Wednesday, 12 March 2025

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30 वर्ष की उम्र के बाद गठिया और उसमें दर्द व सूजन की शिकायत होने लगती है और गलत खानपान से यह तकलीफ बढ़ भी सकती है...

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अक्सर लोगों को 30 वर्ष की उम्र के बाद गठिया और उसमें दर्द व सूजन की शिकायत होने लगती है और गलत खानपान से यह तकलीफ बढ़ भी सकती है। शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने पर भी इस तरह की समस्याओं में इजाफा होता है। ऐसी स्थ‍िति में आपके लिए मददगार होंगे यह 5 उपाय
 
* विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन कम करने में बेहद मददगार साबित होगा। इसके साथ ही चेरी, ब्लू बेरी जैसे फलों जूस, शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मददगार है।
 
* हाई फाइबर फूड का सेवन भी बढ़े हुए यूरिक एसिड को कम करने में सहायक है। यह यूरिक एसिड को सोखने में मददगार है। इसके अलावा अंगूर के बीजों का प्रयोग कई बीमारियों की दवाओं में किया जाता है।
 
* हरा धनिया एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है और एक तरह से डाइयूरेटिक की तरह काम करता है। इसका व इसके जूस का भरपूर सेवन करना गठिया और अन्य तकलीफों से निजात दिलाएगा।
 
* फैटी चीजें और अधिक मीठे खान-पान एवं पेय पदार्थों का सेवन यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में बाधा पैदा कर सकता है। यूरिक एसिड बढ़ने पर शराब और इन चीजों का सेवन न करें।
 
यानी सेब का सिरका, पानी के साथ मिलाकर लेना भी फासदेमंद है। डॉक्टर्स भी यूरिक एसिड का स्तर कम करने के लिए कुछ दवाएं देते हैं, जो आपकी और शरीर की प्रकृति के अनुसार दी जाती हैं। डॉक्टर की मदद लेना एक बेहतर उपाय साबित होगा।
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लौकी का जूस भले ही स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक कहा जाता हो लेकिन ध्‍यान रहे यह जानलेवा भी हो सकता है।....

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नई दिल्‍ली। सेहत और स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जागरुक लोगों का झुकाव हरी सब्‍जियों व फलों के प्रति बढ़ा है लेकिन अब इसके भी घातक मामले सामने आ रहे हैं। हाल में ही महाराष्ट्र के पुणे में लौकी का जूस पीने से एक 41 वर्षीय महिला की मौत हो गई थी। यह एक प्राइवेट कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर कंसल्‍टेंट नौकरी करती थी। इसके घटना के बाद से ही लौकी के जूस पर सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा और पहला सवाल तो यही है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ। आपने अक्‍सर लोगों को और डॉक्‍टरों को लौकी का जूस पीने की सलाह देते सुना और देखा होगा। ऐसे में इस तरह की घटना किसी को भी चौकाने के लिए काफी है। 

रोज लेती थीं लौकी का जूस

लौकी का जूस पीकर जिस महिला की मौत का जिक्र यहां पर किया जा रहा है उनके बारे में कहा जाता है कि वह अपनी सेहत को लेकर काफी जागरूक थीं। उन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी कोई बीमारी नहीं थी। रोजाना एक्‍सरसाइज, साइकिलिंग के साथ दौड़ लगाना उनकी दिनचर्या में शामिल था। इसी क्रम में वे फलों और सब्जियों का जूस भी लेती थीं। 12 जून को पांच किमी दौड़ लगाने के बाद महिला ने एक ग्‍लास लौकी का जूस लिया। उसके बाद ऑफिस के लिए निकलीं लेकिन कार मे ही उल्टी शुरू हो गई। जिसके बाद वे वापस घर लौट आई लेकिन तबियत बिगड़ती चली गई। 

चार दिन तक चला इलाज

इलाज के उन्‍हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। चार दिन तक इलाज चलता रहा लेकिन जहरीले जूस की वजह से महिला का ब्रेन हैमरेज हो गया और 16 जून को उनकी मौत हो गई।

