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येन बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल।। मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था। इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है, जबकि देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था। मौली को हर हिन्दू बांधता है। इसे मूलत: रक्षा सूत्र कहते हैं।
किसी भी इंसान के व्यक्तित्व के बारे में जानने के कई तरीके हैं। किसी व्यक्ति के बाहरी एवं शारीरिक बनावट से भी उसके व्यवहार और स्वभाव के बारे में गहरे राज़ पता किए जा सकते हैं। आज इस लेख के ज़रिए हम आपको विभिन्न तरीके की फिंगरप्रिंट्स के बार में बताने जा रहे हैं। ये विभिन्न तरह की फिंगरप्रिंट्स किसी भी तरह के इंसान के व्यक्तित्व के राज़ खोल सकती हैं। विज्ञान की मानें तो मुख्य तौर पर 3 तरह के फिंगरप्रिंट होते हैं और इनकी विभिन्नता से आप किसी इंसान के व्यक्तित्व एवं पर्सनैलिटी के बारे में जान सकते हैं। लेकिन इसकी शुरुआत करने से पहले ये जान लेते हैं कि आपका कौन-सा फिंगरप्रिंट है।
लूप्स फिंगरप्रिंट
अगर आपकी उंगलियों में लूप्स हैं तो इसका मतलब है कि आप उदार हैं। इस तरह के फिंगरप्रिंट वाले लोग बहुत दयालु और शांत होते हैं। ये संतुलित व्यक्तित्व वाले होते हैं। आप दूसरों का आदर और सम्मान करने वाले होते हैं। आप आसानी से दोस्त बना लेते हैं और आपके कुशल व्यवहार के कारण ही लोग आपके प्रति आकर्षित होते हैं।
स्वर्ल टाइप
अगर आपके स्वर्ल टाइप फिंगरप्रिंट हैं तो आपको गुस्स बहुत जल्दी आता है। इन लोगों को क्रोध बहुत आता है और ये बात-बात पर बिगड़ पड़ते हैं। वहीं दूसरी ओर ये आपके साफ दिल का भी संकेत देता है। आप कड़वी यादों को संजोकर रखने वालों में से नहीं हैं। आपके दिल में जो भी होता है कह देते हैं। दूसरों की पीठ पीछे बोलना आपकी आदत नहीं है।
कर्व टाइप
अगर आपकी उंगलियों पर कर्व हैं तो आप थोड़े से तुनकमिजाजी हो सकते हैं। इस तरह के फिंगरप्रिंट वाले लोग आत्मविश्वासी और ऊर्जा से भरपूर होते हैं। तो अगर आपके फिंगरप्रिंट इस तरह के हैं तो आप जिद्दी हो सकते हैं और अपनी बात पर अड़े रहने वालों में से हो सकते हैं। आप जिस पर भी भरोसा करते हैं वो आपको धोखा दे देता है। इसके अलावा अन्य और प्रकार के भी फिंगरप्रिंट्स होते हैं। तो चलिए उनके बारे में भी जान लेते हैं।
अल्नर लूप
अगर आपके फिंगरप्रिंट्स पर अल्नर लूप्स हैं तो आपके व्यवहार में विभिन्नता पाई जाती है। इसमें छोटी अंगुली त्रिकोण बिंदु के साथ पानी की तरह बहती हुई दिखती है। अगर आपका फिंगरप्रिंट ऐसा है तो आप उन लोगों में से एक हैं जो बहुत कुशल और अपने ही शेड्यूल से चलने वाले होते हैं। इसके अलावा आप अपने आसपास की खबर रखने मे निपुण होते हैं। आप आज में जीना पंसद करते हैं और यही आपको एकदम खास और हटकर बनाता है।
रेडिएल लूप
अगर आपका रेडिएल लूप है तो आप बहुत आत्मनिर्भर रहने वाले इंसान हैं। इसमें रेखाओं का प्रवाह अंगूठे ही तरफ होता है। आप अपनी सोच के मुताबिक चलते हैं और विपरीत चीज़ों से जुड़े सवाल करने में बिलकुल भी हिचकिचाते नहीं हैं।
