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रायपुर. शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी ओर शिक्षकों को सम्मानित किया जा रहा है. इसी बीच राजधानी रायपुर में भी शिक्षकों को पुरुस्कृत किया गया है. शिक्षक दिवस मौके पर राजभवन में शिक्षक सम्मान समारोह का अयोजन किया गया है. जहां 5 शिक्षकों का राज्य शिक्षक सम्मान स्मृति पुरस्कार 2017 से सम्मान किया गया है. साथ ही 40 शिक्षकों का राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान पुरस्कार 2017 से सम्मानित किया गया है.
इस दौरान राजभवन के इस शिक्षक सम्मान कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, शिक्षा मंत्री केदार कश्यप, संसदीय सचिव अम्बेश जांगड़े समेत कई नेता मौजूद रहे. राज्य शिक्षक सम्मान स्मृति पुरस्कार 2017 प्राप्त करने वाले 5 शिक्षकों का सम्मान किया गया है. इन्हें 50 हजार की नगद राशि और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.
वहीं राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान पुरस्कार 2017 प्राप्त करने वाले 40 शिक्षकों का सम्मान किया गया. सभी शिक्षकों का विधानसभा अध्यक्ष और स्कूल शिक्षा मंत्री ने सम्मानित किया है. इन्हें 21 हजार की राशि और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. इसके साथ ही शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने अगले साल सम्मानित होने वाले शिक्षकों के नामों की भी घोषणा की है. अगले साल 44 शिक्षकों का सम्मान किया जाएगा.
किताब ‘नई तालीम’ का विमोचन
इस अवसर पर राजभवन में महात्मा गांधी आदर्शों के ऊपर लिखी गई किताब ‘नई तालीम’ का भी विमोचन किया गया. महात्मा गांधी के सिद्धांतों के उपर है ये किताब. एनसीआरटी द्वारा किताब निकाली गई है.
इस मौके पर केदार कश्यप ने कहा कि आज का दिन शिक्षा जगत के लिए महत्वपूर्ण दिन है. शिक्षा के क्षेत्र के उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों का सम्मान किया गया है. सम्मान होने वाले शिक्षकों से प्रेरणा लेकर अन्य शिक्षक बेहतर काम करेंगे. जितना शिक्षकों का सम्मान होगा उतना ही शिक्षा का महत्व बढ़ेगा. शिक्षा के क्षेत्र में काफी निर्णय हुए है.शिक्षा की गुणवत्ता सबसे बड़ा लक्ष्य है उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे है.
वहीं गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि राज्यपाल के बिना यह दरबार काफी सुना से लग रहा है. राजभवन आते जाता रहा हूं. राज्यपाल जी से काफी लगाव रहा. उन्होंने कहा कि जिन शिक्षकों को समानित किया गया है वो दूसरों के लिए प्रेरणा बनेंगे. शिक्षको का सम्मान आदिकाल से होते रहा है. शिष्य को अच्छा संस्कार एक गुरु ही दे सकता है. शिक्षा का आधुनिकीकरण हो रहा है. इस दिशा में शिक्षकों को शिक्षा विभाग द्वारा ट्रेन किया जा रहा है. इस बात की खुशी है कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को काफी अच्छी सफलता प्राप्त हो रही है. जहाँ नक्सली गतिविधिया होती है वहा के बच्चे कमाल कर रहे है. बच्चे संस्कारित होंगे तो आने वाली पीढ़ी अच्छी होगी. अगर प्रतिभा का सम्मान होता है तो उससे प्रेरणा मिलती है.
अग्रवाल ने आगे अपने भाषण में एक घोषणा करते हुए उत्कृष्ठ स्कूल के सम्मान राशि में वृद्धि की घोषणा की है. हायर सेकेंडरी स्कूल को प्रथम स्थान आने पर 25 से 50 हजार रुपये किया जाएगा. हाई स्कूल के प्रथम आने पर 20 से 30 हजार किया गया. मीडिल स्कूल को 15 से 25 हजार रुपये किया गया. प्राथमिक स्कूल को 10 हजार की जगह 20 हजार किया जाएगा.
