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सपाट पेट चाहिए तो कुछ खास बातों से छुटकारा पाइए.
भारत की महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे आम कैंसर है और महिलाओं में सभी तरह के कैंसर का 27 फीसदी हिस्सा है. हालांकि इन रोगियों में से तकरीबन 70 फीसदी को कीमोथेरेपी से कोई लाभ नहीं पहुंचा है. जिन 30 फीसदी महिलाओं को कीमोथेरेपी का लाभ मिला उनके लिए यह जीवनरक्षक साबित हुआ है. एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है. ट्रायल एसाइनिंग इंडविजुअलाइज्ड ऑप्शंस फॉर ट्रीटमेंट (टेलरक्स) द्वारा किए गए अध्ययन में जिक्र किया गया है महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे आम कैंसर है और इन रोगियों में से लगभग 70 प्रतिशत को कीमोथेरेपी से कोई लाभ नहीं पहुंचा है. इस अध्ययन में दुनिया भर के छह देशों से स्तन कैंसर से पीड़ित 10,273 महिलाओं को शामिल किया गया.
मेडिलिंक्स इंक के सीईओ प्रसाद वैद्य ने इस बारे में कहा, "टेलरक्स के निष्कर्ष हजारों महिलाओं को टॉक्सिक कीमोथेरेपी उपचार से मुक्त कर सकता है, जो वास्तव में उन्हें लाभ नहीं पहुंचाता है."
दिल्ली के एम्स अस्पताल के सर्जीकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एस.वी.एस. देव ने कहा, "यह अध्ययन भविष्य में कैंसर के इलाज के तरीके को बदल देगा. सटीक दवा उपचार के युग में मरीजों के जोखिम के अनुसार व्यक्तिगत किया जाता है. ऑन्कोटाइप डीएक्स जैसे टेस्ट ऑन्कोलॉजी के प्रैक्टिस के भविष्य को बदल देंगे. सरकार और बीमा एजेंसियों को टेस्ट के खर्चो की प्रतिपूर्ति की अनुमति देनी चाहिए क्योंकि यह बड़ी संख्या में मरीजों को कीमोथेरेपी और साइड इफेक्ट्स से बचाकर पैसे बचाने में मदद करता है."
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट सर्जीकल ऑन्कोलोजी डॉ. रमेश सरीन ने कहा, "यह एक बेहद अच्छी तरह से आयोजित अध्ययन और साथ ही प्रासंगिक भी है. अपने बालों को खोने का विचार, बहुत अस्वस्थ नहीं होने और अन्य प्रमुख साइड इफेक्ट्स से परहेज करने का विचार निश्चित रूप से इसके टेस्ट को उपयोगी बनाता है. सिर्फ एक स्कोर की मदद से, टेस्ट यह पुष्टि कर सकता है कि आपको कीमोथेरेपी की आवश्यकता है या नहीं."
उन्होंने कहा, "मैंने देखा है कि 50 से 60 प्रतिशत महिलाओं को कीमोथेरेपी की आवश्यकता नहीं है और उन्हें हार्मोनल थेरेपी के साथ ठीक किया जा सकता है-जो कि एक टैबलेट है."
देश में स्तन कैंसर के मामलों में 0.46 से 2.56 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है. दुनिया भर में डायग्नोस किए गए स्तन कैंसर रोगियों में से अधिकांश में हार्मोन-पॉजिटिव, एचईआर 2-निगेटिव, नोड-निगेटिव कैंसर पाया गया है.
::/fulltext::मुंबई में चूहों के जरिये फैलने वाले रोग Leptospirosis यानी लेप्टोस्पायरोसिस से चार लोगों की मौत हो जाने के बाद कीट नियंत्रण विभाग ने चूहों के 17 बिलों में कीटनाशक दवा का छिड़काव किया है ताकि रोग को फैलने से बचाया जा सके. लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणु रोग है, जो मनुष्यों और जानवरों को प्रभावित करता है. यह लेप्टोस्पिरा जीनस के बैक्टीरिया के कारण होता है. यह संक्रमित जानवरों के मूत्र के जरिये फैलता है, जो पानी या मिट्टी में रहते हुए कई सप्ताह से लेकर महीनों तक (Monsoon Sessions) जीवित रह सकते हैं.
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "अत्यधिक rain यानी बारिश और उसके परिणामस्वरूप बाढ़ से चूहों की संख्या में वृद्धि के चलते जीवाणुओं का फैलाव आसान हो जाता है. संक्रमित चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लेप्टोस्पायर्स होते हैं, जो बाढ़ के पानी में मिल जाते हैं. जीवाणु त्वचा या (आंखों, नाक या मुंह की झल्ली) के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, खासकर यदि त्वचा में कट लगा हो तो."
कैसे पहचानें
लेप्टोस्पायरोसिस के कुछ लक्षणों में-
- तेज बुखार
- सिरदर्द होना
- ठंड लगना
- मांसपेशियों में दर्द महसूस होना
- मितली या उल्टी होना
- आंखों का लाल होना
- पेट में लगातार या रुक-रुक कर दर्द होना या दस्त लगना
- या पीलिया भी इसका लक्षण हो सकता है.
ध्यान रहे-
किसी व्यक्ति के दूषित स्रोत के संपर्क में आने और बीमार होने के बीच का समय दो दिन से चार सप्ताह तक का हो सकता है. डॉ. अग्रवाल ने कुछ सुझाव दिए जैसे कि गंदे पानी में घूमने से बचें. चोट लगी हो तो उसे ठीक से ढंके. बंद जूते और मोजे पहन कर चलें. मधुमेह से पीड़ित लोगों के मामले में यह सावधानी खास तौर पर महत्वपूर्ण है. अपने पैरों को अच्छी तरह से साफ करें और उन्हें मुलायम सूती तौलिए से सुखाएं. गीले पैरों में फंगल संक्रमण हो सकता है. पालतू जानवरों को जल्दी से जल्दी टीका लगवाएं, क्योंकि वे संक्रमण के संभावित वाहक हो सकते हैं.
क्या करें-
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "बीमारी का रोगी के इतिहास और शारीरिक जांच के आधार पर निदान किया जाता है. गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को उचित चिकित्सा परीक्षण कराने को कहा जाता है. शुरुआती चरण में लेप्टोस्पायरोसिस का निदान करना मुश्किल होता है, क्योंकि लक्षण फ्लू और अन्य आम संक्रमणों जैसे ही प्रतीत होते हैं. लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज चिकित्सक द्वारा निर्धारित विशिष्ट एंटीबायोटिक्स के साथ किया जा सकता है."
उन्होंने कहा, "जो लोग लेप्टोस्पायरोसिस के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आते-जाते हैं, उन्हें तालाब में तैरने से बचना चाहिए. केवल सीलबंद पानी पीना चाहिए. खुले घावों को साफ करके ढंक कर रखना चाहिए."
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