::/fulltext::भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि इस दुनिया में कुछ भी अमर नहीं होता जो भी संसार में आया है उसे एक न एक दिन वापस जाना ही है। अच्छे कर्म केवल मनुष्य को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलवाते हैं लेकिन उसे अमर नहीं बनाते। इस संसार में कई बुरी आत्माओं और असुरों ने मृत्यु पर जीत हासिल करने की जी तोड़ कोशिश की लेकिन उनके हाथ सिर्फ असफलता लगी। ठीक उसी प्रकार कुछ देवता और पवित्र आत्माओं ने भी प्रयास किया और कुछ को अमर होने का वरदान प्राप्त हुआ। जी हाँ कहते हैं कुल आठ आत्माएं हैं जो आज भी अमर हैं और इस संसार में हमारे साथ वास करती हैं। इन आठ आत्माओं को अष्ट चिरंजीवी कहा जाता है। इन आठ आत्माओं के नाम इस प्रकार है बजरंगबली, भगवान परशुराम, ऋषि वेदव्यास, ऋषि कृपाचार्य, अश्वथामा और विभीषण। हालांकि इनमें से सभी देवता नहीं है, इस सूची में कुछ राक्षस भी शामिल हैं। आज हम उन्हीं अमर आत्माओं के बारे में बात करने जा रहे हैं। आइए जानते हैं उन आठ आत्माओं के विषय में।
अश्वत्थामा
अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र है। इन्होंने महाभारत में पांडवों की ओर से कौरवों के साथ युद्ध किया था। युद्ध के दौरान क्रोध में आकर अर्जुन और अश्वत्थामा ने कौरवों पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया था। ब्रह्मास्त्र में वह शक्ति होती है जिससे पूरा संसार भस्म हो सकता है। तब महिर्षि वेद व्यास ने उन्हें आज्ञा दी कि वे दोनों अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लें। व्यास की आज्ञा का पालन करते हुए अर्जुन ने तो अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया किन्तु अश्वत्थामा ऐसा करने में असफल रहें। क्योंकि उनके पिता से यह विद्या उन्हें नहीं प्राप्त हुई थी। साथ ही वे अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग केवल एक बार ही कर सकते थे बार बार नहीं। इस बात से क्रोधित होकर श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दे दिया कि उन्हें कभी मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी और उनकी आत्मा सदैव पृथ्वी पर भटकती रहेगी। कहते हैं श्री कृष्ण के श्राप के कारण अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के एक शिव मंदिर में आज भी अश्वत्थामा महादेव की पूजा करने आते हैं।
हनुमान जी
कहते हैं त्रेता युग में श्री राम की मदद करने के लिए स्वयं शिव जी ने हनुमान रूप में धरती पर जन्म लिया था। हनुमान जी उन आठ लोगों में शामिल हैं जिन्हें अजर अमर होने का वरदान प्राप्त है। उन्हें यह वरदान श्री राम और माता सीता ने दिया था। कहते हैं कलयुग में बजरंबली गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं इस पर्वत पर बजरंबली का एक मंदिर भी बना हुआ है।
महाबलि
महाबलि असुरों का राजा था। उसे ब्रह्मांड की पूरी संपत्ति में से एक बड़ा हिस्सा हासिल कर लेने का बहुत अभिमान हो गया था। उसने एक समारोह का आयोजन किया जिसमें उसने सभी दिव्य और पवित्र आत्माओं को आमंत्रित किया। साथ ही यह ऐलान किया कि समारोह में मौजूद सभी की एक इच्छा को वह पूरा करेगा। भगवान विष्णु ने अपना पांचवां अवतार वामन के रूप में लिया था। अपने इस अवतार में उन्होंने एक बौने ऋषि का रूप धारण किया था। जब महाबलि उनके समीप पहुंचा और उनसे उनकी इच्छा पूछी तो ऋषि