Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है कहते हैं इसे धारण करने से मनुष्य सकारात्मक ऊर्जा से घिरा रहता है और हर तरह की हानिकारक ऊर्जा को दूर रखता है। रुद्राक्ष से मनुष्य को शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक लाभ भी मिलता है। ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष भोलेनाथ की कृपा का प्रतीक है। कहते हैं एक बार महादेव अपने भक्तों के कल्याण हेतु ध्यान साधना में लीन थे जब उन्होंने अपनी आँखें खोली तो अपने भक्तों के कष्ट को देखकर उनकी आँखों से अश्रुओं की धारा बहने लगी। उन्हीं आंसुओं से रुद्राक्ष नामक वृक्ष उत्पन्न हुआ। रुद्राक्ष का अर्थ है रूद्र यानी शिव और अक्ष यानी आंसू। रुद्र-अक्ष इस प्रकार रुद्राक्ष वृक्ष के बीज बन गए।
रुद्राक्ष के मनके को एक माला में पिरोकर उसे पहना जाता है। इस माला को केवल तपस्वी ही नहीं बल्कि आम लोग भी पहन सकते हैं। यह माला न सिर्फ हमें नकारात्मक ऊर्जा से बचाती है, इसका प्रयोग हमारे पवित्र मंत्रों का जाप करने के लिए भी होता है। हिंदू धर्म में हम मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष माला का उपयोग करते हैं। इस माला में दानों की संख्या 108 होती है। शास्त्रों में इस संख्या 108 को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि रुद्राक्ष की माला में 108 दानों के आलावा एक दाना और होना चाहिए क्योंकि अगर मंत्रों का जाप करने वाला व्यक्ति संवेदनशील होता है तो उसे चक्कर आने लगते हैं। यह अतिरिक्त मनका उसे ऐसी स्थिति से बचने में मदद करता है। इसके अलावा, एक वयस्क को कभी भी संख्या में 54 से कम दानों की माला नहीं पहननी चाहिए। आइए जानते हैं रुद्राक्ष के महत्व और उससे जुड़ी कुछ और ख़ास बातें।
रुद्राक्ष के प्रकार रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं। इसे इनके मुख के आधार पर अलग अलग नाम दिए गए हैं जैसे एक मुखी, दो मुखी, तीन मुखी आदि। हर एक का अपना एक अलग ही महत्व होता है।
एक मुखी: एक मुखी रुद्राक्ष को सबसे चमत्कारी माना गया है। इसे धारण करने से मनुष्य को शक्ति और सुख दोनों की प्राप्ति होती है। इसके प्रभाव से एकाग्रता बढ़ती और बेहतर होती है।
दो मुखी: दो मुखी रुद्राक्ष को माता पार्वती और शिव जा का रूप माना जाता है। कहते हैं ये मानसिक शान्ति प्रदान करता है और साथ ही मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले का संबंध अपने गुरु, माता-पिता, मित्र या पति/पत्नी से बहुत ही मधुर रहता है। यह रुद्राक्ष जीवन में प्यार और शान्ति बनाए रखता है।
तीन मुखी: यह रुद्राक्ष त्रिदेव रूप माना जाता है जो विद्या और सिद्धि प्रदान करता है। इतना ही नहीं यह रुद्राक्ष आत्मविश्वास को बढ़ाता है और साथ ही सभी पापों से मुक्ति दिलाता है।
चार मुखी: इस रुद्राक्ष को ब्रह्मरूप कहा गया है। यह चतुर्विध फल प्रदान करता है। साथ ही इसे धारण करने से रचनात्मकता और बुद्धि भी बढ़ती है। इसके अलावा धारण करने वाले व्यक्ति की स्मरणशक्ति भी अच्छी हो जाती है।
पांच मुख: इसे पंचमुख शिव स्वरूप कहते हैं जिसे धारण करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। यह उक्त रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक माना गया है। इसके प्रभाव से मनुष्य की सेहत अच्छी रहती है और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
छह मुखी: इसे भगवान कार्तिकेय का रूप माना गया है। यह हर प्रकार की बुराई का अंत करता है। यह मनुष्य के सभी दुःख दूर करता है और उसे रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है।
सात मुखी: सात मुखी को अनंत कहा जाता यह मनुष्य के जीवन से सभी तरह के दुःख और दरिद्रता को दूर करता है। साथ ही अपार धन की प्राप्ति होती है। यह उन लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक माना गया है जिन्हें शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याएं आ रही हों।
