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रायपुर । राज्य सरकार ने महिला सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है। राज्य सरकार ने बच्चों के पालन पोषण के लिए महिलाओं को 730 दिनों के अवकाश के नियम को लागू कर दिया है। हालांकि इस बात का निर्णय कैबिनेट में कुछ दिन पहले ही ले लिया था, लेकिन आज अवकाश को लेकर संशोधन नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गयी है। जिन नियमों के तहत महिला कर्मियों को अवकाश दिया जायेगा, उसमें निम्निलिखित बिंदुओं को शामिल किया गया है।
यह अवकाश एक कैलेंडर वर्ष में तीन बार से अधिक स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
किसी एक अवसर हेतु अवकाश की कोई अधिकतम सीमा नहीं होगी, जबकि न्यूनतम सीमा 5 दिन की होगी
स्वीकृति हेतु संतान पालन अवकाश अर्जीत अवकाश के समान मानी जायेगी, तथा उसी प्रकार से स्वीकृति की जायेगी। उक्त अवकाश हेतु तीन सप्ताह पूर्व अवकाश आवेदन प्रस्तुत करना होगा, यद्दपि विशेष परिस्थिति में 10 दिन की कम अवधि के अवकाश स्वीकृति हेतु तीन सप्ताह की सीमा स्थिल की जा सकेगी ।
संतान पालन अवकाश हेतु आवदेश अऴकाश नियम 2010 के प्रपत्र में प्रस्तुत किया जायेगा।
संतान पालन अवकाश लेखा के विरूद्ध विकलित नहीं किया जायेगा तथा अवकाश नियम के अंतर्गत लागू किसी अऩ्य अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकेगा।
अवकाश अवधि के लिए अवकाश में प्रस्थान के ठीक पूर्व लागू दर से अवकाश वेतन की पात्रता होगी।
संतान पालन अवकाश के समय केवल जन्म प्रमाण पत्र की अावश्यकता होगी, आवेदक को आवेदन पत्र पर स्पष्ट कारण लिखना होगा। , ये अवकाश बच्चे के पालन पोषण अथवा उसके विशिष्ट आवश्यकर्ताओं जैसे की परीक्षा, बीमारी जैसे कारणों के लिए स्वीकृत किया जा सकेगा।
संतान पालन अवकाश का दावा अधिकारों के रूप में नहीं किया जा सकेगा, किंतु समान्यत कार्यालय सुचारू संचालन सुनिश्चित करते हुए स्वीकृतकर्ता अधिकारी द्वारा उक्त अवकाश स्वीकृत किया जायेगा। किसी भी परिस्थिति में विधिवत अवकाश स्वीकृत होने के पश्चात महिला कर्मचारी अवकाश की पात्र होगी।
अवकाश के पहले या बाद में पड़ने वाले राजपत्रित या सप्ताहिक अवकाश स्वयमेव अवकाश के संयोजित माने जायेंगे। तथा अवकाश अवधि में पड़ने वाले ऐसे अवकाश संतान पलान अवकाश की गणना में शामिल किया जायेेंगे।
संतान पालन अवकाश स्वीकृति के पूर्व अधिकार प्रशासकीय विभाग को होगा तथा शेष प्रतियोजन अर्जीत अवकाश के समान होगा।
संतान पालन अवकाश लेखा का संधारण प्रपत्र में किया जायेगा।
रायपुर । स्टिंग आपरेश के बाद से छत्तीसग़ढ़ कांग्रेस में भूचाल आ गया है। आज कांग्रेस के शीर्ष नेता दिल्ली में है जहां कई मुद्दों पर चर्चा होने वाली है। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के साथ कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की मुलाकात होगी, जानकारी मिल रही है कि देर शाम राहुल गांधी से भी भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत, शिव डहरिया और पीएल पुनिया की मुलाकात हो सकती है। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है। इधर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस पूरे प्रकरण पर अपना बयान दिया है। कांग्रेस नेताओँ को दिल्ली बुलाये जाने पर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि
