Friday, 14 March 2025

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हाईप्रोटीन डाइट, स्टेरॉयड एवं हार्मोन के इंजेक्शन इन सबके मिलेजुले दुष्प्रभाव के कारण कई युवा किडनी फेल्योर (गुर्दा काम न करना) के शिकार बन रहे हैं.... 

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ऐसे युवाओं की संख्या बहुत अधिक है, जो सलमान खान और ऋतिक रौशन जैसे बालीवुड अभिनेताओं की तरह का शरीर पाने के लिए जिम में जाकर घंटों तक खास तरह की एक्सरसाइज करते हैं.

युवाओं में सलमान खान, ऋतिक रौशन और टाइगर श्रॉफ जैसी बॉडी पाने की होड़ बढ़ रही है और इस होड़ में आज के युवा जिम में या अपने घर पर 'सिक्स पैक एब्स' पाने के लिए खास तरह की एक्सरसाइज करते हैं और हाईप्रोटीन डाइट लेते हैं. कई बार जिम इंस्ट्रक्टर शरीर के कुछ हिस्सों में मांसपेशियों में उभार लाने के लिए हाईप्रोटीन डाइट, स्टेरॉयड एवं हार्मोन के इंजेक्शन लेने की सलाह देते हैं, लेकिन इन सबके मिलेजुले दुष्प्रभाव के कारण कई युवा किडनी फेल्योर (गुर्दा काम न करना) के शिकार बन रहे हैं. 

मरीजों से प्राप्त जानकारियों के विश्लेषण एवं परीक्षणों से पता चला है कि उनकी किडनी फेल्योर का कारण सिक्स पैक्स बनाने के लिए जिम में कराई जाने वाली खास तरह की एक्सरसाइज एवं स्टेरॉयड एवं हार्मोन के इंजेक्शनों का प्रयोग है. नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया, "ऐसे युवाओं की संख्या बहुत अधिक है, जो सलमान खान और ऋतिक रौशन जैसे बालीवुड अभिनेताओं की तरह का शरीर पाने के लिए जिम में जाकर घंटों तक खास तरह की एक्सरसाइज करते हैं तथा स्टेरॉयड एवं हार्मोन के इंजेक्शनों का सहारा लेते हैं और अपनी किडनी खराब कर बैठते हैं." 

उन्होंने कहा, "आज के युवाओं के मन में एक्सरसाइज को लेकर कई तहर की भ्रांतियां बन गई हैं. वे अपने शरीर को स्वस्थ एवं चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए एक्सरसाइज नहीं करते, बल्कि अपने शरीर को बॉलीवुड या हॉलीवुड के हीरो की तरह के सिक्स पैक लुक पाने के लिए एक्सरसाइज करते हैं. जिम का ट्रेनर भी शरीर के शिल्पकार की तरह इन युवाओं के शरीर में बदलाव लाने के लिए खास तरह के एक्सरसाइज डिजाइन करता है. खास डायट प्लान बताता है. कई युवा आगे बढ़कर स्टेरॉयड एवं हार्मोन के इंजेक्शन लेने लगते हैं और इन सब का मिलाजुला दुष्प्रभाव यह होता है कि उनकी किडनी खराब हो जाती है."

डॉ. जितेंद्र ने कहा, "एक्सरसाइज एवं योग शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन इसे विकृत करके नहीं करना चाहिए. इसके अलावा लोगों को शारीरिक काम काज करना चाहिए, जितना हो सके पैदल चलना चाहिए. आज के समय में लोग सब्जी खरीदने भी कार से जाते हैं, लेकिन बाद में ट्रेडमिल पर पसीने बहाते नजर आते हैं."

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के शरीर की बनावट अलग होती है. बेहतर है कि किसी दूसरे के शरीर जैसा अपना शरीर बनाने के बजाय अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए हमें समुचित व्यायाम, योग, पैदल चलने और समुचित आहार जैसे उपायों को अपनाना चाहिए. 

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एलोवेरा एक एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर शरीर में होने वाली बीमारियों के खिलाफ एक कवच प्रदान करता है......

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आपने भी एलोवेरा के फायदों के बारे में खूब सुना होगा (Aloe vera benefits). इसे चेहरे पर लगाने से लेकर एलोवेरा जूस पीने तक, आप सिर्फ इससे कई फायदे उठा सकते हैं.

