Monday, 23 December 2024

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ऐसे तरीके जिन्हें जानने के बाद आपको अपने जिद्दी और शैतान बच्चे को सभांलने में मदद मिलेगी....... 

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पब्लिक में बच्चे का रोना, कपड़ों को गंदा करना, जमीन पर बैठ जाना, आस-पास मौजूद चीज़ों को खराब करना जैसी हरकतों से सिर्फ मां ही नहीं बल्कि दूसरे लोग भी परेशान हो जाते हैं.

बच्चों को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. वो कब, कहां और किस बात की जिद करने लगे, किसी को मालूम नही होता. ये सिचुएशन उस वक्त बहुत खतरनाक हो जाती है जब बच्चा घर के बाहर पब्लिक में जिद करने लगे. पब्लिक में बच्चे का रोना, कपड़ों को गंदा करना, जमीन पर बैठ जाना, आस-पास मौजूद चीज़ों को खराब करना जैसी हरकतों से सिर्फ मां ही नहीं बल्कि दूसरे लोग भी परेशान हो जाते हैं. क्योंकि ऐसे में बच्चे को सभांल पाना बहुत कठिन काम हो जाता है. ना वो कुछ सुनता है और ना ही चुप होता है. कई लोग ऐसी अवस्था में बच्चे पर चिल्ला पड़ते हैं या फिर थप्पड़ मार देते हैं, जो कि गलत है. यहां जानिए ऐसे 5 तरीकों को, जिन्हें जानने के बाद आपको अपने जिद्दी और शैतान बच्चे को सभांलने में मदद मिलेगी. 

1. ध्यान कहीं और लगाएं
जिद्दी रोते हुए बच्चे को संभालने का सबसे पहला और आसान तरीका है कि उसका ध्यान कहीं और लगाया जाए. जैसे अपने बच्चे को किसी अच्छे काम में बिज़ी रखें. जैसे उसका फेवरेट फूड या खिलौने अपने साथ रखें और उन्हें ऑफर करें. या फिर आस-पास की किसी बढ़िया चीज़ की तरह उनका ध्यान लगवाएं.  

2. उनकी बात को समझें
बच्चा हमेशा किसी कारण से ही जिद करेगा या रोएगा. इसीलिए पहले उनकी बात को समझें कि आखिर वो कहना का क्या चाह रहा है. ऐसे में आप उनकी जिद करने की वजह को समझ पाएंगे और बच्चे को समझाना आपके लिए आसान हो जाएगा. 

3. झूठे प्रॉमिस ना बनाएं
जैसे आपने अपने बच्चे को कभी किसी टी-शर्ट या खिलौने के लिए प्रॉमिस किया हो, जिसके लिए आपने बोला हो कि आप उन्हें वो चीज़ बाद में दिलाएंगे. अब आपने बच्चे को वो चीज़ मार्केट या मॉल में दिख जाए, तो वो उसे देखकर जिद करेगा. अगर आपने उसे वो चीज़ नहीं दिलाई तो वो रोएगा भी. इसीलिए उनसे झूठे प्रॉमिस ना करें और अपने किए गए वादों को वक्त पर पूरा करें. 

4. बहस ना करें
बच्चे जिद करें तब आप जिद ना करें. इससे सिचुएशन बेहतर नहीं बल्कि खराब ही होगी. आप उन्हें बहस करेंगे या फिर उन्हें समझे बगैर ही उनपर हावी होने की कोशिश करेंगे तो वो और भी जिद्दी बरताव करेंगे. 

5. उनके सलावों का जवाब दें
कई बार ऐसा होता है कि आपका बच्चा सवाल करता है और आप उनका जवाब नहीं देते. उनके सवालों को बार-बार टालने पर उनमें जिद और बढ़ेगी. इसी तरह अगर आपका बच्चा भीड़ में रोते या परेशान करते कुछ सवाल पूछे तो उसका जवाब दें, वो भी शांति और प्यार से. 

