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आपको स्वस्थ रहने के लिये क्लीन स्लीपिंग यानि कि स्वच्छ नींद के बारे में सबकुछ पता होना चाहिए। क्लीन स्लीपिंग उन तरीकों में से एक है जिसके बारे में जानना दिलचस्प लग सकता है। ग्वेनीथ पाल्ट्रो, जो कि एक अभिनेत्री, मां और गोप-संस्थापक हैं, उनके द्वारा लिखी गई किताब- गोप: जिसे 2016 में क्लीन ब्यूटी के संदर्भ में लिखा गया था। इस तरीके को साल 2017 में सबसे ज़्यादा ट्रेंडिंग तरीकों में से एक माना गया था। तो क्या क्लीन स्लीपिंग के बारे में सब कुछ जानना ज़रुरी है?
जैसा कि क्लीन स्लीपिंग शब्द से ही समझ में आता है कि यह शब्द रात में एक अच्छे वातारवरण में सोने से जुड़ा हुआ है। साथ ही स्वच्छ नींद का संबंध नींद के महत्व से है जो आपके जीवन की सभी गुणवत्ता को निर्धारित करती है। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में अनियमित नींद और खराब तरीके से सोना आपको कई बीमारियों से ग्रस्त कर देता है जबिक आप में से अधिकांश लोग साफ खाने की आदत, अपने आहार और फिटनेस की अत्यधिक देखभाल करने के प्रति ज़्यादा सचेत रहते हैं। स्वच्छ नींद भी आपके अच्छे स्वास्थ्य और आपकी लाइफ के अच्छे गुणों को दर्शाती है।
ग्विनेथ पाल्ट्रो सलाह देती हैं कि आप आहार के बारे में सोचने से पहले नींद आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। आगे कहती हैं, "नींद आपकी भूख और ऊर्जा के स्तर को निर्धारित करने में इतनी शक्तिशाली भूमिका निभाती है कि मुझे विश्वास है कि यह आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए - इससे पहले कि आप अपने आहार के बारे में सोचें।"
इस प्रकार क्लीन स्लीपिंग का लक्ष्य है कि आप कैसे नियमित रूप से एक आरामदायक नींद ले सकते हैं ताकि आपको अच्छी नींद से कई लाभ मिल सकें। हम सब जानते हैं कि हमारे दिमाग और स्वास्थ्य के लिये नींद कितनी ज़रूरी है। जो लोग अनिद्रा के शिकार होते हैं वह वज़न बढ़ने और मेटाबॉलिज्म से संबंधित परेशानियों से ग्रसित रहते हैं।
स्वच्छ नींद पाने के लिये संतुलित आहार भी आवश्यक है। स्वच्छ नींद के लिये आपको चीनी, दोपहर का भोजन और कैफीन और अल्कोहल पर भी कटौती करनी पड़ेगी। यह सभी चीज़ें आपको देर रात में खाने के लिये प्रोत्साहित करती हैं। एक बेहतर नींद के लिये सोने से पहले खाने से परहेज़ करना चाहिए। इसिलए आपको सलाह दी जाती है कि आप शाम 7 से लेकर सुबह 7 बजे तक का उपवास रखें। जिसका मतलब यह है कि आप शाम को 7 बजे रात का खाना खा लें और सुबह 7 बजे से पहले कुछ नहीं खाएं।
क्लीन स्लीपिंग के और क्या महत्वपूर्ण नियम हैं? तो चलिए स्वच्छ नींद के लिये और कौन-कौन सी चीज़ें आवश्यक हैं उनके बारे में थोड़ा और जानें। यहां आपको क्या करना चाहिए।
स्वच्छ नींद पाने के लिये तरीके
• कम से कम 7-9 घंटे सोएं
• दोपहर 2 बजे के बाद कैफीन को न कहें
• अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को स्विच ऑफ कर दें
• सोना का निश्चित समय बनाएं
• एक शांत कमरे का माहौल बनाए रखना
• मालिश के साथ आराम करें
• एक तांबा-अवरक्त तकिए को खरीदें
• योग निद्रा का अभ्यास करें
कम से कम 7-9 घंटे तक नींद लें
अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिये 7-9 घंटे की नींद लेना ज़रूरी है जबकि नींद की गुणवत्ता के साथ-साथ नींद के घंटे भी महत्वपूर्ण है। दूसरे शब्दों में कहें तो, यह कुंजी पर्याप्त नींद और नींद की गुणवत्ता पाने के लिये हैं।
दोपहर के 2 बजे के बाद कैफीन को कहें 'न'
