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रायपुर. बहुचर्चित अंतागढ़ टेपकांड मामले में मंतूराम पवार एसआईटी दफ्तर के दफ्तर पहुंचे हुए है. मंतूराम पवार से एसआईटी की टीम पूछताछ कर रही है. क्राइम ब्रांच के दफ्तर में ही एसआईटी का अस्थायी दफ्तर बनाया गया है. मंतूराम पवार ने कहा कि पूर्व सरकार इस मामले की जांच करा चुकी है. नई सरकार बदले की भावना से एसआईटी की टीम गठित की है. उन्होंने कहा कि चुनाव नहीं लड़ना चाहता था इस वजह से नाम वापस लिया था. मेरे उपर लगे लेनदेन के आरोप झूठे है. बता दें कि मंतूराम पवार पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह करीब एक घंटे मुलाकात करने के बाद एसआईटी के दफ्तर पहुंचे है.
दरअसल 2015 में अंतागढ़ टेपकांड ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला दिया था. इस टेपकांड को इंडियन एक्सप्रेस सामने लेकर आई थी. इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर एक टेप के हवाले से छापी थी. जिसमें कथित रूप से अजीत जोगी के बेटे और तत्कालीन मरवाही विधायक अमित जोगी और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के दामाद डॉक्टर पुनीत गुप्ता के बीच बातचीत का कथित ऑडियो है. जिसमें दोनों कथित रूप से रुपयों के लेनदेन की बात कर रहे हैं. ये लेनदेन कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार के नाम वापिस लेने को लेकर है.
इस ऑडियो में 2014 में कांकेर ज़िले के अंतागढ़ में हुए उपचुनाव के दौरान की बातचीत है. जब कांग्रेस के उम्मीदवार मंतूराम पवार ने रहस्यमयी तरीके से नाम वापसी के दिन अपना नाम वापिस ले लिया. जिसके बाद बीजेपी उम्मीदवार भोजराम नाग चुनाव जीत गए.
::/fulltext::बिलासपुर। सिम्स के पॉवर रूम में लगी आग के बाद एनआईसीयू में भर्ती नवजात को रिफर करने के बाद दूसरे अस्पताल में मौत का मामला उलझ रहा है। नवजात के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में धुंए को मौत का कारण नहीं बताया गया है। इसके बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। सिम्स के पॉवर रूम के पैनल में बीते 22 जनवरी को लगी आग के बाद पहले ही दिन दो नवजात की मौत हो गई थी। इसके बाद लापरवाही का आरोप लगने पर प्रशासन ने नवजात के शव का पोस्टमार्टम कराया.
रिपोर्ट में तीन डॉक्टरों की टीम ने अब मौत के कारणों का उल्लेख नहीं किया है। इसके बाद नवजात के बिसरा को जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया है। पुलिस की ओर से बिसरा की जांच कर नवजात के मौत के सही करणों को बताने कहा गया है.
तीन की हालत अभी भी गंभीर
सिम्स से रिफर किए गए नवजात का शिशु भवन, महादेव हॉस्पिटल, सिहारे चिल्ड्रन अस्पताल और अपोलो में चल रहा है। इनमें से तीन नवजात की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। रिफर किए गए किसी भी नवजात को अभी डिस्चार्ज नहीं किया गया है।
प्रदेश के सभी अस्पतालों में इलेक्ट्रिक ऑडिट कराने दिया आदेश
सिम्स के पावर रूम में आगजनी की घटना के बाद राज्य शासन ने सभी अस्पतालों में इलेक्ट्रीकल ऑडिट कराने का आदेश दिया है। वहीं आपातकालीन समय में मरीजों को सुरक्षित निकालने व्यवस्था का आंकलन करने कहा गया है।
स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक के आदेश में सिम्स की घटना को संज्ञान लेते हुए कहा गया है कि इस तरह की घटना की किसी भी स्वास्थ्य संस्थानों में पुर्नावृत्ति ना हो इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशानुसार आदेश जारी किया गया है।
इसमें अस्पतालों के बिजली केबल की गुणवत्ता, क्षमता और निर्धारित भार क्षमता का नियमित परीक्षण और अस्पतालों में फायर ऑडिट किया जाना है। आकस्मिक दुर्घटना के समय सहज पहुंच मार्ग की व्यवस्था को देखने कहा गया है। वहीं आपात स्थिति से निपटने समयसमय पर विशेषज्ञों की राय और उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा करने कहा गया है.