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पता ही नहीं चला कि गर्भपात हो गया? ऐसी स्थिति से बचना चाहती हैं, तो जानिए लक्षण.....

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कई बार महिलाओं को मालूम नहीं चल पाता कि वे गर्भवती हो गई है। इस बात से बेखबर वे आम दिनों कि तरह दिनचर्या बीता रही होती है। कई तरह की बातों का तनाव होना तो आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सामान्य सा हो गया है। ऐसे में यह देखने में आता है कि कई बार महिलाओं का हो जाता है, वो भी ऐसे वक्त जब उन्हें पता भी नहीं होता कि वे गर्भवती थी।
 
कई मामलों में प्रेगनेंसी के 15 हफ्ते के भीतर ही गर्भपात हो जाता है और महिलाओं को पता भी नहीं चल पाता। ऐसे में जरूरी है कि महिलाओं को गर्भपात यानी की एबॉर्शन होने के लक्षणों के बारें में बताया जाए, जिससे इस तरह का कोई भी संकेत मिलने पर वे तुरंत डॉक्टर के पास जा सके।
 
1. गर्भावस्था के शुरूवाती दिनों में यदी आपको ब्लीडिंग हो तो इसका मतलब गर्भपात ही हो ऐसा जरूरी नहीं। आमतौर पर शुरूवाती दिनों में हल्की ब्लीडिंग होना सामान्य होता है लेकिन चिंताजनक तब हैं जब आपको स्पॉटिंग या थक्को के साथ ज्यादा ब्लीडिंग हो और ब्लीडिंग के दौरान ब्लड का रंग भूरा या गहरा लाल हो।
 
2. महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान पेल्विक एरिया के आस-पास हल्का सा दबाव पड़ने लगता है। प्रसव होने से पूर्व वाला संकुचन जैसा भी उन्हें लगने लगता है। इसका मतलब है कि आपका गर्भाशय ग्रीवा कमज़ोर हो रहा है।
शुरुआती महीनों में इस तरह का संकुचन नहीं होना चाहिए ऐसा होने पर यह भी गर्भपात का संकेत हो सकता है।
 
 
3. कई बार हल्की ब्लीडिंग और दर्द के बाद भी गर्भपात के और कोई लक्षण न दिखें, तो ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कई बार आधा गर्भपात हो जाता है और आधा अंदर ही रह जाता है ऐसे में पूरा गर्भपात डॉक्टर से कराना आवशयक है, नहीं तो आपकी सेहत को बढ़ा नुकसान हो सकता है।
 
4. बैक पेन व पीठ के नीचले हिस्से में दर्द होना गर्भपात का संकेत हो सकता है।
 
5. प्रेगनेंसी में वाइट डिस्चार्ज होना सामान्य है लेकिन यदि इसमें से किसी प्रकार की गंध आए, तो यह किसी तरह का इन्फेक्शन हो सकता है।
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आपका बच्चा सही तरीके से सो रहा है या नहीं ध्यान रखें......




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बच्चे की अच्छी देखभाल करना हर माता पिता का कर्त्तव्य होता है। साथ ही यह सबसे बड़ी ज़िम्मेदारियों में से एक होता है लेकिन यह भी एक सत्य है कि इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाना आसान नहीं होता। बच्चे के पालन पोषण का ज़िम्मा तब से शुरू हो जाता है जब से वह अपने माँ के गर्भ में पलने लगता है। हालांकि पूरे नौ महीने बच्चा अपने माँ के गर्भ में रहता है फिर भी माँ होने के नाते आपको हर छोटी छोटी बात की चिंता होती रहती है जैसे आपके बच्चे को सही मात्रा में पौष्टिक आहार मिल रहा है की नहीं आदि।

