति को सही तरह से जांचते हैं और यह सही-सही पता लगाया जा सकता है कि प्लेसेंटा प्रिविआ किस स्थिति में हैं. 

हालाकि एक अच्छी बात यह है कि कई बार जब गर्भ में बच्चा मूव करना शुरू करता है, तो प्लेसेंटा के ऊपर की और खिसक जाने की भी संभावना होती है. ऐसे मामलों में प्राकृतिक प्रसव की उम्मीद भी बढ़ जाती है. 

हालाकि गर्भावस्था के अंतिम चरण में अगर प्लेसेंटा ग्रीवा को ढ़क ले, तो यह सामान्य या प्राकृतिक प्रसव के दौरान बच्चे के बाहर निकलने के रास्ते को पूरी तरह से रोक देती है, ऐसे में सीजेरियन ऑपरेशन ही एक रास्ता बचता है. 

क्या हैं कारण
हालाकि प्लेसेंटा प्रिविया के लिए किसी एक कारण को निश्चित नहीं किया जा सकता. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कोई भी एक या दो इसकी वजह साबित हो सकते हैं. 

- डॉक्टर स्वाति भारद्वाज का कहना है कि यह समस्या काफी हद तक महिला का उम्र पर भी निर्भर करती है. यादि गर्भवती महिला की उम्र 30 साल या उससे अधिक है, तो प्लेसेंटा प्रिविया होने की समभावना अधिक हो जाती है. 
- कई बार यह समस्या उन गर्भवती महिलाओं में देखने को मिलती है, जिनका पहले सीजेरियन ऑपरेशन हो चुका हो. 
- धूम्रपान की आदि महिलाओं में भी यह समस्याम हो सकती है.
- अगर किसी महिला ने गर्भाशय से जुड़ी कोई सर्जरी कराई है, तो प्लेसेंटा प्रिविया की समस्या की संभावना बढ़ जाती है.

यह लेख 'बेस्ट आब्स्टिट्रिशन और गाइनकालजिस्ट का अवॉर्ड पा चुकीं डॉक्टर ज्योत्सना गुप्ता और बीएचएमएस डॉ. स्वाति भारद्वाज से बातचीत पर आधारित है.

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यूटीआई इंफेक्‍शन में भूलकर भी न करें ये गलतियां, न यूरिन रोकें न ही यौन संबंध बनाएं......

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यूटीआई यानि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन महिलाओं को होने वाली एक सामान्य प्रॉबल्म है। प्राइवेट पार्ट की सफाई न करने व सार्वजानिक टॉयलेट यूज करने के वजह से महिलाएं अक्‍सर यूरिन इंफेक्‍शन या यूआईटी की शिकार बन जाती है। यूटीआई में बैक्टीरिया मूत्रमार्ग से होते हुए ब्लैडर तक पहुंच कर इंफेक्शन फैलाती है। इसके कारण कई बार ब्लैंडर में सूजन भी आ जाती है। यूटीआई के दौरान महिलाओं को खूब सम्‍भलकर रहने की जरुरत होती है।

इस दौरान की गई उनकी छोटी सी छोटी समस्‍याएं उनके ल‍िए बड़ी तकलीफ बन सकती थी। आज हम आपको महिलाओं द्वारा की जाने वाली उन्हीं गलतियों के बारे में बताएंगे।

 Six things you really shouldnt do when you have a UTI
आइए जानते है कि यूटीआई के दौरान कौनसी गलत‍ियां नहीं करनी चाह‍िए। 

डॉक्टर के पास न जाना

अक्सर महिलाएं यूटीआई इंफेक्शन को बहुत हल्‍के से लेती हैं। खुद ही घरेलू उपाय अपनाने लगती हैं। कई मह‍िलाएं इस इंफेक्‍शन की गंभीरता से न लेकर डॉक्टरों के जाने से बचती हैं। मगर समय रहते इस इंफेक्‍शन का इलाज न करवाया जाएं तो यह किसी गंभीर समस्या का रूप भी ले सकती है।

तरल पदार्थ न खाना

यूटीआई की प्रॉब्लम होते ही महिलाएं तरल चीजें खाना बंद कर देती है क्योंकि उन्हें लगता है कि तरल चीजों का सेवन न करने से उन्हें बार-बार यूरिन नहीं आएगा। मगर यूटीआई में आप जितना ज्यादा पानी पीएंगी यह आपके स्वास्‍थय के ल‍िएअच्‍छा होगा