कड़वा हो जाने के बाद बिल्‍कुल न पीएं जूस

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) द्वारा गठित एक्‍सपर्ट कमिटी ने 2011 में निर्देश जारी किया था कि यदि लौकी के जूस का स्‍वाद कड़वा हो तो इसे नहीं पीना चाहिए। कड़वे लौकी के जूस में ऐसे तत्‍व होते हैं जिसके कारण कई बीमारियां के साथ मौत का खतरा भी है।

2011 से ही आ रहे ऐसे मामले

क्रिटिकल केयर एक्‍सपर्ट कपिल बोरावाके के मुताबिक इससे पहले भी शहर में ऐसे मामले देखे गए हैं। उनका कहना है कि अगर जूस का स्‍वाद कड़वा हो जाए तो इसे नहीं पीना चाहिए। इसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं। डाक्टरों की मानें तो लौकी के जूस के कड़वा होने पर उसके अंदर जहरीला कंपाउंड कुकुरबिटासिन मिल जाता है जो इंसान की जान तक ले सकता है।

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प्रत्येक बीमारी कोशिकाओं के खराब होने का परिणाम है.....


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प्रत्येक बीमारी कोशिकाओं के खराब होने का परिणाम है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि यह बीमारी छोटी है या बड़ी। चाहे वह सामान्य सर्दी हो या मानसिक बीमारी या फिर कैंसर जैसी गंभीर स्थिति। हमारे शरीर की कोशिकाएं खराब तब होती हैं जब उनमें पोषक तत्वों की कमी पायी जाती है। महिलाओं के लिये, सबसे आम स्तन कैंसर या फेफड़ों का कैंसर होता है जबकि पुरुषों के लिये आमतौर पर प्रोस्टेट, फेफड़े और आंत कैंसर होता है। यहां तक कि अब गर्भाशय, गुर्दे और अग्नाशय जैसे कैंसर लगातार पुरुषों और महिलाओं में समय के साथ बढ़ते जा रहे हैं। कैंसर होने का कारण आपका रोज़ाना धूम्रपान, अधिक वज़न और शराब पीना हो सकता है। पानी के साथ बेकिंग सोडा पीने से ट्यूमर की वृद्धि और कैंसर कोशिकाओं के फैलाव को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

एक नए अध्ययन में पाया गया है कि बेकिंग सोडा कोशिकाओं को लक्षित करके कैंसर का इलाज करने में मदद कर सकता है। यह ट्यूमर की कोशिकाओं को सक्रिय करने के साथ-साथ इसके विकास को धीमा करने की भी कोशिश करता है। फार्मास्यूटिकल्स की तुलना में मैग्नीशियम क्लोराइड, आयोडीन, सोडियम बाइकार्बोनेट (बेकिंग सोडा), और विटामिन सी की खुराक बिना दुष्प्रभाव के उच्च स्तर में लाभदायक है। बेकिंग सोडा एक प्राकृतिक पदार्थ है जिसका प्रयोग हर घर में विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है। फिर भी आजतक कोई नहीं समझ सका कि इसका इस्तेमाल शरीर को ठीक करने और कैंसर को भी रोकने में भी किया जा सकता है। एक कैंसर रोगी में कैंसर कोशिकाओं की भीड़ मिलती है, खासकर जब रोगी में बड़ी मात्रा में lysis मौजूद होते हैं और clustered अवशेष के इन स्तरों को कोशिकाओं द्वारा नहीं समाप्त किया जाता है और यह बाद में फेफड़ों के कैंसर या मस्तिष्क के कैंसर रोगी के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि अवशिष्ट कैंसर कोशिका अवशेष की सामूहिक मात्रा को बहुत खतरनाक माना जाता है।

एक अध्ययन में पाया गया है कि बेकिंग सोडा कैंसर से लड़ सकता है क्योंकि यह ट्यूमर के अंदर कोशिकाओं को बेहतर करने की कोशिश करता है और कीमोथेरेपी दवाओं को मारने में मदद करता है। लुडविग इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च के वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया है कि बेकिंग सोडा, जो रसोईघर में सामान्य रूप से प्रयोग किया जाता है, कैंसर उपचार के लिए एक प्रभावी घटक है। यह शरीर के कैंसर ट्यूमर के अम्लीय प्रभावों के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। आइए जानें कि बेकिंग सोडा कैंसर का इलाज कैसे कर सकता है?