वामन ने उससे अपने तीन कदमों के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। इस बात को सुनकर महाबलि ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा और उसने ऋषि वामन को अपने तीन पगों के बराबर की भूमि लेने के लिए कहा। इतना सुनते ही ऋषि वामन ने एक विराट रूप धारण कर लिया और पृथ्वी, आकाश और पाताल तीनो लोकों को अपने कदमों से नाप लिया। बाद में ऋषि वामन ने महाबलि के उदार स्वभाव से प्रसन्न होकर उसे पाताल लोक का राजा घोषित कर दिया, साथ ही उसे अमर होने का भी वरदान दिया।
भगवान परशुराम
भगवान विष्णु के दस अवतारों में से भगवान परशुराम के तौर पर छठे अवतार के रूप में धरती पर अवतरित हुए थे। बचपन में परशुराम का नाम राम था लेकिन शिव जी ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें एक फरसा दिया था जिसके बाद वे राम से परशुराम कहलाने लगे। उन्होंने सभी क्षत्रिय राजाओं का वध करके धरती से पाप और बुराई का नाश कर दिया था। परशुराम ने अहंकारी और दुष्ट हैहय वंशी क्षत्रियों का पृथ्वी से 21 बार संहार कर किया था। तब महर्षि ऋचीक ने प्रकट होकर परशुराम को ऐसा घोर कृत्य करने से रोका था। बाद में परशुराम पृथ्वी छोड़कर महेन्द्रगिरि पर्वत पर चले गए थे। वहां उन्होंने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की जिसके कारण आज उस स्थान को उनका निवास्थल कहा जाता है। परशुराम ने श्री राम से पहले जन्म लिया था लेकिन चिरंजीवी होने के कारण वे उस वक़्त भी जीवित थे।
विभीषण
विभीषण असुरों के खानदान से था। वह लंका पति रावण का भाई था। रावण जिसने सीता जी का अपहरण किया था, विभीषण को अपना भाई समझ कर अपनी ही मृत्यु का रहस्य उसके सामने उजागर कर दिया था। उसने कई बार रावण को चेतावनी दी की वह पाप का मार्ग छोड़ दे और श्री राम की उपासना करने लगे किन्तु रावण बहुत ही अहंकारी था उसने अपने भाई की एक न सुनी। असुरों के परिवार से होने के बावजूद विभीषण एक पवित्र आत्मा था इसलिए उसने पाप और अहिंसा का मार्ग छोड़ कर श्री राम की सेवा को चुना और हमेशा सत्य का ही साथ दिया। उसने श्री राम को रावण की मृत्यु से जुड़ा रहस्य बताया जिससे प्रसन्न होकर श्री राम ने उसे अमर होने का वरदान दिया था।
वेद व्यास
ऋषि वेद व्यास ने ही चारों वेद (ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद), सभी 18 पुराणों, महाभारत और श्रीमद्भागवत् गीता की रचना की थी। ये ऋषि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे। इनका जन्म यमुना नदी के एक द्वीप पर हुआ था और इनका रंग सांवला था। इसी कारण ये कृष्ण द्वैपायन कहलाए। कहते हैं व्यास की माता ने बाद में शान्तनु से विवाह कर लिया था, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, चित्रांगद और विचित्रवीर्य। मान्यताओं के अनुसार वेद व्यास भी कई युगों से जीवित है।
कृपाचार्य
कृपाचार्य एक ऋषि होने के साथ साथ गुरु भी थे। उन्होंने महाभारत में कौरवों की ओर से युद्ध किया था। वे ऋषि गौतम के पौत्र और ऋषि शरद्वान के पुत्र थे क्योंकि उन्हें अमर होने का वरदान प्राप्त था इसलिए युद्ध में उनकी मृत्यु नहीं हुई और वे उन अठारह लोगों में से एक थे जो युद्ध के बाद जीवित बचे थे।
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