इन शिक्षकों दिया गया स्मृति पुरस्कार 2017
राज्य शिक्षा समान सम्मान स्मृति पुरस्कार 2017 से जिन शिक्षकों को सम्मानित किया गया है उनमें राजकुमार वर्मा, सीमा श्रीवास्तव, नरेंद्र कुमार तिवारी, नीलिमा ठाकुर, सियार मालवीय शामिल है.
इन शिक्षकों दिया गया राज्य स्तरीय पुरस्कार 2017
राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार 2017 से जिन शिक्षकों को सम्मानित किया गया है उनमें दीप्ति गुप्ता, कृष्ण कुमार धुरंधर, नासिर खान, भूषण साहू, टीका दास मरावी, भूपेंद्र शर्मा, संतोष कुमार साहू, चमनलाल चंद्राकर, घनाराम देशमुख, संजय मार्टिन, संतोष वर्मा, हितेश दीवान, दिनेश चंद्र खत्री, रामदुलार प्रजापति, बृजेश पांडे, प्रिस्का कुजूर, शैलबाला करण, सुरेंद्र कुमार मिश्रा, शिवप्रसाद कौशिक, जयमंगल ध्रुव, जगन्नाथ, पीला सिंह चौहान, मोहन बंजारे, विनोद सिंह भदोरिया, गंगाराम कश्यप, सुदामा प्रसाद मिश्रा, पवित्र मोहन बेहरा, अशोक कुमार मिश्रा, बीके अडभैया, गरीबा राम मंडावी, चूड़ामणि वर्मा, इनुराम वर्मा, रवींद्रनाथ कर्महे, कमलेश्वर सिंह, सीमांचल त्रिपाठी, केडी देवांगन, रतनलाल बघेल, सीताराम साहू, जगदीश देशमुख, भानु प्रकाश शामिल है.
::/fulltext::पर्यावरणविद हिमांशु ठक्कर ने केंद्र सरकार के ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े किए हैं. कहा है कि इससे गंगा घाटी नष्ट हो रही है.
खास बातें
नई दिल्ली: चार धामा यात्रा के लिए बन रहा चार लेन वाला ऑल वेदर रोड आपदा का कारण बन सकता है. वजह कि इसके निर्माण के चलते पूरी गांगा घाटी का सत्यानाश हो रहा है. लाखों पेड़ बर्बाद हो रहे हैं, यह सिर्फ और सिर्फ आपदा को न्यौता देना है. यह दावा किया है प्रसिद्ध पर्यावरणविद व साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स रिवर्स एंड पीपल्स के संयोजक हिमांशु ठक्कर ने. उन्होंने ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े किए हैं. गंगा नदी की हालत खराब होने को लेकर पर्यावरणविद ने कई कारण भी बताए. पर्यावरणविद हिमांशु ठक्कर ने कई जगहों पर गंगा नदी में पानी के सूखने पर आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, "गंगा के सूखने के पीछे सबसे बड़ा कारण है जलग्रहण क्षमता की कमी, हमारे यहां जब बारिश होती है तो जलग्रहण में उसके पानी को रोकने, उसे जमा करने और उसका पुनर्भरण करने की क्षमता कम हो रही है."
उन्होंने कहा, "इसके साथ ही वनों की कटाई, आद्र भूमि, स्थानीय जल निकायों में कमी की वजह से नदियों का पानी सूख रहा है. दूसरा कारण है कि बांधों और मोड़ों (डाइवर्जन) के कारण पानी पानी बड़े पैमाने पर मुड़ रहा है जिससे गंगा का बहाव कम हो रहा है. तीसरा कारण है भू-जल का जो प्रयोग हो रहा है तो उसके कारण भी गंगा नदी में पानी कम हो रहा है और चौथा कारण जलवायु परिवर्तन है, इसके कारण वाष्पीकरण और पानी का उपयोग दोनों ही बढ़ रहे हैं, जिसके कारण गंगा का पानी सूख रहा है."
