Sunday, 19 October 2025

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 विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि दुनिया की मानवीय विविधता खोने का खतरा है.....

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संसाधनों के लिए अंतरराष्ट्रीय भूख की वजह से आदिवासी समुदायों के इलाके नष्ट होते जा रहे हैं। विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि दुनिया की मानवीय विविधता खोने का खतरा है।
 
दुनिया भर में रहने वाले 37 करोड़ आदिवासी और जनजाति समुदायों के सामने जंगलों का कटना और उनकी पारंपरिक जमीन की चोरी सबसे बड़ी चुनौती है। वे धरती पर जैव विवधता वाले 80 प्रतिशत इलाके के संरक्षक हैं लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लोभ, हथियारबंद विवाद और संरक्षण संस्थानों की वजह से बहुत से समुदायों की आजीविका खतरे में हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग का असर हालात को और खराब कर रहा है।
 
जनजातियां विभिन्न तरह की हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वे 90 देशों में फैली हैं, 5,000 अलग अलग संस्कृतियां और 4,000 विभिन्न भाषाएं। इस बहुलता के बावजूद या उसकी वजह से ही उन्होंने एक तरह के संघर्ष झेले हैं, चाहे वे ऑस्ट्रेलिया में रहते हों, जापान में या में। उनका जीवन दर कम है, गैर आदिवासी समुदायों की तुलना में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच कम है। उनकी आबादी दुनिया की 5 प्रतिशत है लेकिन गरीबों में उनका हिस्सा 15 प्रतिशत है।
 
जमीन से वंचित
सर्वाइवल इंटरनेशनल की फियोना वॉटसन ने डॉयचे वेले को बताया कि विभिन्न समुदायों की सबसे बड़ी चुनौती ये हैं कि उनकी पुश्तैनी जमीन खोती जा रही है। "दुनिया भर में आदिवासी लोगों का पर्यावरण के साथ निकट रिश्ता है। उनकी आजीविका के लिए जमीन अहम है, लेकिन उनका प्रकृति से आध्यात्मिक रिश्ता भी है।"

औपनिवेशिक काल में जमीनों को हड़पने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज भी जारी है। विवाद और हिंसा की वजह से भी उनकी जमीन हड़पी जा रही हैं और वे रिफ्यूजी बन रहे हैं। कई बार सरकारें आदिवासी इलाकों में वहां रहने वाले लोगों की परवाह किए बगैर बांध बनाने या सड़क बनाने का फैसला लेती हैं। वॉटसन कहती हैं, "आदिवासी समुदायों को अक्सर पिछड़ा माना जाता है और इसका इस्तेमाल सरकारें और बहुराष्ट्रीय कंपनियां विकास के नाम पर उनकी जमीन का अधिग्रहण करने के लिए करती हैं।"
 
ब्राजील की मिसाल
एक मिसाल दक्षिणी ब्राजील का गुआरानी समुदाय है जिन्हें पशुपालन और गन्ने की खेती के लिए उनकी जमीन से खदेड़ दिया गया है।वॉटसन बताती हैं कि इस समुदाय में आत्महत्या की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है और उस इलाके की जैव विविधता पूरी तरह खत्म हो गई है। विडंबना ये है कि पर्यावरण संरक्षण संस्थाएं भी आदिवासी समुदायों से पूछे बिना उन इलाकों को संरक्षित इलाका बनवा रही हैं, जहां वे सदियों से रहते आए हैं।
 
आदिवासी अधिकारों पर एशिया में भी विवाद हो रहा है, जहां दुनिया की 70 प्रतिशत आदिवासी आबादी रहती है। आदिवासी मामलों के अंतरराष्ट्रीय कार्यदल के अनुसार मलेशिया का बजाऊ लाउट ग्रुप बंजारा समुदाय है जो आजीविका के लिए समुद्र पर निर्भर है। जहां वे मछली पकड़ रहे थे वह इलाका 2004 में तून सकारान मरीन पार्क बना दिया और 2009 से वहां मछली मारने पर पाबंदी है। ऑस्ट्रेलिया के वोलोनगोंग यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार इससे उनके पोषण और खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ा है।
 
