रूट: यात्रा के दो रूट हैं- बालटाल और चंदनवाड़ी। दोनों रूट पर एक साथ यात्रा चलेगी। रोजाना 7500-7500 श्रद्धालुओं को दोनों रूटों से रवाना किया जाएगा। हालात देखते हुए इस संख्या में बदलाव होता रहता है। बालटाल और चंदनवाड़ी तक बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। आगे का सफर पैदल तय करना होगा।

कैसे पहुंचे: पहला रूट - जम्मू से पहलगाम (315 किमी) और पहलगाम से चंदनवाड़ी (16 किमी) का रास्ता टैक्सी या बस से तय किया जा सकता है। इसके बाद का करीब 28 किमी का सफर पैदल तय करना होगा।

 

दूसरा रूट - यह थोड़ा मुश्किल है। इसमें जम्मू से श्रीनगर (262 किमी) होते हुए बालटाल (61 किमी) पहुंचा जा सकता है। इसके बाद 14 किमी की चढ़ाई वाला हिस्सा ट्रैकिंग करते हुए पार करना होता है।

 खान-पान का बंदोबस्त: पूरे रास्ते चाय स्टाल और छोटे रेस्त्रां हैं। श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने साथ बिस्किट, टॉफी जैसी चीजें लेकर चलें। ठंड से बचाने के लिए लकड़ी या गैस भी सहज उपलब्ध है।

नहीं चलेंगे मोबाइल: यात्रा के दौरान मोबाइल नहीं चलेंगे। आतंकी हमलों से बचने के लिए मार्ग पर 20 जैमर लगाए गए हैं।

 

एक लाख का बीमा: श्राइन बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार हर रजिस्टर्ड यात्री का एक लाख रुपए का बीमा है।

खुद को यूं करें तैयार: बाबा अमरनाथ के दर्शक की इच्छा रखने वालों को एक माह पहले से तैयारी शुरू कर देना चाहिए। श्रद्धालु एक माह पहले से सुबह और शाम चार से पांच किमी पैदल करना शुरू कर दें। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने वाले प्राणायाम करें।

ये सामान लेना न भूलें: गर्म कपड़े, छोटा छाता जिसे बेल्ट से सिर पर लगाया जा सके, विंडचीटर, रेनकोट, वाटरप्रूफ ट्रैकिंग जूते, टॉर्च, छड़ी, मंकी कैप, ग्लब्स, जैकेट, ऊन के मोजे, वाटरप्रूफ ट्राउजर।

 महिलाओं के लिए खास: यात्रा में शामिल होने वाली महिलाओं को साड़ी नहीं पहनने की सलाह दी गई है। उनके लिए सलवार कमीज, पैंट-शर्ट अथवा ट्रैक सूट सुविधाजनक रहेंगे।