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तनाव जब बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो वह अवसाद में तब्दील हो जाता है। अवसाद होने पर व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। ऐसे में स्थिति को मैनेज करने के लिए स्व-देखभाल करना बेहद आवश्यक है। अच्छी नींद लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना, ध्यान करना और अपने आहार का ध्यान रखना डिप्रेशन से लड़ने का एक अच्छा तरीका है। यूं तो अवसाद का इलाज करने के लिए कोई विशिष्ट आहार नहीं है, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ अधिक खाने और कम लेने से उनके लक्षणों का प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है। ऐसे कई फूड्स हैं जो अवसाद की समस्या को और भी अधिक बढ़ा सकते हैं, इसलिए इनसे बचने की सलाह दी जाती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको इन फूड्स के बारे में बता रहे हैं-
फास्ट फूड
फास्ट फूड खाने में बहुत टेस्टी होते हैं और इसलिए लोग इसे खाना बेहद पसंद करते हैं। हालांकि, इसमें मौजूद आर्टिफिशियल ट्रांस फैट, रिफाइंड कार्ब्स, सोडियम और चीनी से सूजन बढ़ जाती है। एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से फास्ट फूड खाते हैं, उनमें अवसाद विकसित होने का 40 प्रतिशत अधिक जोखिम होता है। इसलिए, अगर आप बाहर खाना खा रहे हैं तो ऐसे में बर्गर या फ्राइज के स्थान पर सलाद और रैप खाने पर विचार करें।
बहुत से लोग अपने मूड को ठीक करने के लिए अल्कोहल का सेवन करते हैं। यह आश्चर्य की बात है कि शराब हमारे मस्तिष्क में सेरोटोनिन अर्थात् हैप्पी केमिकल को रिलीज करने में मदद करता है। लेकिन अगर आप अवसाद से पीड़ित है तो ऐसे में शराब पीने से विपरीत प्रभाव हो सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन अल्कोहल एब्यूज एंड अल्कोहलिज्म से पता चलता है कि शराब मस्तिष्क में विभिन्न मार्गों को प्रभावित करती है, जिससे व्यक्ति का मूड और व्यवहार प्रभावित होता है। इसलिए, आप कॉकटेल के स्थान पर मॉकटेल का सेवन करें। आप अल्कोहल मुक्त ड्रिंक लें।
यूं तो ग्रेन का सेवन करने में कोई भी बुराई नहीं है। लेकिन जब आप इन्हें रिफाइंड किया जाता है, तो इससे उनका पोषक तत्व खो जाता है। कई रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जो लोग रिफाइंड ग्रेन का सेवन करते हैं, उनमें डिप्रेशन की संभावना अधिक होती है। इसलि, अपनी डाइट में आप हाल ग्रेन को शामिल करें। आप व्हाइट राइस की जगह ब्राउन राइस लें। इसी तरह, होल व्हीट ब्रेड का सेवन करें।
रिफाइंड शुगर मधुमेह और हृदय रोग से लेकर मोटापे और कुछ प्रकार के कैंसर तक के जोखिम को बढ़ाता है। हालांकि, यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। कुछ शोध चीनी के सेवन और अवसाद के बीच एक रिलेशन के बारे में बताते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस घटक के शरीर पर कई नकारात्मक दीर्घकालिक प्रभाव हैं जिससे व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। चूंकि स्वीट स्नैक्स से पूरी तरह दूरी बनाना मुश्किल होता है। इसलिए अपने सेवन के स्तर को कम करने के लिए आप चीनी में कम विकल्प तलाशने पर विचार करें। हमेशा लेबल पढ़कर ही किसी भी फूड आइटम को खरीदें।
बहुत अधिक नमक खाना
नमक के बिना आहार लेना संभव नहीं है। लेकिन बहुत अधिक नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह सिर्फ आपके रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य पर ही नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता है, बल्कि इससे आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इसलिए, आप अपनी डाइट में नमक शामिल करें, लेकिन भोजन के ऊपर एक अतिरिक्त चम्मच छिड़कने से बचें।
तो अब अगर आप भी इन दिनों अवसाद से जूझ रहे हैं तो इन फूड आइटम को अपनी डाइट से बाहर ही रखें और अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें।
हार्मोन, विटामिन और नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए आपके शरीर को कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है. लेकिन बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल होना हानिकारक हो सकता है. अगर आपके खून में लो डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन की अधिक मात्रा है, तो आपके हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा समय के साथ बढ़ सकता है. इसे बैलेंस करने के लिए आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि यह आपके शरीर में कहां से आता है. दरअसल, इसके दो स्रोत हैं: पहला, आपका लीवर इसे पैदा करता है और दूसरा आपका भोजन. कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के उपाय तलाशना आपके लिए बहुत जरूरी है खासकर उन लोगों के लिए जो अति कोलेस्ट्रॉल से लंबे समय से परेशान हैं. इसलिए अगर आप हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल से जूझ रहे हैं तो कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए इन फलों का सेवन करें.