बच्चे के जन्म के बाद आप पर अचानक ज़िम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। आपके नन्हे शिशु के खाने-पीने से लेकर उसे नहलाने और सुलाने तक हर बात का ध्यान आपको रखना होता है। कई माता पिता कुछ ही दिनों में सब कुछ बड़े ही आराम से मैनेज कर लेते हैं। वहीं कुछ पेरेंट्स ऐसे भी होते हैं जो बच्चे को उठाने में या फिर उन्हें सुलाने में भी घबराते हैं कि कहीं उनसे कोई गलती न हो जाए।

best sleeping position for baby

कई बार बच्चे गलत तरीके से सो जाते हैं ऐसे में माता पिता के लिए उन्हें सही पोजीशन में सुलाना किसी चैलेंज से कम नहीं होता ख़ासतौर पर उनके लिए जो पहली बार माता पिता बने हो। इतना ही नहीं कई पेरेंट्स इसी चिंता में कि उनका बच्चा सही तरीके से सो रहा है या नहीं, रात भर खुद सो नहीं पाते। आपकी इसी समस्या के समाधान के लिए आज हम ये लेख लेकर आए हैं।

हम आपको कुछ आसान और बेहतर तरीके बताएंगे जिनका पालन करके आप अपनी इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

1. बच्चे को पीठ के बल लिटाये
2. बच्चे के करवट पर ध्यान दें
3. सूती चादर इस्तेमाल करें
4. रात को बार बार जागने की ज़रूरत नहीं है
5. बच्चे के पैर को पालने के पैर की ओर रखें
6. कम्बल और स्लीपिंग बैग का प्रयोग
7. कोनो में तकिये लगा दें

ये सुनने में आपको बहुत ही आम बात लगेगी। कई बच्चों को सेहत से जुड़ी समस्याएं आती हैं क्योंकि बचपन में उन्हें सही तरीके से पीठ के बल सुलाया नहीं जाता। बाल रोग विषेशज्ञों ने इस बात की पुष्टि की है कि कई बच्चों की अचानक मृत्यु या फिर पालने में मृत्यु सिर्फ इसी वजह से हो जाती है। अक्सर माता पिता बच्चों की लंबी नींद के दौरान इस बात का ध्यान रखते हैं लेकिन जब वह थोड़े समय के लिए सोते हैं तो ऐसे में पेरेंट्स थोड़ी लापरवाही कर देते हैं। याद रखिये आप ऐसी गलती न करें।

2. बच्चे के करवट पर ध्यान दें

सोते वक़्त सबसे ज़रूरी यही होता है कि बच्चे की पोज़ीशन बिल्कुल सही रहे। वो कभी पेट के बल न सोए। शुरुआत के कुछ महीनों में इस बात की चिंता नहीं रहती क्योंकि इस समय आप जैसे अपने बच्चे को लिटाएंगे वह बिल्कुल वैसे ही लेटेगा। लेकिन जैसे ही आपका बच्चा करवट बदलने लगेगा आपको सतर्क रहने की ज़रुरत है। जब भी आप उसे पेट के बल सोता हुआ देखें तो फ़ौरन उसे सीधा लेटा दें।

3. सूती चादर इस्तेमाल करें

बच्चे को सुलाने के लिए जिस बिस्तर का इस्तेमाल करें उस पर हमेशा सूती चादर ही बिछाएं क्योंकि इस पर बच्चा बहुत सहज महसूस करेगा और साथ ही अच्छी नींद भी लेगा। सिंथेटिक की चादरें देखने में तो खूबसूरत लगेंगी लेकिन बच्चा उस पर स्लिप कर सकता है। ऐसे में बच्चा बार बार अपनी पोज़ीशन बदलेगा जिससे उसकी नींद में भी बाधा आएगी।

