Friday, 14 March 2025

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घर में मौजूद दीवारों की सीलन को आमतौर पर हम गम्भीरता से नहीं लेते लेकिन मौजूद सीलन स्वास सम्बंधी गम्भीर रोगों को जन्म दे सकती है.....

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घर में मौजूद दीवारों की सीलन को आमतौर पर हम गम्भीरता से नहीं लेते लेकिन यह जानने के बाद की घर में किसी भी रूप में मौजूद सीलन स्वास सम्बंधी गम्भीर रोगों को जन्म दे सकती है, कोई भी अपने घर में पानी के रिसाव और उससे होने वाली सीलन को कभी पनपने नहीं देना चाहेगा. घर चाहें नया हो या पुराना, उसे सीलन से बचाना जरूरी है और इसके लिए वाटरप्रूफिंग कराना अनिवार्य होता है. इससे सभी प्रकार की सीलन से बचा जा सकता है और साथ ही बचा जा सकता है अस्थमा जैसी स्वास सम्बंधी गम्भीर बीमारी से, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह जान के साथ ही शरीर से जाती है.

Image result for सांस से जुड़ी समस्याओं को जन्म दे सकती है घर में आई सीलन

तो फिर अपने आशियाने को पानी के रिसाव या फिर सीलन से कैसे बचाया जाए? वॉटरप्रूफिंग के जरिए इस समस्या से निजात पाया जा सकता है लेकिन आज की तारीख में लोग वॉटरप्रूफिंग को निवेश के रूप मे देखा जाना चाहिए न कि लागत के रूप में. 

संजय ने बताया कि वाटरप्रूफिंग क्यों जरूरी है? किसी भी निर्माण सतह पर पानी का प्रवेश क्षय और दरार जैसे मुद्दों का कारण बनता है, जो लंबे समय तक संरचनात्मक क्षति का कारण बन सकता है. इसी प्रकार, दीवारों पर नमी मोल्ड वृद्धि में योगदान देती है, यह उन अनेक कारणों में से एक है जो अस्थमा जैसे श्वसन रोगों को जन्म देते हैं. इसलिए भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए घर में वाटरप्रूफिंग करना बेहद महत्वपूर्ण है.

ऐसे में नए घर के मालिकों को लंबे समय तक चलने वाली और सुंदर संरचना सुनिश्चित करने के लिए अपने नवनिर्मित घरों के लिए जलरोधक और अन्य सक्रिय उपायों की आवश्यकता होती है.

वाटरप्रूफिंग कहां की जाए?

कुछ नए घरों में बेसिक वाटरप्रूफिंग की जाती है, लेकिन यह सिर्फ छतों तक सीमित होती है. लेकिन अपने घर को ह्यए 5-प्वाइंट लीक-फ्री होमह्य बनाने के लिए जरूरी है कि घर के उन सभी हिस्सों में वाटरप्रूफिंग कराई जाए, जहां से पानी के घुसने की आशंका हो. ह्यए 5-प्वाइंट लीक-फ्री होमह्य का अर्थ है कि सिर्फ छत पर ही वाटरप्रूफिंग नहीं हो, बल्कि अंदरूनी गीले हिस्सों जैसे बाथरूम, किचन और बॉलकनी, बाहरी दीवारों, कंक्रीट वाटर टैंक और तल के निचले हिस्से में भी वाटरप्रूफिंग कराई जाए.

यह समझना महत्वपूर्ण है कि विभिन्न सतहों को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए इन सतहों में से प्रत्येक को जलरोधक बनाने के लिए अपनी श्रेणी के सर्वोत्तम समाधान का इस्तेमाल करना चाहिए. घर पूरी तरह से संरक्षित तभी होगा जब सभी पांच संभव जल प्रवेश क्षेत्रों में ठीक से वाटरप्रूफिंग कराई जाए. ये पांच सतह महत्वपूर्ण हैं और इसके कुछ कारण हैं, जो इस प्रकार हैं--

1. जमीन के नीचे - सतह का पानी समय की अवधि में बढता जाता है और आपके घर में प्रवेश कर सकता है, यह आंतरिक दीवारों को नुकसान पहुंचाता है.

