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रायपुर. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के विमान में देरी होने के मामले में विवाद खड़ा हो गया है. ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि फ्लाइट राहुल गांधी के बैठने की वजह से हुई, जिसकी वजह से मोदी ज़िंदाबाद और राहुल गांधी ज़िंदाबाद के नारे लगे. लेकिन विमान में मौजूद यात्री प्रशांत द्विवेदी और कांग्रेस की राज्यसभा सांसद ने विमान में किसी किस्म की नारेबाज़ी से इंकार किया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी इस मामले में दुष्प्रचार कर रही है.
राहुल गांधी 10 अगस्त को रायपुर आए लेकिन वो कार्यक्रम में डेढ़ घंटे देरी से पहुंचे. राहुल गांधी के बैठने के बाद विमान इंदिरागांधी एयरपोर्ट पर करीब डेढ़ घंटे खड़ा रहा. जिसकी वजह से यात्रियों में काफी नाराज़गी थी. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी ये भ्रम फैला रही है. सुरक्षा का काम विमान में चढ़ने से पहले हो जाता है और राहुल गांधी इससे पहले भी कई बार रेगुलर फ्लाइट से आ चुके हैं.
मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक इसकी वजह सुरक्षा चेंकिंग थी. ख़बरों के मुताबिक नाराज़ यात्रियों ने मोदी ज़िंदाबाद के नारे लगाए जिसके जवाब में राहुल गांधी ज़िंदाबाद के नारे लगे. इस मामले को लेकर हमने उसी विमान में यात्रा कर रहे यात्री प्रशांत द्विवेदी और कांग्रेस की राज्यसभा सांसद छाया वर्मा से जब बात की गई तो उन्होंने नारेबाज़ी की घटना से पूरी तरह इंकार किया.
प्रशांत का कहना है कि उन्होंने कई बार इस विषय में विमानकर्मियों से बात की लेकिन हर किसी ने स्पष्ट कारण नहीं बताया. जबकि छाया वर्मा का कहना है कि देरी की वजह विमान का फ्यूल बदलना था. उन्होंने कहा कि विमानकर्मियों ने उन्हें बताया कि जो फ्यूल विमान में था उसका रंग कुछ दूसरा नज़र आ रहा था. जिसके बाद उसे पूरा बदला गया. जिसके चलते विमान को उड़ने में देरी हुई.
::/fulltext::भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र में आज बड़ा हादसा हो गया है. बताया गया है कि इस हादसे में करीब तीन लोग गंभीर रुप से घायल हुए हैं. मिली जानकारी के अनुसार ये हादसा प्लांट के कोक ओवन में हुआ है,जिसमें तीन कर्मचारी बुरी तरह झुलस गए हैं.जिन्हें सेक्टर-9 स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया है,जहां उनका उपचार जारी है. बता दें कि इस तरह से ये हादसा होने से एक बार फिर संयंत्र की लापरवाही सामने आई है. हालांकि अस्पताल में भर्ती तीनों कर्मचारियों की हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है.
गौरतलब है कि इस तरह से यहां हादसे का ये कोई पहला मामला नहीं है,इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं. जब सिंटर प्लांट में कार्य के दौरान संयंत्र कर्मी कमल वर्मा की कनवर्टर बेल्ट मे फंस जाने से घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी.
::/fulltext::ओपन विवि के कुलपति डॉ. बीजी सिंह का कहना है कि यूजीसी में वे कोर्सेस को बहाल कराने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
रायपुर । पीएचडी में गड़बड़ी के मामले में पहले से ही जांच की आंच में फंसे राज्य के एकमात्र सरकारी पंडित सुंदरलाल शर्मा ओपन विवि को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने विवि में पीजी (स्नातकोत्तर) कोर्सेस एमए, एमकॉम आदि की संबद्धता खत्म कर दी है। यूजीसी ने देशभर के विवि में ओपन एवं डिस्टेंस लर्निंग मोड के अंतर्गत संचालित कोर्सेस की सूची जारी की है, जिसमें पं. सुंदरलाल शर्मा विवि में सत्र 2018-19 से सत्र 2022-23 तक सिर्फ स्नातक स्तर पर बीए कराने की पात्रता दी है।
ओपन विवि के कुलपति डॉ. बीजी सिंह का कहना है कि यूजीसी में वे कोर्सेस को बहाल कराने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इधर डॉ. सीवी रमन विवि में चल रहे दूरवर्ती कोर्सेस के नाम भी सूची से बाहर हैं। यूजीसी की सूची में पं. सुंदरलाल शर्मा के अलावा किसी भी अन्य विवि को शामिल ही नहीं किया गया है। मामले में सीवी रमन विवि के कुलपति डॉ. आरपी दुबे का कहना है कि यूजीसी ने अभी पब्लिक नोटिस जारी करके कहा है कि प्रक्रिया जारी है। अभी तो हमारी इंटरफेस मीटिंग नहीं हो पाई है। इसलिए अभी कुछ नहीं कह सकते हैं।
