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अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान की याददाश्त कमज़ोर होने लगती है। उसे भूलने की बीमारी हो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को अपने फैसले लेने में दिक्कत आती है। शुरुआती दौर में व्यक्ति हाल फ़िलहाल में किये अपने काम को ही याद नहीं रख पाता। फिर उसे निर्देशों को समझने और उनका पालन करने में दिक्कत होने लगती है। स्थिति और बिगड़ने पर उसे चीज़े समझने और बोलने में भी परेशानी होने लगती है।
टमाटर को करें खानपान में शामिल
उम्र बढ़ने खासतौर से 40 का पड़ाव पार करने कस साथ ही शरीर का बीपी बढ़ने या कम होने की परेशानी देखने को मिलती है। इस उम्र में डायबिटीज़ और दिल से जुडी बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उस उम्र में आपको अपने खानपान में बादाम, टमाटर, मछली आदि को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए। एक रिसर्च के मुताबिक बीस मिनट की कसरत के बाद 150 एमएल टमाटर का जूस लेने से कैंसर जैसे रोग से भी बचाव होता है। इसके अलावा ये दिल को स्वस्थ रखता है और दूसरी बिमारियों के प्रभाव को भी काम करता है।
हल्दी के ढ़ेरों फायदे हैं। ये त्वचा के लिए जितना लाभदायक है उतना ही आंतरिक फायदा भी पहुंचाता है। हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता है जिसे नैनोतकनीक से नैनो-पार्टिकल में एनकैप्सूलेट कर अल्जाइमर का इलाज करने में मदद मिल सकती है। हल्दी में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व करक्यूमिन के नैनो पार्टिकल के रूप में उपयोग से अल्जाइमर का इलाज हो सकता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कंपाउंड के नैनो साइज़ के चलते इसे दिमाग तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा। इतना ही नहीं यदि इस शोध पर आगे काम किया जाता है तो इसकी मदद से याददाश्त बनाए रखने के लिए ज़रूरी न्यूरोन्स के रिजनरेशन में भी मदद मिलेगी।
पीपल के पेड़ को लेकर भी एक शोध किया गया है जिससे अल्जाइमर से परेशान लोगों को उम्मीद की किरण नज़र आयी है। इस रिसर्च में अब यह बात सामने आयी है कि जिन एंज़ाइम की वजह से अल्जाइमर फैलता है उसकी गतिशीलता को पीपल की मदद से रोकने में मदद मिली।
रोज़ाना के तनाव और थकावट को दूर करने में इस थेरेपी की मदद कई लोग लेते हैं। अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी कुछ मानसिक बीमारियों से राहत देने में भी अरोमा थेरेपी काफी कारगर साबित हो सकती है। इस थेरेपी की मदद से तनाव कम करने में मदद मिलती है इसलिए इन रोगों से ग्रस्त लोगों को इस थेरेपी से काफी आराम होता है। मस्तिष्क को आराम मिलने और तनाव काम होने से लोगों को भूली हुई यादों को वापस लाने में भी मदद मिलती है।
योग की मदद से सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक लाभ भी मिलता है। आप अपनी याददाशत को तेज़ करने के लिए भी योग का सहारा ले सकते हैं।
करें प्राणायाम और ध्यान
प्राणायाम ना सिर्फ पूर्ण रूप से शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि यह आपके मस्तिष्क के लिए बेहतरीन दवा के तौर पर काम करता है। फर्श पर दरी या चटाई लगाकर सुखासन की अवस्था में बैठें और नियमित रुप से रोज सुबह अनुलोम-विलोम करें। अगर आप बेहतर नतीजे चाहते हैं तो उसके बाद 10 मिनट तक ध्यान करें।
इनसे बनाएं दूरी
अलजाइमर व ऐसे दूसरे रोगों से दूर रहना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने वज़न को नियंत्रित रखें, उसे बढ़ने ना दें। धूम्रपान और शराब का सेवन न करें। आप ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखकर भी इस खतरे से बच सकते हैं।
पीठ और रीढ़ की हड्डी की समस्याओं के लक्षणों में वजन घटना, शरीर के तापमान में वृद्धि (बुखार), पीठ में सूजन, पैर के नीचे और घुटनों में दर्द, मूत्र असंतुलन, मूत्र त्यागने में कठिनाई और जननांगों की त्वचा का सुन्न पड़ जाना शामिल है.