4. रात को बार बार जागने की ज़रूरत नहीं है

हमने आपको यह बताया कि आप अपने बच्चे को सही पोज़ीशन में यानी सीधे ही सुलाएं तो इसका कतई यह मतलब नहीं है कि इसके लिए आप घड़ी में अलार्म लगाकर जागते रहें ताकि बार उठकर अपने बच्चे को देखते रहें। हम जिस मूवमेंट की बात कर रहें हैं वह आमतौर पर छह महीने से ऊपर के बच्चों के लिए होता है। आपको यह बात समझनी चाहिए कि आपका बच्चा बढ़ रहा है और इस तरह के बदलाव स्वाभिक हैं।

5. बच्चे के पैर को पालने के पैर की ओर रखें

आमतौर पर जब आप अपने बच्चे के लिए पालना खरीदते हैं तो वह काफी बड़ा होता है। उसमें थोड़े बड़े बच्चे को भी आसानी से सुलाया जा सकता है। ख़ास तौर पर ऐसे पालने छह महीने से कम के बच्चों के लिए बहुत ही बड़े होते हैं। इस उम्र के बच्चे बहुत ही कम जगह लेते हैं, इस स्थिति में आप ध्यान रखें कि आप बच्चे को बिल्कुल बीचों बीच ना लिटाएं। बच्चे के पैर का पंजा पालने के पैर की तरफ हो। इससे यह सुनिश्चित हो जाएगा कि बच्चा बड़ा ही आराम और सहज महसूस कर रहा है। चूंकि पालने में काफी जगह है इसलिए बच्चे के सिर के ऊपर भी अच्छा ख़ासा फासला हो।

6. कम्बल और स्लीपिंग बैग का प्रयोग

मौसम के अनुसार आपको कम्बल और स्लीपिंग बैग का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। अगर आप कम्बल का प्रयोग कर रही हैं तो ध्यान रखिये कि कम्बल बच्चे के चेहरे के नीचे रहे। सोते वक़्त कम्बल बच्चे के चेहरे के ऊपर न जाए। कई बार यह बेहद खतरनाक हो सकता है। स्लीपिंग बैग सोते हुए बच्चों को सही पोज़ीशन में सुलाने के लिए एक अच्छा विकल्प है। हालांकि चार महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए स्लीपिंग बैग्स का इस्तेमाल नही करना चाहिए।

7. कोनों में तकिये लगा दें

छह महीने से ऊपर के बच्चों के लिए यह बेहद ज़रूरी होता है क्योंकि इस समय आपका बच्चा नींद में अपनी पोज़ीशन बदलता रहता है। इसलिए ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए कोनों में नरम मुलायम तकिये लगा दें। यदि आपका बच्चा अचानक नींद से उठ जाए और आप उसके आसपास न हो तो आपका बच्चा चोटिल न हो। साथ ही आप इस बात से भी निश्चिन्त रहेंगी कि आपका बच्चा सही पोज़ीशन में सो रहा है।

बच्चों को सुलाने का सही तरीका जानने के बाद मुमकिन है आपका आत्मविश्वास भी बढ़ गया होगा इसलिए बेकार की चिंता छोड़कर आराम से गहरी सांस लें और अपने नन्हे शिशु की अच्छे से देखभाल करें।

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लेडीज! पर्सनल के साथ पैंटी की हाइजीन भी है जरुरी.....



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पर्सनल हाइजीन हमारे डेली रुटीन का बहुत अहम हिस्‍सा होता है। पर्सनल हाइजीन में शरीर की साफ सफाई के अलावा डेली रुटीन में काम में लेने वाली चीजों की सफाई भी बहुत जरुरी होती है। इन्‍हीं में से एक होती है पैंटी की भी सफाई। जी हां, जिस तरह वजाइना की सफाई का ध्‍यान रखना जरुरी होता है, उसी तरह पैंटी की सफाई भी बहुत जरुरी होती है।