“ये उनका आंतरिक मामला है, लेकिन जो कुछ हुआ वो बहुत गलत हुआ”
स्टिंग आपरेश के बाद से ही लगातार कांग्रेस के अंदर गुटबाजी को लेकर हवा मिल रही है। हालांकि कांग्रेस की तरफ से कहा जा रहा है कि आज दिल्ली में राहुल गांधी के कार्यक्रम को तय करने को लेकर बैठक हो रही है, जिसमें इसी महीने होने वाले राहुल गांधी के कार्यक्रम का प्रारूप तय किय जायेगा। 13-14 को राहुल गांधी दो दिवसीय दौरे पर छत्तीसगढ़ आ सकते हैं। हालांकि दिल्ली में क्या कुछ चर्चाएं हुई है और कांग्रेस के किन नेताओं की क्या बातें हुई, इसका ब्योरा नहीं आया है।
::/fulltext::रायपुर। भाजपा के राष्ट्रीय अमित शाह आज एक दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं. इस दौरान वे प्रदेश में तीन स्थानों पर जाएंगे. सबसे पहले वे पवित्र सिहावा पर्वत पहुँचेंगे और फिर कांकेर के नरहपुर में आयोजित विकास यात्रा में शामिल होंगे. लेकिन नरहरपुर में अमित शाह आदिवासियों के साथ भोजन भी करेंगे. जाहिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अगर आदिवासियों के साथ भोजन करेंगे तो सिसायत होगी. लिहाजा मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अमित शाह के दौरे और आदिवासियों के साथ भोजन करने पर सियासत कर रही कांग्रेस को जवाब दे दिया है.
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष उन इलाके में जा रहें तो वहां के लोगों का वो सम्मान करना चाह रहे हैं. इस तरह की बैठकी, बातचीत और साथ में भोजन करना वहां के लोगों का सम्मान करना है. यह पूरी तरह से राजनीति से परे काम है और यह राष्ट्रीय अध्यक्ष का अपना व्यक्तिगत स्वभाव है. उन्हें आदिवासी, अनुसूचित जाति वर्ग, पिछड़ों के साथ बैठना, उनके साथ भोजना करना बेहतर लगता है. इससे भाजपा के मुखिया उनके बीच खुद को और करीब पाते हैं. इसमें किसी तरह का न तो कोई सियासत है और न ही स्वार्थ.
मुगेली. नेताओं के घोषणा के बाद चार साल बाद भी नहीं खोला गया धान खरीदी केन्द्र, गुस्साए ग्रामीणों ने 04 अक्टूबर को जिला कलेक्टर के पास पहुंच कर ज्ञापन सौंप कर मतदान करने का किए बहिष्कार. मामला जिले वन ग्राम खुडिया सहित दर्जनों गांव के लोगों ने कोरी घोषणाओं का विरोध करते हुए आगमी विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं करने का बात कहे.
इन गांव के ग्रामीणों ने किया विरोध
वन ग्राम से लगे हुए गांव जिनमें खुड़िया इलाके के वनग्राम, झिरिया, सरगढ़ी, मौहाभांचा, बिजरकछार, चकदा, घमेरी, कटामी, बम्हनी, जमुनाही, छपरवा, अचानकमार, बिन्दावल, लमनी, रंजकी, अतरिया, बहाउड़, सुरही, खुड़िया सहित कई गांव के सैकड़ो ग्रामीण मौजूद रहे.
40 से 50 किलो मीटर की दूरी का सफर
वन ग्राम के सैकड़ो किसानों परेशानी बताए हुए कहा कि धान की बिक्री के लिए 40 से 50 किलो मीटर की दूरी का सफर तय करना पड़ता है. जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि इससे पहले भी कई बार खुड़िया में धान उपार्जन केंद्र खोलने की मांग स्थानीय जनप्रतिनिधियों से की जा चुकी है मगर सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला. 2014 में खुड़िया पुलिस चौकी के उद्घाटन में पहुंचे स्थानीय विधायक तोखन साहू ने खुड़िया में उपार्जन केंद्र खोलने की घोषणा तो कर दिया मगर 4 साल बाद भी आज तक इसे स्वीकृति नहीं मिली है.
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