2. आंतरिक गीले क्षेत्र (स्नानघर, रसोई और बालकनी) - ये क्षेत्र 365 दिनों तक यानी लगातार पानी के संपर्क में आते हैं, जिससे आंतरिक दीवारों पर पेंट खराब हो जाता है और पपडी देने लगता है.

3. छत - तापमान में होने वाले परिवर्तन के साथ ही छत की सतह में भी बदलाव होता है, जिससे आपकी सुंदर छत पर पानी का रिसाव होने लगता है और इससे पूरे घर में नमी आती है.

4. कंक्रीट वाटर टैंक - दरारों के गठन के कारण ये पानी के टैंक सतह के माध्यम से रिसाव का कारण बनते हैं. इसलिए इस क्षेत्र की सही ढंग से वाटरप्रूफिंग करना महत्वपूर्ण है.

5. बाहरी दीवारें - तापमान में परिवर्तन के कारण बाहरी दीवारों में दरारें पैदा होने लगती है, जिससे नमी आने लगती है और इसलिए आपके घर का लुक भी बिगडने लगता है.

यदि कोई नया मकान मालिक इस बात को लेकर उलझन में है कि ऑप्टिमम और दीर्घकालिक सुरक्षा के साथ उच्चतम गुणवत्ता वाले वाटरप्रूफिंग को कैसे सुनिश्चित किया जाए तो उन्हें बिना किसी हिचक के 5-पॉइंट लीक-मुक्त होम प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, एक व्यापक जलरोधक के लिए जो कि जरूरी है.

संजय ने कहा कि वाटरप्रूफिंग का उचित तरीके से किया गया काम यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य में आपके घर को कोई नुकसान नहीं होगा और घर पूरी तरह सुरक्षित है. हालांकि वाटरप्रूफिंग के काम को अतिरिक्त बोझ के रूप में देखा जाता है और बहुत सारे लोग इसके व्यापक फायदों पर विचार ही नहीं करते, खास तौर पर नए घर के निर्माण के मामले में. मैं यह बताना चाहता हूं कि वाटरप्रूफिंग को एक निवेश के रूप में ध्यान में रखा जाना चाहिए, न कि लागत के रूप में."

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सिर्फ 'COOL' दिखने के लिए युवा अपना रहे हैं ये जानलेवा आदत.....

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37 प्रतिशत लोगों ने माना की नौकरी पाने के बाद उन्होंने धूम्रपान बढ़ा दिया है. इस लिस्ट में 36-50 वर्ष के आयु समूह की महिलाएं अधिक धूम्रपान करती पाई गईं.

नई दिल्ली: लोग अपना स्वैग और स्टाइल दिखाने के लिए क्या कुछ नहीं करते. महंगे कपड़े से लेकर कूल हेयरस्टाइल्स तक, यंग जनेरेशन भीड़ से हटके दिखने के लिए बहुत से अतरंगी काम करती है. इसी लिस्ट में एक और काम शामिल है और वो है स्मोक. जी हां, ये उनकी आदत नहीं बल्कि भीड़ में कूल दिखने के लिए वो स्मोक करते हैं. 

एक सर्वे में पता चला है कि 23 प्रतिशत युवा (20-35 वर्ष) 'कूल' दिखने के लिए धूम्रपान करते हैं, जो कि ऐसा करने वाले 35-50 वर्ष के लोगों की तुलना में काफी अधिक है. सर्वेक्षण के अनुसार, 15 प्रतिशत युवाओं को धूम्रपान करते हुए अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने में कोई परेशानी नहीं है. इसके विपरीत, अधिक उम्र के 53 प्रतिशत लोगों का मानना था कि धूम्रपान व्यक्तिगत मामला है और 23 प्रतिशत ने माना कि उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी इस आदत को नहीं दिखाना चाहिए.

सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि व्यक्ति की भावनात्मक सोच अभी भी धूम्रपान का मुख्य कारक बनी हुई है. युवा समूह तनाव से निजात पाने के लिए धूम्रपान करते हैं, जबकि 35-50 वर्ष के व्यक्ति कार्य के दबाव को इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हैं. वहीं, 37 प्रतिशत लोगों ने माना की नौकरी पाने के बाद उन्होंने धूम्रपान बढ़ा दिया है. इस लिस्ट में 36-50 वर्ष के आयु समूह की महिलाएं अधिक धूम्रपान करती पाई गईं. 

सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत लोगों ने स्वीकारा कि उन्होंने धूम्रपान छोड़ने के लिए कभी भी कोशिश नहीं की क्योंकि यह उनके वश में नहीं है. जिन लोगों ने इस छोड़ने की कोशिश की, उन्होंने परिवार के दबाव और स्वास्थ्य संबंधी चिंता को सबसे बड़ा कारण माना.

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 युवावस्था में ही ऐसी जीवनशैली अपना लें जिससे न तो कॉलेस्ट्रोल बढ़े और न उच्च रक्तचाप अथवा हृदयाघात जैसी किसी समस्या का सामना करना पड़े......

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कॉलेस्ट्रोल से लड़ने की शुरुआत कम उम्र से ही होनी चाहिए। युवावस्था में ही ऐसी जीवनशैली अपना लें जिससे न तो कॉलेस्ट्रोल बढ़े और न उच्च रक्तचाप अथवा हृदयाघात जैसी किसी समस्या का सामना करना पड़े। अगर आप उन लोगों में से हैं जो अपना कॉलेस्ट्रोल दवाओं से कम करना चाहते हैं और अपनी जीवनशैली में किसी तरह का परिवर्तन नहीं कर रहे जैसे कि व्यायाम करना स्वास्थ्यकर भोजन करना अथवा वजन घटाने की कोशिश तो समझ लीजिए कि आप बिल्कुल गलत रास्ते पर चल रहे हैं।
 
यह रास्ता जल्द ही आपको अस्पताल की ओर ले जाएगा। विशेषज्ञ बताते हैं कि मोटापे की बढ़ती दर, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कॉलेस्ट्रोल समस्याएँ नौजवानों में काफी देखने में आ रही हैं। यही कारण है कि वे इतनी अधिक गोलियां खा रहे हैं। हालांकि इन गोलियों से कॉलेस्ट्रोल के स्तर को नीचे लाया जा सकता है लेकिन कॉलेस्ट्रोल को मैनेज करने का काम खुराक में बदलाव और शारीरिक तौर पर सक्रिय जीवनशैली के द्वारा ही करना चाहिए।
 
हाई कॉलेस्ट्रोल लेवल एक खामोश बीमारी है जो अपने आने का कोई संकेत नहीं देती। ज्यादातर लोगों को इसके बारे में पहले पहल तब मालूम पड़ता है जब वे अपना रुटीन फीजिकल एक्जामिनेशन और ब्लड टेस्ट कराते हैं। 20 साल की उम्र के बाद हर 5 साल में एक बार अपना कॉलेस्ट्रोल चेक करवाना चाहिए। सबसे बेहतर है 'लिपोप्रोटीन प्रोफाइल' कहलाने वाला टेस्ट करवाया जाए। इससे आपके कॉलेस्ट्रोल के बारे में पता लग जाता है।
 
* कुल कॉलेस्ट्रोल।
 
* एलडीएल (बुरा) कॉलेस्ट्रोल-यह हृदय की रक्त धमनियों में रुकावट का प्रमुख कारण है।
 
* एचडीएल (अच्छा) कॉलेस्ट्रोल-यह बुरे कॉलेस्ट्रोल के कुप्रभाव से दिल की रक्त वाहिकाओं को बचाता है।
 
