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रायपुर. प्रदेशभर के स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर 37 दिनों से आंदोलन पर है. आज हजारों की संख्या में कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री निवास घेराव करने के लिए एकजुट हुए है. लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने उन्हे ओसीएम चौक पर रोका लिया है. तो कर्मचारियों ने चौक पर ही सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे है. जिसके बाद हजारों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी ग्रेड पे और वेतनमान समेत अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. प्रदेशभर में स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या 10 हज़ार से ज्यादा है. राजधानी के सुभाष स्टेडियम में हजारों की संख्या में कर्मचारी एकत्र हुए. सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए ओसीएम चौक पर बैठकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है. इस दौरान बड़ी संख्या में मौके पर पुलिस बल भी मौजूद है.
स्वास्थ्य सयोजकों का कहना है कि पिछले 37 दिनों से वो हड़ताल पर है, लेकिन मांगो पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. इनका कहना है कि आश्वासन दिया जा रहा है पर मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है. इसलिए इस बार इन्होंने सीएम हाउस का घेराव करने का फैसला लिया है. हमें रोका जा रहा है जो गलत है. अब ये आरपार की लड़ाई है.
इस दौरान मौके पर रायपुर एसडीएम भी उनकों समझाने के लिए मौके पर पहुंचे, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. स्वास्थ्य संयोजक अपनी मांगों को बिना किए यहां से हटने को तैयार नहीं है. जिसके बाद हजारों की संख्या में कर्मचारियों को गिरफ्तार कर सुभाष स्टेडियम में अस्थाई जेल बनाकर रखा गया है.
बता दें कि स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारियों के हड़ताल में रहने के कारण लगभग एक हजार लोगों की बर्खास्तगी हो चुकी है. उसके बाद भी स्वास्थ्य संयोजक अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं.
::/fulltext::रायपुर. छत्तीसगढ़ का वन विभाग उस सेन्ट्रल जू अथार्टी की बात नहीं मानता, जिसने नन्दनवन जंगल सफारी, मैत्रीबाग और कानन पेंडारी जू को मान्यता प्रदान की है। रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने भिलाई के मैत्रीबाग जू में मक्खियों से भिनभिनाता रोगजनक तथा अस्वास्थ्यकारक मांस दिये जाने की शिकायत दिसम्बर 2016 में सेन्ट्रल जू अथार्टी से की थी।
बाद में फरवरी 2017 में एक और शिकायत उन प्रमाणों के साथ की गई जिसमें रायपुर के नन्दन वन में जानवरों को दिये जाने वाले चनाफल्ली, सरसों खल्ली तथा मोलासिस में अधिक मात्रा में यूरिया मिलना पाया गया था, यह भी बताया गया कि दो वर्ष में नन्दनवन में तो मांस के सेम्पल की जांच नहीं करवाई गई थी। मैत्रीबाग जू में 2 वर्षों में सिर्फ एक बार मीट की जांच कराई गई और अन्य किसी भी खाद्य पदार्थ की जांच नहीं कराई गई.
शिकायत के जवाब में सेन्ट्रल जू अथार्टी ने बताया कि छत्तीसगढ़ वन विभाग को प्रथम बार 18.07.2002 में छत्तीसगढ़ के जू में रखे जानवरों के स्वास्थ्य जांच कराने के लिये अनुभवी पशु चिकित्सकों व चिड़ियाघरों में काम कर चुके अनुभवी लोगों की स्वास्थ्य सलाहकार समिति बनाकर प्रत्येक चिड़ियाघर का 3 माह में निरीक्षण करवाकर स्वास्थ्य स्तर की निगरानी रखने के आदेश दिये गये थे। बाद में 18.11.2004 को, 06.03.2017 को भी उक्त समिति बनाने के लिये सेन्ट्रल जू अथार्टी ने वन विभाग को आदेशित किया। सिंघवी द्वारा शिकायत करने के बाद 16.05.2017 को सेन्ट्रल जू अथार्टी ने फिर समिति बनाने के लिये आदेशित किया परंतु वन विभाग ने उदासीनता दिखाते हुए स्वास्थ्य सलाहकार समिति नहीं गठित की।
शिकायतकत्र्ता ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से वे सेन्ट्रल जू अथार्टी और वन विभाग को सेन्ट्रल जू अथार्टी के निर्देशानुसार स्वास्थ्य सलाहकार समिति बनाकर प्रति 3 माह में जू के जानवरों की जांच करवाने की मांग लगातार कर रहे हैं परंतु अभी तक कहीं भी जांच नही की गई बल्कि कई बार पत्र लिखने उपरांत अक्टूबर 2017 में वन विभाग ने शासन को 4 सदस्यीय समिति बनाने का प्रस्ताव भेजा जिसके 5 महीने बाद फरवरी 2018 में शासन ने समिति गठित की जो कि प्रति तीन माह में तीनों चिड़ियाघर मैं आवास सुविधा खानपान आदि का और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानक प्रक्रिया के पालन करने की जांच कर और जानवरों की जांच कर अद्यतन स्थिति से प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्यप्राणी) को अवगत करवायेगी।
अभी तक नहीं हुई है कहीं भी जांच
शिकायतकर्ता ने बताया कि 16 वर्षों में अभी तक किसी भी जू में स्वास्थ्य सलाहकार समिति ने जानवरों के स्वास्थ्य की जांच नहीं की है. वन विभाग ने हाल ही में 30 अगस्त 2018 को उनको लिखित में बताया है कि विभाग के मुख्यालय में समिति कि कोई भी जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है. सिंघवी ने वन विभाग तथा सेन्ट्रल जू अथार्टी दोनों पर आरोप लगाया कि वन विभाग सेन्ट्रल जू अथार्टी की बात नहीं मान रहा और सेन्ट्रल जू अथार्टी जानवरों की स्वास्थ्य सलाहकार समिति से जांच नहीं करवा पा रहा है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी जू में जानवरों की दुर्गती को देखते हुए और स्वास्थ्य सलाहकार समिति गठित न हो पाने के कारण उन्होंने अक्टूबर 2017 में सेन्ट्रल जू अथार्टी से मांग की थी कि सेन्ट्रल जू अथार्टी छत्तीसगढ़ के तीनों जू और नन्दन वन में स्वयं ही टीम भेजकर जानवरों की जांच करवाये परंतु उनके सुझाव पर ध्यान नहीं दिया अगर ध्यान दिया गया होता तो कानन पेंडारी में जानवरों की मौत नहीं होती और वन्यजीवों को मजबूरन विभिन्न बीमारियों के साथ जीने को मजबूर नहीं होना पड़ता। उन्होंने मांग की कि तत्काल ही सभी जू के सभी जानवरों की जांच कर रिपोर्ट सार्वजनिक की जावे उन्हें स्वस्थ रखना हमारा दायित्व है यह भी जांच की जावे कि सेंट्रल जू अथॉरिटी द्वारा निर्धारित मानकों का पालन हो रहा है कि नहीं.
