Monday, 23 December 2024

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CS से मारपीट मामले में चार्जशीट दाखिल, CM केजरीवाल, डिप्‍टी CM और 11 विधायकों को आरोपी बनाया.....

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दिल्ली सरकार के मुख्‍य सचिव अंशु प्रकाश से CM आवास पर मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है.

खास बातें

  1. दिल्ली सरकार के मुख्‍य सचिव अंशु प्रकाश से सीएम आवास पर मारपीट मामला
  2. 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है
  3. 11 विधायकों को भी आरोपी बनाया गया है

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के मुख्‍य सचिव अंशु प्रकाश से सीएम आवास पर मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है. दिल्‍ली पुलिस ने चार्जशीट में सीएम और डिप्‍टी सीएम के अलावा 11 विधायकों को भी आरोपी बनाया गया है. इस माममें में दिल्‍ली पुलिस ने कुल 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है.

पुलिस ने कई लोगों के बयान और सबूतों के आधार पर चार्जशीट तैयार की है. दिल्ली पुलिस इस पूरे मामले में अरविंद केजरीवाल के पूर्व सलाहकार वीके जैन को मुख्य सरकारी गवाह बनाया है. बता दें कि अंशु प्रकाश से मारपीट करने के आरोप में आम आदमी पार्टी के दो विधायक प्रकाश जरवाल और अमानतुल्लाह ख़ान जेल भी गए जो अब कोर्ट से मिली ज़मानत पर रिहा हैं. इनके अलावा नितिन त्यागी, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदनलाल, प्रवीण कुमार और दिनेश मोहनिया का नाम है. 

आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्‍टी सीएम मनीष सिसोदिया से दिल्ली पुलिस पूछताछ कर चुकी है. मुख्यमंत्री केजरीवाल के सरकारी आवास पर 19 फरवरी की बैठक के दौरान मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर कथित रूप से हमला किया गया था, जिसके बाद यह मामला कोर्ट में पहुंचा था. 

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नवजात बच्चे को जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान नहीं कराने से उनमें मृत्यु का खतरा 33 प्रतिशत बढ़ जाता है.....

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शारीरिक और मानसिक रूप से बच्चों को बनाना है स्ट्रॉन्ग, तो इस वक्त जरूर कराएं स्तनपान.

नवजात बच्चे को जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान नहीं कराने से उनमें मृत्यु का खतरा 33 प्रतिशत बढ़ जाता है. भारत इस चुनौती का सामना कर रहा है कि स्तनपान समय से शुरू हो और बच्चों को जन्म के पहले छह महीनों में केवल स्तनपान ही कराया जाए. दुनिया भर में अनुमानित 7.8 करोड़ शिशु यानी प्रत्येक पांच में से तीन शिशुओं को जन्म लेने के बाद शुरुआती पहले घंटे में स्तनपान नहीं कराया जाता है, जो उन्हें मौत और रोगों के उच्च जोखिम की ओर ले जा सकता है. साथ ही इससे शिशुओं में उच्च शारीरिक और मानसिक विकास मानकों को पूरा करने की संभावनाएं कम हो जाती हैं. भारत ने हालांकि 2005-15 के एक दशक के भीतर कुछ प्रगति की है और जन्म के प्रथम घंटे में स्तनपान का आंकड़ा दोगुना हो गया है. लेकिन देश में सीजेरियन से पैदा होने वाले नवजात बच्चों के बीच स्तनपान की प्रक्रिया में काफी कमी पाई गई. 

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का आंकड़ा इस तथ्य को बताता है कि जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने की प्रक्रिया भारत में लगभग दोगुनी हो गई है, जो 2005 में 23.1 प्रतिशत थी और बढ़कर 2015 में 41.5 प्रतिशत हो गई. जिन बच्चों को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान नहीं कराया जाता है, उनमें मृत्यु दर का जोखिम 33 प्रतिशत अधिक होता है. भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि यास्मीन अली हक ने कहा, "स्तनपान सभी बच्चों को जीवन की सबसे स्वस्थ शुरुआत देता है. यह मस्तिष्क के विकास को उत्तेजित करता है, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है और उन्हें आगे पुरानी रोगों से बचाने में मदद करता है." 

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बसूरत मेहंदी डिज़ाइन्स, जिन्हें आप इस बार हरियाली तीज (Hariyali Teej) पर लगा सकती हैं...... 