कॉफी और शराब का सेवन

यूटीआई होने की स्थिति में महिलाओं को कॉफी और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। ये बहुत ही स्‍ट्रॉन्‍ग होता है। कॉफी में मौजूद कैफीन औ रएल्‍कोहल में मौजूद मीथेन शरीर से पानी की मात्रा को सोख लेते हैं। जिस वजह से इंफेक्शन की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।

एंटीबायोटिक्स बंद करना

यूटीआई होने के बाद महिलाएं अक्सर अपनी एंटीबायोटिक्स लेना बंद कर देती है। मगर किसी भी दवाई को लेने या बंद करने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें। क्‍योंकि यूटीआई जल्‍द खत्‍म होने वाला इंफेक्‍शन नहीं है अगर थोड़ी सी भी लापरवाही बरती तो ये फिर से जल्‍द हो जाता है।

यौन संबंध न बनाएं

यूरिन इंफेक्‍शन होने पर पार्टनर के साथ भूलकर भी संबंध न बनाएं क्योंकि इससे आपका इंफेक्शन आपके साथी तक भी पहुंच सकता है। इतना ही नहीं, इससे आपको संबंध बनाते समय भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

पेशाब रोकना

यूटीआई में महिलाओं को यूरिन पास करते समय दर्द और जलन होती है। इसके कारण वह ज्यादातर पेशाब को रोकने की कोशिश करती है लेकिन यह गलत है। उन्हें किसी भी स्थिति में पेशाब नहीं रोकना चाहिए क्योंकि इससे बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं। पेशाब रोकने से पेट में भी दर्द बढ़ सकता है।

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आपको ऐसे फूड के बारे में बता रहे हैं जिससे ब्रेस्ट मिल्क बनने में मदद मिलेगी.....

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पहले घंटे से लेकर 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध (Breast Milk) ही पिलाना चाहिए.

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट कहती है कि नवजात बच्चे को जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान नहीं कराने से उनमें मृत्यु का खतरा 33 प्रतिशत बढ़ जाता है. पहले घंटे से लेकर 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध (Breast Milk) ही पिलाना चाहिए. इसी के साथ डाक्टरों का यह भी मानना है कि बच्चों को 6 महीने के बाद ही स्तनपान के साथ-साथ ठोस आहार दिया जाए. यानी बच्चों की शुरुआती ग्रोथ में मां का दूध बहुत अहम है. ऐसे में जरुरत है कि मां भी इस दौरान अपनी सेहत का खास ख्याल रखे. यहां आपको ऐसे 6 फूड के बारे में बता रहे हैं जिससे ब्रेस्ट मिल्क बनने में मदद मिलेगी. 

ओटमील

फाइबर से भरे ओटमील को बनाना बेहद ही आसान है, इसीलिए महिला बच्चे को संभालने के साथ-साथ चुटकियों में इसे बना सकती हैं. ओटमील प्रेग्नेंसी के बाद होने वाली डायबिटिज़ से भी बचाता है. इसके साथ ही ये डाइजेशन सिस्टम को भी बेहतर बनाता है. 

 

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कच्चा पपीता


इसकी सब्ज़ी बनाकर खाएं या फिर इसे फ्राइ करके स्नैक्स के तौर पर लें. कच्चा पपीता डाइजेशन सिस्टम ठीक करने के साथ-साथ ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में भी मदद करता है. 

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सौंफ

ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए सबसे पहले सौंफ खाने की सलाह दी जाती है. इसे आप सब्ज़ी में मिलाकर भी खा सकती हैं और ऐसे ही कभी भी मुंह में डाल सकती हैं. आप इसे चाय या दूध में मिलाकर भी सुबह शाम खा सकती हैं. 

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मेथी दाना

यह भी ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने का बहुत अच्छा सोर्स है. इसे अंकुरित करके दूध के साथ खाएं. इसे लेने से डिलिवरी के बाद कब्ज की समस्या भी कम हो जाती है. अगर आप अंकुरित करके ना खाएं तो इसे सब्ज़ी में ज़ीरे के साथ डालकर इस्तेमाल करें. 
 
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पालक 

आइरन, कैल्शियम और फॉलिक एसिड से भरपूर पालक अनैमिक (रक्तहीनता) महिलाओं के लिए वरदान है. इससे खून की कमी पूरी होने के साथ-साथ ब्रेस्ट मिल्क बनने में भी मदद मिलती है.  

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लिक्विड

पानी, दूध और जूस जैसे लिक्विड लेते रहने से ब्रेस्ट मिल्क की कमी नहीं होती. डॉक्टर भी सभी महिलाओं को सलाह देते हैं कि ब्रेस्ट फीडिंग तक भरपूर मात्रा में लिक्विड लें. 
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