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मानव शरीर में एक ऐसी सुरक्षा प्रणाली होती है जो शरीर को रोगों से बचाकर स्वस्थ रखती है। शरीर में पैदा होने वाले कीटाणु और विषाक्त पदार्थों से ये छुटाकरा दिलाता है। शरीर की इस सुरक्षा प्रणाली को इम्यून सिस्टम कहा जाता है और ये हमारी सेहत को दुरुस्त रखने में अहम भूमिका निभाता है। स्ट्रेस, कुछ रोगों और दवाओं के साइड इफेक्ट्स और खराब जीवनशैली के कारण इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं रह पाता है और इससे शरीर की कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती रहती है।
क्या आपने कभी हशिमोटो रोग के बारे में सुना है ? ये एक अन्य ऑटोइम्यून रोग है जिसके बारे में लोगों को कम ही पता है। तो चलिए जानते हैं हशिमोटो रोग के लक्षण, खतरे और इसके ईलाज के बारे में।
क्या है हशिमोटो रोग
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि हशिमोटो रोग एक ऑटो इम्यून रोग है जिसमें इम्यून सिस्टम मानव शरीर के प्रमुख अंगों में से एक एंडोक्राइन ग्लैंड यानि की थायराएड ग्रंथि पर आक्रमण करने लगता है।थाएराएड ग्रंथि एक छोटा सा एंडोक्राइन ग्लैंड होता है जो गले के नीचे स्थित होता है और ये शरीर की प्रमुख क्रियाओं जैसे मेटाबॉलिज्म, विकास के लिए हार्मोंस का उत्पादन करता है। हशिमोटो रोग के कारण इम्यून सिस्टम थायराएड ग्लैंड पर आक्रमण कर देता है। इससे सूजन होने लगती है जोकि थाएराएड रोग का रूप ले लेता है। हशिमोटो रोग की वजह से हुर्द सूजन हायपरथायरायडिज्म का रूप ले लेती है। ये बीमारी मध्य उम्र की महिलाओं में ज्यादा होती है। हालांकि, ये ऑटो इम्यून बीमारी महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही अपना शिकार बनाती है।
हशिमोटो रोग के लक्षण
आमतौर पर हशिमोटो रोग के लक्षण अंतिम चरण में दिखाई देते हैं लेकिल कुछ लोगों को गले में सूजन दिखाई देती है जोकि इस रोग का ही एक लक्षण है। हशिमोटो रोग के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं लेकिन अगर इनका ईलाज ना किया जाए तो ये सालों में भयंकर रूप ले लेते हैं।
इसके कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं :
हशिमोटो रोग के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं :
आनुवांशिक कारण
किसी ऑटोइम्यून रोग जैसे लुपुस, अर्थराइटिस या डायबिटीज़ आदि से ग्रस्त होना।
पर्यावरण विकिरण के संपर्क में आने के कारण
थायराएड सर्जरी होने के कारण
हार्मोनल ट्रीटमेंट या रेडिएशन थेरेपी की वजह से
हाई कोलेस्ट्रॉल
क्या आती हैं मुश्किलें
अगर समय रहते हशिमोटो रोग का ईलाज ना किया जाए तो निम्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
घेंघा रोग
अगर हशिमोटो रोग का ईलाज ना किया जाए तो सूजन की वजह से थाएराएड ग्लैंड का आकार बढ़ने लगता है। इस स्थिति को घेंघा कहते हैं और ये थायराएड ग्लैंड के अक्रियाशील होने की वजह से होता है।
ह्रदय रोग
हशिमोटो रोग के कारण ह्रदय रोग भी हो सकता है। अक्रियाशील थायराएड ग्रंथि की वजह से शरीर में एलडीएल की मात्रा बहुत बढ़ने लगती है जिससे धमनियां बंद हो जाती हैं और ह्रदय रोग पैदा करती हैं।
मानसिक विकार
हशिमोटो रोग का संबंध मानसिक विकार जैसे डिप्रेशन और लो सेक्शुअल लिबिडो से भी है। शरीर में थायराएड हार्मोंस की अस्थिरता के कारण मानसिक विकार हो सकता है।
मिक्सडेमा
अगर हशिमोटो रोग का ईलाज ना किया जाए तो इस गंभीर रोग के होने का खतरा रहता है। इसमें चक्कर आना, चेहरे और पैरों आदि में सूजन होना। इस रोग का ईलाज तुरंत करवाना चाहिए।\
जन्म विकार
रिसर्च में सामने आया है कि जो महिलाएं हशिमोटो रोग का ईलाज करवाए बिना बच्चे को जन्म देती हैं उनके शिशु में जन्म विकार जैसे बौद्धिक और स्वभाव में दिक्कत या ह्रदय और दिमाग या किडनी में समस्या का खतरा रहता है।
आमतौर पर हार्मोन टेस्ट से हशिमोटो रोग की पहचान की जा सकती है। इसके अलावा एंटीबॉडी टेस्ट भी किया जाता है। हशिमोटो रोग के ईलाज में दवाओं के ज़रिए शरीर में आर्टिफिशियल हार्मोन डाले जाते हैं जोकि थायराएड हार्मोंस के उत्पादन को नियंत्रित कर इसे लक्षणों को कम करता है।
::/fulltext::खसरा (मीजल्स) या शीतला रोग बच्चों में होने वाली बीमारी है, जो छूने से फैलती है.