स्वनिर्णय का अधिकार
इसलिए वॉटसन कहती हैं कि आदिवासी समुदायों के लिए खुद फैसले लेने का अधिकार बहुत मायने रखता है। "ये फैसला करने का अधिकार कि वे कैसे जीना चाहते हैं, इसकी अक्सर उपेक्षा की जाती है और इससे गंभीर समस्याएं पैदा हो रही हैं।" अभी तक अंतरराष्ट्रीय तौर पर इस पर भी सहमति नहीं है कि आदिवासी की क्या व्याख्या है। इस शब्द का इस्तेमाल 2007 में संयुक्तराष्ट्र की घोषणा में किया गया और तब से दुनिया भर में आदिवासी समुदाय दिखने लगे हैं।
 
न्यूजीलैंड में माओरी समुदाय बहुत ही सक्रिय हो गया है। ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के जॉन मैककाफरी के अनुसार माओरी भाषा के कोर्स पूरे देश में बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। कनाडा में भी आदिवासियों के मामलों पर मीडिया में नियमित रिपोर्ट दी जाती है और वे राष्ट्रीय बहस का हिस्सा हैं। ये उदाहरण दिखाते हैं कि दुनिया भर में आदिवासी समुदायों के साथ गहन संबंध संभव हैं। सरकारों को आदिवासी समुदायों और जनजातियों के महत्व को स्वीकार करना होगा और उनके साथ बातचीत कर भविष्य का रास्ता तय करना होगा।
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ई-कॉमर्स और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां फ्रीडम सेल का आयोजन कर रही हैं......

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बेस्ट ऑफर के लिए आपको सभी ई-कॉमर्स कंपनियों की साइट पर जाकर सर्च करना होगा।

नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ई-कॉमर्स और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां फ्रीडम सेल का आयोजन कर रही हैं। पेटीएम मॉल, अमेजन और फ्लिपकार्ट पर इन दिनों इंडिपेंडेंस डे से पहले 'फ्रीडम सेल' चला रही है। इन दोनों ही ई-कॉमर्स कंपनियों से प्रोडक्ट्स ऑर्डर करने पर 80 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। अमेजन पर शुरू होने वाले सेल की बात करें तो यहां 'फ्रीडम सेल' 9 अगस्त से 12 अगस्त के बीच सेल चलेगी।

चार दिनों तक चलने वाले इस सेल में कई प्रोडक्ट्स पर भारी डिस्काउंट्स ऑफर किए जा रहे हैं। वहीं, फ्लिपकार्ट पर 'बिग फ्रीडम सेल' 10 अगस्त से 12 अगस्त तक चलेगी। आइए, जानते हैं इन दोनों ही ई-कॉमर्स पर चलने वाले सेल पर किस तरह से आप डिस्काउंट का लाभ उठा सकते हैं।

पेटीएम मॉल फ्रीडम कैशबैक सेल

इस दौरान मल्टीपल प्रोडक्टस पर कैशबैक ऑफर दिए जा रहे हैं जिसमें स्मार्टफोन्स, लैपटॉप, फैशल अपेरल और होम अप्लायंसेस शामिल हैं। इसके अलावा नो कॉस्ट ईएमआई भी इन प्रोडक्टस पर ऑफर की जा रही है। आईफोन पर 10,000 रुपये का तक कैशबैक, FMCG प्रोडक्टस पर 30 फीसद तक का, वॉटर प्यूरिफायर पर 25 फीसद तक, वॉचेज पर 50 फीसद तक, फैशन प्रोडक्टस पर 70 फीसद तक का ऑफ समेत 70 फीसद तक कैशबैक, लैपटॉप और हैडफोन्स पर 20,000 रुपये तक का कैशबैक दिया जा रहा है।

अमेजन ''फ्रीडम सेल''

