Sunday, 27 October 2024

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निर्जला एकादशी 2018 : करें विष्णु के इस रूप की पूजा, होगी हर इच्छा पूरी......




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ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। वैसे तो सभी एकादशियों को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन इस एकादशी का अपना एक अलग ही महत्व है। हर एकादशी की तरह यह एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भक्त निर्जल, निराहार रहकर विष्णु जी के ही शालिग्राम रूप की पूजा अर्चना करते हैं। चूंकि इस एकादशी पर जल तक ग्रहण नहीं कर सकते इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाता है। आपको बता दें इस बार यह एकादशी शनिवार यानि 23 जून, 2018 को है। आइए विस्तार से जानते हैं निर्जला एकादशी के बारे में।

व्रत विधि

इस एकादशी पर व्रत रखने वाले भक्त अन्न जल कुछ भी ग्रहण नहीं कर सकते। यह व्रत ज्येष्ठ की भयंकर गर्मी में पड़ता है इसलिए इसे बड़ा ही कठिन माना जाता है। ज़रूरी नहीं कि हम ऐसे कठिन व्रत और पूजा करके ही ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। सच्चे मन से की गयी प्रार्थना भी भगवान तक पहुंच जाती है। यह व्रत एकादशी तिथि के साथ प्रारम्भ हो जाता है और द्वादशी तिथि के प्रारम्भ होने के साथ समाप्त हो जाता है। इस व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के पश्चात किया जाता है।

पूजा विधि

इस दिन भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है। सबसे पहले भगवान शालिग्राम को पूजा स्थल पर स्थापित करके चंदन और रोली का टीका लगाएं, फिर मिश्री और तुलसी के पत्तों का नैवेद्य लगाएं। अब सामने बैठकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इस व्रत के दौरान दिन रात ओम नमः भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते रहना चाहिए।

पांडू पुत्र भीम ने भी किया था निर्जला एकादशी का व्रत

जैसा की हमने आपको बतया की निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार द्रौपदी और पांडव साल में पड़ने वाली सभी एकादशियों पर बड़ी श्रद्धा से व्रत और पूजन करते थे किन्तु भीम को व्रत रखने में काफी कठिनाई होती थी क्योंकि भोजन उन्हें अत्यंत प्रिय था और वह ज़्यादा देर तक भूखे नहीं रह पाते थे। इस वजह से उनसे एक भी एकादशी का व्रत नहीं हो पाता था। मन ही मन उन्हें इस बात की चिंता सताती कि ऐसा करके वे विष्णु जी का अनादर कर रहे हैं। एक दिन अपनी समस्या का समाधान ढूढ़ने वे महर्षि व्यास के पास पहुंचे। भीम ने उन्हें सारी बात बतायी। तब महर्षि ने भीम को सलाह दी कि वे ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को व्रत और पूजन करें। इससे साल में पड़ने वाली सभी एकादशियों का फल उन्हें एक बार में ही मिल जाएगा। भीम ने महर्षि की बात मान कर निर्जला एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से किया और सभी 24 एकादशियों का फल एक ही बार में प्राप्त कर लिया। तब से निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाता है। कहते हैं इस कठिन व्रत को भीम ने बड़े ही साहस के साथ किया किन्तु अगले दिन सुबह वे बेहोश हो कर गिर पड़े। तब उनके भाइयों ने उन्हें गंगाजल, तुलसी चरणामृत देकर होश में लाएं।

निर्जला एकादशी का व्रत करने से होते हैं यह लाभ

इस कठिन व्रत को करने वाले भक्तों की ईश्वर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं साथ ही उनके जीवन में आने वाले सभी कष्टों को भी दूर करते हैं। यदि आप सभी एकादशियों का व्रत करने में सक्षम नहीं हैं तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत करके आप सभी एकादशियों के बराबर का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। यदि कड़ी मेहनत करने के बाद भी आपको सफलता नहीं मिल पा रही है, नौकरी, व्यापार या फिर दांपत्य जीवन में मुश्किलें आ रही हैं तो आप निर्जला एकादशी का व्रत ज़रूर करें आपकी समस्त बाधाएं दूर हो जाएंगी।

इन चीज़ों का करें दान

हर एकादशी पर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि दान के बिना एकादशी का व्रत और पूजन अधूरा ही रह जाता है। निर्जला एकादशी पर ब्राह्मणों को या फिर ज़रूरतमंदों को शुद्ध पानी से भरा हुआ घड़ा, चीनी, सफ़ेद वस्त्र और छाते का दान करना चाहिए।


 

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आइये जाने की धनप्राप्ति में क्यों बाधक हैं मकड़ी के जाले.....

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वास्तुशास्त्र के अनुसार मकड़ी के जाले अशुभ होते हैं।

मकड़ी के जाले ज्यादातर घर, आफिस, दुकान इत्यादि जगहो पर पाये जाते हैं, विद्वानो के मतानुसार वास्तुशास्त्र के अनुसार मकड़ी के जाले अशुभ होते हैं। पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार मकड़ी के जाले से भवन में निवास कर्ता की आर्थिक उन्नति बाधित होती हैं, आर्थिक अभाव होने लगता हैं |

    • स्वास्थ्य से संबंधी परेशानियां होने की संभावनाएं बढजाती हैं जानिए की मकड़ी के जाले अशुभ क्यों माने जाते हैं |
    • वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार वास्तु के अनुसार जिस किसी भी भवन में मकड़ी के जाले होते हैं |
    • ठीक नियमित साफ-सफाई नहीं होती, उस भवन में निवास या व्यवसाय करने वालो को धन की कमी बनी रहती हैं।
    • मकड़ी के जाले की अशुभता के कारण व्यक्ति चाहे जितना धन कमा लें लेकिन बचत कर पाता, धन की कमी बनी रहती हैं।
    • आय से व्यय अधिक होने लगते हैं। अनावश्यक खर्च बढजाते हैं |