::/fulltext::नई दिल्ली। डेंगू और चिकनगुनिया की आशंका है तो डॉक्टर की सलाह के बगैर ब्रूफेन तथा एस्प्रिन की दवाइयां न लें। यह जानलेवा हो सकता है। दिल्ली सरकार ने तो इनके खतरों को देखते हुए बिक्री पर रोक लगा दी है। मेडिकल स्टोर वाले केवल डॉक्टरों की पर्ची पर ही ब्रूफेन और एस्प्रिन की दवाइयां दे पाएंगे। डेंगू के मरीज अनजाने में इन दोनों दवाइयों को ले लेते हैं, जो उनके लिए खतरनाक हो जाता है। इससे डेंगू मरीजों के प्लेटलेट्स में तेजी से कमी होनी शुरू हो जाती है।
बढ़ने लगा डेंगू-चिकनगुनिया का खतरा
दिल्ली में बारिश होने पर कई जगहों पर पानी जमा होता है। इस पानी में मच्छर पनपते हैं। इसलिए अगस्त से अक्टूबर के बीच मच्छर जनित बीमारियां अधिक होती हैं। अभी कुछ सप्ताह से डेंगू के भी कुछ मामले देखे जा रहे हैं। एक मादा मच्छर एक बार में 200 अंडे देती है। इसलिए मच्छरों को मारने से ज्यादा उनका प्रजनन रोकना जरूरी है। इसके लिए आवश्यक है कि कहीं पानी जमा न होने पाए। इसके मद्देनजर दिल्ली के सभी 11 जिलों में स्वास्थ्य विभाग की टीम बनाई गई है।
लोगों को किया जा रहा जागरूक
आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) को रोकथाम के उपाए बताए गए हैं क्योंकि बीमारियों की रोकथाम में सबकी भागीदारी जरूरी है। सभी विभागों की निगरानी कमेटी बनाकर एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह टीम के साथ नियमित निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करे कि खुले में या छत के ऊपर ऐसी बेकार चीजें न पड़ी हों जिसमें पानी जमा हो सके। ऐसे सभी तरह के कबाड़ हटाने के निर्देश दिए गए हैं। नगर निगम के डीबीसी (डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर) घर-घर जाकर जांच करते हैं और दवा डालते हैं।
बुखार के हर मरीज की जांच जरूरी नहीं
बरसात में डेंगू व चिकनगुनिया के मरीज अधिक देखे जाते हैं। डेंगू में तेज बुखार के साथ दर्द, शरीर पर लाल दाने, आंखों के पीछे दर्द आदि की समस्या होती है। चिकनगुनिया में बुखार के साथ शरीर के जोड़ों में दर्द की परेशानी होती है। जब इन बीमारियों के मामले अधिक आ रहे हों तो बुखार के हर मरीज की जांच जरूरी नहीं होती। ऐसा दिशा-निर्देश तैयार करने वाली एजेंसियां भी मानती हैं। हालांकि अस्पतालों को स्पष्ट रूप से जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं।
पहले श्रेणी में सामान्य व युवा मरीज होते हैं जिन्हें गंभीर लक्षण नहीं होते। ऐसे मरीजों को सिर्फ बुखार की दवा, ओआरएस और अन्य तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। दूसरे श्रेणी में छोटे बच्चे, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को रखा जाता है। इनमें डेंगू की पुष्टि होने पर अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए। ऐसे निर्देश सभी अस्पतालों को दिए गए हैं।
होम्योपैथ में भी है डेंगू का इलाज
डेंगू का कारगर इलाज होम्योपैथ में संभव है। उन्होंने बताया कि एकोनाइट, आर्सनिक अल्बम, बेलाडोना, यूपेटोरियम पर्फ व रस्टक 6 शक्ति- इन सभी होम्योपैथिक दवाओं का दो-दो बूंद लेकर आधा गिलास साफ पानी में डाल दें और चम्मच से मिला दे। इसमें से आधा चम्मच एक-एक घंटा पर रोगी को पिलाएं।
जब आराम होने लगे तो इसे चार-चार घंटे पर दें। दवा का सेवन करते समय महक वाली कोई वस्तु रोगी को न लगाएं। जैसे- विक्स, कपूर, बाम, हिंग, जाफर आदि शरीर में न लगाएं और रोगी के पास इन सबों से बनी कोई दवा भी न रखें। उन्होंने दावा किया कि एक-दो खुराक में ही रोगी को आराम मिलना शुरू हो जाएगा।
डेंगू के अलावे इन्सेफलाइटिस, हेपेटाइटिस ए एवं बी जैसी अन्य बीमारियों का इलाज होम्योपैथिक में संभव है। डेंगू जिस तरह खतरनाक बीमारी है, वैसे में रोगी को थोड़ी-सी भी लापरवाही घातक हो सकती है।
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