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रायपुर.छत्तीसगढ़ से शुरू होने वाली तथा रायपुर से गुजरनेवाली दर्जनभर बड़ी ट्रेनों में रायपुर मंडल ने जनवरी मध्य से अब तक भीड़ को ध्यान में रखते हुए करीब चार माह में 43 एक्सट्रा बोगियां जोड़ी हैं। भास्कर की पड़ताल के मुताबिक इनमें 32 स्लीपर और 11 एसी बोगियां हैं। इन श्रेणियों में वेटिंग क्लीयर करने के लिए कोच जोड़े गए हैं, लेकिन सबसे ज्यादा बुरा हाल इन ट्रेनों की जनरल बोगियों का है।
72 लोगों की क्षमता वाली इन बोगियों में तीन-तीन सौ लोग सामान के साथ सफर कर रहे हैं। पांव रखने की जगह नहीं है, जनरल कोच का वातावरण दम घोंटने वाला हो गया है। लेकिन रेलवे ने किसी भी ट्रेन में एक भी एक्सट्रा जनरल बोगी नहीं जोड़ी है, ताकि इस क्लास के यात्रियों को कम से कम खड़े रहकर सफर करने की जगह मिल सके।
सवाल के जवाब में रेल अफसर चुप
देश का रेलवे बोर्ड ट्रेनों में एसी कोच बढ़ाने की तैयारी में है। रेल अफसरों का ही मानना है कि 22 बोगियों वाली किसी भी ट्रेन में अगर तीन सा साढ़े तीन (पार्सल वैन समेत) जनरल बोगियां हैं तो इनमें इतने यात्री चल रहे हैं, जितने ट्रेन की बाकी 18 एसी-स्लीपर बोगियों में सब मिलाकर नहीं रहते। इसके बावयूद रायपुर रेल मंडल ने यहां की किसी ट्रेन में जनरल बोगी नहीं बढ़ाई है जबकि मंडल में ऐसी बोगियां उपलब्ध हैं। ऐसा क्यों, इस सवाल के जवाब में रेल अफसर चुप हैं, लेकिन जानकारों के मुताबिक एक्स्ट्रा कोच के मामले में रेलवे का फोकस कमाई पर ज्यादा है।
जनरल से बहुत कम आय कमाई का यह समीकरण
रेलवे बोर्ड के ही आंकड़े बताते हैं कि देशभर में 1 अप्रैल 2016 से 10 मार्च 2017 के बीच लंबी दूरी की ट्रेनों में थर्ड एसी कोचों में 17 फीसदी यात्रियों ने सफर किया। इनसे होने वाली आय रेलवे की कुल आमदनी (किराया) का 32. 60 फीसदी है। इसी अवधि में स्लीपर से 59.78 फीसदी लोगों ने सफर किया। स्लीपर से रेलवे की आय 44.78 फीसदी है। इसकी तुलना में रेलवे को जनरल बोगियों से 8 फीसदी से भी कम आमदनी हुई है। जानकारों का दावा है कि जनरल में एक्सट्रा कोच नहीं जोड़ने का यह बड़ा कारण है कि कमाई कम है।
सिर्फ 8 ट्रेनों में जोड़े गए कोच
रायपुर मंडल की जिन 8 ट्रेनों में रेलवे ने एक्सट्रा कोच लगाए हैं, उनके जनरल में ठसाठस भीड़ है। लोग फर्श, गेट व बाथरूम के पास बैठकर सफर कर रहे हैं, लेकिन कोच या तो एसी वाले लगे हैं या स्लीपर। जैसे, सारनाथ एवं दुर्ग-राजेंद्रनगर साउथ बिहार एक्सप्रेस में एक-एक स्लीपर कोच जोड़ा गया है। दुर्ग-अंबिकापुर एक्सप्रेस में 30 जून तक के लिए एक स्लीपर कोच लगाया गया है। बिलासपुर-रींवा इंटरसिटी में 1 जुलाई तक स्लीपर का एक एक्स्ट्रा डिब्बा रहेगा। बिलासपुर-पटना एक्सप्रेस में एक एसी-3 सह 2 कोच लगाया गया है। पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस में भी एसी-3 का एक्सट्रा कोच लगा है। विशाखापटनम-कोरबा लिंक एक्सप्रेस और हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस में भी एक-एक एसी थ्री कोच एक्सट्रा लगाया गया है।
जोन ने सालभर में तीन हजार एक्सट्रा कोच लगाए, इनमें जनरल केवल 10
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन (एसईसीआर) में रायपुर, बिलासपुर और नागपुर मंडल आते हैं। जोन ने पीक सीजन यानी इस साल मार्च में 98 और अप्रैल में 111 एक्सट्रा कोच जोड़े हैं, अर्थात दो माह में 209 एसी व स्लीपर कोच लगाए। जोन ने भी किसी भी ट्रेन में एक्सट्रा जनरल कोच नहीं जोड़ा। सालभर में तो हाल और बुरा है। अप्रैल-2017 से अप्रैल-2018 तक जिन में 3 हजार 62 अतिरिक्त कोच विभिन्न ट्रेनों में लगाए गए। जो आंकड़े मिले हैं, उनके अनुसार इनमें जनरल कोच की संख्या 10 ही है।
