Monday, 23 December 2024

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इतने छोटे और नमीयुक्त कमरे हैं, कोई यहां कैसे रह सकता है...... 

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रात 8 बजे के बाद G B Road का माहौल बदल जाता है. कोठे पर आने वालों की संख्या बढ़नी शुरू हो जाती है. अकेले आने वाले शख्स को जेबकतरे लूट लेते हैं.

रेड लाइट एरिया में ऐसी होती है सेक्स वर्कर की LIFE, छोटे से कमरे में चलता है काम

दिल्ली के जीबी रोड (G B Road) के अंदर का नज़ारा

जी.बी रोड (GB Road) का पूरा नाम गारस्टिन बास्टियन रोड (Garstin Bastion Road) है, जहां 100 साल पुरानी इमारतें हैं. जगह-जगह दलालों के झांसे में नहीं आने और जेबकतरों और गुंडों से सावधान रहने की चेतावनी लिखी हुई है. यह दिल्ली (Delhi) की एक सड़क है, जिसका नाम सुनते ही लोगों की भौंहें तन जाती हैं और वे दबी जुबान में फुसफुसाना शुरू कर देते हैं. 

स्कूल में जब मैंने पहली बार इसके बारे में सुना था, तो कौतूहल था कि आखिर कैसी होगी यह सड़क? फिल्मों में अक्सर देखे गए कोठे याद आने लगते थे. याद आती थी मर्दो को लुभाने वाली सेक्स वर्कर्स, जिस्म की मंडी चलाने वाली कोठे की मालकिन और न जाने क्या-क्या. यही कौतूहल इतने सालों बाद मुझे जी.बी. रोड (GB Road) खींच लाया. 

बीते रविवार सुबह आठ बजे जब मैं जी.बी.रोड (GB Road) पहुंची, तो यह सड़क दिल्ली की अन्य सड़कों की तरह आम ही लगी. सड़क के दोनों ओर दुकानों के शटर लगे हुए थे. इन दुकानों के बीच से ही सीढ़ी ऊपर की ओर जाती हैं और सीढ़ियों की दीवारों पर लिखे नंबर कोठे की पहचान कराते हैं. कुछ लोग सड़कों पर ही चहलकदमी कर रहे हैं और हमें हैरानी भरी नजरों से घूर रहे हैं. हमने तय किया कि कोठा नंबर 60 में चला जाए.

एनजीओ (NGO) में काम करने वाले अपने एक मित्र के साथ फटाफट सीढ़ियां चढ़ते हुए मैं ऊपर पहुंची, चारों तरफ सन्नाटा था. शायद सब सो रहे थे, आवाज दी तो पता चला, सब सो ही रहे हैं कि तभी अचरज भरी नजरों से हमें घूरता एक शख्स बाहर निकला. बड़े मान-मनौव्वल के बाद बताने को तैयार हुआ कि वह राजू (बदला हुआ नाम) है, जो बीते नौ सालों से यहां रह रहा है और लड़कियों (Sex Worker) का रेट तय करता है.

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पहचान उजागर न करने की शर्त के साथ राजू ने एक सेक्स वर्कर सुष्मिता (बदला हुआ नाम) से हमारी मुलाकात कराई, जिसे जगाकर उठाया गया था. मैं सुष्मिता से अकेले में बात करना चाहती थी, लेकिन राजू को शायद डर था कि कहीं वह कुछ ऐसा बता न दे, जो उसे बताने से मना किया गया है. 

सुष्मिता की उम्र 23 साल है और उसे तीन साल पहले नौकरी का झांसा देकर पश्चिम बंगाल से दिल्ली लाकर यहां बेच दिया गया था. सुष्मिता ठीक से हिंदी नहीं बोल पाती, वह कहती है, "मैं पश्चिम बंगाल से हूं, मेरा परिवार बहुत गरीब है. एक पड़ोसी का हमारे घर आना-जाना था. उसने कहा, दिल्ली चलो. वहां बहुत नौकरियां हैं तो उसके साथ दिल्ली आ गई. एक दिन तो मुझे किसी कमरे में रखा और अगले दिन यहां ले आया."

यह पूछने पर कि क्या वह अपने घर लौटना नहीं चाहती है? काफी देर चुप रहकर वह कहती है, "नहीं. घर नहीं जा सकती. बहुत मजबूरियां हैं. यहां खाने को मिलता है, कुछ पैसे भी मिल जाते हैं, जो छिपाकर रखने पड़ते हैं." सुष्मिता बीच में ही कहती है, "किसी को बताना मत..." इससे आगे कुछ पूछने की हिम्मत ही नहीं हुई. सुष्मिता है तो 23 की, लेकिन उसका शरीर देखकर लगता है कि जैसे 15 या 16 की होगी, दुबली-पतली कुपोषित लगती है.  इमारत की पहली और दूसरी मंजिल पर जिस्मफरोशी का धंधा चलता है. इच्छा हुई कि इन कमरों के अंदर देखा जाए कि यहां कैसे रहते हैं? अंदर घुसी कि एक अजीब सी गंध ने नाक ढकने को मजबूर कर दिया. इतने छोटे और नमीयुक्त कमरे हैं, सोचती रही कि कोई यहां कैसे रह सकता है. 

