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रायपुर - मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में शानदार प्रदर्शन और मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाने पर आज केन्द्र सरकार से मिले दो राष्ट्रीय पुरस्कारों पर प्रसन्नता व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने इन पुरस्कारों के लिए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री अजय चंद्राकर सहित उनके विभाग के सभी मैदानी अधिकारियों और कर्मचारियों तथा प्रदेशवासियों को बधाई दी है। ये पुरस्कार आज नई दिल्ली में आयोजित समारोह में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा के हाथों छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्री अजय चंद्राकर ने ग्रहण किए।
डॉ. रमन सिंह ने खुशी प्रकट करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत महिलाओं की प्रसव पूर्व स्वास्थ्य जांच और जोखिम वाली गर्भवती माताओं के विशेष उपचार के साथ उनके सुरक्षित प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों में अच्छी व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत राज्य में अब तक चार लाख 19 हजार गर्भवती माताओं को लाभान्वित किया गया है। इस योजना के लिए 258 निजी संस्थाओं का भी पंजीयन किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा-राज्य में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के स्तर पर पौष्टिक आहार वितरण के साथ-साथ गर्भवती माताओं को महतारी जतन योजना के तहत पौष्टिक भोजन भी दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा-यह उपलब्धि निश्चित रूप से सराहनीय है कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2011 से 2013 की एसआरएस रिपोर्ट के अनुसार मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख प्रसव पर 221 से घटकर 173 रह गई है। इसी तरह शिशु मृत्यु दर जो वर्ष 2003 में प्रति एक हजार जीवित जन्म पर 70 थी, वह वर्ष 2017 में घटकर 39 रह गई है।
::/fulltext::रायपुर - मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि प्रदेश की मेहनतकश जनता की ताकत से ही छत्तीसगढ़ का निरंतर विकास हो रहा है। उन्होंने कहा- छत्तीसगढ़ नई चुनौतियों और संभावनाओं से भरा स्टार्टअप राज्य है। डॉ. सिंह आज रात यहां इंडिया टुडे पत्रिका द्वारा आयोजित स्टेट आफ दी स्टेट छत्तीसगढ़ सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में क्षेत्रीय असंतुलन, कमजोर अधोसंरचना, गरीबी के फलस्वरूप राज्य का जन्म हुआ। यहां नए सिरे से योजनाओं को बनाने और उसे संचालित करने की चुनौती थी। हमने हर सेक्टर की अलग अलग योजना बनाकर कार्य की शुरूआत की। छत्तीसगढ़ में जो भी विकास देखने को मिल रहा है वह यहां के लोगों की ताकत है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में वही राज्य तेजी से प्रगति करेगा जिसके पास बेहरत कनेक्टिविटी और अधोसंरचना हो इसे ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है। आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ देश के सबसे विकसित राज्यों में में शामिल होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2003 से 2018 के बीच अधोसंरचना के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा के में बेहतर काम हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्य के वित्तीय प्रबंध को देश में सबसे बेहतर माना है। हम आगामी 50 साल में राज्य के विकास को ध्यान में रखते हुए रेल, सड़क , एयर, विद्युत और टेलीकाम कनेक्टिविटी पर काम कर रहे हैं। सबसे पहले राज्य के विकास को गति देने के लिए 12 नए जिले का निर्माण किया गया। प्रशासनिक इकाईयों को छोटा करने का लाभ मिला। उस समय की नई पीढ़ी के निर्माण को ध्यान में रखकर कुपोषण, पलायन जैसी समस्या पर काम की शुरूआत की गई। इसके लिए खाद्यान्न सुरक्षा की योजना लागू की गई। इसका व्यापक असर देखने को मिला कुपोषण में 15 प्रतिशत गिरावट आयी। आंगनबाड़ी केन्द्रों को हम तीन वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए फुलवारी केन्द्रों की शुरूआत की। आकांक्षी जिलों में स्वास्थ्य शिक्षा आदि को ध्यान में रखकर नए प्रयोग किए गए। