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मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल बदलाव की वजह से महिलाओं को स्किन से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे पसीना, खुजली और हॉट फ़्लैश। ये सारी समस्याएं एकदम से इसलिए होती है क्योंकि एस्ट्रोजन महिलाओं की हेल्दी स्किन के लिए बहुत जरुरी होता है।
क्या मेनोपॉज के वजह से होती है खुजली
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का स्तर एकदम से घटने लगता है। एस्ट्रोजन त्वचा के लिए बहुत जरुरी होता है, ये प्राकृतिक तेलों और कोलेजन के उत्पादन को उत्तेजित करके त्वचा की नमी बनाए रखने में मदद करता है। कोलेजन एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो त्वचा को मजबूत बनाए रखने के साथ उसका लचीलापन भी मैंटेन करता है।
मेनोपॉज आने से पहले नेचुरल ऑयल और कोलेजन की कमी की वजह से त्वचा में सूखी और पतली हो सकती है। जिस वजह से त्वचा में खुजली महसूस हो सकती है।
मेनोपॉज में होने वाली खुजली
मेनोपॉज के दौरान महिलाएं कई तरह की खुजली महसूस कर सकती है, आइए जानते है कि किस तरह की खुजली हो
वजाइना में खुजली
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं का एस्ट्रोजेन स्तर काफी कम हो जाता है और वजाइना का पीएच बैलेंस भी बदल जाता है। ऐसे में वजाइना की दीवारें पतली और ड्राई हो जाती हैं जो आमतौर पर खुजली का भी कारण बन जाता है। इसे 'वजाइनल एट्रौफी' कहा जाता है। ऐसे में आपको डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए।
त्वचा पर खुजली
कुछ लोगों को इस समय त्वचा में लटकाव, चुभन और सूजन के अलावा खुजली महसूस होने लगती है इस स्थिति को 'पारेथेसिया' के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा कुछ लोगों शरीर में सनसनाहट महसूस होने लगती है। इसके अलावा मेनोपॉज में शरीर में सूखापन, स्किन रैशेज, त्वचा का लाल हो जाना और चेहरेकी सतह पर छोटे छोटे दानें हो जाते है। इसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर को जरुर चैक करवाएं।
आइए जानते है इस तरह की खुजली से बचने के घरेलू उपाय
जिन लोगों की स्किन में अचानक से खुजली या चुभन होने लगती है। उन्हें अपनी स्किन का खासतौर पर ख्याल रखना चाहिए। लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ ही खास डाइट पर ध्यान देना चाहिए।
कूल कम्प्रेस करें
जहां कहीं भी खुजली का अहसास होता है वहां राहत पाने के लिए कूल कम्प्रेस करें। रात को अगर खुजली के वजह से नींद नहीं आती है तो रात को सोने से पहले जिस जगह पर खुजली का ज्यादा अहसास होता है। वहां पर रात को एक नम टॉवेल के साथ उस क्षेत्र को कवर करके सो जाइएं। रात को खुजली की वजह से नींद नहीं उड़ेगी।
कोलायडीय ओटमील (colloidal oatmeal) बाथ से भी खुजली की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कोलायडीय ओटमील को गर्म पानी में डालकर थोड़ा हल्का ठंडा होने दें। इसके बाद एक बाथ लें ले। इससे आपको अपनी त्वचा पर खुजली महसूस नहीं होगी। कोलायडीय ओटमील ऑनलाइन आराम से मिल जाता है।
नियमित मॉइस्चराइजर लगाएं
नहानें के बाद त्वचा को मॉइस्चराइजिंग करने से शरीर में नमी बढ़ती है। नियमित मॉइस्चराइज करने से शुष्कता कम होती है और यह खुजली की समस्या को कम करता है। इस समय परफ्यूम-फ्री मॉइश्चराइजर लगाना चाहिए।
::/fulltext::हमारी भारतीय संस्कृति में आभूषणों और शृंगार का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में हर आभूषण को पहनने के पीछे एक अलग कारण है जिसका उल्लेख प्राचीन वेदों में भी मिलता है। 16 शृंगार में से एक है नथ पहनना। हमारे देश में शादीशुदा और कुंवारी युवतियां और महिलाएं नाक छिदवाना पसंद करती है। हालांकि आजकल की कई महिलाएं ट्रेंड के हिसाब ऐसा करना पसंद करती है तो शादीशुदा महिलाएं भारतीय रीति रिवाज को फॉलो करते हुए नाक में नथ या तिनका पहनती है।
नाक छिदवाना भारतीय संस्कृति और परंपरा के हिसाब से बहुत जरूरी माना जाता है। लेकिन बहुत कम लड़कियां जानती है कि यह स्त्री की खूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ सेहत के लिए भी लाभकारी है। भारतीय महिलाओं के नाक छिदवाने के पीछे का कारण बेहद कम लोग जानते होंगे। अधिकतर महिलाएं इसे सिर्फ शृंगार से जोड़कर ही देखती हैं।
