Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
पौधों और हरभरे स्थानों के पास रहना और बागवानी करना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुच फायदेमंद है। साथ ही इससे NHS सेवाओं पर भी कम दबाव पड़ता है। पौधे लगाना, या बागवानी करने से आपको एक अलग तरह की खुशी और संतुष्टि मिलती है। कुछ लोगों को लिए बागवानी एक शौक से कहीं ज्यादा होता है। यहां सिर्फ आपके घर को ही खूबसूरत नहीं बनाता, बल्कि आपके मूड को भी अच्छा बनाता है।
1: बागवानी से मूड होता है ठीक
बागवानी करने से अधिकतर लोगों ने खुशी महसूस की है। जब आप बगीचे में जानकर काम करते हैं तो आपका मूृड तनाव की बातों से दूर हो जाता है, और आपको एक अलग तरह की शांति मिलती है। इससे आपके चिंता का स्तर भी कम हो जाता है। जैसे जैसे आप गार्डनिंग करते हैं आपकी उदासी धीरे धीरे दूर होने लगती है। बागवानी भी एक्सरसाइड का एक रूप है, जो आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। साथ ही सूरज की रोशनी मिलने से भी आपकेा मूड बदल सकता है।
2: लाइफस्टाइल में सुधार
साधारण चीजें आपकी लाइफ को आपके विचार से कहीं ज्यादा सुंदर बनाती हैं। इनमें बागवानी एक है। छोटी-छोटी चीजों को नोटिस करने के लिए गर्डन सबसे अच्छी जगह है। यहां रहकर आप अपने लाइफ में काफी बदलाव महसूस कर सकते हैं।
बागवानी एक स्ट्रेस बुस्टर है, जो आपके तनाव को कम करने में मदद करता है। यह आपको एक तनावपूर्ण घटना से ठीक होने और वापस ठीक होने में मदद करता है। स्टाडी में भी ये बात सामने आई है कि बागवानी से तनाव के हार्मोन का स्तर कम होता है।
4. इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है
इंसान भी पौधों की तरह होते हैं, दोनों को ही सूरज की रोशनी की जरुरत होती है। पौधे लाइट संश्लेषण की प्रक्रिया के जरिए अपना भोजन बनाने के लिए सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करता है। बागवानी करते समय आप धूप के सम्पर्क में रहते है, जिससे आपको विटामिन डी मिलता है। विटामिन डी आपके शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। यह आपकी हड्डियों को मजबूत और रखने का काम भी करता है।
अगर आपके पास एक बड़ा बगीचा है तो गार्डनिंग आपके लिए एक अच्छे एक्सरसाइज के रूप में काम करता है। रोज एक घंटे की बागवानी से आप 330 कैलोरी तक बर्न कर सकते हैं। कम तीव्रता वाले एक्सरसाइज को पसंद करने वाले लोगों के लिए गार्डनिंग एक अच्छी कसरत हो सकती है।
6: हड्डियों को बनाता है मजबूत
उम्र बढ़ने के साथ आपकी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। आपके शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी होने लगती है। यह तब होता है जब आपके शरीर को ज्यादा कैल्शियम और विटामिन डी की जरुरत होती है। नियमित रूप से बागवानी करने से आपकी हड्डियां स्वस्थ रहती हैं, और सूरज की रोशनी में काम करने के लिए आपको विटामिन डी की अधिकतम मात्रा प्राप्त करने में मदद करता है।
डायबिटीज के रोगियों के लिए बागवानी एक अच्छा व्यायाम है, क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को प्रबंधित करने में मदद करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि व्यायाम और आहार रोग के जोखिम वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के विकास को कम कर सकते हैं।
8: हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में करता है मदद
हाई ब्लड प्रेशर एक सामान्य विकार है जो कई लोगों को प्रभावित करता है। बागवानी आपको ब्लड प्रेशर को प्रबंधित करने में मदद करता है। जितना ज्यादा समय आप अपने पौधों के साथ बिताएंगे, उतना ज्यादा आपको आराम महसूस करेंगे। बागवानी कम तीव्रता वाली कसरत के रूप में भी काम करती है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और आपके दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
खाने में नमक ना हो, यह तो संभव ही नहीं है। बिना नमक का खाना बेस्वाद होता है। आमतौर पर, लोग कई तरह के नमक का सेवन करते हैं। इनमें सफेद नमक और काला नमक प्रमुख है। सामान्य तौर पर, सब्जी आदि में सफेद नमक का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं सलाद, चाट आदि में काला नमक यूज होता है। इन दोनों के नमक में ना केवल स्वाद में अंतर होता है, बल्कि इनकी प्रॉपर्टीज भी अलग होती है। जिसके कारण इनके सेवन का अलग असर सेहत पर पड़ता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको सफेद नमक और काले नमक के बीच के अंतर के बारे में बता रहे हैं-
सफेद नमक क्या है?