ऑफिस में काम के दौरान गलत पोज़िशन में लगातार चार-पांच घंटे तक बैठे रहने से कमर दर्द की शिकायत हो सकती है. बैठे रहना संभवत: नया धूम्रपान है और पीठ दर्द नवीनतम जीवनशैली का विकार है. बैठने की पोज़िशन और शारीरिक गतिविधि पर पर्याप्त ध्यान देना आवश्यक है. हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का मानना है कि आज लगभग 20 प्रतिशत युवाओं को 16 से 34 साल आयु वर्ग में ही पीठ और रीढ़ की हड्डी की समस्याएं हो रही हैं.
डॉ. अग्रवाल ने यहां जारी एक बयान में कहा है, "एक ही स्थिति में लंबे समय तक बैठने से पीठ की मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी पर भारी दबाव पड़ सकता है. इसके अलावा, टेढ़े होकर बैठने से रीढ़ की हड्डी के जोड़ खराब हो सकते हैं और रीढ़ की हड्डी की डिस्क पीठ और गर्दन में दर्द का कारण बन सकती है. लंबे समय तक खड़े रहने से भी स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है."
उन्होंने कहा, "शरीर को सीधा रखने के लिए बहुत सारी मांसपेशियों की ताकत की आवश्यकता होती है. लंबे समय तक खड़े रहने से पैरों में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है और रक्त के प्रवाह में रुकावट आती है. इससे थकान, पीठ और गर्दन की मांसपेशियों में दर्द की शुरुआत हो सकती है."
पीठ और रीढ़ की हड्डी की समस्याओं के लक्षणों में वजन घटना, शरीर के तापमान में वृद्धि (बुखार), पीठ में सूजन, पैर के नीचे और घुटनों में दर्द, मूत्र असंतुलन, मूत्र त्यागने में कठिनाई और जननांगों की त्वचा का सुन्न पड़ जाना शामिल है.
डॉ. अग्रवाल ने बताया, "योग पुरानी पीठ दर्द के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय है, क्योंकि यह कार्यात्मक विकलांगता को कम करता है. यह इस स्थिति के साथ गंभीर दर्द को कम करने में भी प्रभावी है. यदि आप सुबह उठते हैं या कुछ घंटे के लिए अपनी डेस्क पर बैठे होने पर थकान या दर्द का अनुभव करते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी मुद्रा सही नहीं है."
::/fulltext::अल्जाइमर आमतौर पर बुजुर्गों को होता है, लेकिन अब यह बीमारी बच्चों को भी हो रही है. जानिए इस रहस्यमयी बीमारी के बारे में सबकुछ.
मालती अकसर छोटी-मोटी चीजें इधर-उधर रखकर भूल जाया करती थी. कई बार उसे लगता उसकी याद्दाश्त कम हो रही है, लेकिन उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया. उस दिन हद हो गई जब वह अपने बच्चों को स्कूल से लाने के लिए घर से निकली और स्कूल का रास्ता भूल गई. वह घंटों सड़क पर कार दौड़ाती रही और उधर बच्चे स्कूल के बाहर मां का इंतजार करते रहे. बाद में पता चला कि मालती को अल्जाइमर है.
इसी तरह की एक अन्य घटना में अधेड़ उम्र के एक व्यक्ति की कमीज की जेब पर एक कार्ड लगा था, जिसपर उनका नाम, टेलीफोन नंबर और घर का पता लिखा था. पूछने पर पता चला कि उन्हें अल्जाइमर की बीमारी है और उन्हें घर से बाहर निकलने नहीं दिया जाता था. वह नजर बचाकर घर से निकलते तो उस स्थिति के लिए उनकी कमीज पर वह कार्ड लगा दिया गया था, ताकि अगर वह भटक जाएं तो कोई उन्हें घर पहुंचा दे. यह इस बीमारी के शुरुआती लक्षण हैं. उम्र और बीमारी बढ़ने के साथ साथ लक्षण गंभीर होने लगते हैं और व्यक्ति अपने आसपास मौजूद लोगों और यहां तक कि अपने पड़ोसियों, दोस्तों रिश्तेदारों, जीवनसाथी और अपने बच्चों तक को नहीं पहचान पाता.