क्षारीय होता है

कैंसर आमतौर पर कैंडिडा नामक विषाक्त पदार्थ के कारण होता है, हालांकि, बेकिंग सोडा क्षारीय होता है इसलिये कैंडिडा बैक्टीरिया को सोडियम बाइकार्बोनेट (बेकिंग सोडा) के रूप में मारता है। कैंडिडा को पूरे शरीर को बाधित करने के लिए कहा जाता है, फिर भी, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कैंसर क्षारीय वातावरण में जीवित नहीं रह सकता है। क्षारीय गुण प्रभावी रूप से सूक्ष्मजीवों को खत्म कर सकते हैं।

स्वास्थ्य में सुधार

जिन लोगों को एसिड पीएच स्तर से समस्याएं होती हैं उन्हें सेल फिजियोलॉजी के साथ समस्या होगी और इसके अलावा, यहां तक कि असंतुलित आहार भी एसिड पीएच की स्थिति पैदा करेगा। जब असंतुलित पीएच स्तर होता है तो यह सेलुलर गतिविधियों को तोड़ देगा, जो कैंसर, मधुमेह और दिल की धड़कन जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। जैविक जीवन केवल तभी बेहतर काम कर सकता है जब यह गैर-अम्लीय होता है और बेकिंग सोडा का उपयोग करने से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता। बेकिंग सोडा एक प्राकृतिक यौगिक है, जो कई अलग-अलग तरीकों से अविश्वसनीय रूप से सहायक है। बेकिंग सोडा के साथ पीने का पानी ट्यूमर में सेल गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।

सेलुलर स्वास्थ्य में सुधार

ज़्यादातर लोग जो हर रात एक क्षारीय पेय लेते हैं, वे रासायनिक संवेदनशीलता के लक्षणों को कम करने में कामयाब रहते हैं। यह सूजन के खिलाफ सुरक्षा करता है और शरीर के अंगों में कैंसर कोशिकाओं के ज़हरीले रिसाव को रोकता है। ऐसे कई कारक हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं, जैसे free radical damage, UV rays, and chemical toxins क्योंकि वे सेलुलर मेटाबॉलिज़्म को बाधित करने का प्रयास करते हैं।

स्वास्थ्य में सुधार

हैरानी की बात है कि बेकिंग सोडा में स्वास्थ्य में सुधार करने की शक्ति है। एक गिलास पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा कोशिकाओं की सुरक्षा में मदद करता है। सप्ताह में दो बार इसे पीने से कोशिकाओं का कैंसरजन्य पदार्थों से कम संपर्क होगा, जो कैंसर को उत्तेजित करने की कोशिश करते हैं। पानी के साथ बेकिंग सोडा का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है और यदि आपको स्वाद पसंद नहीं है तो इसमें कुछ बूंदे नींबू या शहद मिला लें।

कवक पर हमला

बेकिंग सोडा कैंसर के लिये रामबाण इलाज है। इसमें सीधे कवक पर हमला करने की क्षमता होती है। यह एक प्राकृतिक पदार्थ है जो बच्चों और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता है। यह एक न्यूट्रीलाइजर है, जो विषाक्तता (toxicity) की इस उम्र में एक दवा के रूप में बेहद उपयोगी है।

ट्यूमर की अम्लता को कम करने की कोशिश

अध्ययन से यह भी पता चलता है कि यह एक निष्क्रिय एसिड है, जो ट्यूमर की अम्लता को कम करने की कोशिश करता है और इसके अलावा यह निष्क्रिय कोशिकाओं को सक्रिय करने में भी मदद करता है। जो लोग मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों से ग्रसित हैं, वे बेकिंग सोडा जैसे प्राकृतिक यौगिक से लाभ उठा सकते हैं।


 

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ऐसे अचूक घरेलू नुस्खे जो गैस और एसिडिटी की समस्या के लिए सदियों से अपनाए जा रहे हैं और रामबाण साबित हुए हैं.....