सफेद नमक 97 प्रतिशत सोडियम क्लोराइड होता है। इसमें मुख्य तत्व आयोडीन है। सफेद नमक को कभी-कभी टेबल सॉल्ट के रूप में भी जाना जाता है। इसे गॉइटर और थायरॉयड रोग जैसे विकारों से बचने के लिए आवश्यक माना जाता है।
सफेद नमक के नुकसान
एक तथ्य यह भी है कि इस नमक को हैवी प्रोसेस्ड किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मूल खनिजों को बाहर निकाल दिया जाता है। जिसके कारण नमक से मिलने वाले लाभ इसमें नहीं मिल पाते हैं।
काला नमक भारतीय व्यंजनों में एक आम घटक है और खाना पकाने में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह सल्फर यौगिकों से बना है और इसमें आयरन और पोटेशियम क्लोराइड भी होता है। हालांकि काला नमक के अन्य रूप भी हैं, लेकिन सबसे अधिक प्रचलित हिमालयी काला नमक है। यह नमक मांसपेशियों के सही ढंग से काम करने में मदद करता है।
काले नमक के नुकसान
हालांकि काले नमक के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन कई अन्य पोषक तत्वों की तरह, अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह खतरनाक हो सकता है। काले नमक का एक और नुकसान यह है कि इसमें आयोडीन की थोड़ी मात्रा होती है, इसलिए अकेले काला नमक खाने से पर्याप्त आयोडीन नहीं मिलेगा।
• सफेद नमक में कोई गंध नहीं होती है, जबकि काले नमक में हल्की गंध होती है।
• सफेद नमक एक प्रकार का समुद्री नमक है जबकि काला नमक एक प्रकार का सेंधा नमक है।
• सफेद नमक समुद्री जल के वाष्पीकरण से बनता है, जबकि काला नमक हिमालय क्षेत्र में निकाला जाने वाला एक प्राकृतिक पत्थर का नमक है।
• सफेद नमक का उपयोग खाना पकाने और फूड प्रिजर्वेशन में किया जाता है। वहीं, काले नमक के कुछ चिकित्सीय लाभ हैं और अक्सर आयुर्वेद में इसका उपयोग किया जाता है।
किस नमक का करें सेवन
जब इन दोनों नमक की बात आती है तो यकीनन काले नमक को सफेद नमक या टेबल सॉल्ट से अधिक बेहतर माना जाता है। इससे आपको कई बेहतरीन लाभ मिल सकते हैं। जैसे-
• काला नमक उन लोगों की पाचन क्षमता में सुधार करता है जिनकी पाचन क्षमता खराब होती है।
• काला नमक हल्का लेक्सेटिव है, जिसका अर्थ है कि यह कब्ज दूर करने में उपयोगी है।
• काला नमक आंतों में गैस बनने की प्रवृत्ति को कम करता है और हार्ट बर्न की समस्या को भी दूर करने में कारगर है।
• हम में से बहुत से लोग सामान्य दैनिक आहार के साथ भी अक्सर एसिडिटी की समस्या से पीड़ित रहते हैं। काला नमक इन लोगों के लिए फायदेमंद होता है।
• काला नमक रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य बनाए रखने में लाभकारी भूमिका निभाता है। तो यह मधुमेह के व्यक्तियों के लिए अच्छा है।
• उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए नमक एक स्वस्थ विकल्प है।
• काले नमक में सोडियम की मात्रा सामान्य नमक की तुलना में कम होती है। इसलिए, अधिक सोडियम के कारण होने वाली कुछ लाइफस्टाइल डिसीज से बचाव में मदद मिलती है