हो सकता है कि शाम की कॉफी आपकी आदत में शुमार हो, लेकिन रात में अच्छी नींद के लिये आपको दोपहर के बाद कैफीन का सेवन बंद करना होगा। यदि आप क्लीन स्लीपिंग के नियमों का पालन करते हैं तो आपको दोपहर के बाद कैफीन की लगने वाली तड़प से खुद ही निपटना होगा।
अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद कर दें
इसमें कोई संदेह नहीं है कि रात में टीवी और मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आपको अपने पसंदीदा एपिसोड को देखने लिये उत्साहित करते रहते हैं, जो आपके सोने के समय को प्रभावित करते हैं। इसलिये क्लीन स्लीपिंग के लिये सोने के 90 मिनट पहले ही अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को स्विचऑफ करने की सलाह दी जाती है।
एक निश्चित सोने का समय बनाए रखें
बिस्तर पर लेटना एक निश्चित समय पर होना चाहिए। ये स्वच्छ नींद के नियमों में से एक है। हालांकि, हम में से कई लोग धार्मिक रूप से निश्चित समय पर सोने का पालन नहीं करते हैं। क्लीन स्लीपिंग में रोज़ाना एक निश्चित समय पर बिस्तर पर लेटना और सर्वोत्तम समय पर सोना शामिल है जो कि वीकेंड पर भी लागू होता है।
एक शांत कमरे का माहौल बनाए रखना
बेडरूम में एक अच्छा और शांत माहौल बनाए रखना निस्संदेह एक अच्छी निर्बाध नींद के तरीकों में से एक है। एक साफ, शांत और आरामदायक कमरा अच्छी नींद में सहायता कर सकता है।
मालिश के साथ आराम करें
रात के वक्त पैर या सिर की मालिश करने से आपको तनाव से छुटकारा मिल सकता है। वास्तव में, बिस्तर में लेटने से पहले चाहे आप स्नान कर लें या अपने पैरों की उंगलियों की मालिश कर लें, क्योंकि खुदको गहरी नींद के लिये तैयार करना अच्छी बात है। मुख्य बात यह है कि बिस्तर पर लेटने से पहले आप खुदको कैसे आराम दिला सकते हैं जिससे आप क्लीन स्लीपिंग ले सकें।
तांबा-अवरक्त तकिए पर निवेश करें
पाल्ट्रो सलाह देती हैं कि एक तांबा-अवरक्त तकिए पर निवेश करें। ऐसे तकिए झुर्रियों को रोकने और आपकी सुंदरता को बढ़ाने के लिये फायदेमंद हैं।
योग निद्रा या योगी नींद ध्यान की एक प्राचीन तकनीक है, जो नींद की गुणवत्ता के लिये असाधारण रूप से सहायक है। योग निंद्रा पूरी तरह से शरीर को आराम देता है और एक शक्तिशाली झपकी का समर्थन करता है। यह आरामदायक नींद पाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।खैर, क्लीन स्लीपिंग निश्चित रूप से प्रयोग करने लायक है। यह स्वास्थ्य, सौंदर्य और तंदुरुस्ती का मार्ग हो सकती है। आखिरकार, कौन नहीं चाहता है अच्छी नींद! जब आप अपनी गहरी नींद से जागते हैं तो क्लीन स्लीपिंग आपको बेहतरीन फीलिंग महसूस कराती है।
::/fulltext::पार्टी हो या डेट बाहर जाना हो तो महिलाएं लिपस्टिक लगाना नहीं भूलती। बिना मेकअप अगर डार्क रंग का लिप कलर लगा लिया जाए तो चेहरे का नूर और भी बढ़ जाता है। चाहे कितना भी डार्क मेकअप क्यों न किया हो, जब तक परफेक्ट शेप लिपस्टिक न लगाई जाए एक कमी सी लगती है। क्या आप भी बाहर जाने से पहले रोजाना लिपस्टिक लगाती है।
क्या आप जानते हैं कि आपके होठों की खूबसूरती बढ़ाने वाली ये लिपस्टिक आपके लिए खतरनाक भी साबित हो सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, रोजाना लाखों महिलाएं दिन में कई बार लिपस्टिक लगाती हैं। आखिर यह है ही ऐसी चीज। लिपस्टिक महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है, लेकिन शायद ही आप जानती हों कि यह सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक है।
लिपस्टिक क्यों है नुकसानदायक?