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राजू बताता है कि एक कोठे में 13 से 14 सेक्स वर्कर हैं और सभी अपनी मर्जी से धंधा करती हैं लेकिन गीता (बदला हुआ नाम) की बात सुनकर लगा कि ये मर्जी में नहीं मजबूरी में धंधा करती हैं. गीता कहती है, "जैसे आप नौकरी करके पैसे कमाती हो. वैसे ही ये हमारी नौकरी है. आप बताइए, हमारी क्या समाज में इज्जत है, कौन हमें नौकरी देगा. जिस्म बेचकर ही हम अपना घर चला रहे हैं. बेटी को पढ़ा रही हूं, ये छोड़ दूंगी तो बेटी का क्या होगा."

गीता कहती है कि वो एक साल में तीन कोठे बदल चुकी है. वजह पूछने पर कहती है, "पैसे अच्छे नहीं मिलेंगे तो कोठा तो बदलना पड़ेगा ना." गीता की ही दोस्त रेशमा (बदला हुआ नाम) कहती है, "हम जैसे हैं, खुश हैं. सरकार हमारे लिए क्या कर रही है. हमारे पास ना राशन कार्ड है, ना वोटर कार्ड ना आधार. हमारे पास कोई वोट मांगने भी नहीं आता. सरकार ने हमारे लिए क्या किया. कुछ नहीं."

जेहन में ढेरों सवाल लेकर एक और कोठे पर गई, जहां 15 से लेकर 19 साल की कई सेक्स वर्कर मिली, जो शायद रातभर की थकान के बाद देर सुबह तक सो रही हैं. इसके बारे में राजू कहते हैं, "रात आठ बजे के बाद यहां का माहौल बदल जाता है. कोठे पर आने वालों की संख्या बढ़नी शुरू हो जाती है. अकेले आने वाले शख्स को जेबकतरे लूट लेते हैं, चाकूबाजी की भी कई वारदातें हुई हैं." यहां आकर लगता है कि एक शहर के अंदर कोई और शहर है. जिस्मफरोशी के लिए यहां लाई गई या यहां खुद अपनी मर्जी से पहुंचीं औरतों की जिंदगी दोजख से कम कतई नहीं है. अपने साथ कई सवालों के जवाब लिए बिना वापस जा रही हूं, इस उम्मीद में कि जल्द लौटकर जवाब बटोर लूंगी.

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विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर ऑनलाइन सर्वेक्षण : युवा (20-35 वर्ष) `कूल` दिखने के लिए धूम्रपान करते हैं, जो कि ऐसा करने वाले 35-50 वर्ष के लोगों की तुलना में काफी अधिक है....

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मुंबई (वीएनएस/आईएएनएस)| विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस द्वारा 1,000 युवाओं पर किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण से पता चला है कि 23 प्रतिशत युवा (20-35 वर्ष) `कूल` दिखने के लिए धूम्रपान करते हैं, जो कि ऐसा करने वाले 35-50 वर्ष के लोगों की तुलना में काफी अधिक है। सर्वेक्षण के अनुसार, 15 प्रतिशत युवाओं को धूम्रपान करते हुए अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने में कोई परेशानी नहीं है। इसके विपरीत, अधिक उम्र के 53 प्रतिशत लोगों का मानना था कि धूम्रपान व्यक्तिगत मामला है और 23 प्रतिशत ने माना कि उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी इस आदत को नहीं दिखाना चाहिए।

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सर्वेक्षण से पता चला है कि व्यक्ति की भावनात्मक सोच अभी भी धूम्रपान का मुख्य कारक बनी हुई है। युवा समूह तनाव से निजात पाने के लिए धूम्रपान करते हैं, जबकि 35-50 वर्ष के व्यक्ति कार्य के दबाव को इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हैं।

इस सर्वेक्षण में यह भी खुलासा हुआ कि धूम्रपान की प्रवृत्तियों पर जीवन की कुछ घटनाओं का भी प्रभाव पड़ता है, जिनके चलते व्यक्ति काफी धूम्रपान करने लगता है। सर्वेक्षण में शामिल 37 प्रतिशत लोगों ने माना की नौकरी पाने के बाद उन्होंने धूम्रपान बढ़ा दिया है।
महिलाओं में 36-50 वर्ष के आयु समूह की महिलाएं अधिक धूम्रपान करती पाई गईं।

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सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत लोगों ने स्वीकारा कि उन्होंने धूम्रपान छोड़ने के लिए कभी भी कोशिश नहीं की क्योंकि यह उनके वश में नहीं है। जिन लोगों ने इस छोड़ने की कोशिश की, उन्होंने परिवार के दबाव और स्वास्थ्य संबंधी चिंता को सबसे बड़ा कारण माना।

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सर्वेक्षण के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी के अंडराइटिंग, क्लेम्स एवं रीइंश्योरेंस प्रमुख संजय दत्ता ने कहा, `धूम्रपान की आदत चिकित्सकीय रूप से हानिकारक साबित हो चुकी है। यही नहीं, इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि युवा पीढ़ी इस आदत को अपना रही है, जिनमें से कुछ का मानना है कि इससे वो कूल दिखेंगे। धूम्रपान का कम उम्र के युवाओं और किशोरों पर गहरा असर होता है। यह आयु को कम करता है, गंभीर बीमारियों को जन्म देता है और सुखद एवं स्वस्थ जीवन की उनकी संभावना को बर्बाद कर देता है। इसलिए, हम धूम्रपान करने वालों को इसके प्रभावों के बारे में सचेत करने को अपनी जिम्मेवारी मानें और उनसे धूम्रपान छोड़ने की अपील करें।`

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