::/fulltext::दुर्ग, 31 जनवरी 2019। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ फरवरी के छत्तीसगढ़ दौरे को आगे बढ़ाने की मांग करेंगे। इसके लिए वे प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखेंगे।
दुर्ग दौरे पर आए मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 8 फरवरी से बजट सत्र शुरू हो रहा है। इसी दिन बजट पेश किया जाएगा। इस मौके पर सारे मंत्री, विधायक विधानसभा में होंगे। ऐसे में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शामिल होने में दिक्कत होगी।
प्रोटाकॉल के अनुसार प्रधानमंत्री जब राज्य के दौरे पर आते हैं तो उस राज्य का मुख्यमंत्री भले ही उनकी पार्टी का न हो, लेकिन उन्हें रिसीव करने जाता है। पीएम का अगर सरकारी कोई कार्यक्रम हो तो उसमें भी मुख्यमंत्री मौजूद रहता है।
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ फरवरी को रायगढ़ आ रहे हैं। वहां वे एनटीपीसी के 1600 मेगावॉट प्लांट को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। उनकी वहां एक बड़ी सभा भी होगी। इसमें से लोकसभा चुनाव प्रचार का शंखनाद भी कर सकते हैं। एनटीपीसी सरकारी कंपनी है, इसलिए उसके उद्घाटन कार्यक्रम में राज्यपाल, मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे।
रायपुर। छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स) और पीडब्ल्यूडी के दफ्तर में ईओडब्ल्यू ने छापा मारा है. ईओडब्ल्यू चिप्स में हुए टेंडर घोटाले की जांच कर रही है. ईओडब्ल्यू की टीम आज सिविल लाइन स्थित चिप्स के दफ्तर पहुंचे और चिप्स के अधिकारियों से सारी फाईलों को अपने कब्जे में ले लिया. जहां सारी फाइलों को खंगाला जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक ईओडब्ल्यू की टीम कार्यालय में रखे कंप्यूटरों को भी अपने कब्जे में लेने जा रही है. बताया जा रहा है कि इस पूरी कार्रवाई में दर्जन भर से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि टीम को घोटाले से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण फाईलें मिली हैं जिन्हें जब्ती बना लिया गया है. फिलहाल दोनों ही दफ्तरों में अभी कार्रवाई जारी है.
आपको बता दें पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कैग की रिपोर्ट में साढ़े चार हजार करोड़ रूपए के इस घोटाले की जांच कराए जाने का ऐलान किया था. उनके इस ऐलान के बाद शासन की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग ने 23 जनवरी को संशोधित आदेश जारी किया था. घोटाले की जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू के आईजी एसआरपी कल्लूरी को दिया गया है. राज्य शासन ने आदेश में कहा था कि तीन महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश की जाए.
कैग की रिपोर्ट में यह बड़ा घोटाला उजागर हुआ था. कैग की आडिट रिपोर्ट के मुताबिक 17 विभागों के अधिकारियों द्वारा 4601 करोड़ के टेंडर में 74 ऐसे कंप्यूटर का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने के लिए किया गया था. उसी कंप्यूटर से टेंडर भी भरा गया. कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 लाख से 20 लाख के 108 करोड़ के टेंडर PWD और WRD प्रणाली द्वारा जारी न कर मैन्युअली जारी किये गए. रिपोर्ट के मुताबिक जिन 74 कंप्यूटरों से टेंडर निकाले गए उसी कंप्यूटरों से टेंडर वापस भरे भी गए. ऐसा 1921 टेंडर में हुआ. यानी कि 4601 करोड़ के टेंडर अधिकारियों के कंप्यूटर से भरे गए.
कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी एक दूसरे के संपर्क में रहने के संकेत मिलते हैं. कैग ने मामले में जांच की सिफारिश की है. रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि 5 अयोग्य ठेकेदारों को 5 टेंडर जमा करने दिया गया. इसके साथ चिप्स की कार्यप्रणाली पर भी कैग ने गंभीर सवाल उठाए कहा था कि चिप्स ने ई टेंडर को सुरक्षित बनाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किये. कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि 79 ठेकेदारों ने दो पैन नंबर टेंडर प्रक्रिया में इस्तेमाल किया. एक पैन का इस्तेमाल PWD में रजिस्ट्रेशन के लिए और दूसरा ई प्रोक्योरमेंट में किया गया. ठेकेदारों ने आयकर अधिनियम की धारा 1961 का उल्लंघन किया है. इन 79 ठेकेदारों को 209 करोड़ का काम दिया गया. नवंबर 2015 से मार्च 2017 के बीच 235 ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर 1459 विक्रेताओं ने किया. जबकि सभी विक्रेताओं को यूनिक id देने का प्रावधान किया गया था. एक ईमेल आईडी का इस्तेमाल 309 निवेदाकारों ने किया.
आडिट रिपोर्ट के जरिए कैग ने राज्य शासन को भेजी गई अपनी अनुशंसा में कहा था कि इस पूरे मामले में नियमों की जमकर अनदेखी की गई है. यह एक गंभीर अनियमितता का मामला है, लिहाजा इसकी बारीकी से जांच की जानी चाहिए. पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए भूपेश सरकार ने घोटाले की जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है. हालांकि कैग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश होने के बाद लोक लेखा समिति में भेजी जाती है, जहां इसका परीक्षण किया जाता है. बीते 15 सालों में कैग ने कई बड़े घोटालों का खुलासा किया है. विपक्ष की हैसियत से कांग्रेस यह मांग उठाती आई है कि घोटालों की निष्पक्ष जांच की जाए, लेकिन पिछली सरकार में यह दलील दी जाती रही कि चूंकि यह रिपोर्ट विधानसभा की लोक लेखा समिति में परीक्षण के लिए जाती है, लिहाजा जांच की जरूरत नहीं, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस व्यवस्था को बदलने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया. कैग की अनुशंसा के अनुरूप पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू से कराने का फैसला लिया.
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