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राजधानी में महामारी फैल सकती है, क्योंकि यहां के 122 अस्पतालों का पिछले दो महीने से मेडिकल वेस्ट नहीं उठ रहा है।
रायपुर। मानसून आने पर राजधानी में महामारी फैल सकती है, क्योंकि यहां के 122 अस्पतालों का पिछले दो महीने से मेडिकल वेस्ट नहीं उठ रहा है। राजधानी में एनजीटी के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। राजधानी में इन अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट खुले में निगम की डोर टू डोर कचरा उठाने वाली गाड़ियों से ले जाया जा रहा है। खुली गाड़ी में मेडिकल वेस्ट जाने से शहर में बीमारी फैल सकती है, जबकि इसे बंद गाड़ी में ले जाना चाहिए। नईदुनिया की टीम की पड़ताल में यह खुलासा हुआ है। वहीं रायपुर पर्यावरण मंडल ने मेडिकल वेस्ट उठाने वाली कंपनी पर कार्रवाई करने के बजाय अस्पतालों को नोटिस जारी किया है। वहीं सूत्रों की मानें तो मेडिकल वेस्ट उठाने वाली कंपनी अधिक पैसे की मांग कर रही है। इस कारण कंपनी अस्पतालों से मेडिकल वेस्ट नहीं उठा रही है। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि जिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया है, उन्हीं अस्पतालों का कचरा कलेक्ट किया जा रहा है।
गौरतलब है कि जिले भर में 500 सरकारी, गैर सरकारी हॉस्पिटल और नर्सिंग होम्स हैं जो कि कचरा का निष्पादन का जिम्मा भिलाई की ई-टेक कंपनी को मिला था। रायपुर में प्रतिदिन करीब करीब दो टन तक बायो मेडिकल वेस्ट निकल रहा है। कंपनी का काम बेहतर नहीं था। कंपनी के काम के दौरान रायपुर के सरोना ट्रेचिंग ग्राउंड समेत नालियों और कचरे में आए दिन बायो मेडिकल वेस्ट के फेंकने की शिकायतें आती रही थी । बायो मेडिकल को बाहर फेंकने से संक्रमण ब़ढ़ने का खतरा रहता है। शिकायत के बाद कंपनी को मेडिकल वेस्ट कलेक्ट करने की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया था। रायपुर में एसएमएस वाटर ग्रेस इन्वायरो प्रोटेक्ट प्रालि. को जिम्मेदारी -
मई 2018 के प्रथम सप्ताह से छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल के आदेश के मुताबिक मेसर्स एसएमएस वाटर ग्रेस इन्वायरो प्रोटेक्ट प्रालि रायपुर को अब मेडिकल वेस्ट निष्पादन के लिए अधिकृत किया गया है। कंपनी को 75 किलोमीटर के दायरे में स्थापित तकरीबन 500 चिकित्सालयों से उत्पन्न जैव चिकित्सा अपशिष्टों का निष्पादन करना है, लेकिन कंपनी द्वारा रायपुर जिले से सिर्फ 378 निजी एवं शासकीय अस्पतालों का ही मेडिकल वेस्ट उठा रही है। बाकी के 122 अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट गीला-सूखा कचरा कलेक्ट करने वाली गाड़ी के साथ खुले में जा रहा है। इससे भविष्य में महामारी फैल सकती है। सही ढंग से कचरे का निष्पादन नहीं -
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी ने सभी अस्पतालों को पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं कि मेसर्स एसएमएस वाटर ग्रेस इन्वायरो प्रोटेक्ट प्रालि. को मेडिकल वेस्ट के लिए चयनित किया गया है। कंपनी जिले भर के अस्पतालों से मेडिकल वेस्ट नहीं उठा रही है। इसकी शिकायत वार्ड क्रमांक 66 सुंदरलाल शर्मा के पार्षद मृत्युंजय दुबे ने रायपुर नगर निगम कमिश्नर को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट राजधानी में फेंका जा रहा है, मोहल्ले से गीला- सूखा कचरा उठाने वाली गाड़ियों में ही मेडिकल वेस्ट ले जाया जा रहा है, जबकि मेडिकल वेस्ट को अलग से गाड़ी में ले जाकर उसका निष्पादन नियमानुसार किया जाना चाहिए । मेडिकल वेस्ट का निष्पादन सही तरीके से नही होने के कारण राजधानी में आने वाली बारिश में महामारी फैलने का पूरा अंदेशा है। सामान्य कचरे के साथ नहीं ले जाया जाता -