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा के लिए पोटा केबिन के जरिए बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित की गई। दंतेवाड़ा में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा एजुकेशन हब का जवांगा में निर्माण किया गया जो देश के लिए ऐसे क्षेत्रों में विकास के लिए मॉडल बन गया है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में सड़क, रेल, और एयर कनेक्टिविटी पर योजना बनाकर काम किय जा रहा है। इन क्षेत्रों में 3000 किलो मीटर सड़क बनायी जा चुकी है।
उन्होंने कहा- राज्य में सबकों स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना में 50 हजार रूपए तक के इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि आयुषमान भारत योजना का देश में बेहतर क्रियान्वयन के लिए राज्य में तैयारी की जा रही है। इस योजना में 37 लाख गरीब परिवारों को 5 लाख रूपए तक के इलाज की सुविधा मिलेगी। युवाओं के कौशल विकास के लिए सभी जिलों में लाइवलीहुड कालेजों की स्थापना की गई। कौशल प्रशिक्षण के लिए राज्य के बजट से 160 करोड़ की राशि खर्च की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में सड़क, रेल, एयर टेलीकाम कनेक्टिविटी का तेजी से विस्तार किा जा रहा है। लगभग 20 हजार करोड़ की लागत से सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। पिछले सौ साल में छत्तीसगढ़ में 1080 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई गई , आने वाले समय में राज्य में पी.पी.पी. मॉडल पर 12 सौ किलोमीटर रेल लाइन बिछाने जा रहे है। लगभग 11 हजार करोड़ रूपए का रेल नेटवर्क का काम रेल्वे के माध्यम से चल रहा है। संचार क्रांति योजना में 50 लाख मोबाइल सेट भी वितरण करने जा रहे हैं। इनमें लगभग 40 लाख फोन महिलाओं को देने जा रहे हैं इससे उनका सशक्तिकरण होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 2003 में विद्युत उत्पादन क्षमता 4000 मेगावाट थी जो अब बढ़कर 24 हजार मेगावाट पहुंच गई है। विद्युत कनेक्टिविटी के लिए पूरे छत्तीसगढ़ के सभी गांवों में अगले 6 माह में बिजली पहुंचानें जा रहे हैं। सभी जिलों को 133 के.व्ही विद्युत लाइन से जोड़ा गया है। राज्य के 7 लाख 40 हजार घरों में विद्युत पहुंचानें का काम आगामी 6 माह में पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को बिना ब्याज के ऋण दे रहे हैं। यहां समर्थन मूल्य पर पूरी पादर्शिता के साथ 10 हजार करोड़ रूपए का धान खरीदा जा रहा है। इसके अलावा उन्हें 17 सौ करोड़ के धान के बोनस के अलावा फसल बीमा की राशि दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा के लिए आई आई टी, आईआईएम, एनआईटी, ट्रिपल आई टी, नेशनल ला यूनिवर्सिटी प्रारंभ किए गए हैं। राज्य में 51 इंजीनियरिंग कालेज हैं। मेडिकल कालेजों की संख्या दो से बढ़कर दस हो गई है। पालिटेनिक संस्थानों की संख्या 76 से बढ़कर 176 हो गई है। नर्सिंग कालेजों की संख्या भी दो से बढ़कर 84 हो चुकी है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने इंडिया टुडे के विशेष अंक द स्टेट आफ दी स्टेट छत्तीसगढ़ का विमोचन किया । उन्होंने इस मौके पर राज्य के विभिन्न जिलों को शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, अधोसंरचना, वाटर सेनीटेशन, कृषि, सेवा, समृद्धि, सुरक्षा के क्षेत्र में इंडिया टुडे की ओर से सम्मानित किया। इस अवसर पर इंडिया टुडे के गु्रप एडिटोरियल डायरेक्टर श्री राज चिग्गया , मुख्य सचिव श्री अजय सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री अमन कुमार सिंह सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।
::/fulltext::स्वर्गीय श्री मनिराम गोंड के नाम पर दिया जाएगा हरियर छत्तीसगढ़ पुरस्कार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हरियर छत्तीसगढ़ महा अभियान की तैयारी बैठक इस वर्ष अगस्त तक सात करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य सभी विभागों को लक्ष्य दो माह में पूर्ण करने के निर्देश.