क‍िसी भी समस्या के लिए ज‍ितने कारगर घरेलू नुस्खे होते हैं उससे अच्छा कुछ और नहीं. जी हां, घरेलू नुस्खे ब‍िना किसी नुकसान के देते हैं आपको ऐसे फायदे जो कई बार आपकी समस्या को जड़ से ही खत्म कर देते हैं. ऐसे ही कई फायदे देता है एलोवेरा भी (Aloe Vera Ke Fayde). आपने भी एलोवेरा के फायदों के बारे में खूब सुना होगा (Aloe vera benefits). इसे चेहरे पर लगाने से लेकर एलोवेरा जूस पीने तक, आप सिर्फ इससे कई फायदे उठा सकते हैं. तो चलि‍ए एक नजर में देखें Aloe Vera के फायदों के बारे में- 

एलोवेरा के फायदे । Aloe vera Benefits in Hindi

आंखों के लि‍ए अच्छा है (aloe vera benefits for eyes): कई बार आंखों की समस्याएं आपके लाइफस्टाइल की देन होती हैं. ऐसे में दो चम्मच एलोवेरा जेल को पानी में मिलाएं और इससे आंखों को धो लें. ऐसा करने से आंखों को आराम मिलेगा, साथ ही जलन से छुटकारा मिलेगा.

पिंपल्स और टैनिंग को करें दूर (aloe vera benefits for face): आप अगर एलोवेरा के ज्यूस का सेवन करते हैं तो आप पिंपल्स व पिंपल्स के दागों से दूर रहते हैं. साथ ही टैनिंग की समस्या से भी मुक्ति पा सकते हैं.

जख्म भरे (Aloe Vera benefits for injury): अगर आपको कोई चोट लगी हुई है, या कोई घाव है, या फिर किसी कीड़े ने काट लिया है, तो होने वाली जलन से राहत पाने के लिए एलोवेरा का सेवन जरूर करें. ऐसा करने से आपके जख्म जल्दी भरेंगे.

aloe vera

झड़ते बाल व डैंड्रफ से छुटकारा (aloe vera benefits for hair): आजकल अधिकर लोग कम उम्र में ही गंजेपन का शिकार हो रहे हैं, वहीं कई ऐसे भी होंगे जो झड़ते बाल से निजात पाने के लिए रास्ता ढूंढ़ रहे होंगे. ऐसे में आप अपने कंडिशनर में केवल दो चम्मच एलोवेरा जेल मिला कर अगर बालों में लगाते हैं तो आप देखेंगे कि बालों में चमक के साथ-साथ मजबूती भी आ जाएगी.

जोड़ों के दर्द होंगे बंद (aloe vera gel for joint pain): अगर आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो आप ताजा एलोवेरा जेल को जोड़ों पर लगाएं. आपको दर्द से राहत जरूर मिलेगी.

मोटापे से छुटकारा (aloe vera for weight loss): कसरत व डाईट चार्ट को फालो करते-करते थक गए हैं तो अब आप एलोवेरा का सेवन करें. यह औषधि आपको प्राकृतिक रूप से वजन घटाने में आपकी सहायता करेगी.

साइनस से रहे दूर (How to use aloe vera against sinus): अधिकांश लोगों को इस तरह की समस्या सर्दियों में बढ़ जाती है. ऐसे में दवाई लेना मजबूरी हो जाती है. यदि आप एलोवेरा का सेवन करते हैं तो साइनस की समस्या से दूर रह सकते हैं.

दांतों की देखभाल (aloe vera for teeth): दातों में होने वाली समस्या जैसे कैविटी, दाग-धब्बे, मसूड़ों में दर्द आदि को एलोवेरा से दूर किया जा सकता है. सबसे बड़ी बात यह कि आप हमेशा फ्रेश रहते हैं.

एलोवेरा एक एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर शरीर में होने वाली बीमारियों के खिलाफ एक कवच प्रदान करता है.

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ब्रेस्‍ट कैंसर से बचने के लिए हर महीने घर पर ब्रेस्‍ट की खुद से जांच करना बेहद जरूरी है.....

 
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ब्रेस्‍ट कैंसर लाइलाज नहीं है लेकिन इसके लिए इसका सही समय पर पता लगना जरूरी होता है.

भारत में बीते एक दशक में ब्रेस्‍ट कैंसर के मामले कई गुना बढ़ गए हैं. ब्रेस्‍ट कैंसर पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं को कम उम्र में भी शिकार बना रहा है. भारतीय औरतों में ब्रेस्‍ट कैंसर होने की औसत उम्र लगभग 47 साल है, जो कि पश्चिमी देशों के मुकाबले 10 साल कम है. सही जानकारी, जागरुकता, थोड़ी सी सावधानी और समय पर इसके लक्षणों की पहचान और इलाज से इस समस्या को हराया जा सकता है.

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सीनियर कंस्लटेंट सर्जिकल ओंकोलॉजी, डॉक्टर सिद्धार्थ साहनी के मुताबिक ब्रेस्‍ट कैंसर का कोई एक खास कारण नहीं है. यह फेफड़े के कैंसर की तरह नहीं है, जिसमें अगर आप सिगरेट या तम्बाकू बंद कर दें तो इसे रोका जा सकता है लेकिन ब्रेस्‍ट कैंसर कई चीजों के कारण होता है. साहनी के मुताबिक ब्रेस्‍ट कैंसर लाइलाज नहीं है लेकिन इसके लिए इसका सही समय पर पता लगना जरूरी होता है.