दरअसल लिपस्टिक में लेड होता है, जो एक न्यूरोटॉक्सिन होता है और इसकी वजह से लर्निंग और लैंग्वेज संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। हालांकि सभी लिपस्टिक्स में लेड नहीं होता और न ही कोई ब्रैंड अपने प्रॉडक्ट के इन्ग्रीडियेंट्स में लेड होने के बारे में बताता है। लिपस्टिक हमारे होठों के जरिए सीधे अंदर जाकर हमें बीमार कर सकती है।
क्या आया स्टडी में
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, जब एक महिला लिपस्टिक लगाती है और फिर उसे दिन में 2 से 14 बार अप्लाइ करती है तो वह दिन में कम से कम 87 मिलीग्राम लिपस्टिक अब्ज़ॉर्ब करती है। लाल और गहरे रंग की लिपस्टिक्स में धातुओं की अधिकता होती है। इस वजह से होठों के जरिए लिपस्टिक पेट में जाकर नुकसान पहुंचा सकती है।
लिपस्टिक के इस्तेमाल से होने वाले साइड इफैक्ट्स भी जान लें।
किडनी फेल
लिपस्टिक बनाने में सीसा, कैडमियम, मैग्नीशियम क्रोमियम और एल्यूमिनियम जैसे धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है जो खतरनाक बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं। यहीं नहीं, यह शरीर के अंदरूनी अंगों को पूरी तरह से डेमेज भी कर सकती है। इसमें काफी मात्रा में कैडमियम पाया जाता हैं, जिससे गुर्दे के खराब होने के खतरा बढ़ जाता है। यह पेट के ट्यूमर का कारण भी बन सकते हैं।
त्वचा के लिए हानिकारक
लिपस्टिक में इस्तेमाल किए गए अन्य कैमिकल्स आपकी सेंसटिव स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे स्किन और आंखों में जलन, एलर्जी, शरीर में जकड़न और गले में खराश जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसमें इस्तेमाल किए गए मिनरल्स ऑयल्स से त्वचा के रोम छिद्र बंद हो सकते हैं।
पेट का अल्सर और लकवा
लिपस्टिक में पाया जाने वाला एल्यूमिनियम स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है। इसका इस्तेमाल होठों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए होता है जो मुंह के जरिए पेट में चली जाती है जो शरीर में विषैले तत्वों की मात्रा को बढ़ाते हैं। एक शोध के अनुसार, एल्यूमिनियम पेट के लिए हानिकारक है। एल्यूमिनियम से पेट का अल्सर, लकवा आदि रोग व शरीर में फास्फेट की कमी हो सकती है।
कैंसर का खतरा
लिपस्टिक में काफी मात्रा में लेड का इस्तेमाल किया जाता हैं जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के खतरे को बढ़ा सकता हैं। इससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। साथ ही यह शरीर में पहुंचकर रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है।
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रिश्ते ऐसे ही नहीं बन जाते हैं। इसके लिए दो लोगों को मिलकर अपने रिश्ते को पूरा और खुशहाल बनाने के लिए कोशिश करनी पड़ती है। रिलेशनशिप में एक खुशहाल कपल बनने के कुछ मौलिक कारण होते हैं और इनके बारे में हर कपल को पता होना चाहिए। इन टिप्स के बारे में जानकर आप अपने रिश्ते और पार्टनर दोनों को ही खुशहाल बना सकते हैं।
अगर आपका पार्टनर आपके साथ खुश है और उसे आपसे कोई शिकायत नहीं है तो आपको कुछ संकेत मिलते हैं। गहराई से जानने पर आपको पता चलेगा कि ये ही हैप्पी कपल होने की वजह है। एक हेल्दी रिलेशनशिप बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है लेकिन अगर दो लोग एकसाथ मिलकर प्यार और काम करें तो रिश्ते को खुशहाल बनाया जाता है।