* ट्राइग्लिसिराइड-रक्त में मौजूद एक प्रकार की वसा।
 
हमें हृदय रोगों से बचाता है। इसलिए इसके लिए ज्यादा नंबर अच्छे हैं। 40 एमजी/डीएल से नीचे का स्तर जोखिम पूर्ण है, क्योंकि इससे दिल की बीमारियों के पनपने का खतरा बढ़ जाता है। 60 एमजी/डीएल या इससे ज्यादा का एचडीएल स्तर हृदय को रोगों से बचाए रखने के लिए बहुत सहायक होता है।
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कुरकुरे पापड़ नहीं है हेल्‍दी, हार्ट डिजीज और हो सकती है एसिडिटी.....

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खाने के साथ अगर पापड़ मिल जाए, तो वाह कहने ही क्‍या खाना का मजा और भी दोगुना हो जाता है। दाल चावल हो या पूरी सब्‍जी पापड़ तो जैसे खाने की हर कमी को पूरा कर देता है। लेकिन क्या आपको पता है कि खाने का स्‍वाद बढ़ाने वाला चटपटा और कुरकुरा पापड़ आपके स्वास्थ्य का स्वाद भी बिगाड़ सकता है? दरअसल पापड़ कई तरह के होते हैं और इन्हें विभिन्न प्रकार के आटे से तैयार किया जाता है।

पापड़ों को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें कई तरह के आर्टिफिशियल फ्लेवर्स और कलर एड किये जाते हैं, जो कि सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं। जान‍िए पापड़ खाने के क्‍या कुछ नुकसान हो सकते है? 

1 पापड़ मतलब (लगभग 13 ग्राम)

 1 पापड़ मतलब (लगभग 13 ग्राम)

कैलोर‍िज - 35 से 40 कैलोरी

प्रोटीन - 3.3 ग्राम

फैट - 0. 42 ग्राम

कार्बोहाइड्रेड - 7.8 ग्राम

सोडियम- 226 मिली ग्राम

सोडियम बेंजोएट की मात्रा

पापड़ में सोडियम बेंजोएट जैसे प्रीज़र्वटिव (यानि पापड़ को लंबे समय तक सही रखने का तत्व) की मात्रा अधिक होती है। सोडियम बेंजोएट से आपके शरीर पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, सोडियम बेंजोएट और आर्टफिशल कलर के मिश्रण से बच्चों में अतिसक्रियता बढ़ सकती है। इसका मतलब हुआ कि ज्यादा पापड़ खाने से आपका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

नमक की अधिक मात्रा

इसमें नमक की मात्रा सोडियम बेंजोएट का स्रोत बन जाता है। जाहिर है नमक की अधिक मात्रा भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। ये हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज़, पानी की कमी और सूजन का कारण बन सकता है।

एसिडिटी का जोखिम
एसिडिटी का जोखिम

बाज़ार में उपलब्ध पापड़ को विभिन्न तरह के मसालों से तैयार किया जाता है। इससे आपका पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है और आपको एसिडिटी की समस्या हो सकती है।अधिक पापड़ खाने से पापड़ का आटा आंतों की परत को सख्त कर देता है जिससे कब्ज की शिकायत हो सकती है।

तेल की अधिक मात्रा

लोग पापड़ को तलने के बाद खाना ज्यादा पसंद करते हैं। जाहिर है तलने से इसमें भी तेल की मात्रा भी अधिक हो जाती है। ये आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाकर आपको हृदय रोगों की ओर ले जा सकता है।

 
बढ़ाता है मोटापा

पापड़ का सेवन करने से मोटापा बढ़ता है क्योंकि इसमें 2 रोटी जितनी कैलोरी होती है। अगर आप अपना वजन कम करना चाहते है तो इसका सेवन न करे।

अनहाइज‍ीन भी एक वजह

पापड़ को बनाने का तरीका आपके लिए चिंता का विषय हो सकता है। इसे धूप में खुले स्थान पर सुखाया जाता है। जाहिर है खुले स्थान पर वायु प्रदूषण के कारण ये ख़राब हो सकता है।

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