हाई कोलेस्ट्रॉल में कौन से फल खाने चाहिए?
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर हमेशा अनहेल्दी डाइट, प्रोसेस्ड फूड्स, तले हुए फूड्स, शुगरी फूड्स और लो फाइबर फूड्स को दोष दें. इसके साथ ही धूम्रपान, व्यायाम की कमी और हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज भी इसके कारण हो सकते हैं. ऐसे में हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए ऐसे फलों को डाइट में शामिल करना चाहिए जो विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट से भरे हों.
हाई कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मददगार फल
1. केला
केला भी फाइबर, विटामिन और खनिजों के साथ-साथ सुक्रोज, फ्रुक्टोज और ग्लूकोज जैसे शुगर से भरा हुआ है. केला पोटेशियम और फाइबर का एक अच्छा स्रोत है जो कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है. केले में विटामिन सी और मैग्नीशियम भी होते हैं, जो उन्हें स्नैक्स के लिए एक बढ़िया विकल्प बनाता है.
खट्टे फल विटामिन सी और फाइबर से भरे होते हैं और क्योंकि उनमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, वे हानिकारक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हेल्दी कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने में मदद करते हैं. इसके अलावा, विटामिन सी हार्ट डिजीज और ब्लड प्रेशर के जोखिम को कम करता है. पलों का जूस पीने से बचने कोशिश करें.
बहुत अधिक सोडियम और सेचुरेटेड फैट वाले फूड्स का सेवन करने से आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल में असंतुलन हो सकता है. इसके साथ ही घुलनशील फाइबर वाले फूड्स जो हृदय-हेल्दी हैं, वे हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद कर सकते हैं. फलों में घुलनशील फाइबर की मात्रा अधिक होती है जिसे पेक्टिन कहा जाता है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करने के लिए जाना जाता है. फाइबर से भरे फलों में सेब और नाशपाती है.
4. एवोकैडो
एवोकैडो में मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट भी होते हैं, जो हार्ट के लिए फायदेमंद होता है. इसके अलावा एवोकाडो हाई डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) और लो डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल लेवल दोनों को मैनेज कर सकता है.