एक हेल्दी रिलेशनशिप में ऐसी कुछ चीज़ें होती हैं जिन्हें संतुलित करके आप अपने रिलेशन को आसान बना सकते हैं। इन चीज़ों में संतुलन बढ़ाकर आप अपने रिश्ते और पार्टनर को खुश रख सकते हैं। संतुलन से अपके रिलेशनशिप में खुशियां बढ़ती हैं। संतुलन से आप और आपके पार्टनर के बीच सामंजस्य बना रहता है।\
रोमांस का कभी खत्म ना होना
एक खुशहाल रिश्ते के लिए रोमांस होना बहुत ज़रूरी होता है। अगर आप छोटी-छोटी चीज़ों में भी रोमांस दिखाते हैं तो इससे आपके रिश्ते में खुशी बरकरार रहती है। आकर्षण बरकरार रखना, कडल करना, गिफ्ट देना और प्यार देने से आपके रिश्ते में खुशी बढ़ सकती है।
दिल में एक-दूसरे की जगह
हर इंसान को अपने पार्टनर के दिल में एक सुरक्षित जगह चाहिए होती है। अपने बिजी शेड्यूल के बाद जब आप घर वापिस लौटते हैं तो अपने पार्टनर को अपने पूरे दिन का हाल बताते हैं और उन्हें बताएं कि आप उनके साथ कितने खुश हैं।
अपने प्यार को ज़ाहिर करने का ये सबसे आसान तरीका है। इससे हैप्पी कपल और हेल्दी रिलेशनशिप बनाया जा सकता है।
अगर आप अपने पार्टनर को आई लव यू नहीं कहते हैं तो इसकी जगह अपनी बातों और एक्शंस से अपने प्यार का अहसास करवा सकते हैं। आपके पार्टनर को इस बात का अहसास होना चाहिए कि वो कितनी गहराई से आपसे प्यार करते हैं। उन्हें आई लव यू कहने से आपके इमोशंस आपके पार्टनर के सीधे दिल तक पहुंचेंगे।
मैच्योरिटी का स्तर
आपको अपने रिश्ते को मैच्योरिटी से हैंडल करना चाहिए तभी आपके रिलेशनशिप में खुशी बरकरार रह सकती है। संबंधों में मैच्योरिटी से काम लेना बहुत ज़रूरी होता है। इससे पता चलता है कि आप दोनों का रिश्ता कितना आगे तक जाएगा। अपनी परेशानियों, झगड़ों, बहस और परिस्थितियों को परिपक्वता से हैंडल करना भी आपके रिश्ते को खुशहाल बना सकता है।
एक-दूसरे के लिए स्पेशल फील करें
रिलेशनशिप में एक-दूसरे को स्पेशल फील करवाना भी बहुत ज़रूरी होता है। अगर आप अपने पार्टनर को प्यार करते हैं तो उन्हें समय-समय पर स्पेशल फील करवाते रहें।
कमिटमेंट पर बरकरार रहें
रिलेशनशिप में ये बहुत ज़रूरी होता है। अपने वादों को बनाए रखें और उन्हें तोड़े नहीं। अगर आप अपने कमिटमेंट को पूरा नहीं करते हैं तो इससे आपका रिश्ता टूट सकता है।
अपने पार्टनर को खुश रखने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप उनके लिए की गई अपनी सारी कमिटमेंट्स को पूरा करें।
ज़िम्मेदार बनें
रिलेशनशिप में एक समान ज़िम्मेदार होना ज़रूरी होता है। हर पार्टनर को किसी ऐसे इंसान की ज़रूरत होती है जो उनके प्रति अपनी सारी ज़िम्मेदारियों को पूरा कर सके। अगर आप और आपका पार्टनर इन ज़िम्मेदारियों को बांट लेते हैं तो इससे रिश्ता खुशहाल बन सकता है।
टीम की तरह काम करें
रिलेशनशिप में अगर दोनों ही पार्टनर एक-दूसरे के खिलाफ काम करेंगे तो इससे मतभेद होना लाजिमी है लेकिन अगर आप टीम के एक साथी की तरह काम करेंगे तो इससे आप दोनों एकसाथ खुश रह पाएंगे। ये देखने में बहुत आसान लगता है लेकिन असल में रिश्ते के बीच दो पार्टनर्स के बीच ईगो आ जाता है जिसकी वजह से टीम के रूप में काम कर पाना नामुमकिन सा हो जाता है।
लड़ाई
हर रिश्ते में लड़ाई होती है। जो रिश्ते बहुत खुशहाल दिखते हैं उनमें भी लड़ाई होती ही है लेकिन हेल्दी रिलेशनशिप में हर लड़ाई और बहस में लॉजिक छिपा होता है। इनमें लड़ाई एक लॉजिक से भरा डिस्कशन होता है। इससे ये दोनों एक-दूसरे की सोच को समझ पाते हैं।