रायपुर। प्रदेश में छह अगस्त से मीजल्स और रूबेला टीकाकरण महाअभियान शुरू होने जा रहा है। प्रदेश में 83 लाख बच्चों को टीके लगेंगे, जिले में 7.40 लाख बच्चों को। नौ माह से 15 साल तक और 10वीं में पढ़ने वाले बच्चों को टीके लगवाएं। इनसे कोई साइड-इफैक्ट नहीं है। यह जानकारी स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक ने पत्रकारों के एक सम्मेलन में दी। उन्होंने बताया कि यह टीका पूरी तरह से मुफ्त है, सभी स्वास्थ्य केंद्रों और स्कूलों में लगवाया जाएगा। मीजल्स, रूबेला बीमारियों से हर साल दुनियाभर में 1.40 लाख बच्चों की मौत होती है।
भारत में इनकी संख्या काफी अधिक है। छत्तीसगढ़ में फिलहाल मौत का कोई केस सामने नहीं आया है। स्वास्थ्य अमला लगातार दूरस्थ क्षेत्रों तक में नजर रखे हुए हैं। खसरा (मीजल्स) या शीतला रोग बच्चों में होने वाली बीमारी है, जो छूने से फैलती है। यह एक तरह के वायरस (मीजल्स वायरस) से होती है। इस बीमारी में पूरे शरीर पर लाल दाने या चकत्ते हो जाते हैं। बुखार, खांसी और नाक बहने की समस्या भी हो सकती है। रूबेला को जापानी खसरा या तीन दिनी मीजल्स भी कहते हैं। रूबेला वायरस द्वारा उत्पन्न अत्यंत शीघ्रता से फैलने वाला संक्रमण है। सचिव ने इस दौरान सभी सवालों के जवाब दिए।
::/fulltext::आजकल ज्यादातर लोग अपने लुक्स को लेकर काफी जागरूक रहते हैं। वे अपने झड़ते हुए बालों की समस्या को लेकर सैलून या क्लीनिक पहुंचते हैं ताकि वे इसके रोकथाम के लिये उपचार कर सकें, जो वास्तव में आपकी जेब पर काफी भारी पड़ता है। वैसे तो मार्केट में रोकथाम के लिये कई उपचार उपलब्ध हैं, लेकिन वे काफी मंहगे हो सकते हैं। फिर भी कुछ ऐसे घरेलु उपचार हैं जिनके इस्तेमाल से बालों का झड़ना दूर किया जा सकता है। इस जादुई उपचार के बारे में और जानने के लिए आगे पढ़ें...
बालों के झड़ने के लक्षण
अक्सर आप सोचते हैं कि आपके बाल क्यों झड़ रहे हैं? सभी के बालों के झड़ने का पैटर्न अलग-अलग हो सकता है। लेकिन कुछ आम लक्षण है जिससे बाल अत्यधिक झड़ते हैं:
सिर के शीर्ष पर पतले बाल: यह सबसे आम प्रकार है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है। पुरुषों में, बाल माथे से पीछे झड़ने शुरु हो जाते हैं जबकि महिलाओं में, हेयरलाइन बरकरार है लेकिन यह शेष बालों के हिस्सों में फैल रहा है।
गंजेपन का निशान: पैच में खोपड़ी के बाल झड़ने लगते हैं। खोपड़ी का यह हिस्सा खुजलीभरा और दर्दनाक भी हो सकता है।
बालों को ढीला करना: चिंता की वजह से भी आपके बाल झड़ने लग सकते हैं। जिससे मुट्ठीभर बाल गिरने लगता है। यह बालों के पतले होने की वजह बनता है।
स्कैल्प पर स्केलिंग का पैच: यह दाद का भी संकेत हो सकता है। इससे आपकी खोपड़ी में सूजन के साथ-साथ कभी रिसाव भी हो सकता है।
पूरे शरीर पर बालों का झड़ना : कुछ चिकित्सीय स्थितियों या उपचारों के कारण अत्यधिक बाल झड़ने लगते हैं। उदहारण के लिये कीमोथेरेपी( (कैंसर उपचार के लिए उपयोग किया जाता है)। खोए हुए बाल आमतौर पर वापस लाते हैं।
बाल झड़ने का कारण-
•बालों का झड़ना तब शुरु होता है जब बालों का विकास और शेडिंग का चक्र बाधित हो जाता है या कुछ मामलों में हेयर फोलिकल खत्म हो जाता है जिससे बाल डैमेज होने लगते हैं:
•जैनिटिक समस्या- वंशानुगत बालों का झड़ना धीरे -धीरे उम्र के साथ बढ़ता है।
•हार्मोनल समस्या- कुछ चिकित्सा स्थिति भी आपके बालों को प्रभावित कर सकती है।
•दवाएं- कुछ दवाएं हेयर फोलिकल को प्रभावित कर सकती हैं और आपके बालों को डैमेज करती हैं।यह आमतौर पर कुछ दवाओं का दुष्प्रभाव होता है।
•रेडिएशन थेरेपी- ऐसी थेरेपी में, बाल कैसे प्राकृतिक रुप से वापस उग सकते हैं।सोचिए!