राजेश्वर तिवारी, जांजगीर-चांपा। संविलियन कि मुख्य मांग को लेकर आज जिले के शिक्षाकर्मीयो ने अपनी आवाज रायपुर मे बुलन्द की जिसमे सभी शिक्षाकर्मीयो ने तपती धूप में सरकार से संविलियन मांगा। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए जिला संचालक अनुभव तिवारी विकास सिंह, सत्येन्द्र सिंह, संतोष शुक्ला जयंत सिंह ने बतलाया की रायपुर के बूढ़ा तालाब में आयोजित विशाल जनसभा में शिक्षाकर्मीयों ने संविलियन की मांग करते हुए संविलियन विथ सेल्फी का आह्वान किया। साथ ही सभी शिक्षाकर्मीयो ने संविलियन की घोषणा नहीं होने पर बटन दबाकर परिवर्तन करने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर प्रदेश उप संचालक बसंत चतुर्वेदी, बोधिराम साहू, योगेन्द्र शुक्ला, धनंजय शुक्ला, प्रदीप सिंह, राजेश तिवारी, वेद प्रकाश सिदार, राजकिशोर धीरही, महेश साहू, भवानी पाण्डे, सम्मी सागर, माहेश्वरी सहित भारी संख्या में उपस्थित थे।
महासमुंद 12 मई 2018। महासमुंद में देर रात आग ने खूब तांडव मचाया। देर रात एक दुकान में भीषण आग लग गयी, इस घटना में लाखों का सामान जलकर खाक हो गया। घटना अम्बेडकर चौक की है। म्बेडकर चौक के राम किराया भंडार में ये आग लगी। देखते ही देखते मिनटों में आग ने पूरे दुकान को अपनी चपेट में ले लिया। आग की ऊंची उठती लपटों को देखकर आस पड़ोस के लोगों ने तत्काल फायर बिर्गेड को इसकी सूचना दी, लेकिन जब तक फायर बिर्गेड पहुंचती तब तक पूरी दुकान खाक होगयी थी।
आग की वजह शार्ट सर्किट बताई जा रही है, हालांकि पूरी जानकारी जांच के बाद ही सामने आ पायेगा। आगजनी में लाखों के नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
ग्राम परतापुर में 10 बिस्तरों का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र झोपड़ी में संचालित हो रहा है।
जगदलपुर.डिमरापाल स्थित नए मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार का दिन महत्वपूर्ण रहा। यहां इलाज से पहले डाॅक्टरों ने पूजा पाठ की। इसमें खास बात यह रही कि इस पूरे आयोजन से नेताओं और दीगर अफसरों को दूर रखा गया। मेकॉज के डीन और कुछ डाॅक्टरों ने मिलकर मशीनों की पूजा की। इसके साथ ही ऐसा माना जा रहा है कि डिमरापाल स्थित नए मेकॉज परिसर का उदघाटन हो गया है।
इससे पहले ऐसा कहा जा रहा था कि विकास यात्रा में आ रहे सीएम रमन सिंह के हाथों इस हॉस्पिटल में पूजा-पाठ के बाद विधिवत शुरुआत होगी लेकिन अचानक ही शुक्रवार को डाॅक्टरों ने यहां मशीनें फिट करवाई और पूजा-पाठ का कार्यक्रम आयोजित कर दिया। आनन-फानन में पंडित को बुलाया गया और मशीनों की पूजा करवाई गई। खबर शहर तक आई और जब जिम्मेदारों से लोगों ने सवाल पूछने शुरू किए तो मेकॉज के डीन सहित अन्य लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि यह कोई उदघाटन नहीं हुआ है। बल्कि सिर्फ ऑपरेशन थियेटर की शुरुआत से पहले कुछ डाॅक्टरों ने पूजा पाठ की है।
विधायक बोले- कोई जानकारी नहीं है
इधर मेकॉज में ओटी के लिए पूजा-पाठ की कोई जानकारी स्थानीय विधायक संतोष बाफना को भी नहीं दी गई है। उनसे जब पूछा गया कि नए हास्पिटल की ओटी की शुरुआत के लिए पूजा पाठ की गई है और इसमें आपको आमंत्रित किया गया था क्या तो उन्होंने कहा कि नहीं इसकी कोई जानकारी उन्हें नहीं है।
सीधी बात : यूएस पैंकरा, मेडिकल कॉलेज के डीन
सवाल- मेडिकल कॉलेज का उदघाटन कर दिया क्या सर?