गर्भावस्था के नौ महीने स्त्री के लिए उतार चढ़ाव से भरा होता है। कई तरह की मुश्किलों को पार कर के एक औरत माँ बनती है। इस दौरान किसी भी महिला का प्रसव के संकुचन से घबराना आम बात है। कई महिलाओं का मानना होता है कि संकुचन का दर्द आम किसी भी दर्द से बेहद अलग होता है लेकिन गर्भावस्था के दौरान एक महिला हर उस दर्द से घबरा जाती है जो उसे संकुचन की तरह लगता है।
आज हम इस लेख में संकुचन और संकुचन जैसे अनुभवों के विषय में बात करेंगे जिनसे गर्भावस्था के दौरान आपका सामना होता है।
संकुचन के प्रकार
1. संकुचन पहले तिमाही में
2. डिहाइड्रेशन के कारण संकुचन
3. कब्ज़ के कारण संकुचन
4. पहली तिमाही में होने वाले संकुचनों से आपको रहना चाहिए सावधान
5. ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन
6. सेक्स के बाद संकुचन
7. प्रोड्रोमोल लेबर संकुचन
8. प्रारंभिक प्रसव संकुचन
9. सक्रिय प्रसव
10. संक्रमण के दौरान
11. प्रसव- जन्म के बाद संकुचन
12. नर्सिंग के दौरान संकुचन
1. संकुचन पहली तिमाही में
गर्भावस्था की पहली तिमाही में औरतों को हल्का फुल्का संकुचन महसूस होता है। यह पीरियड्स के दौरान होने वाले ऐंठन या दर्द की तरह होता है। पीरियड्स में ऐंठन तब होता है जब आपके शरीर को गर्भाशय से अप्रयुक्त अस्तर को हटाने की ज़रुरत होती है ताकि आपका गर्भ अगले महीने के लिए तैयार हो सके है।
2. डिहाइड्रेशन के कारण संकुचन
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि गर्भावस्था में अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। यह सिर्फ आपके होने वाले बच्चे के सही विकास के लिए ही ज़रूरी नहीं है बल्कि आपका शरीर सही ढंग से काम करे उसके लिए भी पानी बेहद ज़रूरी है।
अगर आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो आपके गर्भाशय की मांसपेशियों में (शरीर की अन्य मांसपेशियों में भी) सिकुड़न शुरू हो जाती है। यदि गर्भावस्था के शुरुआती दौर में आपको संकुचन की समस्या होती है तो यह पानी की कमी के कारण हो सकती है। इसलिए ऐसे संकुचन को कम करने के लिए आप अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीएं। इसके अलावा ज़्यादा कैफीन और मीठे ड्रिंक्स से परहेज़ करें क्योंकि ये डिहाइड्रेशन को बढ़ाते हैं।
3. कब्ज़ के कारण संकुचन
गर्भवती महिलाओं को शुरुआत के दिनों में कब्ज़ की शिकायत रहती है। कब्ज़ के कारण संकुचन और उसके साथ गैस की वजह से दर्द भी हो सकता है इसलिए आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप गर्भावस्था में अधिक मात्रा में ताज़ी सब्ज़ियों, फलों और पानी का सेवन करें।
अगर आपको कब्ज़ की समस्या ज़्यादा हो रही हो तो ऐसे में आप अपने डॉक्टर से सलाह लेकर दवाइयां ले सकती हैं जिससे आपको आराम मिल सके।
4. पहली तिमाही में होने वाले संकुचनों से आपको रहना चाहिए सावधान
यदि आपको ब्लीडिंग के साथ संकुचन की समस्या हो रही है तो फ़ौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करें। गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में स्पॉटिंग की समस्या आम बात है लेकिन ध्यान रहे यह गर्भपात या फिर एक्टोपिक प्रेगनेंसी का भी संकेत हो सकता है।
5. ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन
प्रेगनेंसी के दूसरे या तीसरे तिमाही में होने वाले संकुचन को ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन कहते हैं। इसमें गर्भाशय में हल्का फुल्का संकुचन होता है। यह संकुचन आपको प्रसव की तरह अनुभव कराता है लेकिन यह अनियमित तरीके से होता है। कुछ महिलाओं के अनुसार ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन से कभी पेट में समस्या होती है तो कभी नहीं। वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं का यह कहना है कि ऐसे में उन्हें पीरियड्स की तरह ऐंठन महसूस होती है।
