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मुंबई (वीएनएस/आईएएनएस)| विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस द्वारा 1,000 युवाओं पर किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण से पता चला है कि 23 प्रतिशत युवा (20-35 वर्ष) `कूल` दिखने के लिए धूम्रपान करते हैं, जो कि ऐसा करने वाले 35-50 वर्ष के लोगों की तुलना में काफी अधिक है। सर्वेक्षण के अनुसार, 15 प्रतिशत युवाओं को धूम्रपान करते हुए अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने में कोई परेशानी नहीं है। इसके विपरीत, अधिक उम्र के 53 प्रतिशत लोगों का मानना था कि धूम्रपान व्यक्तिगत मामला है और 23 प्रतिशत ने माना कि उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी इस आदत को नहीं दिखाना चाहिए।
सर्वेक्षण से पता चला है कि व्यक्ति की भावनात्मक सोच अभी भी धूम्रपान का मुख्य कारक बनी हुई है। युवा समूह तनाव से निजात पाने के लिए धूम्रपान करते हैं, जबकि 35-50 वर्ष के व्यक्ति कार्य के दबाव को इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हैं।
इस सर्वेक्षण में यह भी खुलासा हुआ कि धूम्रपान की प्रवृत्तियों पर जीवन की कुछ घटनाओं का भी प्रभाव पड़ता है, जिनके चलते व्यक्ति काफी धूम्रपान करने लगता है। सर्वेक्षण में शामिल 37 प्रतिशत लोगों ने माना की नौकरी पाने के बाद उन्होंने धूम्रपान बढ़ा दिया है।
महिलाओं में 36-50 वर्ष के आयु समूह की महिलाएं अधिक धूम्रपान करती पाई गईं।
सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत लोगों ने स्वीकारा कि उन्होंने धूम्रपान छोड़ने के लिए कभी भी कोशिश नहीं की क्योंकि यह उनके वश में नहीं है। जिन लोगों ने इस छोड़ने की कोशिश की, उन्होंने परिवार के दबाव और स्वास्थ्य संबंधी चिंता को सबसे बड़ा कारण माना।
सर्वेक्षण के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी के अंडराइटिंग, क्लेम्स एवं रीइंश्योरेंस प्रमुख संजय दत्ता ने कहा, `धूम्रपान की आदत चिकित्सकीय रूप से हानिकारक साबित हो चुकी है। यही नहीं, इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि युवा पीढ़ी इस आदत को अपना रही है, जिनमें से कुछ का मानना है कि इससे वो कूल दिखेंगे। धूम्रपान का कम उम्र के युवाओं और किशोरों पर गहरा असर होता है। यह आयु को कम करता है, गंभीर बीमारियों को जन्म देता है और सुखद एवं स्वस्थ जीवन की उनकी संभावना को बर्बाद कर देता है। इसलिए, हम धूम्रपान करने वालों को इसके प्रभावों के बारे में सचेत करने को अपनी जिम्मेवारी मानें और उनसे धूम्रपान छोड़ने की अपील करें।`
::/fulltext::GABBAR IS BACK! जी हां, बॉलीवुड के ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ का विलेन ‘गब्बर सिंह’ वापस आ गया है! रमेश सिप्पी की फिल्म में इस किरदार को अमजद खान ने इस तरह निभाया कि वह किरदार आज 43 साल बाद भी सबके जहन में है। उनके डायलॉग- ‘यहां से पचास-पचास कोस दूर जब बच्चा रात को रोता है तो मां कहती है सो जा बेटे नहीं तो गब्बर आ जाएगा’, ‘कितने आदमी थे’ आज भी कानों में गूंजते हैं। वैसे तो अमजद खान 26 साल पहले ही इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं, लेकिन सोशल मीडिया ने गब्बर सिंह के हमशक्ल को ढूंढ़ निकाला है। शोले के गब्बर सिंह की तरह दिखने वाले एक शख्स की तस्वीरें इन दिनों तेजी से वायरल हो रही हैं।
क्या आपको पता है अमजद खान ‘गब्बर सिंह’ के लिए पहली पसंद नहीं थे..
शोले की कास्टिंग करते समय डायरेक्टर रमेश सिप्पी के दिमाग में अमजद का नाम मीलों दूर तक नहीं था। गौरतलब है कि शोले की पटकथा पढ़ने के बाद संजीव कुमार ने भी गब्बर सिंह का रोल करने की इच्छा प्रकट की थी, लेकिन सिप्पी की पहली पसंद डैनी थे, जो उस दौर में तेजी से उभरकर पहली पायदान के खलनायक बन गए थे। डैनी उन दिनों फिरोज खान की फिल्म 'धर्मात्मा' की शूटिंग में व्यस्त थे।
डेट्स की समस्या के साथ फिरोज के प्रति कमिटमेंट था। ऐसे समय में शोले के पटकथा लेखक सलीम-जावेद ने अमजद के नाम की सिफारिश रमेश सिप्पी से की थी। रमेश सिप्पी ने एक नाटक में उन्हें बेबाकी से अभिनय करते देखा, तो शोले के लिए साइन कर लिया। डैनी के स्थान पर अमजद गब्बर के रोल में क्या आए, गब्बर सिंह का चरित्र हमेशा के लिए अमर हो गया।