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अकलतरा. सरकार के दावों की पोल लगातार खुल रही है. बता दें कि जब भी आप प्रदेश के दूरदराज के इलाकों के स्कूल की जमीनी हकीकत खगालेंगे तब-तब आप देखेंगे कि सरकार के सारे दावे धरातल पर धराशाई हो जाते हैं. बात करें जमीनी हकीकत की तो सच्चाई जानकर आप भी चौंक जाएंगे. आप चाहते हैं कि आप के घर का बच्चा ऐसे स्कूल में पढ़ें. जहां बेहतर व्यवस्था हो,लेकिन इसे हम अपना दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज भी हमारे प्रदेश में कुछ इलाके ऐसे हैं. जहां अच्छी शिक्षा व्यवस्था पहुंच ही नहीं पाई है, और यदि शिक्षा को दुरुस्त करने कहीं व्यवस्था भी की गई है, तो उसे कुछ लोग अपनी मनमानी का शिकार बना लेते हैं.
दरअसल आप सोच रहे होंगे कि इतनी लंबी चौड़ी बात पहले क्यों की जा रही है. तो चलिए आपको पहले बता देंते हैं कि जिले के अकलतरा में आज भी एक ऐसा स्कूल संचालित हो रहा है,जहां बच्चे चार दीवारी के अंदर नहीं बल्कि खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. हम बात कर रहे हैं कि यहां शासकीय प्राथमिक शाला पोड़ीभांटा की, स्कूल के बारे मेंं बताया गया है कि करीब तीन साल पहले विद्यालय का भवन जर्जर होने के कारण तोड़ दिया गया था. जिसके बाद से आज तक स्कूल के कमरों का निर्माण नहीं हो सका है. ऐसे में हालत ये हैं कि छोटे बच्चों को चाहे कोई भी मौसम हो बच्चे जमीन पर बैठकर ही पढ़ते हैं.
बच्चों के लिए यहां सबसे दयनीय स्थिति तब होती है जब बरसात का मौसम शुरू होता है. बरसात के मौसम न केवल उन्हें प्राकृतिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है,बल्कि इन दिनों होने वाली बीमारियों से भी दो-चार होना पड़ता है. बताया ये भी गया है कि यहां डेंगू ने पहले ही फन काढ़ रखा है,जिसके कारण एक की मौत हो गई है,वहीं कई लोग अब भी बीमार चल रहे हैं. ऐसे में इन बच्चों का भविष्य़ तो पहले से ही बीच मजधार में फंसा है और इस मौसम ने डेंगू के आतंक ने इनकी रातों की नींद उड़ा दी है. अभिभावकों की माने तो उन्हें इस बात की ही चिंता है कि कहीं उनके बच्चे भी बीमार न हो जायें. पर मजबूरी,गरीबी इतनी ज्यादा है कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है. इसलिए वे अपने बच्चों के यहां पढ़ाने के लिए मजबूर हैं.
इधर प्रशासन से जब इस संदर्भ में बात की जाती है,तो उन्होंने मानो एक शाब्द याद कर रखा हो,हां जल्द बनवाने की बात करके पलड़ा झाड़ लेते हैं. ऐसे में अब ये देखने वाली बात ये होगी कि प्रशासन कोई अनहोनी होने के बाद ये हरकत में आते हैं. या इससे पहले ही कोई ठोस कदम उठाती है.
::/fulltext::रायपुर। जोगी कांग्रेस को 24 घंटे के भीतर कांग्रेस ने दूसरा बड़ा झटका दिया है। डौंडी लोहारा के पूर्व विधायक डोमेंद्र भेड़िया जोगी कांग्रेस छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में डोमेंद्र भेड़िया ने पीसीसी चीफ भूपेश बघेल और शीर्ष कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान किया। इससे पहले गुरुवार जोगी कांग्रेस यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष बिनोद तिवारी भी जोगी कांग्रेस को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये थे।
भूपेश ने इसके बाद न्यूपावर गेम से बातचीत में इस बात के संकेत दे दिये थे कि शुक्रवार को जोगी कांग्रेस का कोई और बड़ा नेता भी कांग्रेस का हाथ थाम सकता है। और आज इसकी औपचारिक घोषणा हो गयी। डोमेंद्र भेड़िया के बारे में कहा जा रहा था कि वो डौंडी लोहारा से टिकट के प्रबल दावेदार थे। पूर्व विधायक डोमेंद्र भेड़िया को काफी जमीनी पकड़ वाला आदिवासी नेता माना जाता है। उनके कांग्रेस में आने से जोगी कांग्रेस को बड़ा ही तगड़ा झटका लगा है। आज भूपेश बघेल ने भेड़िया को कांग्रेसी दुपट्टा पहनाकर कांग्रेस में वापसी का स्वागत किया।
::/fulltext::रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में विधानसभा चुनाव 2018 के लिए 90 सीटों पर हजारों दावेदारों के नाम आने के बाद की छटनी शुरू हो गई है. कई सीटों पर तो सिंगल नाम आए हैं, लेकिन कई सीटों पर 50-50 नाम भी हैं. ऐसे में अब चुनाव समिति की ओर से आम सहमति बनाकर पैनल तैयार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि तीन से चार नाम का पैनल बनया जा रहा है. पैनल में शामिल किए गए नामों को स्क्रिनिंग कमेटी के सामने रखा जाएगा.