भारत में सदियों से आयुर्वेद पर भरोसा किया जा रहा है। छोटे मोटे बुखार से लेकर बड़ी बीमारियों में आयुर्वेद ने अपने आपको साबित किया है। आज भारत के साथ विदेशों में भी आयुर्वेद का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। हर बीमारी से बचाने में जड़ी बूटी काफी असरदार रही हैं। हर एक जड़ी बूटी का अपना एक अलग महत्व है। ऐसे ही चिरायता यानी स्वेर्टिया जड़ी बूटी भी आपके स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने पूरी दुनिया के 21 हजार पौधों को चिकित्सकीय इस्तेमाल के लिए सही माना है। जिनमें 800 पौधों को एंटी डायबिटिक कहा गया है। इन एंटी डायबिटिक में एक चिरायता का पौधा भी शामिल है। यह पौधा भारत में पाया जाता है। जिसकी लंबाई डेढ़ मीटर तक होती है। इस पौधे की पत्ती, डंडी यहां तक की जड़ को भी बीमारियों से लड़ने में सक्षम माना गया है। चिरायता आपके सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है। चिरायता में अल्केलॉइड्स ग्लायकोसाइड्स, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, गुण शामिल है। चिरायता से खांसी से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने के गुण होते है। डायबिटिक पेशेंट के लिए भी चिरायता किसी वरदान से कम नहीं है।
आयुर्वेद में चिरायता का उपयोग
आयुर्वेद और होमियोपैथ की दवाओं में भी चिरायता का इस्तेमाल किया जाता है। चिरायता आपके शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकाल कर आपके पाचन तंत्र को ठीक करता है। इतना ही नहीं कई तरह की स्किन प्रॉब्लम को भी ठीक करने में मदद करता है। रिसर्च के मुताबिक ये ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करने में सक्षम है।
ब्लड शुगर लेवल को कैसे कंट्रोल करता है चिरायता
ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में चिरायता काफी लाभाकारी औषधि है। चिरायता में बायो एक्टिव कंपाउंड अमरोंगेटन पाया जाता हैं। जिसके कारण यह एंटी डायबिटिक प्रभाव दिखाता है। चिरायता हाइपोग्लाइसेमिक गुणों से भरपूर होता है। इसलिए यह डायबिटिक पेशेंट के लिए फायदेमंद होती है। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए डायबिटिक पेशेंट को सुबह खाली पेट चिरायता के पानी पीना चाहिए।
डायबिटिज के मरीज इस तरह करें चिरायता का सेवन
एक्सपर्ट्स के मुताबिक ब्लड शुगर पेशेंट को रोज सुबह खाली पेट चिरायता के पानी का सेवन करना चाहिए। आप चाहें तो चिरायता का काढ़ा या चूर्ण का भी सेवन कर सकते हैं। चिरायता की चाय पीना भी आपके सामने एक अच्छा ऑप्शन है। लेकिन अगर आपकी दवाईयां पहले से चल रही हैं, तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरुर लें।
आयुर्वेद में स्किन प्रॉब्लम के इलाज के लिए भी चिरायता और नीम के पत्तों को काफी उपयोगी माना गया है। यहां तक की किसी भी तरह की चोट पर चिरायता के पत्तों का लेप लगाने से आपका घाव भी जल्दी भरने लगता है। यहां तक की चिरायता आपके लिवर को भी डिटॉक्स करने में मदद करता है।
आज कल के हमारे बीजी शेड्यूल में हम अपने खान-पान का अच्छे से ध्यान नहीं रख पाते। कई लोग तो जल्दबाजी में नाश्ता करना ही भूल जाते हैं। जिसका बुरा असर उनकी सेहत पर पड़ता है। कई लोग कम समय में जल्दी बनने वाले नाश्ते के विकल्प को चुनना पसंद करते हैं। ऐसे में आफ पोहा का सेवन कर सकते हैं। ये न सिर्फ आपके स्वास्थ के लिए अच्छा है, बल्कि डायबिटीज के मरीजों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। पोहा ग्लूटेन फ्री होने के साथ फैट फ्री भी होता है। यह अपके दिल को भी स्वस्थ रखने में काफी मदद करता है। तो वहीं कुछ लोग नाश्ते में पोहा खाने के स्थान पर इडली खाना पसंद करते हैं। लेकिन अगर इन दोनों के पोषक मूल्यों की बात की जाएं तो, कौन सा नाश्ता आपके स्वस्थ के लिए अच्छा विकल्प है, आइए आपको बतातें हैं।
इडली और पोहे में बेहतर कौन?