विश्व अल्जाइमर दिवस
यह बीमारी अब केवल बूढ़ों तक ही सीमित नहीं रही है. यह अब बच्चों में भी देखी जा रही है. अल्जाइमर से पीड़ित लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए पूरी दुनिया में 21 सितंबर को 'विश्व अल्जाइमर दिवस' (World Alzheimer's Day) मनाया जाता है.
क्या है अल्जाइमर?
तमाम देशों में किए गए एक सर्वे के अनुसार, करीब साढ़े तीन करोड़ लोग इस बीमारी के शिकार हैं. बीमारी के कारण अब तक रहस्य ही हैं. अल्जाइमर रोग के लक्षण और प्रभाव स्पष्ट होने के बावजूद इसके कारणों को लेकर भ्रम की स्थिति है.
यह बीमारी दिमाग की कोशिकाओं को विकृत और नष्ट कर देती है, जिससे शरीर और दिमाग का संपर्क टूटने लगता है, स्मृति विलोप होने लगती है और तंत्रिका कोशिकाओं का संचार अवरुद्ध हो जाता है. इसके फलस्वरूप व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है और बीमारी में बेबसी के चलते व्यक्ति चिड़चिड़ा और शक्की होने लगता है.
अल्जाइमर के लक्षण
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. राजुल अग्रवाल ने बताया कि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को रोजमर्रा के कामकाज में परेशानी होती है, फोन मिलाने और किसी काम में ध्यान लगाने में दिक्कत आने लगती है, फैसला लेने की क्षमता कम हो जाती है, चीजें इधर उधर रखकर भूल जाते हैं, शब्द भूलने लगते हैं, जिससे सामान्य बातचीत में रूकावट आती है, अपने घर के आसपास के रास्ते भूल जाते हैं और उनके रोजमर्रा के व्यवहार में तेजी से बदलाव आता है.
अल्जाइमर के चरण
पी.एस.आर.आई हॉस्पिटल के न्यूरोसाइंसेज चेयरमैन डॉ शमशेर द्विवेदी बताते है कि अल्जाइमर रोग के भी तीन चरण होते हैं, प्रारंभिक चरण में रोगी अपने दोस्तों और अन्य व्यक्तियों को पहचान सकता हैं, लेकिन उसे लगता है की वह कुछ चीजें भूल रहा है. मध्य चरण में उसकी स्मृति के विलोप की प्रक्रिया और अन्य लक्षण धीरे धीरे उभरने लगते हैं. अंतिम चरण में व्यक्ति अपनी गतिविधियों को नियंत्रण करने की क्षमता खो देता है और अपने दर्द के बारे में भी नहीं बता पाता. यह चरण सबसे दुखदायी है.
अल्जाइमर की रोकथाम
इस रोग को रोकना तो संभव नहीं, लेकिन कुछ सामान्य उपाय करके रोगी की परेशानी को कम जरूर किया जा सकता है. डा. अग्रवाल बताते हैं कि उपरोक्त लक्षण दिखने पर व्यक्ति की तत्काल जांच कराएं. अल्जाइमर की पुष्टि होने पर पीड़ित को पौष्टिक भोजन देने के साथ ही सक्रिय बनाए रखें. माहौल गमगीन न होने दें और पीड़ित को अकेला न छोड़ें, उसे डिप्रेशन से बचाएं. रोगी के परिचित उसके संपर्क में रहें ताकि उनके चेहरे उसकी स्मृमि से विलुप्त न होने पाएं.
अल्जाइमर से कैसे बचें?
अब अगर इस बीमारी से बचाव की बात की जाए तो धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट, न्यूरो-सर्जरी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि आमतौर पर यह रोग बुढ़ापे में होता है लेकिन खान पान और इलाइफस्टाइल के परिवर्तनों के कारण यह समस्या कम उम्र में भी होने लगी है. अगर आपके किसी रिश्तेदार, दोस्त या परिचित में उपरोक्त लक्षण दिखते हैं तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें. रोग की जानकारी में ही इसका बचाव है. नियमित व्यायाम, पौष्टिक भोजन के साथ ही अगर रोगी को ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हृदय रोग में से कोई बीमारी है तो उनका पूरा इलाज करें और पीड़ित को तंबाकू और शराब से दूर रखें.