5. जामुन
जामुन में फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं जो हार्ट को हेल्दी रखते हैं और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. जामुन को डाइट में शामिल कर आप हेल्दी कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा दे सकते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
आंखों के कमजोर होने के मुख्य लक्षण
बार-बार आंखों को मलना
अगर बच्चा अक्सर अपनी आंखों को मलता रहता है, या किसी चीज को देखने के लिए अपनी आंखों पर जोर देता है, तो समझ जाएं कि उसे देखने में परेशानी हो रही है।
सिर में दर्द होना
पढ़ाई करने के थोड़ी देर बाद या टीवी देखने के बाद बच्चा आपसे सिर में दर्द होने की शिकायत कर रहा हो, तो इसे नजरअंदाज न करें।अगर आपका बच्चा तेज रोशनी में आने पर बार-
बार अपनी पलके झपकाने लगे। या उसको कुछ धुंधलापन जैसा नजर आने लगे तो इसका मतलब की उसकी आंखें कमजोर हो रही हैं।
दूर की चीजें धुंधली दिखना
अगर बच्चे को दूर की चीजें साफ नहीं नजर आ रही हो, या फिऱ दूर की चीजों को देख ही नहीं पा रहा है। तो इस लक्षण को भी इग्नोर मत करें। तुरंत उसकी आंखों की जांच करवाएं।
खान-पान का रखें ध्यान
कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें खाने से बच्चों की आंखों की रोशनी में सुधार किया जा सकता है। विटामिन ए, सी, और ई, ओमेगा -3 फैटी एसिड और जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थों को बच्चों की डाइट में शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां विटामिन ए से भरपूर होती हैं। इनमें कैल्शियम, विटामिन सी और बी 12 भी शामिल होती हैं, जो आंखों के लिए काफी अच्छा हैं। गाजर और शकरकंद में बीटा-कैरोटीन होता है और यह रेटिना को स्वस्थ रखता है।
एक्सरसाइज
संतुलित आहार के साथ-साथ रोजाना एक्सरसाइज करना भी जरूरी है। ऐसा करने से बच्चे को पूरे शरीर में खून और ऑक्सीजन के फ्लो को बनाए रखने में मदद मिलेगी। जो बच्चों की आंखों की रोशनी को ठीक रखेगा।
आंखों की करें मालिश
आंखें हमारे शरीर का बहुत नाजुक अंग है, इसलिए इनके मालिश करने का तरीका भी कुछ अलग होता है। अपनी उंगलियों से आंखों की पलकें और भौंह के बीच में आहिस्ते-आहिस्ते 10-20 सेकेंड तक मालिश करें। इसके बाद अपने हाथों की दोनों हथेलियों को आपस में गर्म होने तक रगड़ते रहें। इसके बाद अपनी हथेलियों को आंख बंद करके पलकों पर रख दें। इससे आंखों का ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है और आंखों को भी राहत मिलती है।
आंखों की नियमित जांच कराएं
बच्चों की आंखों की नियमित रूप से जांच जरुर करवाएं। अपने बच्चों की आंखों की जांच के लिए हर छह महीने के बाद किसी आंखों के विशेषज्ञ के पास लें जाएं। ताकि समय उसकी आंखों की रोशनी ठीक है या नहीं इसका पता आपको समय से चल सकें। और आप समय रहते बच्चें की आंखे ठीक करवा सकें।
ई-सिगरेट का यूज बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों के लिए असुरक्षित है। अधिकांश ई-सिगरेट में निकोटिन होता है। निकोटीन अत्यधिक नशे की लत है और किशोरों के मस्तिष्क के विकास को नुकसान पहुंचा सकता है। ई-सिगरेट में निकोटीन के अलावा अन्य हानिकारक पदार्थ भी हो सकते हैं। इसका उपयोग करने वाले युवाओं के भविष्य में सिगरेट पीने की अधिक संभावना हो सकती है।
ई-सिगरेट क्या हैं?
