Thursday, 13 March 2025

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बारिश के मौसम में पानीपुरी बनाने में सफाई का ख्‍याल नहीं रखा जाता, जिससे बीमारियां फैलती हैं,..... 

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ऐसा कौन होगा जिसने पानीपुरी के चटखारे नहीं लिए होंगे? मसालेदार पानी के साथ खाई जाने वाली पानीपुरी को देश में अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कि गोलगप्पे, पानीपताशे, पुचका आदि। लेकिन गुजरात के वडोदरा शहर में लोग अब इसे नहीं खा पाएंगे, क्‍योंकि यहां नगर निगम ने साफ-सफाई का हवाला देते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। खबरों के मुताबिक, का कहना है कि बारिश के मौसम में पानीपुरी बनाने में सफाई का ख्‍याल नहीं रखा जाता, जिससे बीमारियां फैलती हैं, यही कारण है कि गुजरात के वडोदरा शहर में लोग अब पानीपुरी नहीं खा पाएंगे। इस मामले को लेकर वडोदरा नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने 50 ठिकानों पर छापेमारी की। इसके बाद पानीपुरी की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।

निगम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने शहर में पानीपुरी बनाने और बेचने वालों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की गई। स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस छापेमारी में तेल, सड़ा हुआ आटा, सड़े हुए आलू-चना जब्त किए जिनका इस्तेमाल पानीपुरीबनाने और बेचने में किया जा रहा था। यही कारण है कि शहर में इन दिनों लोगों को पानीपुरी के नाम से ही डर लग रहा है। निगम द्वारा वडोदरा के हुजरात पागा, हाथीखाना, तुलसीवाडी, समा, छाणीगांव, खोडियारनगर, नवायार्ड, वारसीया नरसिंह टेकरी, सुदामा नगर जैसे इलाकों में पानीपुरी बनाने वाले 50 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान 4000 किलो पानीपुरी, 3500 किलो आलू-चना, 20 किलो तेल, 1200 लीटर एसिड वाला पानी जब्त किया गया।
 
दूषित पानीपुरी और उसके पानी से टाइफाइड, पीलिया, फूड पायजनिंग का खतरा रहता है। शहर में बिक्री पर यह रोक मानसून खत्म होने तक जारी रहेगी। जब्त किए सारे सामान को नष्ट कर दिया गया है। स्वास्थ्य की दृष्टि से शुरू किए गए इस अभियान को वडोदरा के लोगों से भी सराहना मिल रही है।
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कम उम्र में बाल सफेद होना एक बीमारी है जिसे मेडिकल की भाषा में 'केनाइटिस' कहा जाता है।....

 

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आज के समय में युवाओं में बहुत ही कम उम्र से ही बालों के सफेद होने की समस्या आम होती जा रही है। कई लोग तो अपने बालों को अपनी संपत्ति की तरह समझते हैं जिसकी गुणवत्ता उन्हें आनुवांशिकी कारणों से मिली है यानी उनके माता-पिता व दादा-दादी के बाल भी मजबूत, काले व घने थे और समय से पहले नहीं पके थे, तो इसी का फायदा उन्हें भी उनके बालों में मिल रहा है।
 
बाल यदि युवावस्था ढलने के बाद और उम्र के कई बरस पार करने के बाद भी जब ग्रे होने लगते हैं, तब भी लोगों को यह नागवार-सा लगता है। लेकिन तब वे फिर भी अपने मन को उम्र का वास्ता देकर मना ही लेते हैं, क्योंकि कोई और विकल्प ही नहीं होता। लेकिन चिंता तो तब बढ़ जाती है, जब 20-25 साल की उम्र व उससे पहले ही लड़के व लड़कियों के बाल अपना प्राकृतिक रंग खो देते हैं व सफेद होने लगते हैं।
 
दरअसल, हमारे बालों का काला रंग एक प्रकार के पिगमेंट की वजह से होता है जिसे मेलानिन कहते हैं। यह पिगमेंट बालों के फोल्लिकल्स में और बालों की जड़ों के आस-पास व कोशिकाओं के नीचे पाया जाता है। जब हमारे सिर पर यह पिगमेंट बनना कम हो जाता है, तब हमारे बाल ग्रे आने लगते हैं।
 
 
लेकिन कम उम्र में ही यह पिगमेंट बनना कम कैसे हो जाता है? इसकी साफ वजह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन इसका मुख्य कारण आनुवांशिक ही माना जाता है। आपके जीन्स मेलानिन कोबनाने वाली कोशिकाओं में विकृति पैदा कर देते हैं या फिर कम उम्र में ही मेलानिन के उत्पादन को बंद कर देते हैं।
 
एक अध्ययन के मुताबिक अगर आपके पैरेंट्स और ग्रैंडपैरेंट्स के बाल कम उम्र में ही सफेद हुए थे तो फिर संभव है कि आपके साथ भी ऐसा ही हो। आनुवांशिकी वजह होने पर आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। लेकिन कम उम्र में बाल सफेद होना एक बीमारी है जिसे मेडिकल की भाषा में 'केनाइटिस' कहा जाता है।
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जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। आसान से उपाय आपका मजबूत कर सकते हैं।.....

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बरसात,वर्षा, बारिश, नाम चाहे कोई भी पुकारे हम लेकिन अहसास के स्तर पर यह मौसम मन को ठंडक पहुंचाने वाला है। समूची प्रकृति को इसके आगमन की प्रतीक्षा रहती है। लेकिन इस ऋतु में कुछ स्वास्थ्यगत समस्याएं भी सर उठाती हैं। सेहत की समस्या उन्हें जल्दी चपेट में लेती है जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। आसान से उपाय आपका मजबूत कर सकते हैं। 4 छुहारे एक गिलास दूध में उबाल कर ठंडा कर लें। प्रातः काल या रात को सोते समय, गुठली अलग कर दें और छुहारें को खूब चबा-चबाकर खाएं और दूध पी जाएं।

दूसरा उपाय है : छुहारे या पिंड खजूर को तोड़ कर दरदरा पीस लें। इसे दूध में उबालें। खीर जैसा गाढ़ा हो जाए तो सभी प्रकार के ड्रायफ्रूट्स की कतरन मिलाकर गर्मागर्म परोसें। यह स्वादिष्ट इलाज के मौसम में सेहत के लिए भी गुणकारी है।
 
लगातार 3-4 माह सेवन करने से शरीर का दुबलापन दूर होता है, चेहरा भर जाता है। सुंदरता बढ़ती है, बाल लंबे व घने होते हैं और बलवीर्य की वृद्धि होती है। यह प्रयोग नवयुवा, प्रौढ़ और वृद्ध आयु के स्त्री-पुरुष, सबके लिए उपयोगी और लाभकारी है।
 
दमा : दमा के रोगी को प्रतिदिन सुबह-शाम 2-2 छुहारे खूब चबाकर खाना चाहिए। इससे फेफड़ों को शक्ति मिलती है और कफ व सर्दी का प्रकोप कम होता है।
 
कमजोर पाचन शक्ति वाले लोग चिकित्सक से पूछ कर ही उपाय आजमाएं।
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