गंगा के सूखने से लोगों के रोजगार पर पड़े प्रभाव के सवाल पर मौसम विभाग के पूर्व डीजी हिमांशु ठक्कर ने कहा, "गंगा करीब पांच देशों और 11 राज्यों में बहती है, जिससे करीब 40 से 50 करोड़ लोगों का भरण पोषण होता है. गंगा पर लोगों की अलग-अलग तरीके से निर्भरता है, जो लोग नदी के साथ साथ उसकी सहायक नदियों में मत्स्य पालन पर निर्भर थे, बड़े पैमाने पर उनकी आजीविका खत्म हो चुकी है क्योंकि मछली पालन व्यापक स्तर पर तबाह हो गया है. क्योंकि बहुत सारी मछलियों की विविधता समाप्त हो चुकी है."
उन्होंने कहा, "इसके साथ ही नदी के न बहने के कारण, जो स्थानीय लोग नदियों में नौवहन करते थे उन पर काफी असर हुआ है.जो लोग नदी पर ही पूर्ण रूप से निर्भर थे, उनका जीवन काफी प्रभावित हुआ है और आगे भी भविष्य को लेकर खतरा बरकरार है. इसके अलावा नदी जल की गुणवत्ता का मुद्दा भी काफी जरूरी है. अगर गुणवत्ता खराब होगी तो जो लोग नदी के पानी के ऊपर निर्भर हैं, चाहे खेती के लिए हों, उद्योग के लिए हों या फिर घरेलू उपयोग के लिए, उनके लिए बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है और आगे के दिनों में यह खतरा और बढ़ता जाएगा."
गंगा को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाएं, के सवाल पर हिमांशु ठक्कर ने कहा, "अगर गंगा को बचाना है तो हमें सबसे पहले यह देखना होगा कि किन-किन कारणों से गंगा पर गलत असर हो रहा है. दूसरा गंगा में जो प्रदूषण आ रहा है उसे बंद करना होगा. सरकार तो पिछले 30-35 साल से गंगा एक्शन प्लान के नाम पर गंगा को बचाने का प्रयास कर रही है लेकिन उसमें कुछ सफलता अभी तक हासिल नहीं हुई है. प्लान को सफल बनाने के लिए उन्हें पूरे नियमों को बदलना पड़ेगा. चाहे वह गंगा एक्शन प्लान हो या फिर नमामि गंगे दोनों को ही ठीक करना होगा."
उन्होंने कहा, "दूसरी बात है नदी में पानी हमेशा बहना चाहिए, तो उसके लिए हमें पूरा जल संसाधन प्रबंधन बदलना होगा, उसमें बारिश और वर्षा जल संग्रह को प्राथमिकता देनी होगी. साथ ही फसल पद्धति में बड़े पैमाने पर बदलाव लाना होगा. आज गंगा किनारों पर गन्ने की खेती बड़ी मात्रा में हो रही है, जिससे चीनी का उत्पादन होता है और उसके बाद उस चीनी का फिर निर्यात भी होता है, उसे निर्यात करने के लिए सरकार सब्सिडी भी देती है. इसका मतलब यह है कि गंगा के पानी का निर्यात हो रहा है और उसकी सब्सिडी सरकार दे रही है, बासमती का भी निर्यात होता है और उस पर भी सरकार सब्सिडी देती है तो हमें अपनी फसल पद्धति बदलनी होगी, और इस तरह की फसलों को कैसे कम किया जाए यह देखना होगा और भू-जल स्तर के नियमन को बेहतर करना होगा."
श्रद्धा के नाम पर प्लास्टिक की थैलियों और दूसरी चीजों को गंगा में बहाने से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के सवाल पर उन्होंने कहा, " बिल्कुल स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, देखिए गंगा हमारे देश में बड़ी पूजनीय मानी जाती है. धर्म, संस्कृति में इसका बड़ा स्थान है, हमारे त्योहारों में इसका ऊंचा स्थान है लेकिन दिक्कत यह है कि जो धार्मिक संस्थाएं हैं, जो धर्म से जुड़े हुए लोग हैं उनका गंगा को ठीक करने में कोई योगदान नहीं है, उनकी तरफ से कोई प्रयास नहीं होता. शंकराचार्य हों या कुम्भ मेले, जितनी धार्मिक संस्थाएं हैं किसी ने गंगा को साफ रखने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है."