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हम अक्सर गैस जैसी समस्या से निपटने के लिए घरेलू नुस्खों को तलाशते हैं. तो हम आपको बता रहे हैं ऐसे अचूक घरेलू नुस्खे जो गैस और एसिडिटी की समस्या के लिए सदियों से अपनाए जा रहे हैं और रामबाण साबित हुए हैं

कब्ज, गैस, अफारा... ये वो परेशानियां हैं, जो सुनने में तो बड़ी ही छोटी लगती हैं, लेकिन जब इनका सामना करना पड़ता है, तो अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. गलत खान-पान की वजह से पेट से जुड़ी ये परेशानियां बढ़ जाती हैं. आज की भागमभाग भरी जीवनशैली में बार का उल्टा-सीधा खाना भी अवॉइड नहीं किया जा सकता. कई बार परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि आप कुछ भी कर पाने की हालत में नहीं होते. ऐसे में हम कई बार राहत पाने के लिए उल्टी सीधी दवाएं भी खा लेते हैं, जो सेहत को और नुक्सान पहुंचा सकती हैं. इसलिए हम अक्सर गैस जैसी समस्या से निपटने के लिए घरेलू नुस्खों को तलाशते हैं. तो हम आपको बता रहे हैं ऐसे अचूक घरेलू नुस्खे जो गैस और एसिडिटी की समस्या के लिए सदियों से अपनाए जा रहे हैं और रामबाण साबित हुए हैं....
 
पानी, एक अचूक नुस्खा:

पानी, एक अचूक नुस्खा के लिए इमेज परिणाम

गैस या एसिडिटी से छुटकारा दिलाने में पानी बहुत सहायक है. इससे बचने के लिए गुनगुना पानी पीएं. इससे न सिर्फ पाचन प्रक्रिया ठीक होती है, बल्कि गैस भी नहीं बनती. अगर आपको गैस की दिक्कत बार बार होती है, तो सादा गर्म पानी पीने के बजाए उसके साथ थोड़ी सी अज्वाइन या जीरा खा लें. इसे चबाने की जरूरत नहीं आप इसे पानी के साथ निगल सकते हैं. गैस की समस्या से बचने के लिए भोजन के बाद गुनगुना पानी पीएं. 

अदरक के फायदे हैं अनेक...

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क्या हो गर आपको एक ऐसा अचूक घरेलू नुस्खा मिले, जो एक नहीं कई समस्याओं का हल दे सके. जी हां, अदरक जी मिचलाना, अपच और पेट दर्द जैसी सभी समस्याओं को दूर करने की ताकत रखती है. गैस होने पर पेट दर्द और कई बार जी भी मिचलाने लगता है. ऐस में अदरक आपकी मदद कर सकती है. अदरक में दो तरह के केमिकल जिन्जेरॉल्स और श्गॉल्स होते हैं, जो पेट की अंदरूनी सफाई करते हैं. ये गैस के साथ ही एसिडिटी की समस्या से भी राहत दिलाते हैं. तो गैस होने पर अदरक के रस में गर्म पानी और शक्कर मिलाएं और इसे पीएं.

काली मिर्च

 black pepper


काली मिर्च भी कई परेशानियों से निजाद दिलता है. काली मिर्च लाभकारी होती है. इसे खाने से शरीर में लार और गैस्ट्रिक जूस की मात्रा बढ़ती है, जो पाचन प्रक्रिया को आसान बनाती है. इसलिए गैस से बचने के लिए अपने आहार में काली मिर्च को शामिल करें. 

सौंफ

 fennel tea


मां अक्सर खाने के बाद सौंफ देती है. इसका मतलब यह नहीं कि वह सिर्फ माउथ फ्रेशनर के तौर पर आपको सौंफ दे रही है. सौंफ के सेवन से गैस्ट्रिक व एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याओं को दूर होती है. खाने के बाद सौंफ खाने से पेट की परेशानियों से लाभ मिलता है.

अजवाइन

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गैस होने पर या कब्ज होने पर अजवाइन रामबाण साबित हो सकती है. अगर पेट में दर्द है या गैस की दिक्कत है, तो आधा चम्मच अजवाइन और आधा चम्मच नमक को गर्म पानी के साथ खाएं. इससे परेशानी दूर होगी. 

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RO no 13129/5 D
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 Divya Chhattisgarh

 

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