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रायपुर - मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि शिक्षा के शस्त्र से दुनिया में बदली जा सकती है। संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर से लेकर सभी महान व्यक्तियों ने सामान्य परिस्थतियों से आगे बढ़कर जीवन में सफलता पायी है। डॉ. सिंह आज रात एक प्राइवेट चैनल द्वारा राज्य के प्रतिभावान स्कूली बच्चों को सम्मानित करने के लिए आयोजित आई.बी.सी. स्वर्ण शारदा स्कालरशिप समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. सिंह और योग गुरू स्वामी रामदेव ने हायर सेकेन्डरी बोर्ड की परीक्षा में प्रदेश में सर्वाधिक अंक हासिल करने के लिए संध्या कौशिक को सम्मानित किया । यह पुरस्कार उनके माता-पिता ने ग्रहण किया। कार्यक्रम में प्रदेश के सभी जिलों से प्रथम स्थान हासिल करने वाली छात्राओं और संभाग स्तर पर प्रथम आने वाले छात्रों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मेघा 2018 पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था में आए परिवर्तन का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य के बस्तर अंचल में नक्सलियों ने जब सात जिलों के स्कूलों को ध्वस्त कर दिया था तब पोटा केबिन के माध्यम से उन बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की गई। आज वहां के पोटा केबिनों में 30 हजार स्कूली बच्चे पढ़ते हैं। आस्था प्रसास और निष्ठा के माध्यम से इन क्षेत्रों के बच्चों ने साबित किया कि इन्हें अवसर मिले तो ये भी अपने जौहर दिखा सकते हैं। ये बच्चे कभी केवल शिक्षक बनने की सोचते थे आज आई.आई.टी, आई.आई.एम, और मेडिकल की पढाई कर रहे हें। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के समय 23 हजार स्कूल थे जो बढ़कर 65 हजार, स्कूल छोड़ने की दर 11 से घटकर एक प्रतिशत रह गई है। हाई स्कूल से कालेज में प्रवेशके लिए ग्रास इनरोलमेंट रेशियो पहले 3-4 प्रतिशत थी जो बढ़कर 18-19 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। उन्होंने इस अवसर पर सभी प्रतिभावान स्कूली बच्चों को अपनी शुभकामनाएं दी ।
समारोह को विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल और योग गुरू स्वामी रामदेव ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम में आध्यत्मिक गुरू श्री पवन सिन्हा, उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री केदार कश्यप, आई.बी.सी.24 के चेयरमेन श्री सुरेश गोयल सहित सहित बड़ी संख्या में प्रतिभावान छात्र-छात्राएं, उनके परिजन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
::/fulltext::छत्तीसगढ़ पुलिस की मोस्ट वांटेड नक्सलियों की सूची में टॉप पर रामन्ना का ही नाम है।
रायपुर । रामन्ना सुनने में भले ही एक साधारण नाम लगे, लेकिन बस्तर के लोगों के लिए यह एक बड़ा खौफ है। छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों की पुलिस इसकी तलाश में कई बार जंगलों की खाक छान चुकी है। रामन्ना उर्फ श्रीनिवास रेड्डी बस्तर, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व आंध्रप्रदेश में सक्रिय नक्सलियों का कमांडर है। इन राज्यों में नक्सली गतिविधियों का संचालन दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेड) करती है। यह उसका सचिव है। ताड़मेटला में 76 जवानों की हत्या से लेकर झीरमघाटी में कांग्रेस नेताओं की हत्या तक की घटनाओं के पीछे इसी की रणनीति बताई जाती है।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस पर 40 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा है। करीब 55 साल का यह दुर्दांत लाल आतंकी पुलिस की पकड़ से अब तक बाहर है। छत्तीसगढ़ पुलिस की मोस्ट वांटेड नक्सलियों की सूची में टॉप पर रामन्ना का ही नाम है। राज्य पुलिस ने छोटे-बड़े करीब सौ से अधिक नक्सलियों पर इनाम घोषित कर रखा है। बीते दो वर्षों में पुलिस ने इनमें से कुछ को मार गिराया है या गिरफ्तार करने में सफल रही है, लेकिन अब भी हिट लिस्ट में शामिल दर्जनों नक्सली पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
छत्तीसगढ़ के मोस्ट वांटेड नक्सली व उन पर घोषित इनाम