आठ मुखी: इसे अष्टमूर्ति भैरवरूप माना जाता है। इसे धारण करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। इसके अलावा मनुष्य के जीवन में शान्ति बनी रहती है। नौ मुखी: यह मनुष्य को सर्वेश्वर बनाता है। इसे धारण करने से मनुष्य को शिव जी की कृपा तो प्राप्त होती ही है, साथ ही उसे शक्ति और ऊर्जा भी मिलती है।
दस मुखी: इस रुद्राक्ष में विष्णु जी का वास होता है। इसे धारण करने से समस्त इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है। साथ ही सभी पापों का नाश हो जाता है।
ग्यारह मुखी: इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को सफलता और जीत हासिल होती है। साथ ही यह मानसिक शान्ति प्रदान करता है।
बारह मुखी: इसे धारण करने से व्यक्ति की कीर्ति और यश सूर्य की तरह बढ़ती है।
तेरह मुखी: यह सौभाग्य और मंगल देने वाला रुद्राक्ष माना गया है। इसे धारण करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
चौदह मुखी: इसे परम शिव रूप माना गया है जिसे धारण करने से शान्ति और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
पंद्रह मुखी: इसमें भगवन पशुपति का वास होता है। इसे धारण करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है और साथ ही आर्थिक समस्याएं भी दूर होती हैं।
सोलह मुखी: जिस भी घर में यह रुद्राक्ष होता है वह घर हमेशा चोरी, डकैती और आग जैसी चीज़ों से सुरक्षित रहता है।
सत्रह मुखी: इसे धारण करने से भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही मनुष्य को कभी कोई आर्थिक समस्या नहीं होती है।
अठारह मुखी: इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शान्ति और समृद्धि आती है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत ही लाभदायक माना जाता है।
उन्नीस मुखी: इसे धारण करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसका जीवन सुखमय बन जाता है।
बीस मुखी: इसे धारण करने से शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनुष्य की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। इससे मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
इक्कीस मुखी: कहा जाता है कि इस रुद्राक्ष में सभी देवी देवताओं का वास होता है। इसे धारण करने से न सिर्फ भगवान का आशीर्वाद मिलता है बल्कि सारी सुख सुविधा भी प्राप्त होती है और अंत में व्यक्ति को मोक्ष भी मिल जाता है।
गौरी शंकर: इसमें दो दाने एक साथ जुड़े होते हैं। इस रुद्राक्ष की पूजा करने से परिवार में सुख और शांति बनी रहती है, साथ ही सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
क्या आपने कभी अपने नौकरों पर संदेह किया है, क्या आप अपने किसी रिश्तेदार पर ज़रुरत से ज़्यादा भरोसा करते हैं, क्या आप यह जानना चाहते हैं कि आपका जीवनसाथी आपके प्रति कितना ईमानदार और सहयोगी है। हो सकता है जैसा आपको दिखता है वास्तव में वो सत्य न हो। किसी गलत इंसान पर भरोसा करने से जब विश्वास टूटता है तो फिर दोबारा किसी पर भरोसा करना बेहद मुश्किल हो जाता है। पर यहां सवाल यह उठता है कि आखिर इस बात का पता कैसे लगाया जाए कि कौन भरोसे के लायक है और कौन नहीं। अकसर हम यह सुनते है कि समय सब कुछ बता देता है, हम समय के अनुसार यह जान सकते हैं कि कौन हमारा अपना है और कौन पराया। साथ ही कौन हमारे प्रति कितना वफादार है और कौन नहीं। जी हाँ यह बिल्कुल सत्य है समय एकमात्र ऐसी परीक्षा है जो इस बात का खुलासा करती है कि हमारे नौकर कितने अच्छे हैं, हमारे रिश्तेदार कितने मददगार है और हमारा जीवनसाथी कितना सहयोगी है।