चुनाव समिति की आज हो रही बैठक में आज दावेदारों के नाम को लेकर चर्चा चल रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की और राष्ट्रीय नेता मोतीलाल वोरा के साथ प्रदेश दिग्गज नेताओं के साथ ही रही इस पहली बैठक में पैनल को लेकर आम सहमति बनाया जा रहा है. जिन दावेदारों के नाम पैनल में शामिल किए जा रहे हैं उसे लेकर कार्यकर्ताओं की पूरी फीड बैक भी लिए जा रहे हैं. इसके साथ ही चुनाव समिति के सदस्यों के साथ पर राय भी ली जा रही है.
बताया जा रहा कि जोगी पार्टी में के साथ जाने वाले 3 विधायकों को मौजूदा 36 विधायकों में दर्जन भर विधायकों के नाम पैनल में शामिल ही नहीं किया जा रहा है. वहीं इसके साथ ही 2013 का चुनाव हारने वाले करीब आधा दर्जन उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्हें 2018 के चुनाव में फिर से टिकट देने की तैयारी की जा रही है.
पेड़ों को बचाने के लिए शिक्षक सुभाष श्रीवास्तव ने देवी-देवताओं को उनका संरक्षक बना दिया है।
जगदलपुर। पेड़ों को बचाने के लिए शिक्षक सुभाष श्रीवास्तव ने देवी-देवताओं को उनका संरक्षक बना दिया है। संरक्षक इसलिए क्योंकि वह पेड़ों के तनों पर देवी-देवताओं की आकृति उकेर कर उस पर सिंदूर पोत देते हैं। इसके बाद ग्रामीण उस पेड़ को पूजने लगते हैं। सुभाष के इन्हीं प्रयासों के चलते बस्तर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम भोंड के आश्रित पिडसीपारा में, जहां कटाई से वनक्षेत्र खत्म होने की कगार पर थे, आज बड़े इलाके में हरा-भरा जंगल पनप रहा है।
वैसे तो बस्तर अपने घने जंगलों के लिए जाना जाता है, लेकिन भौतिकता के पीछे अंधी दौड़ के बीच पर्यावरण को बचाने के लिए देश-दुनिया में जिस प्रकार की चिंता हो रही है, उससे यहां के लोग भी अछूते नहीं हैं। सुभाष के प्रयासों का ही परिणाम है कि ग्राम पिडसीपारा के बड़े क्षेत्र में अब घना जंगल तैयार हो गया है।
यहां कुल्हाड़ी के वार पर सुभाष के प्रयासों ने विजय पाई है। इसके चलते अब ग्रामीण इस जंगल को देव कोठार कहते हैं, यानी जहां देवता का वास होता है। देव कोठार में अब ग्रामीणों की ओर से ही पेड़ों की कटाई पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है। विश्व पर्यावरण दिवस पर यहां हर साल मेला लगता है। इसमें बच्चे-बड़े-बुजुर्ग सभी पेड़ों की रक्षा का संकल्प लेते हैं। पिडसीपारा के पूर्व सरपंच सोनसाय कहते हैं कि सुभाष गुरुजी की वजह से इस गांव में ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों में भी अब जंगल बचाने का जज्बा बिजली की तरह दौड़ रहा है।
जेब में बीज व औजार दोनों
सुभाष जेब में बीज और लोहे के औजार लेकर चलते हैं। नदी के किनारे, खाली पड़ी सरकारी जमीन व खेत के मेड़ों पर बीज रोपना उनकी आदत में शामिल है। औजार से ही वह तनों पर खुरचकर देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरते हैं, उस पर सिंदूर पोत देते हैं। सुभाष बताते हैं कि बस्तर के आदिवासियों की ईश्वर में अगाध आस्था है। इसीलिए वह देवी-देवताओं के चित्र उकेरते हैं, ताकि ग्रामीण उन्हें काटने से परहेज करें।
गांव-गांव देते पर्यावरण का संदेश
सुभाष जहां भी जाते हैं, छात्रों, शिक्षकों व ग्रामीणों के बीच बैठकर कुछ समय पर्यावरण की चर्चा जरूर करते हैं। गांवों में पहुंचने के साथ स्वयं के खर्च पर पिछले बीस साल से वह पर्यावरण से जुड़ी सार्वजनिक प्रदर्शनी लगाकर जनचेतना जागृत करने का काम भी कर रहे हैं।
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