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मानसून में कई बीमारियां हमें घेरे रहती हैं। इस मौसम में साफ सफाई का खासतौर पर ध्यान रखना पड़ता है। साफ-सफाई के अलावा इस मौसम में खानपान का भी ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। वरना छोटी सी चूक की वजह से बड़ा फूड प्वाइजिंग जैसी समस्या का हर्जाना चुकाना पड़ सकता है। मानसून में फूड प्वाइजिंग की समस्या बढ़ जाती है वजह बैक्टीरिया और जर्म्स। ऐसे में खाने-पीने की आदतों को सही करके फूड प्वाइजनिंग से बचाव किया जा सकता है। मानसून में आर्द्रता की वजह से बैक्टीरिया काफी जल्दी फैलते हैं।
वहीं साफ-सफाई भी फूड प्वाइजनिंग को दूर करने के लिए काफी अहम रहती है। फूड प्वाइजनिंग की हालत में पानी का भरपूर मात्रा में सेवन और दही का सेवन करना काफी फायदेमंद साबित होता है।
हाथों को रखें साफ
बारिश के मौसम में आप गंदे पानी के सम्पर्क में आते है। इस वजह से आप कई तरह के जर्म्स के सम्पर्क में भी आते है। इस मौसम में बाहर से आने पर हाथ जरुर साफ करें। इससे आप फूड प्वाइजनिंग के खतरें से दूर रहेंगे। ऐसे में खासकर खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद हाथों को साफ करना न भूले। इसके अलावा टॉयलेट से आने के बाद, घर पर अगर पालतू जानवर हैं तो उनको छूने के बाद भी हाथों को अच्छे से धोना चाहिए।
बासी खाना न खाएं
बारिश में बासी खाना नहीं खाना चाहिए। यह शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है। बारिश के दिनों में बासी खाने में जल्दी फंगस लगने का डर रहता है साथ में मक्खियां और मच्छर खाने के आसपास भिनभिनाते रहते हैं।अगर खाना बच जाता है तो उसे फ्रीज में रखें और कोशिश करें की जल्द से जल्द इसें खत्म कर दें।
सब्जियों को धोएं
खाना बनाने से पहले कच्ची सब्जियों को अच्छे से धोना चाहिए, ताकि इन सब्जियों पर मौजूद बैक्टीरिया साफ हो जाए। बरसात के दिनों सब्जियों में कीड़े लगना आम समस्या है इसलिए फूड प्वाइजनिंग से बचाव के लिए सब्जियों को धोना सही विकल्प है।
खाने को पूरी तरह से पकने दें। अगर खाना पूरी तरह से नहीं पका है तो उसमें विषैले तत्व रह जाते हैं जो शरीर को नुकसान देते हैं। ऐसे में खाने को तब तक पकाएं जब तक उसके विषैले तत्व बाहर न निकल जाएं।
फूड प्रोडक्ट को हमेशा एक्सपायरी डेट देखकर ही खरीदना चाहिए। कभी भी एक्सपायर फूड प्रोडेक्ट को न खरीदें। इससे फूड प्वाइजनिंग हो जाने की संभावना ज्यादा रहती है।
ट्रेवल मे न खाएं बाहर का फूड
अगर आप कहीं ट्रेवल कर रहे हैं तो ट्रेवल के दौरान अपने साथ घर का बना गरम और ताजा खाना ही ले जाएं। बाहर ठेले का खुला खाने से बचें।
::/fulltext::कैल्शियम एक रासायनिक तत्व है जिसकी मानव शरीर को बहुत आवश्यकता होती है। ये शरीर में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला खनिज है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए इसे महत्वपूर्ण माना गया है। दिमाग और शरीर के अन्य हिस्सों के बीच हैल्दी कम्युनिकेशन और हड्डियों को मजबूत और सेहतमंद बनाए रखने के लिए हम कुछ मात्रा में कैल्शियम का सेवन करते हैं। कैल्शियम कई चीज़ों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है जबकि कुछ प्रॉडक्ट्स और सप्लीमेंट में इसे डाला जाता है।
मानव शरीर में कैल्शियम कई तरह की भूमिका अदा करता है। आज इस पोस्ट के ज़रिए हम आपको बताएंगें कि हमारे शरीर को कैल्शियम की जरूरत क्यों होती है और हमें कैल्शियमयुक्त आहार क्यों लेना चाहिए और इसे पर्याप्त मात्रा में ना लेने पर शरीर में क्या होता है।
कैल्शियम से जुड़े तथ्य
हड्डियों की सेहत के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है।
विटामिन डी, कैल्शियम को अवशोषित करने में शरीर की मदद करता है।
दूध, ब्रोकली और टोफू कैल्श्यिम के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं।
कैल्शियम सप्लीमेंट्स के कुछ हानिकारक प्रभाव भी होते हैं जैसे कि जी मिचलाना या गैस आदि।
कुछ गहरे रंग की हरी सब्जियां जिनमें ऑक्सेलिक एसिड की मात्रा ज्यादा हो, वो शरीर की कैल्शियम को अवशोषित करने की क्षमता को घटा देती हैं।
हमें कैल्शियम की जरूरत क्यों पड़ती है ?