- रामन्ना उर्फ रावुला उर्फ श्रीनिवास रेड्डी, सचिव दक्षिण बस्तर स्पेशल जोनल कमेटी (40 लाख)
- गणेश उईके उर्फ गणेशन उर्फ सोमारू, सचिव दक्षिण बस्तर रीजनल कमेटी (25 लाख)
- रामधर कमांडर (25 लाख)
- अर्जुन डीवीसी प्रशिक्षण प्रभारी (25 लाख)
- राजमन मंडावी स्पेशल जोनल सदस्य (25 लाख)
- बसंत उर्फ रवि उर्फ बसंतू कमांडर रैंक (10 लाख)
- जैनम मंडावी कंपनी प्लाटून कमांडर (आठ लाख)
- खुसराम उर्फ चंदर कुरसम प्लाटून कमांडर (आठ लाख)
- विज्जा उर्फ बदरू डीवीसी सदस्य (आठ लाख)
- गोपी मोडयामी अध्यक्ष गंगालूर एरिया कमेटी (आठ लाख)
- दिनेश मोडयामी एलओएस कमांडर (पांच लाख)
- शंकर बेंजाम एलडीसी डिप्टी कमांडर (तीन लाख)
- पूनेम सोमलनी केकेडब्ल्यू सदस्य (एक लाख)
- हुंगा करमा डीवीसी सदस्य (आठ लाख)
- नागेश पदम एलजीएस कमांडर (पांच लाख)
::/fulltext::रायपुर। संगीत के मामले में भारत का कोई सानी नहीं है। संगीत हमारी रगों में बहता है, लेकिन राजधानी में संचालित संगीत महाविद्यालयों की स्थिति चिंताजनक है। नईदुनिया टीम गुरुवार को शहर के संगीत महाविद्यालयों में पहुंची। प्रशिक्षण दे रहे शिक्षक और पढ़ाई कर रहे छात्रों के बारे में जानने की कोशिश की तो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। यह सामने आया कि किस तरह संगीत महाविद्यालय सीमित प्रशिक्षकों में भी महाविद्यालय से अच्छे कलाकार पैदा कर रहा है। अगर किसी को संगीत सीखना है तो शहर के संगीत कॉलेजों में प्रवेश ले सकते हैं। प्रशिक्षकों की कमी होने के वाबजूद भी यहां अच्छी शिक्षा प्रदान की जा रही है।
आज जानें कमला देवी संगीत महाविद्यालय के बारे में, जिसकी स्थापना साल 1950 में हुई थी, लेकिन पिछले 19 साल से महाविद्यालय अच्छे प्रशिक्षकों को तरस गया। महाविद्यालय की मैनेजमेंट टीम महाविद्यालय की फीस और मिले अनुदान से मानसेवी शिक्षकों की भर्ती कर कक्षाएं चला रही है। प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार महाविद्यालय में शैक्षणिक और अशैक्षणिक नियमित पदों की कुल संख्या 23 है, लेकिन इसमें भी 12 पद वर्तमान में रिक्त हैं। सबसे बड़ी बात तो यह सामने आई कि महाविद्यालय में पिछले 20 साल से प्राचार्य पद ही खाली पड़ा है। प्राचार्य पद की नियुक्ति की जाए, इस संबंध में महाविद्यालय की ओर से प्रशासन को कई बार प्रस्ताव भेजा गया है।
उम्र सीमा ने छीन लिए छात्र
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय ने इस वर्ष पुरुषों की उम्र सीमा पर पाबंदी लगा दी है। इसके तहत डिप्लोमा कोर्स के लिए 21 वर्ष, डिग्री के लिए 26 वर्ष और स्नातकोत्तर के लिए 30 वर्ष के लोग ही प्रवेश ले सकते हैं। वहीं महिलाओं के लिए कोई पाबंदी नहीं है। विश्वविद्यालय के इस फैसले की वजह से कई छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पाया। महाविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि एक तरफ शिक्षकों की कमी और दूसरी ओर विश्वविद्यालय द्वारा उम्र की पाबंदी। इन दोनों दिक्कतों ने संगीत की दुनिया में भारी संकट खड़ा कर दिया है।
नहीं मिल पा रहा प्लेसमेंट
शहर में दो सरकारी संगीत महाविद्यालय मौजूद हैं, जिनसे हर साल लगभग 2000 छात्र डिग्री, डिप्लोमा लेकर निकलते हैं, लेकिन आज तक किसी भी छात्र को प्लेसमेंट नहीं मिला है। छात्रों का कहना है कि हमारी जरूरत तो बहुत है समाज को, लेकिन सरकार हम पर ध्यान नहीं देती। आज संगीत के प्रति सरकार पूरी तहर से निष्क्रीय हो गई हैं। इस क्षेत्र में जो आयोजन होते भी है उन्हें निजी संस्थाओं को ही दिया जाता है। सरकार चाहे तो संगीत को बढ़ावा देने के लिए हर सरकारी स्कूल में एक संगीत का टीचर नियुक्त कर सकती है।
प्रशिक्षकों के संकट से जूझ रहा महाविद्यालय
विषय आवश्यक प्रशिक्षक संख्या मौजूद प्रशिक्षक खाली पद
गायन 8 3 5
सितार 2 1 1
तबला 3 1 2
कत्थक नृत्य 3 1 2
ओडिशी 2 1 1
सुगम संगीत 1 1 1
- शासन की ओर से प्राध्यापकों की भर्ती नहीं की जा रही है। इसकी वजह से संगीत महाविद्यालय में छात्रों को उचित प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है।
::/fulltext::12 हजार से अधिक पंजीकृत ऑटो, प्रदूषण जांच की मियाद पूरी, फिर भी सड़कों पर दौड़ रहे अनफिट ऑटो, जिसे फिटनेस दिए वह ही निकल रहे अनफिट.