ई-सिगरेट इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता हैं जो एक लिक्विड को गर्म करता हैं और एक एयरोसोल, या हवा में छोटे कणों का मिश्रण बनाते हैं। ई-सिगरेट कई आकार में आती है। अधिकांश में एक बैटरी, एक हीटिंग एलिमेंट्स और एक लिक्विड को रखने की जगह होती है। कुछ ई-सिगरेट नियमित सिगरेट, सिगार या पाइप की तरह दिखती हैं। कुछ USB फ्लैश ड्राइव, पेन और अन्य डेली यूज की वस्तुओं की तरह दिखाई देती है। ई-सिगरेट को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उन्हें कभी-कभी ई-सिग, ई-हुक्का, मोड, वाइप पेन, वेप्स, टैंक सिस्टम, और इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) कहा जाता है। ई-सिगरेट का उपयोग करने को कभी-कभी "वापिंग" कहा जाता है।
JUUL ई-सिगरेट का एक ब्रांड है जो USB फ्लैश ड्राइव के आकार का होता है। अन्य ई-सिगरेट की तरह, JUUL एक बैटरी से चलने वाला डिवाइस है जो एक निकोटीन युक्त लिक्विड को गर्म करके एक एरोसोल का उत्पादन करता है जिसे सांस में लिया जाता है। सभी JUUL ई-सिगरेट में निकोटीन का उच्च स्तर होता है। निर्माता के अनुसार, एक JUUL पॉड में 20 नियमित सिगरेट के एक पैकेट के बराबर निकोटीन होता है
बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों के लिए निकोटीन असुरक्षित क्यों है?
अधिकांश ई-सिगरेट (वेप्स) में निकोटीन होता है - नियमित सिगरेट, सिगार और अन्य तंबाकू उत्पादों में नशे की लत करवाता है। सीडीसी के एक अध्ययन में पाया गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में मूल्यांकन किए गए स्थानों में बिकने वाले 99% ई-सिगरेट में निकोटीन होता है। कुछ vape उत्पाद लेबल इस बात का खुलासा नहीं करते हैं कि उनमें निकोटीन होता है, और 0% निकोटीन युक्त कुछ vape तरल पदार्थों में निकोटीन पाया गया है। निकोटीन विकासशील किशोर मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है।
मस्तिष्क लगभग 25 साल की उम्र तक विकसित होता रहता है। किशोरावस्था में निकोटीन का उपयोग दिमाग के उन हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है जो ध्यान, सीखने, मनोदशा और आवेग नियंत्रण को नियंत्रित करते हैं। हर बार जब एक नई मेमोरी बनाई जाती है या एक नया कौशल सीखा जाता है, तो दिमाग की कोशिकाओं के बीच मजबूत संबंध - या सिनेप्स - बन जाते हैं। युवा लोगों का दिमाग वयस्क दिमाग की तुलना में तेजी से सिनेप्स का निर्माण करता है। निकोटीन इन सिनैप्स के बनने के तरीके को बदल देता है। किशोरावस्था में निकोटीन का उपयोग करने से भविष्य में अन्य दवाओं की लत का खतरा भी बढ़ सकता है।
जब कोई व्यक्ति निकोटीन पर निर्भर या आदी हो जाता है और उसका उपयोग करना बंद कर देता है, तो उसके शरीर और मस्तिष्क को निकोटीन न लेने की आदत डालनी पड़ती है। इसके परिणामस्वरूप निकोटीन वापसी के अस्थायी लक्षण हो सकते हैं। निकोटीन वापसी के लक्षणों में चिड़चिड़ापन, बेचैनी, चिंतित या उदास महसूस करना, सोने में परेशानी, ध्यान केंद्रित करने में समस्या और निकोटीन की डिजायर शामिल है। लोग इन लक्षणों को दूर करने में मदद करने के लिए तंबाकू उत्पादों का उपयोग करना जारी रख सकते हैं।
ई-सिगरेट मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों से जुड़ा हुआ है
तनाव या चिंता से निपटने के लिए युवा वापिंग की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे निकोटीन पर निर्भरता का एक चक्र बन जाता है। लेकिन निकोटीन की लत तनाव का स्रोत हो सकती है। ई-सिगरेट का उपयोग जारी रखने के लिए युवा सबसे आम कारण बताते हैं वो हैं- चिंतित, तनावग्रस्त या उदास महसूस होना। ई-सिगरेट और सिगरेट का उपयोग अवसाद जैसे मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों से जुड़ा हुआ है।