अमेजन पर चलने वाले इस सेल में 200 से ज्यादा कैटेगरी में 2,500 से ज्यादा ब्रांड्स पर 20,000 से ज्यादा डील्स दी जा रही है। अमेजन ने इसके लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के साथ पार्टनरशिप की है। आइए, जानते हैं इस सेल से जुड़ी बड़ी बातों के बारे में

अमेजन पर शुरू होने वाले इस सेल में शाओमी, वनप्लस, मोटोरोला, नोकिया और वीवो समेत 25 से ज्यादा स्मार्टफोन ब्रांड्स पर 40 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जाएगा। इसके अलावा 4 अमेजन एक्सक्लूसिव स्मार्टफोन्स भी लॉन्च किए जाएंगे। स्मार्टफोन्स के अलावा 350 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड्स पर 50 फीसद से ज्यादा का डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है। इन इलेक्ट्रॉनिक ब्रांड्स में लेनोवो, बोस, केनन, जेबीएल आदि शामिल हैं।

सेल में उषा, बॉम्बै डाइंग, प्रैस्टिज आदि होम अप्लायंस ब्रांड्स पर 70 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। अमेजन 2,000 से ज्यादा प्रोडक्ट्स पर 50 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। इसके अलावा 4 दिनों तक चलने वाले इस सेल में हर रोज 10,000 से ज्यादा प्रोडक्ट्स पर 50 फीसद से ज्यादा का डिस्काउंट दिया जा रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा फैशन प्रोडक्ट्स पर भी 50 से लेकर 80 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। इनमें पूमा, यूनाइटेड कलर्स ऑफ बेनेटन, अमेरिकन टूरिस्टर आदि ब्रांड्स शामिल हैं।

इस सेल में टीवी और अन्य होम अप्लायंस पर भी 40 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। इसके साथ 22,000 रुपये तक का एक्सचेंज ऑफर का भी लाभ मिलेगा। अमेजन प्राइम यूजर्स को एक्सक्लूसिव डील्स भी दिए जाएंगे। इसके साथ ही जैकपॉट ऑफर के तहत लकी यूजर्स 4 लाख रुपये तक जीत सकते हैं।

फ्लिपकार्ट ''द बिग फ्रीडम सेल''

यूजर्स को हर 8 घंटे में बड़ी डील्स ऑफर की जाएगी और रात के 2 बजे तक हर घंटे रिवोल्यूशनरी डील्स भी दी जा रही है। इसके अलावा सिटी बैंक क्रेडिट कार्ड धारकों को एक्सक्लुसिव डील्स भी दी जाएगी। फ्लिपकार्ट पर शुरू होने वाले सेल में स्मार्टफोन्स पर कितना डिस्काउंट दिया जाएगा अभी तक यह साफ नहीं है। लेकिन, फ्लिपकार्ट के प्रमोशनल पेज पर सैमसंग, शाओमी, एप्पल जैसे ब्रांड्स को लगाया गया है। इन स्मार्टफोन्स पर भारी डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है।

फ्लिपकार्ट पर शुरू होने वाले सेल में होम अप्लायंस पर 70 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। लैपटॉप, कैमरे जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर 80 फीसद तक का डिस्काउंट ऑफर किया जाएगा। फैशन प्रोडक्ट्स और फुटवियर्स पर 40 से लेकर 80 फीसद तक का डिस्काउंट ऑफर किया जाएगा। किचन के सामानों पर भी 40 से 80 फीसद तक का डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है। ब्यूटी प्रोडक्ट्स और खिलौने आदि की कीमतें 99 रुपये से शुरू हो रही है।

फैशन एंड होम डेकोर

इन सेल में रितु कुमार, सत्या पॉल, टॉरस और रोहित बल के डिजायनर ब्रांड्स को भी लगाया गया है। इसके साथ ही फास्ट ट्रैक, प्यूमा, अमेरिकन टूरिस्टर, यूसीबी, जॉकी रेड टेप, कैप्रेसी जैसे ब्रांड्स पर भी अच्छी खासी डील मिल रही है। पर्दों की शुरुआत 200 रुपए से हो रही है। वहीं एक्सरसाइज के सामान जैसे ट्रेडमिल और एक्सरसाइज बाइक पर 45 फीसद तक की छूट मिल रही है। सिंगल डोर रेफ्रिजरेटर 10 हजार रुपए में और फ्रंट लोडिंग वॉशिंग मशीन 13 हजार 990 रुपए में मिल रही है। टीवी भी करीब आधी कीमत में मिल रहा है। बेस्ट ऑफर के लिए आपको सभी ई-कॉमर्स कंपनियों की साइट पर जाकर सर्च करना होगा।