भोपाल। उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए एससी/एसटी कानून को लेकर कुछ सवर्ण संगठनों द्वारा 6 सितम्बर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को देखते हुए पूरे मध्यप्रदेश में पुलिस अलर्ट हो गई है। प्रदेश के तीन जिलों मुरैना, भिण्ड एवं शिवपुरी में एहतियाती तौर पर धारा 144 तत्काल प्रभाव से लगा दी गई है। यह 7 सितम्बर तक प्रभावी रहेगी।
मध्यप्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक (इंटेलीजेंस) मकरंद देउस्कर ने बताया कि भारत बंद के मद्देनजर प्रदेश के सभी 51 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। शिवपुरी कलेक्टर शिल्पा गुप्ता, भिंड कलेक्टर आशीष कुमार गुप्ता एवं मुरैना कलेक्टर भरत यादव ने बताया कि मध्यप्रदेश दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत जनसामान्य को जानमाल की रक्षा एवं लोक शांति बनाए रखने हेतु राजस्व जिले की सीमा के अंदर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है। जारी आदेश 4 सितंबर से आगामी आदेश तक लागू रहेगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा एससी/एसटी एक्ट में संसोधन किए जाने के विरोध में सवर्ण समाज, करणी सेना, सपाक्स एवं अन्यों द्वारा 6 सितम्बर को ‘भारत बंद’ के आह्वान के मद्देनजर यह आदेश जारी किया गया है। इस बीच, ब्रह्म समागम सवर्ण जनकल्याण संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र शर्मा ने कहा कि एससी/ एसटी एक्ट के विरोध में संगठन 6 सितंबर को शांतिपूर्ण भारत बंद का समर्थन करेगा।
रायपुर . सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था की कोई भी व्यक्ति या गैर योग्यता धारक लोग पैथोलॉजी लैब नहीं चला पाएंगे। पर राज्य में बड़े पैमाने पर ऐसे लैब चलाये जा रहे हैं जिनमे बिना योग्यता के लोग काम कर रहे है. छत्तीसगढ़ पैथालाजिस्ट एसोसिएशन संघ के अध्यक्ष राजू भैसारे ने कहा कि बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल पर नजर डालें तो ज्यादातर अपने यहां लैब चला रहे हैं। जबकि, लैब के लिए अलग से पंजीकरण अनिवार्य है, जिसके लिए एमडी पैथोलॉजिस्ट जरूरी है। इन हॉस्पिटल में नियम-कानूनों को ताक पर रखकर मरीजों को सीधे रिपोर्ट दी जा रही हैं। ऐसे संचालित लैब पर कार्रवाई करने कि मांग की है, साथ ही ऐसे लैब संचालको को कड़ी सजा देने कि बात कही है.
संघ के अध्यक्ष राजू भैसारे ने कहा कि पैरामेडिकल लेवोरेटरी संघ के विरूद्ध उत्तर गुजरात पैथालाॅजी ऐसोसिएशन की याचिका पर 17 वर्षो बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा 12 दिसम्बर 2017 को निर्णय सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश को माह जनवरी 18 में छ.ग स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, एव संचालक स्वास्थ्य को ज्ञापन सौंपा है, परन्तु विभाग द्वारा प्रदेश में कोई भी दिशा में निर्देश जारी नहीं किए गया है।
इस दिशा में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र्, हरियाणा, पंजाब, म.प्र, सरकार ने भी आदेश के परिपालन हेतु आदेश जारी कर दिया है। छत्तीसगढ़ के अधिकांश चिकित्सालयों में लेब टेकनीशियन द्वारा पैथोलेब संचालित की जा रही है। छत्तीसगढ़ पैथाजाजिस्ट एसोसिएशन राज्य सरकार से मांग कर रहा है कि सुप्रिम कोर्ट के आदेशों को सख्ती से पालन किया जाये। संघ ने मांग न माने जाने पर प्रदेश बंद करने की चेतावनी दी हैं साथ ही उच्च न्यायालय में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर अवमानना हेतु याचिका दायर करने की बाद कही है।
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