अवशिष्ट पदार्थों को अस्पताल के अंदर और बाहर ले जाया जाता है. जो कर्मचारी ये काम करते हैं वे अपने हाथ में दस्ताने पहनते हैं और ये ध्यान रखा जाता है कि ये पदार्थ ट्राली से बाहर न फैलें, ऐसी गाड़ियों में साधारण कूड़ा नहीं रखा जाता है। जानकारों की माने तो मेडिकल वेस्ट को खुली गाड़ी में नहीं ले सकते हैं, यदि खुली गाड़ी में मेडिकल वेस्ट जा रहा है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। अस्पताल नहीं दे रहे कचरा -
मेडिकल वेस्ट कंपनी का कहना है कि जिले के सभी अस्पतालों को अवगत करा दिया गया है, लेकिन राजधानी की कुछ अस्पताल मेडिकल वेस्ट नहीं दे रहे हैं। वर्तमान में राजधानी की सिर्फ 378 अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट उठाया जा रहा है। - मनोज सेन गुप्ता, कंपनी प्लांट हेड कंपनी दो महीने से मेडिकल वेस्ट उठा रही है। विभाग ने सभी अस्पतालों को पत्र लिखा गया है कि इस कंपनी को मेडिकल वेस्ट उठाने की जिम्मेदारी दी गई है। - प्रकाश कुमार रावड़े, पर्यावरण विभाग रायपुर डोर टु डोर कचरा उठाने वाली गाड़ी में मेडिकल वेस्ट जा रहा है। इस पर यदि रोक नहीं लगाई गई तो शहर में महामारी फैलने की आशंका है।
::/fulltext::वैसे तो दूध सबसे हेल्दी ड्रिंक्स में से एक माना जाता है। इसमें विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन, नियासिन, फॉस्फोरस और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। लेकिन आज के समय में बाजार में मिलने वाले दूध में तरह-तरह की मिलावट की जाने लगी है। जिससे इसकी पोष्टिकता पर नकारात्मक असर तो पड़ता ही है कई बार तो इससे आपके शरीस को नुकसान पहुंचने की संभावना भी रहती है। कैमिकल्स मिलाने के कारण ये लिवर और किडनी पर बेहद बुरा असर डालता है। हम आपको बता रहे हैं मिलावटी दूध को पहचानने के तरीके और डायटीशियन रिंकी जैन बता रहीं है इसे पीने से होने वाली परेशानियों के बारे में....
मिलावट | कैसे करें पहचान | नुकसान |
डिटर्जेंट की मिलावट | इसकी जांच कर के लिए दूध में पानी मिलाएं, यदि झाग आए तो दूध में डिटर्जेंट मिला हुआ है। | डिटर्जेट मिले दूध में सोडा बहुत अधिक मात्रा में होता है जो किडनी, लीवर और हार्मोन्स आदि को नुकसान पहुंचा सकता है। |
सिंथेटिक दूध | सिंथेटिक दूध को हथेलियों के बीच रगड़ें यदि यह साबुन जैसा चिकना लगे तो यह सिंथेटिक दूध हो सकता है। इसके अलावा इसे गर्म करने पर यह हल्का पीला हो जाता है। |
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दूध में स्टार्च की मिलावट | दूध में स्टार्च की मिलावट की जांच करने के लिए दूध में कुछ बूदें आयोडीन टिंचर या आयोडीन सॉल्यूशन की डालें, यदि दूध का रंग नीला हो जाए तो इसका मतलब दूध मिलावटी है। |
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दूध में पानी | दूध की कुछ बूंदों को किसी प्लास्टिक या किसी अन्य वस्तु के प्लेन टुकड़े पर डालें। इसके बाद इसे थोड़ा टेढ़ा करें यदि दूध की बूंद सफेद लकीर छोड़ते हुए धीरे-धीरे बह रहीं हो तो इसका मतलब दूध में पानी की मिलावट नहीं है। वहीं अगर सफेद निशान न छोड़े तो इसका मतलब पानी की मिलावट की गई है। |
पानी की मिलावट करने से दूध पतला हो जाता है जिससे यह कम फायदेमंद रहता है। |
बच्चों और वृद्ध लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक
दवाओं के साथ भी हो सकता है कैमिकल रियेक्शन
क्यों की जाती है मिलावट?
योग से पाएं लंबा जीवन - हर कोई चाहता है कि जब तक वह जीवित रहे, स्वस्थ ही रहे। स्वस्थ रहते हुए ही अपने बच्चों को बड़ा होते देखे व अपने नाती-पोतों को भी खिला ले। स्वस्थ शरीर में रहते हुए लंबी उम्र जीना हर किसी की इच्छा होती है। योग से आप तन-मन से स्वस्थ रहने के साथ ही अपनी उम्र भी बढ़ाकर ज्यादा वर्षों तक जीवित रह सकते हैं। आइए जानते हैं योग के आसन प्राणायाम के बारे में जिसे कुंभक नाम से भी जाना जाता है, यह आपकी उम्र बढ़ाने में सहायक होता है...