::/fulltext::रायपुर। छत्तीसगढ़ को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत आवास निर्माण के क्षेत्र में देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (पूर्णांक 81.5 प्रतिशत) के लिए प्रथम पुरस्कार मिलेगा। इसके अतिरिक्त पांच विभिन्न वर्गों में पांच और राष्ट्रीय पुरस्कार मिलेगा। यह पुरस्कार 11 सितम्बर 2018 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चन्द्राकर ने प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार के लिए विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी है। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से विभाग के वरिष्ठ अधिकारी यह पुरस्कार ग्रहण करेंगे। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण अंतर्गत उत्कृष्ट कार्य के आधार पर राज्य को वर्ष 2016-17 से 2018-19 के मध्य तीन वर्षों में कुल 7.88 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य दिया गया है। इसमे छह सितम्बर की स्थिति में चार लाख आवास पूर्ण हो चुके हैं।
पंचायत मंत्री ने राज्य के प्रथम आने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 अंतर्गत कुल लक्ष्य 4,39,275 के विरूद्ध 3,00,266 आवास पूर्ण कर लिये हैं जो मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेत्त्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न ’2022 तक सभी के लिये आवास’ की ओर एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा पहले राज्य को 2019 तक 6.23 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कार्य निष्पादन के आधार पर 65,000 मकान का अतिरिक्त लक्ष्य आबंटित करते हुए कुल 6.88 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य दिया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आर. पी. मण्डल ने आज यहां बताया कि देश में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के क्रियान्वयन अंतर्गत राज्यों की श्रेणी में संपूर्ण कार्य निष्पादन में सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिये छत्तीसगढ़ को प्रथम पुरस्कार दिया जा रहा है। इसी प्रकार जिलों के श्रेणी में राज्य के कोण्डागांव को द्वितीय तथा धमतरी को तृतीय पुरस्कार मिलेगा। पूर्ण आवासों की संख्या अंतर्गत विकासखंड की श्रेणी में राज्य के सारंगढ (जिला-रायगढ़) ने द्वितीय पुरस्कार हासिल किया है। ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण अंतर्गत राज्य की श्रेणी में प्रदेश को द्वितीय पुरस्कार मिला है। इसके अतिरिक्त मैनेजमेंट इंफॉरमेंशन सिस्टम में आधार सीडिंग के लिए भी छत्तीसगढ़ कोे पुरस्कार दिया जाएगा।
पंचायत विभाग के सचिव पी.सी. मिश्रा ने बताया गया कि राज्य में योजना के तहत केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रतिदिन प्रगति की आनलाइन मॉनीटरिग की जाती है। साथ ही अन्य विभिन्न माध्यमों से योजना की प्रगति की निरंतर समीक्षा की जाती है। योजना के तहत पंजीयन, स्वीकृति, जियोटैगिंग, किश्तों का भुगतान जैसे समस्त कार्य आनलाइन किये जाते हैं। आवास का निर्माण शासन के सहयोग से हितग्राही द्वारा स्वयं किया जाता है। इसके लिए पूरे प्रदेश में ग्रामीण राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। श्री मिश्रा ने बताया कि दिसम्बर 2017 के अंत तक छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर था। अपर मुख्य सचिव आर.पी.मंडल के मार्गदर्शन में ही संभव हो पाया है। श्री मिश्रा ने बताया कि 24 मार्च की स्थिति में प्रदेश में 3 लाख आवास निर्माण पूर्ण कर छत्तीसगढ़ ने पूर्णांक 81.5 प्रतिशत प्राप्त कर प्रथम स्थान पर रहे मध्यप्रदेश (पूर्णांक 81.48 प्रतिशत) को दूसरे स्थान पर और उत्तर प्रदेश (पूर्णांक 80.11 प्रतिशत) को तीसरे स्थान पर कर दिया है । प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जिला धमतरी (पूर्णांक 96.75 प्रतिशत), राजनांदगांव (94.29), बालोद (93.3), रायपुर (92.64) एवं बलौदा बाजार (91.13) का है।
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