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कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद पांडव, कृष्ण और बचे हुए योद्धाओं का क्या हुआ?,  क्या यदुवंश का नाश हो गया था?.......

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के बाद का इतिहास सभी जानना चाहते हैं। कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद पांडव, कृष्ण और बचे हुए योद्धाओं का क्या हुआ? धृतराष्ट्र, गांधारी, विदुर, संजय, युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, भीम और भगवान कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई? भारत का इतिहास और समाज उस काल में किस हाल में था। क्या यदुवंश का नाश हो गया था? तो आओ इसी संबंध में जानते हैं 14 प्रमुख रोमांचक घटनाएं।
 
1) युद्ध के 18वें अर्थात अंतिम दिन दुर्योधन ने रात्रि में उल्लू और कौवे की सलाह पर अश्वत्थामा को सेनापति बनाया था। उस एक रात्रि में ही अश्वत्थामा ने पांडवों की बची लाखों सेनाओं, पुत्रों और गर्भ में पल रहे पांडवों के पुत्रों तक को मौत के घाट उतार दिया था। द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्‍थामा के द्वारा किए गए नरसंहार के बाद युद्ध समाप्त हो गया था।

2) युद्ध के बाद दुर्योधन कहीं जाकर छुप गया था। पांडवों ने उसे खोज लिया तब भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध हुआ। इस युद्ध को देखने के लिए बलराम भी उपस्थित थे। भीम कई प्रकार के यत्न करने पर भी दुर्योधन का वध नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि दुर्योधन का शरीर वज्र के समान कठोर था। ऐसे समय श्रीकृष्ण ने अपनी जंघा ठोककर भीम को संकेत दिया जिसे भीम ने समझ लिया। तब भीम ने दुर्योधन की जंघा पर प्रहार किया और अंत में उसकी जंघा उखाड़कर फेंक दी। बाद में दुर्योधन की मृत्यु हो गई।
 
3) अश्‍वत्थामा ने जब द्रौपदी के पुत्रों का उनकी निद्रावस्था में वध कर दिया तो द्रौपदी खूब विलाप करने लगी। यह देख भीम से रहा नहीं गया और वे अश्‍वत्‍थामा को पकड़ने के लिए रथ पर सवार होकर चल देते हैं। भीम के पीछे श्रीकृष्ण भी अर्जुन के साथ अपने रथ पर सवार होकर चल पड़े। सभी ने गंगा के तट पर अश्वत्‍थामा को ढूंढ लिया। द्रोणपुत्र अश्वत्‍थामा यह देखकर डर गया और उसने तुरंत ही अपने दिव्य अस्त्र ब्रह्मास्त्र का संकल्प किया और उस प्रचंड अस्त्र को पांडवों की वध की इच्‍छा से छोड़ दिया। यह देख अर्जुन ने भी संकल्प लिया कि इस ब्रह्मास्त्र से शत्रु का ब्रह्मास्त्र शांत हो जाए, ऐसा कहकर अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया। दोनों के अस्त्रों से प्रचंड अग्नि का जन्म हुआ। यह देख वहां वेद व्यास और देवर्षि नारद प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि इन दोनों अस्त्रों से धरती का विनाश हो जाएगा। आप इन्हें वापस ले लें। ऐसे में अर्जुन ने तो अपना अस्त्र वापस ले लिया लेकिन अश्‍वत्थामा इसे वापस लेने में सक्षम नहीं था। ऐसे में वह उस अस्त्र को उत्तरा के गर्भ पर उतार देता है।