अगर यह संकुचन दर्द भरा और लंबे समय तक रहे तो फ़ौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
6. सेक्स के बाद संकुचन
गर्भावस्था में अकसर डॉक्टर्स आपको सेक्स न करने की सलाह देते हैं क्योंकि यह आपके बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकता है लेकिन कई बार खुद पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो जाता है और ऐसे में संकुचन होना आम बात है। स्पर्म में प्रोस्टाग्लैंडीन भी सेक्स के बाद के संकुचन का कारण होती है। आप घबराइए नहीं और थोड़ा इंतज़ार करें। धीरे धीरे आपको इससे राहत ज़रूर मिलेगी।
7. प्रोड्रोमोल लेबर संकुचन
यह वह संकुचन है जो आखिरी तिमाही में प्रसव से कुछ दिनों पूर्व महसूस होता है। ये संकुचन गर्भाशय ग्रीवा को आने वाले प्रसव के लिए तैयार करते हैं। कुछ महिलाओं को यह बहुत ही हल्के तरीके से महसूस होता है तो कुछ औरतों को यह बहुत ही तेज़ महसूस होता है जिससे वह इसे असली संकुचन समझने की गलती कर देती है। इस तरह के संकुचन कभी कभार थोड़ी देर में गायब भी हो जाते हैं तो कई बार कम से कम दो दिनों तक रहते हैं।
प्रोड्रोमल लेबर संकुचन के लिए कोई वास्तविक पैटर्न नहीं होता। आप अपनी पीठ में भी दबाव महसूस कर सकती हैं।
8. प्रारंभिक प्रसव संकुचन
यह वह संकुचन है जिन्हें आप तब महसूस कर सकती हैं जब आप प्रसव में जा रहे हैं। प्रारंभिक प्रसव संकुचन तेज़ और दर्दनाक महसूस करेंगी। प्रत्येक गुज़रते संकुचन से यह नियमित और इसकी अवधि में भी वृद्धि होगी। ऐसे में आपको गुलाबी रंग का डिस्चार्ज भी दिखाई देगा जो इस बात का संकेत होता है कि आप लेबर के सक्रिय चरण के करीब हैं।
यदि पांच मिनट से ज़्यादा यह संकुचन रहे तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें या फिर अस्पताल जाएं। यदि आपका घर अस्पताल से लंबी दूरी पर है तो ज़्यादा इंतज़ार करना ठीक नहीं होता।
9. सक्रिय प्रसव
यह वह चरण है जहां गर्भाशय ग्रीवा लगभग 7 सेंटीमीटर तक फ़ैल जाती है। साथ ही संकुचन मज़बूत और लंबे समय तक जारी रहता है। ऐसे में आप अपने दर्द पर ज़्यादा ध्यान न देकर लंबी लंबी सांसें लें और अपने डॉक्टर की बातों को ध्यान से सुनें। साथ ही इस बात को याद रखें कि आप नन्हे मुन्ने से जल्द ही मिलने वाली हैं।
10. संक्रमणाल के दौरान
इस दौरान संकुचन बहुत ही तीव्र होता है लेकिन इस चरण में यह अधिक देर तक नहीं रहता। यह संकुचन कम से कम आधे घंटे तक ही रहता है। इस समय गर्भाशय पूरी तरह फैला हुआ होता है। अब आप को धक्का लगाने की ज़रुरत महसूस होगी। आपको हर संकुचन के साथ आपके डॉक्टर के अनुसार ज़ोर लगाना चाहिए। जल्द ही बच्चा बाहर आ जाएगा और प्रसव पूरा हो जाएगा।
प्रसव के बाद भी आपको संकुचन महसूस होगा जो आपको शरीर से प्लेसेंटा को हटाने में मदद करता है। बच्चे को हटाने में मदद करने के लिए नर्स आपके पेट की मालिश कर सकती है।
12. नर्सिंग के दौरान संकुचन
आपका प्रसव समाप्त हो चुका है। आपके गर्भाशय को अपने सही आकार में लाने के लिए संकुचन मदद करता है। नर्सिंग के दौरान जारी हार्मोन संकुचन उभारता है। ये मासिक धर्म के ऐंठन की तरह महसूस होता है और दर्दनाक हो सकता है।
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