जवाब- किसने बोला कब हुआ ऐसा कुछ नहीं है, इसका उदघाटन तो सरकार करेगी, सीएम करेंगे।
सवाल- शुक्रवार को पूजा-पाठ की गई है पंडितजी आए थे।
जवाब-नहीं-नहीं उदघाटन नहीं ऑपरेशन थियेटर वालों ने पूजा-पाठ की है।
सवाल- अच्छा कॉलेज का उदघाटन नहीं हुआ है।
जवाब-हास्पिटल का उदघाटन तो मुख्यमंत्री करेंगे।
सवाल- तो हर डिपार्टमेंट का अलग-अलग उदघाटन करवाएंगे?
जवाब- नहीं यार ओटी बन गया है, इमरजेंसी केस आने से पहले पूजा पाठ करवा दिया उसने।
सवाल- किसने करवा दिया सर पूजा-पाठ?
जवाब-ओटी जिसका है ओटी का मालिक जो है उसने करवाया।
सवाल- ओटी का मालिक कौन है ,कौन डाॅक्टर साहब हैं?
जवाब- क्या मतलब...
सवाल- किस डाॅक्टर साहब ने करवाई है पूजा-पाठ?
जवाब-एनेस्थिसिया वाले करवाए हैं। उनका ओटी बन गया है तो अगरबत्ती लगा दी कौन सी बड़ी बात है।
विधायक के पास समय नहीं 10 माह से झोपड़ी में अस्पताल
ग्राम परतापुर में 10 बिस्तरों का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र झोपड़ी में संचालित हो रहा है। ऐसे में शासन ने मरीजों को होने वाली असुविधा को देखते 2008 में भवन बनाने स्वीकृति दी। नक्सली समस्या के चलते भवन 9 साल बाद 2017 में बनकर तैयार हुआ। भवन बने 10 माह गुजर जाने के बाद भी नये अस्पताल भवन का लोकार्पण नहीं हो पाया है। विभाग कह रहा विधायक ने जताई थी फीता काटने की इच्छा लेकिन समय नहीं दे पा रहे। ऐसे उस समय में देखने को मिल रहा है जब देश की राजधानी में लोगों की परेशानी देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नई दिल्ली में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन दो बार टलने पर गुरुवार को कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि 31 मई तक प्रधानमंत्री उद्घाटन करें या न करें, 1 जून से हर हाल में एक्सप्रेस-वे को जनता के लिए खोल दिया जाए।
दिल्ली-एनसीआर पहले से ही ट्रैफिक का भारी दबाव झेल रहा है। लेकिन यहां पहले ही 9 साल में जाकर तैयार हुए भवन को शुरू करने के लिए 10 महीने से इंतजार किया जा रहा है क्योंकि हमारे विधायक के पास समय नहीं है। इन सबके बीच अस्पताल अब भी किराए की झोपड़ी में संचालित हो रही है। कोयलीबेड़ा ब्लाक पहले से ही स्वास्थ्य शिक्षा जैसे बुनियादी समस्याओं के मामले में पिछड़ा हुआ है। इस समस्या के लिए केवल नक्सली ही नहीं क्षेत्र के अफसर तथा जनप्रतिनिधि भी उतने ही जिम्मेदार हैं। शासन ने परतापुर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए वर्ष 2008 में भवन निर्माण के लिए राशि स्वीकृत की थी। निर्माण भी स्थानीय ठेकेदार ने शुरू किया गया लेकिन नक्सली समस्या और धमकी के चलते भवन निर्माण नहीं हो सका। परतापुर में नक्सल समस्या इतनी अधिक थी की ठेकेदार ने काम अधूरा छोड़ दिया। उसने विभाग को काम नहीं कर पाने लिखित सूचना दी थी।