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अंबिकापुर. हद है.. शर्मनाक हालात की पराकाष्ठा है.. तंत्र की नीमबेहोशी है.. क्या कहे क्या लिखें.. लगता है शब्द मूक हो गए हैं।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल जिसकी स्थापना इस उम्मीद से हुई कि, संभाग के मरीज़ों को बेहतर उपचार मिलेगा, अलहदा है कि सुविधाएँ तो दूर यह अब भी केवल रेफर सेंटर है। हालिया दिनों में मान्यता के लाले पड़े इस मेडिकल कॉलेज को खुद प्रशासनिक तंत्र और नेता प्रतिपक्ष के साझे सहयोग से मान्यता तो मिली लेकिन पूरे मेडिकल कॉलेज में प्रबंधन को नीमबेहोशी तारी है।
सर्जिकल वार्ड में भर्ती मरीज़ों का उपचार चिकित्सक नही बल्कि बैगा कर रहे हैं।वीडियो में देखिए कि किस तरह बैगा वार्ड के भीतर अंधविश्वास की दूकान सजाए बैठा है।एक मरीज़ शिवकुमार जो पेड़ से गिरा था उसे अस्पताल दाख़िल कराया गया।इधर उसके परिजनों को बैगा ने बताया शिवकुमार पर भूत प्रेत का साया है। परिजन उसे अस्पताल ले आए और वो घंटों अपनी अजूबों ग़रीब हरकतों के साथ कथित तौर पर भूत उतारता रहा।
दिलचस्प कहिए या शर्मनाक कि चिकित्सकों की नदारदगी से थके हारे हलाकान परेशान दो अन्य मरीज़ों क् परिजनों ने भी बैगा को महाचिकित्सक मान उससे विचित्र तरीक़े से होने वाली पूजा कराई।यह पूरा मजमा करीब ढाई घंटे तक चलता रहा, सोचिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल का आलम। ढाई घंटे से उपर यह तमाशा होता रहा और प्रबंधन को भनक नही लगी, जबकि सारा तमाशा वार्ड के भीतर हुआ।
ज़ाहिर है ढाई घंटे में किसी डॉक्टर का एक राउंड नही लगा, प्रबंधन की व्यवस्था को अव्यवस्था का वह पैरालाईज अटैक है कि, इस तमाशे की भनक तक नही लगी।
बेमेतरा. जिले में जैसे ही मौसम ने अपना मिजाज बदला वैसे ही स्वामी विवेकानंद स्टेडियम की दीवारों और छत ने जवाब दे दिया. आपको बता दें कि आज दोपहर अचानक इंद्र देवता मेहरबान हो गए और तेज बारिश करने लगे साथ ही तेज हवाएं भी चलने लगीं. आलम यह हुआ कि करोड़ो की लागत से बने इस स्टेडियम की छत ढह गई और दिवारें भी गिर गई. जानकारी के मुताबिक इस दौरान स्टेडियम के अंदर कोई नहीं था. जिससे एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया. ज्ञात हो राज्य सरकार ने सभी नवगठित जिलों में खेल को बढ़ावा देने,जिला मुख्यालय में स्टेडियम र्निमाण के लिए 4-4 करोड़ स्विकृत किए गए थे . इसी के मद्दनेजर इस स्टेडियम का र्निमाण किया गया था. इस स्टेडियम का लोर्कापण खुद मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने किया था. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस स्टेडियम के र्निमाण के लिए नगर निगम बेमेतरा ने राजधानी की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को ठेका दिया था. ऐसे में सवाल यह उठता है कि 4 करोड़ की लागत से बने इस स्टेडियम की दिवारें क्या इतनी कमजोर थीं. जो सिर्फ एक बार की ही बारिश में ताश के पत्ते की तरह बिखर गईं.
