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एक ज्योतिष ने वाजपेयी की उम्र को लेकर भविष्यणी वर्ष 2011 में की थी जो बेहद चौकाने वाली है और वो भविष्य वाणी अाज के हालात को जोड़ती दिख रही है.....
::/introtext::रायपुर. अटल बिहारी वाजपेयी एम्स में लंबे समय से भर्ती है. उनकी कुंडली के मुताबिक एक ज्योतिष ने उनकी उम्र को लेकर भविष्यणी वर्ष 2011 में की थी जो बेहद चौकाने वाली है और वो भविष्य वाणी अाज के हालात को जोड़ती दिख रही है. यह भविष्यवाणी उनकी कुंडली के अाधार पर उके जन्मदिन के मौके पर की गई है.
भूतपूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को दोपहर दो बजे ग्वालियर मध्यप्रदेश में हुआ था. उनकी कुंडली मेष लगन की है और लगनेश मंगल का स्थान बारहवे भाव मे है. लगनेश से ग्यारहवे केतु है और लगनेश से दसवें सूर्य गुरु वक्री बुध है, लगनेश से नवे भाव में शुक्र चन्द्र है, लगनेश से अष्टम में शनि है, इस प्रकार से आपके कुल चार भाइयों की संख्या मिलती है, तीन बहिने भी मिलती है, शुक्र चन्द्र राहु की हैसियत को प्रदर्शित करती है.
भाई बहिनो की संख्या को जोडने के लिये लगनेश के त्रिकोण की राशियों के नम्बर को जोड लेना एक आसान तरीका है, जिसमे मीन की तीन कर्क की चार और वृश्चिक की आठ संख्या को जोडने पर पन्द्रह की संख्या आती है इस संख्या को छोटा बनाने के लिये आपस में जोडा तो कुल संख्या छ: की मिलती है, आगे की सन्तति चलने के लिये कुछ छ: की संख्या को ही माना जा सकता है आपने शादी ही नही की. मंगल के बाद वाले त्रिकोण में राहु का होना आपकी एक छोटी बहन को भी बताता है, आपके पिता के भाई बहनो की संख्या कुल तीन मिलती है जिनमें दो भाई तो मिलते है लेकिन बुध के वक्री होने के कारण होना नही मिलता है. माता के स्थान मे राहु के होने से माता का पिता से जल्दी परलोक सिधारना मिलता है, पिता का बाद में जाना मिलता है, आखिरी वक्त में रहने वाले स्थान से उत्तर दिशा में उनके इलाज का कारण भी मिलता है. सूर्य का नवे भाव में होना और गुरु के साथ मे होना पिता को शिक्षक के रूप में भी जाना जा सकता है.
पिता से नवे भाव मे सिंह राशि का होना आपके दादा के लिये अपनी स्थिति को बताता है, जो संख्या में दो की गिनती में मिलते है, आपके दादा की हैसियत पुजारी और पूजा पाठ वाले काम धार्मिक कृत्य तथा कथा भागवत को पढना भी मिलता है, बारहवे राहु होने के कारण एक ज्योतिषी के रूप में भी उनकी औकात को माना जा सकता है. राहु के द्वारा चौथे भाव में शनि का उच्च का होना पिता का स्थान परिवर्तन मिलता है, पिता के बारहवे भाव में शुक्र चन्द्र का होना पिता का जन्म किसी नदी के किनारे होना और वहां शंकर जी की स्थापना होने की बात भी मिलती है. वास्तव में इनके पिता का जन्म स्थान जिला आगरा में बटेश्वर नामक स्थान में हुआ था और वहां यमुना नदी बहती भी है तथा महाराज भदावर के द्वारा स्थापित शिव स्थान भी जो बड के पेड के नीचे स्थापित होने के कारण बटेश्वर के नाम से प्रसिद्ध भी है. कुंडली के अनुसार केतु ही राज्य को देने वाला है,तथा केतु से तीसरे भाव में लगनेश मंगल का होना पद के रूप में सर्वोच्च पद का देने वाला भी माना जाता है. गुरु का स्वराशि में होना और सूर्य के साथ होना धर्म और कानून की रक्षा करने वाला भी माना जाता है.