रायपुर - मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश में इस वर्ष मानसून के दौरान शासन के विभिन्न विभागों सहित आम जनता और विभिन्न उद्योगों की भागीदारी से सात करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य दिया है। उन्होंने वन विभाग से कहा है कि पिछले वर्षाें के दौरान हुए वृक्षारोपण और इस वर्ष होने वाले वृक्षारोपण का अलग-अलग भौतिक सत्यापन किसी तीसरे पक्ष से करवाया जाए। डॉ. सिंह ने आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित हरियर छत्तीसगढ़ वृक्षारोपण महा अभियान की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को अभियान के संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि हरियर छत्तीसगढ़ अभियान में व्यापक जनभागीदारी सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने इस वर्ष के वृक्षारोपण के लक्ष्य को अगले दो माह में (माह अगस्त तक) पूर्ण करने के भी निर्देश दिए। बैठक में वन मंत्री श्री महेश गागड़ा और मुख्य सचिव श्री अजय सिंह सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। डॉ. रमन सिंह ने राज्य में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए हरियर छत्तीसगढ़ पुरस्कार योजना की भी घोषणा की। यह पुरस्कार वन विभाग के फारेस्ट गार्ड स्वर्गीय श्री मनिराम गोंड के नाम पर देने का निर्णय लिया गया, जिन्होंने लगभग 117 वर्ष पहले अंग्रेजों के शासन काल में वर्ष 1891 में रायपुर जिले के वर्तमान उत्तर वन मंडल के ग्राम गिदपुरी के पास शासकीय वन प्रक्षेत्र में स्वप्रेरणा से नौ हेक्टेयर के रकबे में सागौन का प्लांटेशन किया था। अंग्रेज हुकूमत को श्री मनिराम का यह कार्य अच्छा नहीं लगा। इस वजह से अंग्रेज प्रशासन ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। इसके बावजूद श्री मनिराम उस प्लांटेशन के किनारे अस्थायी झोपड़ी बनाकर रहने लगे और सागौन के वृक्षों की देखभाल करने लगे। वर्ष 1982 में इन वृक्षों की औसत गोलाई 185 सेंटीमीटर और ऊंचाई 30 मीटर से ज्यादा दर्ज की गई थी। मनिराम प्लांटेशन आज भी वनों की रक्षा के लिए उनकी कर्मठता और समर्पण भावना की याद दिलाता है। तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने इस प्लांटेशन के 105 वर्ष पूर्ण होने पर वर्ष 1996 में स्वर्गीय श्री मनिराम के वंशजों को सम्मानित और पुरस्कृत भी किया था।
मुख्यमंत्री ने आज की बैठक में कहा कि हरियर छत्तीसगढ़ अभियान के तहत लगाए जाने वाले पौधों की सुरक्षा पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस वर्ष प्रदेश में वृक्षारोपण के लिए बाहर से पौधे नहीं खरीदे जाएं। वन विभाग की नर्सरियों में पर्याप्त संख्या में ऐसे पौधे तैयार हैं, जिनकी अच्छी ग्रोथ हो चुकी है। ऐसे पौधों का उपयोग वृक्षारोपण में किया जाना चाहिए। डॉ. सिंह ने प्रदेश के अधिकांश उद्योगों द्वारा पिछले वर्ष के वृक्षारोपण के लक्ष्य को पूरा नहीं किए जाने पर नाराजगी जतायी और मुख्य सचिव से कहा कि वे सभी प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठानों के मैनेजमेंट के पदाधिकारियों की बैठक बुलाकर उन्हें इस संबंध में जरूरी निर्देश दें। डॉ. सिंह ने आज की बैठक में यह भी कहा कि अगर कोई निजी संस्था स्वयं वृक्षारोपण करना चाहे तो वन विभाग इसके लिए सहयोग करें। उन्होंने वृक्षारोपण में अधिक से अधिक संख्या में फलदार पौधे लगाने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर और सरगुजा जैसे पहाड़ी इलाकों में काजू और कटहल लगाए जाने चाहिए। इसी तरह सड़कों के किनारे आम के वृक्ष लगाए जाएं तो उनसे लम्बे समय तक फलों के साथ-साथ छाया भी मिलेगी। उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों की स्थानीय जलवायु के अनुसार अलग-अलग प्रजातियों के पौधे लगाने पर भी बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा- कई क्षेत्रों में वृक्षारोपण के सराहनीय कार्य भी हुए हैं, जिनका वन विभाग द्वारा फिल्मांकन और दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए। साथ ही ऐसे सराहनीय कार्याें का व्यापक प्रचार-प्रसार भी होना चाहिए। लगाए गए पौधों की कम से कम तीन वर्षाें तक अच्छी देखभाल होनी चाहिए।
::/fulltext::रायपुर - मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह 30 जून और एक जुलाई को मंत्रालय (महानदी भवन) में प्रदेश के चार विकास प्राधिकरणों की समीक्षा बैठक लेंगे। डॉ. सिंह शनिवार 30 जून को अपरान्ह 3.30 बजे अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण और शाम 4.30 बजे ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण की बैठक लेंगे। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अगले दिन रविवार एक जुलाई को अपरान्ह 3.30 बजे बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र विकास प्राधिकरण तथा शाम 4.30 बजे सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण की बैठक आयोजित की जाएगी। चारों बैठकों में संबंधित प्राधिकरणों के सदस्य और संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल होंगे।
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