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शरीर के दर्द से छुटकारा पाने के लिए हम कोई भी एंटीबायोटिक दवाइयां खा लेते हैं. बिना यह जानें कि यह दवाई असली है या नकली.
शरीर के दर्द से छुटकारा पाने के लिए हम कोई भी एंटीबायोटिक दवाइयां खा लेते हैं. बिना यह जानें कि यह दवाई असली है या नकली. इसीलिए अब वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक दवाओं की प्रमाणिकता की जांच के लिए पेपर पर आधारित एक ऐसी जांच प्रणाली विकसित की है जिससे कुछ ही मिनट में पता चल जाएगा कि दवाई असली है या नकली. दवाई नकली होने पर यह कागज खास तरह के लाल रंग में तब्दील हो जाता है.
विकासशील देशों में बड़े पैमाने पर घटिया दवाओं का उत्पादक और वितरण होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि दुनियाभर में लगभग 10 फीसदी दवाइयां फर्जी हो सकती हैं और उनमें से 50 फीसदी एंटीबायोटिक के रूप में होती हैं. नकली एंटीबायोटिक दवाइयों से न केवल मरीज की जान को खतरा पैदा होता है बल्कि दुनिया भर में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध की बड़े पैमाने पर समस्या भी पैदा होती है. अनुसंधानकर्ताओं ने कागज आधारित जांच का विकास किया है जो तेजी से इस बात का पता चल सकता है कि दवाई असली है या नहीं या क्या उसमें बेकिंग सोडा जैसी चीजें मिलाई गई हैं.
::/fulltext::मच्छर का काटना न केवल आपको डेंगू या मलेरिया का शिकार बना सकता है बल्कि एलर्जी और स्वास्थ्य की कई समस्याएं भी पैदा कर सकता है। जानिए क्या होता है, जब मच्छर काटते हैं - जब भी आपको मच्छर काटते हैं तो जिस जगह पर ये काटते हैं वह जगह लाल होने के साथ ही फूल जाती है और खुजली पैदा करती है। ये असर मच्छर काटने कुछ ही सेकंड बाद शुरु होता है जो 48 घंटों तक बना रहता है और एलर्जी के रूप में फैल सकता है। इस एलर्जी के बढ़ने पर शरीर में मलेरिया, डेंगू बुखार, अनिद्रा, पीला बुखार, मेनिनजाइटिस जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।
आजकुल गुर्दा रोगियों द्वारा बड़े पैमाने पर इसे टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.
गुर्दे से जुड़ी बीमारियों में जहां संतुलित आहार जरूरी है, वहीं आयुर्वेद के कई फार्मूले भी कारगर पाए गए हैं. इसलिए 'नेशनल किडनी फाउंडेशन एंड द एकेडमी ऑफ न्यूट्रीशियन डाइटिक्स' ने गुर्दे के मरीजों के लिए 'मेडिकल न्यूट्रीशियन थैरेपी' की सिफारिश की है. फाउंडेशन का कहना है कि यदि गुर्दा रोगियों को हर्बल पदार्थो से परिपूर्ण और बेहतर आहार मिले तो बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है.
सर गंगाराम अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट मनीष मलिक कहते हैं कि यह सिफारिश महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि हाल में 'अमेरिकन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च' में एक भारतीय आयुर्वेदिक फार्मूले 'नीरी केएफटी' को गुर्दे के उपचार में उपयुक्त पाया गया. यह आयुर्वेदिक फार्मूला है लेकिन इसके इस्तेमाल से गुर्दा रोगियों में बड़ा सुधार देखा गया है. 'नीरी केएफटी' रक्त में सीरम क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड तथा इलेक्ट्रोलेट्स के स्तर में सुधार करता है. इसलिए आजकुल गुर्दा रोगियों द्वारा बड़े पैमाने पर इसे टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.
नीरी केएफटी को 'एमिल फार्मास्युटिकल' द्वारा तैयार किया गया है. एमिल के अध्यक्ष कहते हैं कि इसमें पुनर्नवा नामक एक ऐसी बूटी है जो गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को भी ठीक करती है. शिकागो स्थित 'लोयोला विश्वविद्यालय' के अध्ययनकर्ता डॉ. होली क्रमेर ने कहा कि ज्यादातर मरीजों को पता नहीं होता कि बीमारियों को नियंत्रित रखने में भोजन की क्या भूमिका है इसलिए अब आहार को गुर्दे की बीमारी के उपचार का हिस्सा बनाया जा रहा है. 'पांडिचेरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज' के प्रोफेसर एवं नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जी. अब्राहम भी इस शोध की पुष्टि करते हैं. उन्होंने एक शोध में पाया कि 42-77 फीसदी गुर्दा रोगी कुपोषण के शिकार थे.
दरअसल, गुर्दे की बीमारी के चलते वह पर्याप्त भोजन नहीं ले रहे थे. कुछ अपनी मर्जी से तो कुछ घरवालों की सलाह पर ऐसा कर रहे थे. अब्राह्म कहते हैं कि यदि ऐसे मरीजों पर ध्यान केंद्रित किया जाए तथा उन्हें उचित पोषाहार मिले तो बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.
::/fulltext::बारिश के मौसम में सिर्फ डेंगू ही नहीं बल्कि चिकनगुनिया भी आम हो गया है. हर साल चिकनगुनिया से पीड़ित लोगों की संख्या में बढ़त देखने को मिलती हैं. यह बहुत चिंता का विषय हैं और सही रोकथाम के लिए सावधानी बरतना समय की जरूरत बन गयी है. चिकनगुनिया के रोकथाम के लिए बहुत आवश्यक है की हम इस बीमारी के बारें में सही जानकारी रखें. सही जानकारी हमें सही सावधानी और बीमारी की रोकथाम में मदद करेगा.
चिकनगुनिया से लड़ने के लिए कुछ घरेलू उपाय
दादी के पास हर चीज के नुस्खें होते हैं. चिकनगुनिया के लिए भी लाभकारी घरेलु उपाय उपलब्ध हैं. इन नुस्खों के सहायता से आप चिकनगुनिया से घर पर लड़ सकते हैं. यह घरेलू उपाय चिकनगुनिया के लक्षणों में राहत पहुंचाने में कारगर हैं. ऐसे ही कुछ नुस्खें नीचे दिए गए हैं:
बीमारी से बचाव करना समझदारी है. चिकनगुनिया मच्छर के काटने से होती है. इसलिए आवश्यक है कुछ ऐसे उपाय अपनाना जो इस बीमारी को फैलने से रोके. ऐसे ही कुछ उपाय नीचे दिए गए हैं:
-चिकनगुनिया का मच्छर जमा हुए पानी में पनपता है. इसलिए यह आवश्यक है कि पानी को एक जगह जमा न होने दें
-कूलर के पानी को सप्ताह में कम से कम एक बार बदलें
-गमले, बर्तन और घर के चारों तरफ पानी जमा न होने दें
-मच्छरों को मारने वाले स्प्रे का प्रयोग करें
-युकलिप्टुस के तेल का मच्छरों के रोकथाम के लिए इस्तमाल करें
-बाहर निकलते समय स्वयं और बच्चों को पूरे शरीर ढकने वाले कपड़ें पहनाएं
-खिड़की और दरवाजों में जाली लगवाएं
-सफाई बनाएं रखें
-बुखार होने पर डॉक्टर से मिले और सही जांच करवाएं. सही जानकारी से हम चिकनगुनिया जैसे खतरनाक बीमारियों से लड़ सकते हैं और उसके सही रोकथाम के लिए कार्य कर सकते हैं.