कैल्शियम शरीर में कई तरह की भूमिका निभाता है, जैसे कि :
हडि्डयों की सेहत
शरीर में लगभग 99 प्रतिशत कैल्शियम हड्डियों और दांतों में पाया जाता है। ये हड्डियों के विकास, उत्थान और रखरखाव के लिए जरूरी होता है। 20 से 25 साल की उम्र तक कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता है। इस दौरान हड्डियों की बढ़ने की क्षमता सबसे ज्यादा होती है। इस उम्र के बाद हड्डियों का घनत्व बंद हो जाता है लेकिन कैल्शियम हड्डियों को मजबूती देना बंद नहीं करता है और हड्डियों के घनत्व को कम होने से रोकता है जोकि एजिंग की प्रक्रिया का एक प्राकृतिक हिस्सा है।
जो लोग 20 से 25 की उम्र से पहले पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम का सेवन नहीं करते हैं उनमें हड्डियों के रोग ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बढ़ती उम्र में हड्डियों में जमा कैल्शियम खत्म होने लगता है।
मांसपेशियों में संकुचन
कैल्शियम मांसपेशियों में संकुचन करता है। ये ह्रदय की मांसपेशियों में भी काम करता है। जब नर्व मांसपेशी को उत्तेजित करती है तो कैल्शियम रिलीज़ होता है। यह मांसपेशियों में प्रोटीन को संकुचन का काम करने में मदद करता है। मांसपेशी को तभी आराम मिलता है जब कैल्शियम मांसपेशियों से बाहर पंप हो जाए।
ब्लड क्लॉटिंग
सामन्य ब्लड क्लॉटिंग में कैल्शियम अहम भूमिका निभाता है। क्लॉटिंग की प्रक्रिया में कई तरह के स्टेप्स होते है जिसमें केमिकल्स शामिल होते हैं। इन स्टेप्स में कैल्शियम अहम हिस्सा होता है।
अन्य भूमिका
कई एंजाइम्स के लिए कैल्शियम सह कारक होता है। इसका मतलब ये है कि कैल्शियम के बिना ये जरूरी एंजाइम्स ठीक तरह से काम नहीं कर पाते हैं। रक्त वाहिकाओं के आसपास की मुलायम मांसपेशियों पर कैल्शियम का असर पड़ता है। इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है। विटामिन डी के बिना शरीर में कैल्शियम का अवशोषण नहीं हो पाता है।
कैल्शियम युक्त फूड
सेहत विशेषज्ञों के अनुसार डायट्री कैल्शियम कई चीज़ों और ड्रिंक्स में पाया जाता है। हम विभिन्न स्रोतों से अपने शरीर की कैल्शियम की जरूरत को पूरा कर सकते हैं।
इन खाद्यों और पेय पदार्थों में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है :
डेन्डेलियन फूल और पत्तियां
दूध
चीज़
योगर्ट
केल्प, हिजिकी और वकामे
नट्स और बीज जैसे कि पिस्ता, तिल, बादाम और हेज़लनट
बींस
अंजीर
ब्रोकली
पालक
टोफू
इसके अलावा कई तरह के पेय पदार्थ जैसे सोया मिल्क और कई तरह के फलों के रस से भी कैल्शियम की आपूर्ति की जा सकती है।
अंडों में भी कैल्शियम होता है।
कुछ गहरे रंग की हरी सब्जियों जिनमें ओक्सेलिक एसिड होता है वो शरीर की कैल्शियम को अवशोषित करने की क्षमता घटा देती हैं।
हर दिन कितने कैल्शियम की जरूरत होती है
1 - 3 साल की उम्र में : 700 मिली ग्राम
4 - 8 साल की उम्र में : 1,000 मिलीग्राम