•तनावपूर्ण घटना- अवसाद का एक रूप आपके बालों के झड़ने का कारण बन सकता है।
•झड़ते बालों के लिए उपचार-अगर आपने बालों को स्टाइलिंग बनाने के लिये उपकरणों की मदद ली हैं तो आपके बालों की ताकत कम हो सकती है और आपके बाल गिर सकते हैं।
बालों के झड़ने के रोकथाम के लिये घरेलू उपचार
हमारे किचन में सबसे आवश्यक मसालों में से एक है और इसके बिना कोई भी सब्जी अधूरी लगती है। बालों के झड़ने के इलाज के लिये इस मसाले का इस्तेमाल किया जाता है। बालों के झड़ने को कम करने के लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, यह सामयिक अनुप्रयोग के रूप में नहीं है बल्कि हल्दी समृद्ध आहार के माध्यम से खपत के रूप में है।
क्या बालों का झड़ना रोक सकती है हल्दी?
बालों पर हल्दी लगाने से बैक्टीरिया और कवक से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है लेकिन जब बालों के झड़ने का इलाज करने की बात आती है, तो हल्दी पूरी तरह से लाभकारी हो सकती है।
हल्दी त्वचा के लिए सिर्फ अच्छी नहीं है बल्कि यह भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है जो बालों की समस्याओं को खत्म कर सकती है। हर दिन हल्दी के इस्तेमाल से आप बालों का झड़ना कम कर सकते हैं।
हल्दी का इस्तेमाल
बालों के झड़ने को रोकने के लिेए एक चौथाई चम्मच हल्दी काफी है। सुनिश्चित करें कि आप आधा चम्मच से अधिक हल्दी का इस्तेमाल न करें। हल्दी की अधिक मात्रा आपके शरीर में ऑक्सालेट की वृद्धि करेगी जो नुकसानदेह साबित हो सकता है। खासतौर पर उन लोगों के लिए जो किडनी स्टोन से ग्रसित होते हैं।
इसलिए, हर बार जब भी आप खाना बनाएं तो सब्जी में हल्दी का इस्तेमाल जरूर करें इससे स्वादिष्ट खाना बनने के साथ-साथ आपके बालों और त्वचा के लिये लाभदायक होगा। अपने खाने में काली मिर्च जोड़ना और बेहतर है जिससे हल्दी अवशोषण की अनुमति मिल जाएगी।
हल्दी के फायदे
हल्दी को सिट्रेट्रिक अल्पाशिया के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी में इलाज के लिये फायदेमंद है। यह हेयर फोलिकल को डैमेज होने से बचाता है और बालों का झड़ना रोकता है। हल्दी में एक सक्रिय घटक होता है, जिसे कर्क्यूमिन कहा जाता है जो बालों की विभिन्न बीमारियों को ठीक करने में अत्यधिक प्रभावी होता है। क्योंकि हल्दी में एंटीफंगल, एंटी उत्तेजक, एंटी-एलर्जिक, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक और जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं।
बालों के विशेषज्ञों और प्रमाणित ट्राइकोलॉजिस्ट कहते हैं कि हल्दी बालों को झड़ने से रोक सकता है क्योंकि बालों का झड़ना कुछ तनावपूर्ण स्थितियों के कारण और कुछ खोपड़ी संक्रमण के कारण होता है। स्कैल्प डिसऑर्डर का पहला संकेत है खोपड़ी में खुजली होना। यदि आप खोपड़ी की खुजली को अनदेखा करते हैं, तो बालों का झड़ना शुरु हो जाएगा और अंत में बाल पतले होने लगते हैं।
बालों के झड़ने से निपटने के दौरान याद रखने के लिए आवश्यक बातें
बालों का झड़ना आपको निराश कर सकता है लेकिन नीचे दिय़े गये घरेलु उपचार के बाद बालों के झड़ने को रोकने और इलाज से आपको आराम भी मिल सकता है।