रायपुर। एक बार फिर राजधानी की सड़कों पर धुआं उगलते अनफिट ऑटो की भरमार हो गई है। आठ माह पूर्व में प्रदूषण की जांच का अभियान चलाने के बाद फिर शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में इनकी संख्या करीब सात हजार से अधिक है। सिर्फ दो हजार ऑटो के परमिट रद किए गए थे, जबकि आरटीओ का दावा था कि आने वाले दिनों में अब नए ऑटो को परमिट नहीं दिए जाएंगे, लेकिन इसके उलट सात हजार अनफिट ऑटो को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए हैं। ये ऐसे ऑटो हैं, जो 12 साल से भी ज्यादा पुराने हो चुके हैं।
हैरतवाली बात है कि सालभर पूर्व अनफिट ऑटो के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, जबकि कितने ऑटो जब्त किए गए थे। इनका कोई विभागीय लेखा-जोखा भी नहीं है। आरटीओ कार्यालय में मिली भगत कर अनफिट ऑटो कई रूटों पर चल रहे हैं। सड़कों पर फर्राटा भर रहे ऑटो पर कार्रवाई करने के सवाल पर आरटीओ की दलील है कि यातायात पुलिस की भी जिम्मेदारी बनती है। यानी इधर आरटीओ कार्यालय से फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। ये सिर्फ ऑटो ही नहीं, बल्कि सभी चार पहिया वाहनों की फिटनेस सर्टिफिकेट की स्थिति है।
वाहनों के फ्यूल से प्रदूषण का ग्राफ बढ़ा
10 हजार ऑटो, 20 हजार कार सहित अन्य वाहनों की संख्या 80 हजार से ऊपर है। जिनके प्रदूषण की जांच साल दो साल में सिर्फ एक बार ही हो पाती है, जबकि इनके अनफिट होने से लाखों लीटर फ्यूल की बर्बादी होती है। इससे हर दिन राजधानी में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ा है।
इन रूटों पर सर्वाधिक ऑटो
रेलवे स्टेशन गेट के बाहर, फाफाडीह, घड़ी चौक, कचहरी चौक, पंडरी, जयस्तंभ चौक सहित कई इलाकों में आटों की भरमार है। इन रुटों पर अनफिट ऑटो की संख्या सर्वाधिक है।
दलाल दिलाते हैं घर बैठे फिटनेस सर्टिफिकेट
विभागीय सूत्रों के मुताबिक आरटीओ के दलाल वाहन संचालकों को घर बैठे फिटनेस सर्टिफिकेट दिलाते हैं। यही वजह है कि आरटीओ की जांच में कई बार फिटनेस सर्टिफिकेट की पोल भी खुल चुकी है।
केस नंबर-एक
विगत दिनों अवंती बिहार में स्कूली बस सिटी बस से जा भिड़ी थी। वैसे इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था। इसकी जब आरटीओ ने जांच की तो फिटनेस सर्टिफिकेट के बावजूद अनफिट पाई गई थी।
केस नंबर दो
मोवा में संचालित एक स्कूल की बस भी हादसे की शिकार हो गई थी, लेकिन फिटनेस सर्टिफिकेट होने पर भी अनफिट पाई गई थी।
वर्जन
अब नए ऑटो का परमिट नहीं जारी किया जा रहा है। 12 साल पुराने ऑटो का संचालन शहर में प्रतिबंधित कर दिया गया है। समय-समय पर जांच करते हैं।
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