बुरा वक्त हमें ढेर सारे दुःख देता है लेकिन हमें बहुत कुछ सीखा देता है। इस दौरान हमें अपनी गलतियों का एहसास तो होता ही है साथ ही हमें यह भी पता चल जाता है कि असलियत में कौन हमारा अपना है। इसी बात की तह तक जाने के लिए महान राजनीतिज्ञ चाणक्य ने कुछ सरल उपाय बताये हैं। चाणक्य का मानना था कि अपने नौकर की परीक्षा तब लें जब आप आस पास न हो, अपने रिश्तेदारों को तब परखें जब आप किसी विपत्ति में हो, वहीं अपने जीवनसाथी की परीक्षा तब लें जब बुरे दौर से गुज़र रहे हों।
जब आप घर पर नहीं होते हैं तो ऐसे में आपका नौकर बहुत ही सहज महसूस करता है। वह किसी भी किस्म का दबाव नहीं महसूस करता। यही सबसे सही समय होता है जब हम उनकी ईमानदारी की परीक्षा ले सकते हैं। हो सकता है घर पर मालिक के न होने का वह पूरा फायदा उठाये यानी मेज़ पर रखे हुए पैसे चुरा ले या फिर कोई दूसरा कीमती सामान गायब कर दे। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि वह पैसों और दूसरी कीमती चीज़ों को सही जगह पर सुरक्षित रख दे और आपके लौटने पर सारी चीज़ें आपको सौंप दे और सही ढंग से रखने को कहे।
जब आप किसी आर्थिक समस्या से गुज़र रहे होते हैं तो ऐसे में ज़ाहिर सी बात है कि आपको मदद की ज़रुरत पड़ती है और आपके दिमाग में सबसे पहले आपके रिश्तेदारों का ख्याल आता है। इस तरह के बुरे वक़्त में हम यह नहीं सोच पाते कि क्या हमारे ऐसा करने से रिश्ते बिगड़ेंगे या फिर हमारे आत्म सम्मान को चोट पहुंचेगी। उस समय हमें जो ठीक लगता है हम वही करते हैं। हालांकि ऐसा करना हमारे बड़ों की नज़र में गलत होता है क्योंकि उनका मानना है कि इससे रिश्तों में खटास आती है और सही मायनों में यह सत्य है।
लेकिन चाणक्य के अनुसार परेशानी के समय ही हम अपने रिश्तेदारों को सही ढंग से परख सकते हैं। उनका मानना था कि ऐसी स्थिति में दो बातों की परख हो जाएगी एक तो आपके रिश्तेदार आपके दुःख को समझकर फ़ौरन आपकी मदद करेंगे इससे आप यह जान पाएंगे कि वे कितने भरोसे के लायक है और दूसरी बात वे कोई बहाना बनाकर टाल देंगे और मदद से इंकार कर देंगे। इससे आपको यह पता चल जाएगा कि आप गलत रिश्ता निभा रहे थे।
मतलबी और स्वार्थी लोग आपको परेशानी में देख आपसे दूरियां बनाने की कोशिश करेंगे। वहीं जो लोग सच में आपसे प्यार करते हैं और आपकी परवाह करते हैं वो किसी भी तरह से आपको मुसीबत से बाहर निकालने की कोशिश करेंगे। परिवर्तन स्थिर है। समय के साथ आपकी सारी परेशानियां भी दूर हो जाएंगी ख़ास तौर पर आर्थिक समस्या। लेकिन गलत रिश्ते को निभाना आपको ऐसी तकलीफ दे सकता है जिसका दर्द शायद आपको सारी उम्र सहना पड़े। इसलिए इससे पहले कि बहुत देर न हो जाए बेहतर होगा आप अपने रिश्तों की पहचान भली भांति कर लें ताकि आप यह जान सकें कि उनमें से कौन से रिश्ते निभाने लायक हैं और कौन से नहीं।
अतः चाणक्य के अनुसार ज़रुरत के समय हर किसी को अपने रिश्तेदारों की परख ज़रूर कर लेनी चाहिए।
एक कहावत के अनुसार बदकिस्मत पति का साथ उसकी पत्नी भी नहीं देती। जब एक पति अपना सब कुछ खो चुका होता है तो एक मतलबी पत्नी उसे पैसों की तंगी के कारण कोसने लगती है। अपने तानों से नैतिक रूप से अपने पति को कमज़ोर कर देती है या फिर वह सोचने लगती है कि अब उसका गुज़ारा उसके पति के साथ नहीं है।
चाणक्य के अनुसार कोई भी पतिव्रता और दृढ़ संकल्पों वाली पत्नी अपने पति का साथ बुरे वक़्त में नहीं छोड़ेगी चाहे जीवन में कितने उतार चढ़ाव आए वह हर परिस्थिति में अपने पति का सहयोग करेगी। एक कथा के अनुसार जब महान संत और कवि तुलसी दास की पत्नी ने उन्हें उनकी बेरोज़गारी पर इस कदर ताने मारे कि उन्होंने अपनी पत्नी से अलग होने का फैसला ले लिया और खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर दिया। तुलसी दास जी को इस बात का एहसास हो गया था कि उनके इस बुरे दौर में उनकी पत्नी से उन्हें किसी भी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिलेगा केवल भगवान ही हैं जो उन्हें बिना किसी चीज़ के बदले में उन्हें प्रेम देंगे।
14 जुलाई को जगन्नाथ रथयात्रा, उससे पहले 'देव' तो आया 'बुखार', जानिए क्या है परंपरा.