•रोजाना एंटी-डैंड्रफ शैंपू का इस्तेमाल न करें। क्योंकि यह बालों की जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
•अपने बालों को फिर से भरने से पहले कम से कम 2 से 3 महीने का अंतराल रखें।
•एक ही समय में कई सारे उपचार न करें।
•गीले बालों में कभी कठोर कंघी का इस्तेमाल न करें।
•जैल, ड्रायर बालों में लगाने से बचें।
•लंबे बालों को रोजाना बन यानि जूड़ा बनाकर न बाधें।
•अपने बालों को हमेशा ड्राय न रखें।
::/fulltext::यूनिवर्सिटी ऑफ टोरोनटो के असिस्टेंट प्रोफेसर और ब्रॉडकास्ट मेडिकल जर्नलिस्ट डॉ. जोलीन हूबर ने इस स्पून टेस्ट पर रिसर्च की है।
रेग्यूलर चेकअप हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। हमारा शरीर हमें कुछ संकेत देता है लेकिन हम इसे नजरअंदाज कर देते हैं और यह नहीं समझते कि ये लक्षण किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या में तब्दील हो सकते हैं। यहां एक स्पून टेस्ट बताया जा रहा है जो कि आप अपने घर पर कर सकते हैं। इस टेस्ट के जरिए आप पता लगा सकते हैं कि आपको कोई बीमारी है या नहीं। एक चम्मच की सहायता से ये काम कर सकते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ टोरोनटो के असिस्टेंट प्रोफेसर और ब्रॉडकास्ट मेडिकल जर्नलिस्ट डॉ. जोलीन हूबर ने इस स्पून टेस्ट पर रिसर्च की है। इस अध्य्यन के जरिए चम्मच को जीभ पर लगाकर हेल्थ स्टेट्स चेक करने का ये ट्रीक अब काफी प्रचलित हो चुका है।
ऐसे करें स्पून टेस्ट
- यह टेस्ट सुबह उठकर खाली पेट करें। स्पून टेस्ट के पहले पानी भी न पीएं।
- सबसे पहले एक साफ चम्मच लें और उसके बेस को अपनी चीभ पर धीरे-धीरे रगड़ें।
- ऐसा तब तक करें जब तक इस पर लार न लग जाए।
- फिर इस चम्मच को किसी साफ पॉलिथिन में पैक कर दें।
- अब इस चम्मच को एक प्लास्टिक बैग में रखें और इसे सूरज या किसी तेज रोशनी में रख दें।
- फिर एक मिनट बाद आप इसे चेक करें। ध्यान रहें चम्मच के ऊपरी भाग को टच न करें।
अगर आपको इस चम्मच में कोई गंध नहीं आ रही हो, या फिर कोई धब्बा न लगा हो तो इसका मतलब है आपके आंतरिक अंग स्वस्थ हैं।
गंध या धब्बे हो तो..
- अगर इसमें से मीठी सी गंध आ रही है तो निश्चित तौर पर आपको डायबिटीज की समस्या हो सकती है।
- इसमें बदबू आ रही हो तो फेफड़े संबंधी समस्या की और इशारा है। फेफड़े में किसी संक्रमण का संकेत है।
- वहीं अगर इस चम्मच पर एक पीली सी परत दिखती है तो ये थाइरॉयड का संकेत हो सकता है। इसलिए इसे नजरअंदाज ना करें।
- अगर चम्मच पर सफेद रंग की परत चढ़ी दिखती है तो फिर ये आपके बॉडी में इन्फेक्शन होने का संकेत हो सकता है जिसकी आपको विस्तृत जांच करानी पड़ेगी।
- चम्मच पर अगर नारंगी रंग की परत दिखती है तो फिर ये किडनी से जुड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है।
- अगर पर्पल कलर का धब्बा लगता है तो यह पुअर ब्लड सर्कुलेशन, हाई कोलेस्ट्रोल लेवल का संकेत है।
स्पून टेस्ट के जरिए आपको एक आइडिया लग जाएगा कि कहीं न कहीं आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है और इसके बाद आप डॉक्टरी सलाह ले सकते हैं।
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