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गरियाबंद. मेडल लेकर लौटी बेटियों के स्वागत के लिये बस स्टैंड पहुंचे संसदीय सचिव ने बेटियों के स्पोर्ट्स किट के लिये 60 हजार रुपए देने का एेलान किया है. उन्होंने कहा कि अभावों के बीच निखरी इन प्रतिभाओं ने जिले का मान बढ़ाया है. सीएम से चर्चा कर यहां कुछ बेहतर करवाने का प्रयास करेंगे.
बीते रविवार को मुम्बई के ठाणे में आयोजित कराटे ओपन चैम्पियन शिप में देवभोग के कस्तूरबा गांधी विद्यालय की बेटी मीनाक्षी साहू ने गोल्ड मैडल व पद्मल्या यादव ने ब्रास मेडल जीत कर सबको चौका दिया था. आज ये दोनों बेटिया अपने कोच बरखा साहू के साथ बस से देवभोग लौटी. उनके स्वागत के लिये यंहा के विधायक एवं संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी बस स्टेंड पहुंचे. उनके साथ जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल कई वरिष्ठ कार्यकर्ता के साथ होरी लाल साहू, चन्द्र शेखर सोनवानी, अनिल बेहेरा, राजेश पांडेय के अलावा बीईओ प्रदीप शर्मा एवं स्थानीय प्रशासनिक अमला मौजूद थे.
बेटियों को फूल माला से स्वागत किया गया साथ ही मिठाईयां भी खिलाई गई. संस्था की अधिक्षिका अमिता मेढ़े, कस्तूरबा की सहपाठी समेत पूरी छात्राएं स्वागत के लिये आई हुई थी. बैंड बाजे के साथ रैली निकाल कर छात्राएं विद्यालय तक ले गई. आतिशबाजी व जयकारे के जोरदार नारे भी लगाए गये.
इस दौरान विधायक एवं संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी ने कहा कि ग्रामीण इलाके के खेल प्रतिभा को निखारने के लिये बहुत जल्द क्रीड़ा परिसर का निर्माण हो इसके लिये सीएम से मिलकर मांग रखने को बात कही है. मांझी ने दोनों बच्चों के स्पोर्ट्स किट खरीदने के लिए 30-30 हजार की राशि देने के ऐलान किया है.
::/fulltext::रायपुर. छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े इनामी नक्सली ने आज दुर्ग आईजी के सामने सरेंडर कर दिया। हार्डकोर नक्सली पहाड़ सिंह छत्तीसगढ़ के नक्सल कमांडर में बड़ा नाम था, जिस पर पुलिस ने 47 लाख रुपये का इनाम रखा था। पहाड़ सिंह महाराष्ट्र, मप्र और छग की स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य है। समर्पण के लिहाज ये अब तक की सबसे बड़ी इनामी राशि वाले नक्सली की सरेंडर कही जा सकती है।
::/introtext::हालांकि पहाड़ सिंह ने बिना हथियार के ही सरेंडर किया है। जानकारी के मुताबिक पहाड़ सिंह के साथ 3 गनमैन सुरक्षा में तैनात रहते थे, लिहाजा वो हथियार के साथ नहीं निकल सका। आईजी जीपी सिंह ने newpowergame.com से इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि नक्सली कमांडर का सरेंडर पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी है, इससे नक्सल संगठन की कमर टूटेगी।
करीब 20 सालों से पहाड़ सिंह नक्सल संगठन से जुड़ा हुआ था, मूल रूप से राजनांदगांव के छुरिया का रहने वाला था पहाड़ सिंह । ये नक्सली कान्हा और भोरमदेव इलाके में भी काफी सक्रिय था।
::/fulltext::रायपुर. लगता है मोर्चा का पूरा तमाशा बनाकर ही ये नेता मानेंगे। पिछले तीन महीने से ना तो मोर्चा में एकता है और ना ही तालमेल, बावजूद आये दिन मोर्चा के नाम पर आयोजन का दावा होता है, जिसका बाद में उनके नेता ही हवा निकाल देते हैं। पिछले कई आयोजन गवाह हैं, जिसके लिए मीडिया में विज्ञप्ति पांचों संगठन के नाम से जारी हुआ, लेकिन पता चला आपस में ही इसकी एक राय नहीं बन पायी। चाहे चीफ सिकरेट्री से मिलने की बात हो या फिर महासम्मेलन के आयोजन का ऐलान हो। मोर्चा के नाम पर अपनी डपली-अपनी राग की जो कहावत चल रही है, वो फिलहाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
::/introtext::इन सब नाटकीय घटनाक्रम के बीच ताजा ट्विस्ट ये आया है कि चंद्रदेव राय ने व्हाट्सएप ग्रुपों में मोर्चा के नाम से 24 अगस्त को प्रांतीय बैठक आयोजित करने की बात कही है। दिलचस्प बात ये है कि चंद्रदेव राय, विकास राजपूत, केदार जैन, विरेंद्र दुबे और संजय शर्मा के नाम से जारी किये गये मैसेज को लेकर मोर्चा में ही आपस में राय नहीं है। पुख्ता जानकारी मिली है कि संजय शर्मा का संगठन इस बैठक में शामिल नहीं हो रहा है। हालांकि हमने विरेंद्र दुबे से भी देर रात बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