सुबह के नाश्ते में पोहा खाना सबसे अच्छा विकल्प होता है। पोहे में लगभग 70 प्रतिशत स्वस्थ कार्बोहाइड्रेट और 30 प्रतिशत फैट होता है। इसमें मौजूद फाइबर धीरे-धीरे खून के प्रवाह में चीनी को भेजने का काम करता है। ताकि अचानक से स्पाइक्स से बचा जा सके। इसलिए अगर आप अपने दिन भर के भूख को मिटाना चाहते हैं, तो चावल, इडली या डोसा खाने की जगह पोहा को चुनें। क्योकि इसे खाने से आपको कार्ब्स की एक स्वस्थ खुराक मिलती है।
पंचन के लिए अच्छा विकल्प है पोहा
पोहा आपके पेट के लिए बहुत हल्का होता है, जिसके कारण ये आसानी से पच जाता है। इसलिए, इसे सुबह के नाश्ते या शाम के नाश्ते के रूप में खाया जा सकता है। पोहा कभी भी आपके पेट में सूजन का कारण नहीं बनेगा। यहां तक की पोहा करने के बाद आपको जल्दी भूख नहीं लगेगी। पोहे में कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है। इसमें आवश्यक विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट भी शामिल होते हैं। पोहे में करी पत्ते का तड़का बनाने के कारण ये दिल को भी स्वस्थ रखता है। अगर आप अपने पोहे में मूंगफली मिलाते हैं, तो इससे आपके नाश्ते में कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही इससे एंटीऑक्सिडेंट और प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत बन जाता है। इसलिए अगर आप डाइटिंग कर रहे हैं, या मोटापे से परेशान हैं, तो अपने नाश्ते में मूंगफली को इग्नोर कर सकते हैं।
पोहा को प्रोबायोटिक माना जाता है। जैसे-जैसे यह आपके अंदर जाता है, अच्छे बैक्टीरिया को बरकरार रखते हुए आंत के स्वास्थ्य को बढ़ाता है। पोहे में आयरन की मात्रा ज्यादा होने के कारण यह आयरन की कमी से परेशान लोगों के नाश्ते के लिए बेहतर ऑप्शन होता है।
देसी पोहा जिंक, आयरन और पोटेशियम जैसे जरुरी खनिजों से भरपूर होता हैं। जिंक इम्युनिटी और मेटाबॉलिज्म में आपकी मदद करता है। बता दें कि आयरन आपकी ग्रोथ के लिए जरूरी है, और पोटैशियम फ्लूइड बैलेंस को फायदा पहुंचाने का काम करता है।
पोहा खाने के तरीके
पोहा एक ऐसा व्यंजन है जिसे आप कई तरह से खा सकते हैं। सब्जियों, हरी मटर को मिलाकर आप इसे जल्दी और हेल्दी तरीके से तैयार कर सकते हैं। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इसके ऊपर आप थोड़ा सा नीबू का रस भी डाल सकते हैं। कभी-कभी आप इसे गुड़ और नारियल के साथ मिलाकर भी खा सकते हैं। बिहार यूपी जैसे राज्यों में पोहा और दाही भी बहुत शोक से खाया जाता है। ये आपके पेट को ठंडा भी रखता है। इसके अलावा आप पोहे का परांठा भी बना कर खा सकते हैं। और पोहे की नमकीन भी बना कर नाश्ते के रूप में स्टोर करके रख सकती हैं।