4) अश्वत्थामा द्वारा उत्तरा के गर्भ पर अस्त्र छोड़ देने के बाद श्रीकृष्ण उत्तरा के बच्चे को बाद में पुन: जीवित कर देते हैं। इस बीच अश्‍वत्थामा के इस अपराध के लिए श्रीकृष्ण उसे 3,000 वर्षों तक कोढ़ी के रूप में रहकर भटकने का शाप दे देते हैं। उनके इस शाप का वेद व्यासजी ने अनुमोदन किया था। शिव महापुराण (शतरुद्रसंहिता-37) के अनुसार अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं और वे गंगा किनारे निवास करते हैं किंतु उनका निवास कहां है, यह नहीं बताया गया है। तब अश्वत्‍थामा पांडवों को अपनी मणि देकर वन में चला जाता है। वह मणि भीमसेना युधिष्ठिर की आज्ञा से द्रौपदी को दे देते हैं। द्रौपदी वह मणि युधिष्ठिर को देकर अश्‍वत्‍थामा को क्षमा कर देती है।

5) युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने युद्धभूमि पर ही सभी मृत योद्धाओं का विधिवत रूप से दाह-संस्कार किया। महाभारत के स्त्री पर्व के अनुसार युद्ध समाप्त होने के बाद युधिष्ठिर के कहने पर पांडवों ने ही दोनों पक्षों के मरे हुए योद्धाओं का अंतिम संस्कार किया था।
 
 
6) भीष्म यद्यपि शरशैया पर पड़े हुए थे फिर भी उन्होंने श्रीकृष्ण के कहने से युद्ध के बाद युधिष्ठिर का शोक दूर करने के लिए राजधर्म, मोक्षधर्म और आपद्धर्म आदि का मूल्यवान उपदेश बड़े विस्तार के साथ दिया। प्रतिदिन दिए गए इस उपदेश को सुनने से युधिष्ठिर के मन से ग्लानि और पश्‍चाताप दूर हो जाता है।

7) बाद में सूर्य के उत्तरायण होने पर युधिष्ठिर आदि सगे-संबंधी, पुरोहित और अन्यान्य लोग भीष्म के पास पहुंचते हैं। उन सबसे भीष्म पितामह ने कहा कि इस शरशैया पर मुझे 58 दिन हो गए हैं। मेरे भाग्य से माघ महीने का शुक्ल पक्ष आ गया। अब मैं शरीर त्यागना चाहता हूं। इसके पश्चात उन्होंने सब लोगों से प्रेमपूर्वक विदा मांगकर शरीर त्याग दिया। सभी लोग भीष्म को याद कर रोने लगे। युधिष्ठिर तथा पांडवों ने पितामह के शरबिद्ध शव को चंदन की चिता पर रखा तथा दाह-संस्कार किया।
 
8) भीष्म पितामह के अंतिम संस्कार के बाद युधिष्ठिर के राज्याभिषेक की तैयारी होती है। महाभारत शांति पर्व के 'राजधर्मानुशासन पर्व' में इस राज्याभिषेक का वर्णन मिलता है। इस राज्याभिषेक में पांडु पुत्र भीम, अर्जुन, नकुल सहदेव के अलावा श्री‍कृष्ण, विदुर, धृतराष्ट्र, गांधारी, द्रौपदी, कुंती आदि सभी सम्मिलित होते हैं। इस राज्याभिषेक में देश और विदेश के कई राजाओं को आमंत्रित किया जाता है और भव्य आयोजन के बीच युधिष्ठिर का राज्याभिषेक होता है।