आज हम आपको बताएंगे कि भारतीय परंपरा के अनुसार महिलाओं का नाक छिदवाना क्यों जरूरी समझा जाता है।
16 वीं सदी में आई थी ये प्रथानाक में छेद करवाने के लिए कोई विशेष उम्र नहीं होती। इसे बचपन, किशोरावस्था, वयस्क होने पर कभी भी करवा सकते हैं। गर्भावस्था में भी महिलाएं नाक छिदवा सकती है। इससे शिशु पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता है। भारत में नाक छिदवाने को संस्कृति से जोड़कर देखा जाता है। पर क्या आप जानती हैं की यह प्रथा पूर्वी देशों से आई है। 16वी सदी में यह प्रथा भारत में आई थी। वेदों में इसके फायदे के बारे में लिखा गया है।
नाक छिदवाने से फायदे
वेदों और शास्त्रों में लिखा गया है कि नाक छिदवाने से महिला को माहवारी पीड़ा से राहत मिलती है। इसके अलावा प्रसव के दौरान शिशु को जन्म देने में आसानी होती है। नाक छिदवाने से माइग्रेन में भी राहत मिलती है।
कैसे करता है मदद
नाक छिदवाने से शरीर के विशिष्ट प्रेशर पॉइंट्स प्रभावित होते हैं। इनसे शरीर में एक खास किस्म का दबाव बनता है जो हॉर्मोन पैदा करता है। यह हॉर्मोन आपके दर्द को कम करने में मदद करते हैं। जिस तरह चाईनीज़ लोग एक्यूपेंचर पद्धति का इस्तेमाल करने से शरीर के विशिष्ट प्रेशर पॉइंट्स पर दबाव बनता है और आपको दर्द से राहत मिलती है वैसे ही नाक छिदवाने से महिला को दर्द से राहत मिलती है।
बाई ओर क्यों छिदवाई जाती है नाक
आपने देखा होगा कि लड़कियों की बाई ओर की नाक छेदी जाती है क्योंकि उस जगह की नसें नारी के महिला प्रजनन अंगों से जुडी हुई होती हैं। नाक के इस हिस्से पर छेद करने से महिला को प्रसव के समय भी कम दर्द का सामना करना पड़ता है। इस वजह से बाई ओर नाक छिदवाई जाती है।
संक्रमण का ध्यान रखें
ध्यान रहे की नाक छिदवाते समय आप ढंग की साफ़-सुथरी दुकान से विसंक्रमित उपकरणों से ही कान छिदवाएं। कई बार होता है कि कान छिदवाने में लापरवाही बरतने से महिलाओं की नाक के आस-पास सूजन आ जाती है।
::/fulltext::हर व्यक्ति के लिए कामुकता का आनंद लेना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए सुरक्षित और स्वस्थ दृष्टिकोण भी जरूरी है. कई बार, हम उस पल में प्रोटेक्शन नहीं ले पाते हैं और यौन संक्रमण (एसटीआई) और बीमारियों को बढ़ावा दे देते हैं. सुरक्षित सेक्स का अभ्यास करना और इसके बारे में खुद को शिक्षित करना आपको संक्रमित होने से रोक सकता है और गर्भवती होने के आपके जोखिम को भी कम कर सकता है.
1. नए कंडोम का इस्तेमाल करें - एक कंडोम का इस्तेमाल एक बार ही करें. इसके अलावा उपयोग से पहले कंडोम की एक्सपायरी डेट भी जरूर जांच लें.
3. जोखिम गतिविधियों से बचें - अपना आत्मविश्वास बढ़ाएं और कम जोखिम वाली गतिविधियों का अभ्यास करें. यह विश्वास और संचार बनाने में मदद करता है.
4. डॉक्टर है जरूरी - यदि आप किसी प्रकार के यौन दुर्व्यवहार से गुजरे हैं, जिससे आपका वर्तमान यौन जीवन प्रभावित हो रहा है और सेक्स के दौरान आपको असुरक्षित महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर, परामर्शदाता से सलाह जरूर लें.
5. टेस्ट है जरूरी- सेक्स के बाद बार-बार टेस्ट करें. जब आप टेस्ट करवा रहे हों, तो सुनिश्चित करें कि आप जितना संभव हो उतने एसटीडी के लिए टेस्ट करवा लें... जैसे गोनोरिया, क्लैमिडिया, हेपेटाइटिस, एचआईवी, हर्पीस और सिफलिस कुछ उदाहरण हैं.
6. टीकाकरण है जरूरी - यदि आपकी उम्र 26 वर्ष से कम है, तो एचपीवी के खिलाफ खुद को बचाने के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा है.
7. अनल सेक्स के दौरान सेफ्टी- हो सकता है कि आप गर्भावस्था से बचने के लिए अनल सेक्स का सहारा लें. लेकिन अनल सेक्स के बावजूद कंडोम का उपयोग करना न भूलें.
8. सेक्स के बाद टॉयलेट जाना- हो सकता है यह आपको अजीब लगे लेकिन यह हमें यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) से बचा सकता है. सेक्स के बाद पेशाब करना सबसे अच्छा रहता है. यौन संभोग आपके मूत्राशय को प्रभावित कर सकता है जो संक्रमण का कारण बनता है.