हम में से कई लड़कियां और मह‍िलाएं पैंटी की साफ सफाई को लेकर ज्‍यादा अवेयर नहीं हैं। हम में से कई लोग पैंटी को लेकर कई तरह की गलतियां करती है। पैंटी की हाइजीन का ध्‍यान रखना बहुत जरुरी है क्‍योंकि ये हमारे शरीर के सबसे सेंसेटिव पार्ट को कवर करती है। इसकी साफ सफाई में थोड़ा सी भी लापरवाही हमारे सेहत के ल‍िए खतरनाक साबित हो सकती है। इसल‍िए आज हम आपको पैंटी की हाइजीन से जुड़ी कुछ जरुरी टिप्‍स बता रहे हैं। 

पैंटी सूती कपड़े की ही लें

सूती कपड़ा त्वचा के लिए अच्‍छी होती है। हालांकि सिल्क या सिंथैटिक कपड़े की पैंटी अधिक सैक्सी लगती है। किंतु इन पैंटी से हवा आरपार नहीं होती है, जिस से त्वचा रोग व इन्फैक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि सिंथैटिक कपड़े की पैंटी खरीदनी ही हो तो उसे खरीदें, जिस के अंदर की लाइनिंग सूती कपड़े की हो।

अंडरवियर को किससे धोएं

विशेषज्ञों की मानें तो अंडरवियर को hypoallergenic detergent से धोना चाहिए क्योंकि ये डिटरजेंट खासतौर पर सेंसिटिव स्किन के लिए बनता है। इसमें किसी तरह की कोई खुशबू भी नहीं होती जिससे पैंटी पर कोई हानिकारक चीज़ नहीं रहती। पैंटी धोते समय पानी में ब्लीच का गलती से भी इस्तेमाल ना करें। पैंटी को ब्लीच से धोने से ना सिर्फ पैंटी का कपड़ा फटने लगता है बल्कि ऐसा करने से वहां की त्वचा भी फटने लगती है।

कितने दिन तक पहन सकते है एक पैंटी

पैंटी को एक दिन पहनने के बाद अगले दिन जरुर धोना चाहिए। लेकिन आप अगर पैंटी पहनकर वर्कआउट कर रही हैं तो उसके बाद पैंटी जरुर बदलें क्योंकि कसरत करते समय सबसे ज्यादा पसीना आता है और उसी पसीने वाले कपड़े को आप जितनी ज्यादा देर पहनती हैं उतना ज्यादा आपको बीमारियां होती हैं। एक पैंटी को तब इस्तेमाल करना छोड़ दें जब उसका इलास्टिक खराब होने लगे या कपड़ा फटने लगे। अगर आप एक पैंटी का इस्तेमाल 1-2 महीने से लगातार कर रही हैं तो आपको उसे फेंक देना चाहिए पैंटी इससे ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 

धोते समय रखें इस बात का ध्‍यान

महिलाओं को पैंटी धोते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि उस में थोड़ा बहुत श्वेत प्रदर लगा है तो चिंता की बात नहीं पर यदि उस में बदबू भी है या वह गाढ़ा है या आप को रक्तस्राव लगा भी दिखता है तो फौरन स्त्रीरोग विशेषज्ञा से अपनी जांच करवाएं।

 ध्‍यान से सुखाएं पैंटी को

पैंटी को आप कहीं भी सुखाने के लिए ना डालें। ऐसा करने से वजाइनल इन्फेक्शन या फिर यूरिनरी इन्फेक्शन का खतरा रहता है। पैंटी को जब आप किसी धूल वाली जगह पर सूखाने के लिए डालती हैं तो वो बेक्टिरिया के संपर्क में आ जाती है और उस पैंटी को जब आप दोबारा पहनती हैं तो आपको कई तरह के इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है।

रात को सोएं पैंटी के ब‍िना

रात को सोते समय पैंटी नहीं पहननी चाहिए. इस का कारण है कि सारा दिन नमी में रहने की वजह से इन्फैक्शन या जलन होना आम बात है। प्राइवेट पार्ट को रात में थोड़ी बहुत हवा लगनी चाह‍िए।

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