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हरियाली तीज (Hariyali Teej) श्रृंगार का त्योहार होता है. इस दिन माता पार्वती को ना सिर्फ सोलह श्रृंगार की सभी चीज़ें चढ़ाई जाती हैं बल्कि महिलाएं खुद भी इन्हें लगाती हैं. इन्हीं में से एक है मेहंदी. इस तीज को सेलिब्रेट करने के लिए महिलाएं और लड़कियां 2 दिन पहले से ही हाथों पर मेहंदी लगाने लग जाती हैं. क्रेज इतना होता है कि पार्लर और मेहंदी लगाने वालों के पास कई दिनों पहले से ही एजवांस बुकिंग शुरू हो जाती है. लेकिन अगर आप मेहंदी बुक कराना भूल गई हैं या वक्त नहीं मिला पाया हो तो यहां बेहद ही खूबसूरत मेहंदी डिज़ाइन्स दिए हुए हैं, जिन्हें आप इस बार हरियाली तीज पर लगा सकती हैं.  

सिर्फ मेहंदी ही नहीं हरियाली तीज का मतलब ही है सजना और सवंरना. इस दौरान हरे रंग का बड़ा महत्व होता है. इस तीज पर महिलाएं हरे कपड़े और जूलरी पहनकर खूब नांच गाना करती हैं. व्रत रखती हैं और शाम को मीठे में घेवर भी खाती हैं.

बता दें हरियाली तीज को छोटी तीज और श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है. सावन माह में पड़ने वाली यह तीज सुहागिन स्त्रियों के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण है. हिन्‍दू धर्म की मान्‍यताओं के अनुसार यह त्‍योहार पति के प्रति पत्‍नी के समर्पण का प्रतीक है. मान्‍यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सुहागिनों के पति दीर्घायु होते हैं और लड़कियों को मनचाहा वर मिल जाता है. 

यहा देंखिए इस हरियाली तीज के लिए मेहंदी के सबसे खूबसूरत डिज़ाइन्स. 

 

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 ऐनेरोक्सिया नर्वोसा : वज़न कम करने के लिए कम भोजन करना या मोटे होने के डर से भूख का कम लगना भी एक बीमारी है.....

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वज़न कम करने के लिए कम भोजन करना या मोटे होने के डर से भूख का कम लगना भी एक बीमारी है। इस बीमारी को ऐनेरोक्सिया नर्वोसा कहा जाता है। जिन लोगों को यह बीमारी होती है वे लोग कम वज़न होने के बावजूद भी मोटे होने की भावना से ग्रसित होते हैं।
एनेरोक्सिया की बीमारी दो प्रकार की होती है, पहली वो जिसमें लोग अपना वज़न कम करने के लिए कम खाते हैं और दूसरी वह जिसमें लोग बिलकुल खाना छोड़ देते हैं। इस बीमारी का कोई प्रमुख कारण नहीं है लेकिन यह बीमारी किसी शारीरिक, मानसिक या सामाजिक परेशानी की वजह से उत्पन्न हो सकती है। कुछ लोगों में यह बीमारी अनुवांशिक होती है।
 
इस बीमारी से ग्रसित लोगों में दिमाग में पाया जाने वाला कोर्टिसॉल हारमोन की मात्रा ज़्यादा हो जाती है और भावनाओं से संबंधित हारमोन की मात्रा कम हो जाती है। इस बीमारी मे लक्षणों का आसानी से पता लगाया जा सकता है। जिन लोगों को यह बीमारी होती है वे वज़न कम करने के लिए हमेशा कम आहार लेना पसंद करते है।
 
शारीरिक कारण-
इसके शारीरिक कारणों में शामिल हैं-अचानक अधिक वज़न का कम होना, बालों का टूटना, रूखी त्वचा, कमज़ोर नाखून, चक्कर आना, कम रक्तचाप आदि।
 
मानसिक कारण-
कमज़ोर याददाश्त, निर्णय लेने में परेशानी, जल्द ही चिढ़ जाना आदि।
 
आचरण संबंधित कारण-
खाने की मात्रा और उससे मिलने वाली ऊर्जा के बारे में गहन चिंतन, खाने में छोटे-छोटे भागों में तोड़कर खाना, भूख ना लगने का बहाना बनाना आदि। यह बीमारी जितनी मामूली लगती है, उतनी है नहीं। इस बीमारी से ग्रसित 50 प्रतिशत लोग भूख और कमज़ोरी की वजह से अपनी जान खो देते हैं। इसकी वजह से किडनी, लीवर और दिल से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा भी होता है। इस बीमारी के इलाज के लिए तुरंत ही चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। इसके इलाज का प्रमुख भाग वजन बढ़ाने पर ध्यान देना होता है। कई पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है जैसे-न्यूट्रिशनल थेरेपी, काउन्सलिंग, ग्रुप थेरेपी आदि।
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