पांचो संगठन अपनी डपली-अपनी राग बजाते नजर आते हैं। चंद्रदेव राय और विकास राजपूत ने मिलकर सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया, तो इधर संजय शर्मा संगठन, वीरेंद्र दुबे संगठन और केदार जैन संगठन ने एक-दूसरे के खिलाफ तलवारें तान ली। खुलकर सोशल मीडिया पर तीनों की तकरार उजागर हुई। रही-सही कसर पिछले दिनों संजय शर्मा के संगठन के महासम्मेलन आयोजित करने के ऐलान के बाद पूरी हो गयी। क्योंकि उसके बाद विरेंद्र दुबे के गुट ने नाम लिये बिना संजय शर्मा के संगठन पर हमला बोल दिया।
ये बैठक 24 अगस्त को शाम 4 बजे रायपुर के कलेक्टरेट गार्डेन में बुलायी गयी है। लेकिन बैठक के पहले ही पांच संगठनों में से एक संगठन के बैठक से अलग हो जाने के बाद अब फिर से एक मोर्चा की एकता सवालों के घेरे में हैं। हालांकि सवाल ये भी उठ रहा है कि जब मोर्चा की आपस में बन नहीं रही है, तो फिर मोर्चा का औचित्य रह क्या जाता है। ऐसे देखा जाये तो संजय शर्मा का संगठन जहां महासम्मेलन की तैयारी कर रहा है, तो वहीं विरेंद्र दुबे ये ऐलान कर चुके हैं कि महासम्मेलन या नहीं तो महाआंदोलन…वहीं चंद्रदेव राय और विकास राजपूत वर्ग तीन के वेतन विसंगति और वर्ष वंधन को लेकर एकला चलो रे की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। केदार जैन खुद पहले ये बता चुके हैं कि मोर्चा को हाईजैक करने की कोशिश हो रही है। ऐसे में मोर्चा का तो भगवान ही मालिक नजर आ रहा है।
::/fulltext::रायपुर. छत्तीसगढ़ कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की बैठक 24 अगस्त को होगी। टिकट बंटवारे के लिहाज से ये बैठक काफी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इस बैठक में ही दावेदारों का पहला खाका तैयार होगा और प्रत्याशियों का पैनल तैयार करने की कोशिश होगी। हालांकि इस बात की गुंजाइश ज्यादा दिख नहीं रही है कि पहली बैठक में पैनल तैयार कर लिया जाये। कांग्रेस के टॉप लीडर भी मान रहे हैं कि पहली बैठक में तो सिर्फ नामों पर चर्चा होगी और स्क्रूटनी की जायेगी।
::/introtext::अगले दिन स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक है, लिहाजा इलेक्शन कमेटी में जो नाम चर्चा में आयेंगे, उस पर स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में चर्चा होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि इलेक्लशन कमेटी की पहली बैठक और सक्रीनिंग कमेटी की 25 अगस्त को होने वाली चर्चा में प्रत्याशी चयन का आधा से ज्यादा काम हो जायेगा। हालांकि इस बैठक में हर जिलों से समन्वयकों की मंगायी रिपोर्ट भी काफी अहम रहेगी, क्योंकि उसी लिस्ट के आधार पर इलेक्शन कमेटी ये तय कर पायेगी, कि नामों का पैनल किस तरह से तैयार करना है। लिस्ट अगर ज्यादा लंबी होगी, तो स्टेट इलेक्शन कमेटी को लंबी एक्सरसाइज करनी होगी और लिस्ट कम हुई, तो इलेक्शन कमेटी को नामों पर एक राय बनाने में ज्यादा आसानी होगी।
24 अगस्त को इलेक्शन कमेटी की बैठक के साथ-साथ चुनाव के मद्देनजर बनायी गयी अलग-अलग कमेटियों की भी 24-25 अगस्त को बैठक होगी। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया भी मौजूद रहेंगे। रायपुर के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में होने वाली इस बैठक में जिलों से आने वाले नामों पर चर्चा की जायेगी। अभी तक प्रदेश स्तर पर दो बैठके कर स्टेट इलेक्शन कमेटी अपने पैनल को फाइनल करने की तैयारी में है, लेकिन नामों की सूची तय करेगी कि स्टेट इलेक्शन कमेटी की बैठकों का दौर कितना होगा।
मिली जानकारी के मुताबिक कई जगहों से सिंगल नाम हैं, लिहाजा उन जगहों पर नामों की घोषणा में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जहां ज्यादा दावेदार हैं, वहां अलग-अलग दौर की बैठकों में उन नामों की स्क्रूटनी की जायेगी। हालांकि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के मुताबिक कोशिश ये है कि सेंट्रल इलेक्शन कमेटी को जो प्रस्ताव भेजे जायें, उसमें नामों का पैनल ज्यादा ना हो इसका ख्याल रखा जायेगा। लिहाजा पैनल में दो या ज्यादा से ज्यादा तीन नाम होंगे…उससे पहले स्क्रूटनी स्टेट इलेक्शन कमेटी की बैठक में कर लिया जायेगा।
इस दफा कांग्रेस ने टिकट की दावेदारी के लिए ओपन फार आल का आप्शन रखा था, लिहाजा 90 विधानसभा के लिए 1000 से ज्यादा दावेदार आये हैं।
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