राहु शुक्र चन्द्र की युति होने से आपकी रुचि कविता करने में भी मानी जाती है,शुक्र का वृश्चिक राशि मे चन्द्रमा के साथ होने से दादा और पिता की सम्पत्ति का त्याग भी माना जा सकता है. अपने हिस्से की सम्पत्ति को राहु को प्रदान करने का मतलब किसी पुस्तकालय या स्कूली कार्यों के लिये दान मे देना भी माना जा सकता है. राहु का नवे भाव में मंगल का होना लगन से मंगल का दक्षिण-पूर्व दिशा में होना पिता का पलायन बटेश्वर से ग्वालियर में होना भी माना जा सकता है.
आपके पिता की केन्द्र आयु चौरासी साल थी, जिसमे से बारह साल राहु के द्वारा समाप्त करने से बहत्तर साल कुछ महिने की मिलती है, उसी प्रकार से आपकी केन्द्र आयु भी इतनी है लेकिन राहु के चौथे भाव में बैठने के कारण बारह साल राहु के द्वारा प्रदान किये गये है.
::/fulltext::भारत की आजादी के बाद से 15 August को हर साल Independence Day मनाया जाता है.स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंड़ा (National Flag) फहराते हैं और फिर राष्ट्रगान (National Anthem) गाया जाता है.
नई दिल्ली: Independence Day 2018: 15 अगस्त 1947 में भारत की आजादी की घोषणा के बाद हर साल 15 अगस्त (15 August) को आजादी का जश्न मानाया जाता है. स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंड़ा (National Flag) फहराते हैं और फिर राष्ट्रगान (National Anthem) गाया जाता है. राष्ट्रगान (National Anthem) के आलावा राष्ट्रगीत (National Song) में भी कई अवसरों पर गाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रगान (National Anthem) और राष्ट्रगीत (National Song) में क्या अंतर है? आज हम आपको राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का अंतर बताने जा रहे हैं.
आइये जानते हैं राष्ट्रगान (National Anthem) और राष्ट्रगीत (National Song) में अंतर
राष्ट्रगान (National Anthem)
राष्ट्रगान को रबिन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने लिखा था. संविधान सभा ने ''जन-गण-मन'' को 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान (National Anthem) के रूप में स्वीकार किया था. राष्ट्रगान को पहली बार साल 1911 में कोलकाता में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में गाया गया था. राष्ट्रगान देश के इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और उसके लोगों का बखान करता है. राष्ट्रगान (National Anthem) जन-गण-मन को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है. राष्ट्रगान को गाने और बजाने को लेकर कई नियम है. इन नियमों का पालन न करने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है.
राष्ट्रगीत (National Song)
भारत का राष्ट्रगीत वंदे मातरम है. वंदे मातरम की रचना बंकिम चन्द्र चटर्जी ने की थी. वंदे मातरम बंगाली भाषा के उपन्यास आनंदमठ (अभय आनंद) में लिखी कविता थी. वंद मातरम को रवींद्रनाथ टैगोर ने स्वरबद्ध किया और साल 1896 में पहली बार कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में यह गीत गाया गया. 24 जनवरी, 1950 को वंदे मातरम को राष्ट्रगीत (National Song) का दर्जा दिया गया.
वंदे मातरम देशभक्ति की भावना से भरा एक गीत है जो लोगों को आपस में बांधे रखता है. लेकिन वंदे मातरम को लेकर कोई नियम या कानून नहीं है इसे आप कही भी कैसे भी गा सकते हैं.
रायपुर. भारतीय रेलवे की वेबसाइट आईआरसीटीसी के जरिए टिकट बुक करवाने वाले यूजर्स के लिए परेशानी की खबर है. सोमवार सुबह से ही आईआरसीटीसी की वेबसाइट में तकनीकी खराबी की वजह से साइट काम नहीं कर रही है. जिसकी वजह से कोई भी यात्री साइट के जरिए टिकट बुक नहीं कर सकते है. साइट खोलने पर आपको एक बॉक्स दिखाई देगा जिसपर लिखा है कि रखरखाव गतिविधि की वजह से ई-टिकट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. हालांकि यह अभी तक साफ नहीं है कि वेबसाइट कब तक बहाल होगी.
वहीं वेबसाइट में आई तकनीकी खराबी की वजह से सोमवार को सुबह 10 बजे एसी की तत्काल और 11 स्लीपर की तत्काल बुकिंग होने में भी कई यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. बता दे कि आईआरसीटीसी की वेबसाइट से पूरे देशभर में करोड़ों रेल टिकटें बुक की जाती है. हालांकि टिकट कैंसिलेशन करने के लिए आईआरसीटीसी ने नंबर जारी किया है, इसके अलावा यात्रियों को टिकट मेल करने की नसीहत भी दी गई है.
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