9. दो कंडोम नहीं है सुरक्षित - यह एक मिथक है और यह कंडोम के फटने की संभावना से ज्यादा खतरनाक है. दो कंडोम एक-दूसरे से रगड़ खा सकते हैं और संभावना है कि फट सकते हैं जिससे आपके अंदर शुक्राणु रह सकते हैं.
10. बातचीत है जरूरी - अपनी जरूरतों और पाटर्नर से अपनी इच्छा को लेकर शर्माएं नहीं. साथी से बात करें. अपने साथी को ये बताएं कि आपको क्या चीज आरामदायक लगती है और क्या नहीं. अगर आप किसी यौन दुर्व्यवहार से गुजरे हैं तो आपको अपने साथी के साथ यह साझा करना चाहिए कि आप कब असहज हैं और आपके सहयोगी आपको कैसे सहज बना सकते हैं.
::/fulltext::पूरे होश में बच्चियों के साथ Circumcising को अंजाम दिया जाता है.
सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार दाउदी बोहरा समुदाय में महिलाओं का खतना (Khatna) यानी महिला जननांग का छेदन (Female Genital Mutilation) करने की परंपरा संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है, जोकि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा और धर्म, नस्ल, जाति, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करने की गारंटी देता है. यह भारतीय दंड संहिता और बाल यौन अपराध सुरक्षा कानून (पोक्सो एक्ट) के तहत दंडनीय अपराध है. Supreme Court of India में महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि Circumcision की इस परंपरा पर 42 देशों ने रोक लगा दी है, जिनमें 27 अफ्रीकी देश हैं. उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता बताई है.
Circumcising से जुड़ी कुछ मान्यताएं...
Circumcising या महिलाओं का खतना (Female Genital Mutilation) करने वाले समुदाय का मानना होता है कि खतना करने से सेक्स से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है. इससे HIV-AIDS तक से बचा जा सकता है. जबकि इसके कोई मेडिकल प्रमाण नहीं हैं.
आखिर किस बला का नाम है खतना?
What Is Khatna, यह सवाल अक्सर युवा या उन लोगों के मन में उठता है जो खतना के बारे में कुछ नहीं जानते. वास्तव में खतना कुछ समुदायों में की जाने वाली वह प्रक्रिया है जिसमें नवजात या छोटे बच्चों के गुप्तांगों की बाहरी त्वचा को काट दिया जाता है. एक ओर बात जो यहां बता देनी जरूरी है वह यह कि ज्यादातर लोग जो खतना के बारे मे जानते हैं उन्हें यही लगात है कि यह पुरुषों के साथ होता है. जबकि एक बहुत बड़ा सच यह है कि महिलाओं का भी खतना किया जाता है. जहां लड़कों में लिंग के ऊपरी हिस्से की त्वचा को हटाया जाता है वहीं, बच्चियों की योनी के बाहरी हिस्से (क्लिटोरिस) को ब्लेड से काट दिया जाता है.
आखिर क्या जरूरत है खतना की?
Reason behind circumcision, यकीनन यह सवाल भी आपके मन में उठा होगा. तो आपको बताते चलें कि खतना या Circumcising (Khatna) को कराने वाले समुदायों के लोगों का मनाना है कि इससे लड़कियों में सेक्स करने की इच्छा, sexual desire या sex drive खत्म हो जाती है. ऐसा करने से उनके बिगड़ने और 'सही रास्ते' से भटकने की संभावना खत्म हो जाती है.
कैसे करते हैं औरतों का किया जाता है?
महिलाओं का खतना (Khatna) यानी महिला जननांग का छेदन (Female Genital Mutilation) नवजात से लेकर 15 साल तक की बच्चों के साथ किया जाता है (Circumcising newborn). हैरान करने वाली बात यह है कि इस पूरी प्रकिया को बिना किसी दर्दनिवारक दवा के, बिना किसी डॉक्टर के घरेलू व गुप्त रूप से अंजाम दिया जाता है. बच्चियों का खतना करते समय योनी के बाहर की त्वचा को बड़े ही दर्दनाक तरीके से ब्लेड से काट दिया जाता है. योनी के इस भाग को क्लिटोरिस (clitoris) कहा जाता है.
ये है जिंदगी भर का दर्द...
महिलाओं का खतना (Khatna) यानी महिला जननांग का छेदन (Female Genital Mutilation) बस उस समय तक का दर्द नहीं है जब यह तक यह किया गया हो. यह शारीरिक से कहीं ज्यादा मानसिक दर्द है. Circumcising बेहोशी या दर्दनाशक दवाओं के साथ नहीं, इनके बिना किया जाता है. यह जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि ज्यादातर बच्चियों की मां ही उन्हें इसके लिए ले जाती है. यह पूरी पूरी प्रक्रिया बेहद दर्दनाक होती है. पूरे होश में बच्चियों के साथ Circumcising को अंजाम दिया जाता है. खतना के बाद महिलाओं के अंडाशय में गांठ, पेशाब करने में दर्द और बाद में संक्रमण, जन्म के दौरान ही शिशुओं की मृत्यु, बांझपन, पीरियड्स में समस्या, योनी में सूजन, दर्द और खुजली की समस्या रहती है.