घर में रोग-बिमारी क्लेश इत्यादि घर कर जाते हैं शीघ्र समाप्त नहीं होते।किसी भी घर में मकड़ी के जाले को दरिद्रता का प्रतीक माना जाता हैं। मकड़ी के जाले से घर की बरकत प्रभावित होती हैं।पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार मकड़ी के जाले होते हैं वहां अलक्ष्मी निवास करती हैं धन की देवी महालक्ष्मी वहां निवास नहीं करती हैं। जिस घर में या भवन में नियमित साफ-सफाई होती रहती हैं उस घर में देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती हैं, ऎसा शास्त्रोक्त विधान हैं।

    • अपने घर, दुकान, ओफिस इत्यादी में साफ-सफाई के उपरांत यदि मकड़ी के जाले लटकते हैं |
    • तो जाले को देखते ही उसे उन्हें तुरंत निकाल दें।
    • मकड़ी के जाले निकलते ही धन का आगमन होगा और अनावस्यक खर्च कम होंगे और धन का संचय होने लगेगा वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार मकड़ी के जाले स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं।
    • इसी लिए मकड़ी के जाले भवन में नहीं रहने देना चाहिए।

ऐसा माना जाता हैं मकड़ी के जाले बुरी शक्तियों को अपनी और आकर्षित करते हैं, घर में सकारात्मक उर्जा खत्म होती हैं और नकारात्मक उर्जा का प्रभाव बढने लगता हैं। जिससे घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता हैं।

    • इस लिये भवन से मकड़ी के जाले दिखते ही हटा देने चाहिए।
    • हर शनिवार, अष्टमी, चतुर्दशी और अमावस्या को घर की साफ-सफाई करना अधिक लाभप्रद होता हैं
  • इस दिन घर से पूराना कबाड़-भंगार(अनावश्यक सामग्री-वस्तु) इत्यादी भी बाहर निकाल दें।
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अगर आपके पर्स में भी हैं यह 7 चीजें तो तुरंत बाहर निकालें.....

 

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अक्सर हमारा कई बेकार की सामग्री से भरा रहता है। आलस के कारण हम उसे साफ भी नहीं करते लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आलस और गलती ही आपकी परेशानी का कारण है। जी हां,
पर्स में रखी कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो के आगमन को रोकती हैं। अगर आपके पर्स में भी रखी हैं यह 7 चीजें तो इन्हें फौरन निकाल बाहर करें।
 
पुराने और कटे-फटे नोट:
हाल ही में नोटबंदी की वजह से पुराने नोट अब प्रचलन में नहीं है। क्यों ना आप भी पुराने नोटों को अपने पर्स से बाहर का रास्ता दिखाएं। कटे-फटे घिसे हुए पुराने नोट मन:स्थिति को बेचैन करते हैं। सोच में नकारात्मकता लाते हैं, इन्हें तुरंत हटाएं।
 
पुराने बिल :
यह भी वास्तविकता है कि आप पुराने बिलों को अत्यधिक संभालने के चक्कर में पर्स में ही रखना पसंद करते हैं लेकिन वह वृत्ति धन के आगमन को रोकती है। पुराने बिलों को सम्भाल कर अलमारी या अन्य सुरक्षित स्थान पर रखें।
 
दिवंगत परिजन की तस्वीर :

घर में किसी का देहांत हो जाए तो उनकी तस्वीरों से हमारा भावनात्मक जुड़ा़व हो जाता है लेकिन यह आदत हमारे धन के प्रबल योग को भी कमजोर करती है। शुभता की दृष्टि से भी यह उचित नहीं है। अपने निकटतम की स्मृतियों को घर में और यादों में सहेजे पर्स में नहीं।
 
उधारी का हिसाब :
हमने
जिनसे उधार लिया है और जिन्होंने हमसे उधार लिया है यह दोनों ही हिसाब किसी डायरी में लिखकर घर में ही रखें। पर्स में रखने से धन की आमद पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
 
इष्टदेव की तस्वीर :
हमारी श्रद्धा के अनुसार हम देवी-देवताओं की तस्वीर को पर्स में रखते हैं लेकिन यह वृत्ति उचित नहीं है। तस्वीर के बजाय आप उनके यंत्र पर्स में रख सकते हैं।
 
ब्लेड-चाकू या अन्य तीखी-नुकीली सामग्री :
अक्सर कुछ लोग अपनी सुरक्षा और हिफाजत के लिए ब्लेड-चाकू या अन्य नुकीली सामग्री रखते हैं लेकिन इन्हें रखने से नकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कई बार अनजाने में यही चीजें स्वयं के लिए खतरनाक साबित हो जाती हैं। धन के लिए तो यह शत्रु सामग्री है। अगर सुरक्षा के लिए इन्हें रखना जरूरी है तो पर्स के गोपनीय जेब में रखें।
 
फालतु कागज़ात:

जो भी अनुपयोगी सामग्री है, बेकार है, काम की नहीं है उन्हें जितनी जल्दी हो सके बाहर का रास्ता दिखाएं क्योंकि पर्स में पुराने पड़े कागज़ात और बेकार सामग्री को रखने से धन नहीं ठहरता और मां लक्ष्मी को भी ऐसा सामान पसंद नहीं है।
 
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