साहनी के मुताबिक, 'यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका पता लगाकर जड़ से खत्म किया जा सकता है. इसके लिए शुरुआती जागरुकता बहुत जरूरी है. हर औरत को अपने आप अपने स्तनों की जांच करनी चाहिए और किसी भी तरह की असामान्य स्थिति में इसकी डॉक्टरी जांच करानी चाहिए. महिलाओं को महीने में एक बार ब्रेस्‍ट की जांच करनी चाहिए. यह नियमित तौर पर होना चाहिए. इसके लिए खुद को यह समझाना जरूरी है कि यह मेरे लिए सामान्य है.'

ब्रेस्‍ट की खुद से जांच करने के दौरान किस तरह की दिक्कतों को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए? इसे लेकर डॉक्टर साहनी ने कहा, 'एक महिला अपने ब्रेस्‍ट को अच्छी तरह जानती है. मसलन, उसका आकार क्या है, वगैरह. अगर जांच के दौरान किसी भी प्रकार की असामान्य बात नजर आती है तो उसकी जांच होनी चाहिए. समस्या टालने से बढ़ जाएगी और इसके बाद एक महिला को उसी के लिए लंबा इलाज कराना होगा.'

खुद से जांच करने का सबसे अच्छा समय क्या होता है? डॉक्टर साहनी ने कहा, 'जिन महिलाओं को पीरियड्स होते हैं, उन्‍हें पीरियड्स शुरू होने के 10 दिन बाद और जिनके पीरियड्स बंद हो गए हैं, वे महीने में एक दिन तय करें लें और जांच करें. दाहिने हाथ से बायां स्तन और बाएं हाथ से दाहिन स्तन गोल-गोल घुमाकर देखें और अगर कोई भी असामान्य बात नजर आती है, मसलन किसी भी प्रकार का दर्द या फिर निपल्स से किसी भी प्रकार सा स्राव होता है तो इसकी तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं.'
 
डॉक्टर साहनी के मुताबिक जो महिलाएं 40 साल पार कर गई हैं, उन्हें साल मे एक बार मैमोग्राफी करानी चाहिए. साहनी ने कहा, 'इस जांच से इस बीमारी का उस समय पता चलता है, जब आपको किसी भी प्रकार की समस्या का अहसास नहीं हो रहा होता है. अगर आपने किसी भी प्रकार की गांठ को नजरअंदाज किया तो वह कैंसर का रूप ले सकता है. बेशक यह जांच थोड़ी महंगी है लेकिन इसी से बचने के लिए जागरुकता और खुद से जांच करना बहुत जरूरी है. इस तरह जांच करने से बिना किसी मेडिकल टेस्‍ट के इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है और समय रहते इलाज हो सकता है. मैमोग्राफी के दौरान किसी भी व्यक्ति को रेडिएशन से कोई खतरा नहीं होता.'

ब्रेस्‍ट कैंसर कैसे होता है? इसे लेकर डॉक्टर साहनी ने कहा, 'यह एक पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन नाम का एक कम्पाउंड है. ये खाने के पदार्थो में पाए जाते हैं. मेकअप के सामानों में पाए जाते हैं. पॉलिश में पाए जाए जाते हैं. कास्मेटिक्स में पाए जाते हैं. इनका ब्रेस्‍ट कैंसर से सीधा सम्बंध है. ये जितने भी उद्योग हैं, वे पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन का उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि इससे उनका उत्पादन खर्च कम होता है. इसे पैरागन फ्री बनाने के लिए खर्च बढ़ जाता है. इसलिए कंपनियां इससे बचती हैं. यह दुनिया भर में होता है. ब्रेस्‍ट कैंसर का दूसरा कारण है फास्ट फूड का बढ़ता चलन. इसमें प्रोसेस्ड फूड और शुगर का बहुत ज्‍यादा इस्‍तेमाल शामिल है. जितना आप शुगर का इस्‍तेमाल करेंगे, आप मोटे होंगे और मोटापा कई बीमारियों का घर होता है.'

 

तो क्या ब्रेस्‍ट कैंसर से बचने के लिए खुद जांच बहुत जरूरी है? डॉक्टर साहनी करते हैं, 'इसके बिना आप मैमोग्राफी के लिए जा ही नहीं सकते. खुद से जांच करने के दौरान तीन बातों का खासतौर पर ध्यान रखा जाना चाहिए. आपको किसी भी तरह का बदलाव नजर आए तो सावधान हो जाइए. कोई भी बात असामान्य दिखे तो सावधान हो जाइए. ब्रेस्‍ट की स्किन के ऊपर कुछ भी असामान्य नजर आए तो सावधान हो जाइए. सबसे जरूरी बात, अगर निपल से बिना छुए कोई तरल पदार्थ निकल रहा है तो उसे गंभीरता से लीजिए. इसी कभी नजरअंदाज मत कीजिए.'

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