9) युद्ध के 15 वर्ष बाद धृतराष्ट्र, गांधारी, संजय और कुंती वन में चले जाते हैं। एक दिन धृतराष्ट्र गंगा में स्नान करने के लिए जाते हैं और उनके जाते ही जंगल में आग लग जाती है। वे सभी धृतराष्ट्र के पास आते हैं। संजय उन सभी को जंगल से चलने के लिए कहते हैं, लेकिन धृतराष्ट्र वहां से नहीं जाते हैं, गांधारी और कुंती भी नहीं जाती है। जब संजय अकेले ही उन्हें जंगल में छोड़ चले जाते हैं, तब तीनों लोग आग में झुलसकर मर जाते हैं। संजय उन्हें छोड़कर हिमालय की ओर प्रस्थान करते हैं, जहां वे एक संन्यासी की तरह रहते हैं। एक साल बार नारद मुनि युधिष्ठिर को यह दुखद समाचार देते हैं। युधिष्ठिर वहां जाकर उनकी आत्मशांति के लिए धार्मिक कार्य करते हैं।

10) एक दिन पांचों पांडव विदुर से मिलने आए। विदुर ने युधिष्ठिर को देखते ही अपने प्राण छोड़ दिए और वे युधिष्ठिर में समा गए। यह देखकर युधिष्ठिर को समझ में नहीं आया कि यह क्या हुआ? ऐसे में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान किया। श्रीकृष्ण प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि विदुर भी धर्मराज के अंश थे अत: वे तुम में समा गए, लेकिन अब मैं विदुर की इच्‍छानुसार दिया गया अपना वचन पूरा करूंगा। यह कहकर श्रीकृष्ण ने विदुर की इच्छानुसार उनके शरीर को सुदर्शन चक्र में बदलकर उस सुदर्शन चक्र को वहीं स्थापित कर दिया।
 
11) महाभारत युद्ध के बाद जब 36वां वर्ष प्रारंभ हुआ तो श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब के कारण मोसुल का युद्ध हुआ जिसमें सभी यदुवंशी आपस में ही लड़कर मारे गए। साम्‍ब, चारुदेष्‍ण, प्रद्युम्‍न और अनिरुद्ध की मृत्‍यु हो गई। बस श्रीकृष्ण का एक पौत्र बचा था जिसका नाम वज्र था। बलराम ने द्वारिका के समुद्र के किनारे जाकर समाधि ले ली थी।
 
 
12) मोसुल के युद्ध के बाद प्रभाष क्षेत्र में एक वृक्ष के नीचे श्रीकृष्ण लेटे हुए थे तभी एक भील ने उन्हें हिरण समझकर बाण मार दिया। यह बाण उनके पैरों में आकर लगा। इस बाण से उनकी मृत्यु हो गई। अर्जुन को जब यह समाचार मिला तो वे द्वारिका पहुंचे और शोक व्यक्त किया।
 
13) श्रीकृष्ण के स्वर्गवास के बाद द्वारिका नगरी समुद्र में डूबने लगी। यह देख अर्जुन ने सभी यदुवंशी नारियों और कृष्ण के पौत्र को लेकर हस्तिनापुर के लिए कूच कर दिया। हजारों महिलाओं और द्वारिकावासियों के साथ उन्होंने पंचनद देश में पड़ाव डाला, जहां लुटेरों ने खूब लूटपाट की और सुंदर महिलाओं का अपहरण कर लिया। बहुत मुश्किल से अर्जुन, व्रज और कुछ नगरवासी इन्द्रप्रस्थ पहुंचे। अर्जुन ने व्रज को इन्द्रप्रस्थ का राजा बना दिया।
 
14) अर्जुन हस्तिनापुर जाकर महाराज युधिष्ठिर को सारा वृत्तांत सुनाते हैं। बाद में पांचों पांडव सशरीर स्वर्ग जाने की इच्छा से परीक्षित को राजपाट सौंपकर द्रौपदी के साथ स्वर्ग की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। यात्रा के कठिन मार्ग में सबसे पहले द्रौपदी की, फिर नकुल और सहदेव की मृत्यु हो जाती है। बाद में अर्जुन भी गिर पड़ते हैं। अर्जुन के बाद भीम भी साथ छोड़ देते हैं। मार्ग में एक जगह इन्द्र खुद युधिष्ठिर को स्वर्ग ले जाने के लिए उपस्थित होते हैं। इन्द्र युधिष्ठिर को लेकर स्वर्ग चले जाते हैं।
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