::/fulltext::प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की तीन हजार से अधिक नर्सों ने शनिवार रात 10 बजे हड़ताल वापस ले ली।
रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की तीन हजार से अधिक नर्सों ने शनिवार रात 10 बजे हड़ताल वापस ले ली। 16 दिनों से कामकाज छोड़कर पांच सूत्रीय मांगों के लिए धरने पर बैठीं नर्सों पर सरकार ने पहले एस्मा लगाया और शुक्रवार को इन सबको गिरफ्तार कर लिया गया। 277 से अधिक नर्सों को इनके पदाधिकारियों के साथ जेल में बंद कर दिया गया।
इससे इनके आंदोलन को और बल मिला और जेल के अंदर ही भूख हड़ताल शुरू हो गई। उधर बाहर 500 से अधिक नर्सें डटी रहीं। लेकिन रात साढ़े नौ बजे स्वास्थ्य संचालक रानू साहू ने जेल में पहुंचकर नर्सों से मुलाकात की। सरकार की नीति के बारे में बताया। इसके बाद तय हुआ कि छत्तीसगढ़ परिचारिका कर्मचारी संघ की तीन पदाधिकारी शून्य में हड़ताल वापस लेती हैं।
बता दें कि शनिवार सुबह कलेक्टर ओपी चौधरी ने भी नर्सों से मुलाकात की थी, लेकिन यह वार्ता विफल रही। नर्सों ने सीधे सीएम से बात करवाने की बात कही थी। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कहा गया है कि इस प्रकरण पर एक कमेटी गठित की जाएगी, जिसकी रिपोर्ट पर 45 दिन में फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि पहले भी विभाग कमेटी गठित करने की बात कह चुका था,लेकिन नर्स संघ इसे मानने को तैयार ही नहीं था। वे त्वरित निर्णय चाह रहे थे, लेकिन शनिवार को ही स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें 48 घंटे का समय देते हुए बर्खास्तगी की चेतावनी जारी कर दी थी। सभी सीएमएचओ को कार्रवाई आदेश भी जारी कर दिए गए थे।
नर्सों ने लिखकर दिया- संघ अपनी हड़ताल शून्य पर वापस लेते हैं। हमारी परिचारिकाओं को मुख्यमंत्री का पूर्ण समर्थन है, स्वास्थ्य मंत्री हमारे पक्ष में निर्णय लेंगे। इसका हमें पूर्ण विश्वास है। हमारे साथियों के ऊपर अब तक जो भी दंडात्मक कार्रवाई की गई है, इसे निशर्त समाप्त किया जाए। हमारी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करें। (इसकी कॉपी 'नईदुनिया' के पास मौजूद है।)
ये हैं मुख्य मांगें
नर्सों के काम के घंटे को व्यवस्थित करने, रिक्त पदों पर भर्ती और पदोन्नति, स्टाफ नर्स को 4500 ग्रेड पे दिया जाए, ग्रेड टु भी का दिया जाए। समान प्रशिक्षण, समान कार्य, समान वेतन मिले।
72 घंटे में काम पर लौटें
नर्सों को सरकार की मंशा के बारे अवगत करवाया गया। बताया कि कमेटी बनाकर फैसला लिया जाएगा। इस पर वे हड़ताल खत्म करने पर जारी हो गईं। सभी नर्सों के बर्खास्तगी आदेश वापस लिए जाएंगे। वे 72 घंटे में काम पर लौंटे।
::/fulltext::दोरनापाल इलाके में शनिवार देर रात एसटीएफ की मुठभेड़ नक्सलियों की सबसे खूंखार बटालियन 1 से हुई।
दोरनापाल, सुकमा। किस्टाराम के साकलेर व तालातोंग के जंगलों में शनिवार देर रात एसटीएफ की मुठभेड़ नक्सलियों की सबसे खूंखार बटालियन 1 से हुई। मुठभेड़ में एसटीएफ के प्लाटून कमांडर और एक जवान घायल हो गया, जिन्हें इलाज के लिए हेलिकॉप्टर से लिफ्ट कर रायपुर के रामकृष्ण केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों के नाम पीसी मिलाप सोरी और सीटी सोड़ी हिड़मा हैं। सुकमा एसपी अभिषेक मीणा ने मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए कहा है कि फायरिंग में कई नक्सली मारे गए हैं और कई घायल हो गए हैं। बाकी नक्सली मृत नक्सलियों की लाशों को खींचकर अपने साथ ले गए हैं। घटनास्थल से बड़ी मात्रा में नक्सली सामग्री भी बरामद की गई है। माना जाता है कि बटालियन एक में सबसे खूंखार नक्सली शामिल रहते हैं। सुरक्षाबलों को निशाना बनाने और आईईडी धमाके करने में सबसे अधिक ये ही शामिल रहते हैं।
रात दो बजे किस्टाराम में उतरा हेलिकॉप्टर
घायल जवानों को इलाज के लिए ले जाने के लिए रात दो बजे किस्टाराम में हेलिकॉप्टर उतरा और उन्हें सीधे रायपुर ले गया। अस्पताल में जवानों इलाज जारी है और डॉक्टर उनके स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए हैं।
बीजापुर में नक्सलियों ने की पूर्व सरपंच की हत्या
बीजापुर में उसूर थाना क्षेत्र के भुसापुर में नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर पूर्व सरपंच की हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को दफना दिया। बताया जा रहा है कि दो दिन पहले ही पूर्व सरपंच को नक्सलियों ने अगवा किया था। घटना के बाद से इलाके में दहशत का माहौल है।
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