9 - 18 साल की उम्र में : 1300 मिलीग्राम
19 - 50 साल की उम्र में : 1000 मिलीग्राम
स्तनपान करवाने वाली और गर्भवती लड़की को : 1000 मिलीग्राम
स्तनपान करवाने वाली और गर्भवती महिला को : 1000 मिलीग्राम
51 - 70 साल की उम्र के पुरुषों को : 1000 मिलीग्राम
51 - 70 साल की उम्र की महिलाओं को : 1200 मिलीग्राम
71 से अधिक उम्र में : 1200 मिलीग्राम
कैल्शियम की कमी और कैल्शियम सप्लीमेंट्स
जिन लोगों में कैल्शियम की कमी होती है उन्हें कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है। इन सप्लीमेंट्स को उन चीज़ों के साथ लिया जाता है जो आसानी से कैल्शियम को अवशोषित कर लें और जिससे इसके हानिकारक प्रभाव कम हो जाएं। कोई भी सप्लीमेंट एक बार में 600 ग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
कैल्शियम सप्लीमेंट्स भी पूरे दिन में एकसाथ लेने की बताया धीरे-धीरे लेने चाहिए। दिन में दो से तीन सप्लीमेंट्स लेने चाहिए। कई सप्लीमेंट्स में विटामिन डी मिलाया जाता है क्योंकि ये शरीर में प्रोटीन को संश्लेषण करने में मदद करता है जिससे कैल्शियम अवशोषित हो पाता है। आजकल अपने लिए सही सप्लीमेंट चुन पाना बहुत मुकिश्ल है। कई तरह के कैल्शियम सप्लीमेंट्स मौजूद हैं जिन्हें विभिन्न तरह के मेल और सामग्री से बनाया जाता है। ये सब मरीज़ की जरूरत, मेडिकल स्थिति या वो कोई दवा ले रहा है या नहीं, इस बात पर निर्भर करता है।
कैल्शियम तत्व एक शुद्ध मिनरल होता है जोकि अन्य यौगिकों में प्राकृतिक रूप में होता है। कैल्शियम सप्लीमेंट्स में विभिन्न तरह के कैल्शियम यौगिक होते हैं और इनमें कैल्शियम की मात्रा भी अलग होती है। जैसे कि कैल्शियम कार्बोनेट में 40 प्रतिशत कैल्शियम का तत्व होता है। इस तरह के सप्लीमेंट सस्ते और आसानी से मिल जाते हैं। खाने के साथ इन्हें लेने पर ये आसानी से घुल जाते हैं क्योंकि इन्हें अवशोषित होने के निए पेट के एसिड की जरूरत होती है।
कैल्शियम लैक्टेट में 13 प्रतिशत कैल्शियम का तत्व होता है।
कैल्शियम ग्लूकोनेट में 9 प्रतिशत कैल्शियम का तत्व होता है।
कैल्शियम साइट्रेट में 21 प्रतिशत कैल्शियम तत्व होता है। इसे फूड के साथ या उसके बिना लिया जा सकता है।
कैल्शियम सप्लीमेंट्स के हानिकारक प्रभाव
कुछ मरीजों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण जैसे कि जी मितली, कब्ज और गैस या इन तीनों की शिकायत रहती है। कैल्शियम साइट्रेट के कैल्शियम कार्बोनेट के मुकाबले कम नुकसान होते हैं। खाने के साथ सप्लीमेंट्स लेने या दिन में दो-तीन बार करके लेने से इसके हानिकारक प्रभाव को कम किया जा सकता है। विटामिन डी के साथ-साथ कभी-कभी मैग्निशियम भी मिलाया जा सकता है।
इन बीमारियों में कैल्शियम की कमी हो सकती है :
एनोरेक्सिया और अन्य ईटिंग डिस्ऑर्डर
मैग्नीशियम का अत्यधिक सेवना करना
किसी दवा जैसे कीमोथेरेपी या कोर्टिकोस्टेरॉएड्स आदि का लंबे समय से सेवन करना
पैराथायराएड हार्मोन की कमी
प्रोटीन और सोडियम ज्यादा खाने वाले लोगों में भी कैल्शियम की कमी हो जाती है।
कुछ तरह के कैंसर
जो महिलाएं बहुत ज्यादा कैफीन, सोडा या शराब का सेवन करती हैं उनमें कैल्शियम की कमी का खतरा बहुत ज्यादा रहता है।
किडनी के फेल होने पर
पैंक्रियाटिक्स
विटामिन डी की कमी
फास्फेट की कमी
ऑस्टियोपोरोसिस
ऑस्टिोपेनिआ
कुछ लोगों को वेगन डाइट की वजह से भी कैल्शियम की कमी हो सकती है।
वहीं जिन लोगों में लैक्टोज़ के प्रति असंवेदनशीलता हो, अगर वो कैल्शियमयुक्त गैर-डेयर उत्पादों का सावधानी से सेवन ना करें तो उन्हें भी ये परेशानी हो सकती है।
::/fulltext::कार्डियोवास्कुलर डिजीज के कुछ परिचित चेतावनी संकेत हाई बीपी, तनाव और डायबिटीज आदि हैं। लेकिन इससे अधिक कुछ अन्य संकेत भी हैं, जो आप वास्तव में नहीं जानते हैं। लोग आमतौर पर इन जोखिम वाले कारकों पर ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन अगर आप इस पर ध्यान देना शुरू करते हैं, तो आप उन्हें अपने जीवन में कुछ बदलाव करने रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। काफी समय पहले से हृदय रोगों को रोकने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है। इन असामान्य बदलावों को ध्यान में रखते हुए, आपको नहीं पता होगा कि अपने आप को बचाने के लिए क्या करना है। हम आपको हार्ट अटैक के आश्चर्यजनक लक्षण बता रहे हैं, जिन्हें आप कभी नहीं जानते थे।
यौन रोग
अगर आपको बिस्तर पर अपने प्रदर्शन में परेशानी का अनुभव होता है, तो यह आपके दिल की स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय हो सकता है। जब रक्त वाहिकाएं अच्छी तरह से काम नहीं करती हैं, तो यौन समस्याएं हो सकती हैं।
बालों की हानि का मतलब सर्कुलेशन का नुकसान भी हो सकता है। एक अध्ययन के अनुसार सिर के गंजेपन और हृदय रोग के बीच एक संबंध है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि स्लीप एपनिया या खर्राटों वाले लोगों में अवरुद्ध वायुमार्ग हृदय रोग के उच्च जोखिम से जुड़े थे। यह दिल का दौरा पड़ने के आश्चर्यजनक लक्षणों में से एक है।
प्लास्टिक में बीसपेनॉल ए (बीपीए) नामक केमिकल पाया जाता है, जो अणु जैसा एस्ट्रोजन पैदा कर सकता है जिससे महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
माइग्रेन
हाल ही के एक अध्ययन में यह पता चला है कि जो महिलाएं महीने में एक बार माइग्रेन का अनुभव करती हैं, उनमें हृदय रोग का विकास होने की संभावना दो गुना होती है। यह दिल के दौरे के शीर्ष संकेतों में से एक है।
वैवाहिक तनाव
रिश्तों में नियमित रूप से किसी बात को लेकर बहस होने से महिलाओं के दिल पर बुरा असर पड़ता है। एक अध्ययन से पता चला है कि वैवाहिक तनाव से ग्रस्त महिलाओं में हृदय रोग के अतिरिक्त लक्षण देखे गए थे।