Sunday, 19 October 2025

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विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर ऑनलाइन सर्वेक्षण : युवा (20-35 वर्ष) `कूल` दिखने के लिए धूम्रपान करते हैं, जो कि ऐसा करने वाले 35-50 वर्ष के लोगों की तुलना में काफी अधिक है....

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मुंबई (वीएनएस/आईएएनएस)| विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस द्वारा 1,000 युवाओं पर किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण से पता चला है कि 23 प्रतिशत युवा (20-35 वर्ष) `कूल` दिखने के लिए धूम्रपान करते हैं, जो कि ऐसा करने वाले 35-50 वर्ष के लोगों की तुलना में काफी अधिक है। सर्वेक्षण के अनुसार, 15 प्रतिशत युवाओं को धूम्रपान करते हुए अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने में कोई परेशानी नहीं है। इसके विपरीत, अधिक उम्र के 53 प्रतिशत लोगों का मानना था कि धूम्रपान व्यक्तिगत मामला है और 23 प्रतिशत ने माना कि उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी इस आदत को नहीं दिखाना चाहिए।

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सर्वेक्षण से पता चला है कि व्यक्ति की भावनात्मक सोच अभी भी धूम्रपान का मुख्य कारक बनी हुई है। युवा समूह तनाव से निजात पाने के लिए धूम्रपान करते हैं, जबकि 35-50 वर्ष के व्यक्ति कार्य के दबाव को इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हैं।

इस सर्वेक्षण में यह भी खुलासा हुआ कि धूम्रपान की प्रवृत्तियों पर जीवन की कुछ घटनाओं का भी प्रभाव पड़ता है, जिनके चलते व्यक्ति काफी धूम्रपान करने लगता है। सर्वेक्षण में शामिल 37 प्रतिशत लोगों ने माना की नौकरी पाने के बाद उन्होंने धूम्रपान बढ़ा दिया है।
महिलाओं में 36-50 वर्ष के आयु समूह की महिलाएं अधिक धूम्रपान करती पाई गईं।

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सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत लोगों ने स्वीकारा कि उन्होंने धूम्रपान छोड़ने के लिए कभी भी कोशिश नहीं की क्योंकि यह उनके वश में नहीं है। जिन लोगों ने इस छोड़ने की कोशिश की, उन्होंने परिवार के दबाव और स्वास्थ्य संबंधी चिंता को सबसे बड़ा कारण माना।

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सर्वेक्षण के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी के अंडराइटिंग, क्लेम्स एवं रीइंश्योरेंस प्रमुख संजय दत्ता ने कहा, `धूम्रपान की आदत चिकित्सकीय रूप से हानिकारक साबित हो चुकी है। यही नहीं, इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि युवा पीढ़ी इस आदत को अपना रही है, जिनमें से कुछ का मानना है कि इससे वो कूल दिखेंगे। धूम्रपान का कम उम्र के युवाओं और किशोरों पर गहरा असर होता है। यह आयु को कम करता है, गंभीर बीमारियों को जन्म देता है और सुखद एवं स्वस्थ जीवन की उनकी संभावना को बर्बाद कर देता है। इसलिए, हम धूम्रपान करने वालों को इसके प्रभावों के बारे में सचेत करने को अपनी जिम्मेवारी मानें और उनसे धूम्रपान छोड़ने की अपील करें।`

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'फ़बिंग' एक नया शब्द है इसका मतलब, जब आप सामने खड़े व्यक्ति की अनदेखी कर अपने पर लगे रहते हैं.....

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'फ़बिंग' एक नया शब्द है जो ऑस्ट्रेलियाई डिक्शनरी से जुड़ गया है। इसका मतलब उस स्थिति से है जब आप सामने खड़े व्यक्ति की अनदेखी कर अपने पर लगे रहते हैं। यह जानी मानी परिस्थिति है। वो सामान्य स्थिति है जब किसी से मुलाक़ात के दौरान उनके पास एक टेक्स्ट मैसेज आता है, फिर वो अपने ईमेल और अन्य सोशल मीडिया ऐप्प देखने में व्यस्त हो जाते है और आप वहां बैठे उनका इंतज़ार करते रहते हैं। 
 
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एक ख़ास अनुभव के बाद ब्रिटेन की केंट यूनिवर्सिटी के वरोत चटपितायसुनोन्ध ने खुद ही 'फ़बिंग' के पीछे मानसिक स्थिति पर रिसर्च किया और पाया कि इससे आपकी मानसिक स्थिति और लोगों से ताल्लुकात दोनों ही प्रभावित होते हैं।
 
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ट्रिप के दौरान फ़बिंग पर व्यस्त रहे दोस्त
 
वो कहते हैं, 'मुझे बहुत सालों के बाद एक लंबी छुट्टी मिली तो मैंने अपने हाई स्कूल के दोस्तों के साथ थाईलैंड के खुबसूरत इलाकों का कार्यक्रम बना लिया क्योंकि पिछले 10 सालों में हम एक साथ कहीं नहीं गए थे।"

"मैं इस ट्रिप को लेकर बहुत उत्साहित था। लेकिन दुर्भाग्यवश तीन दिन और दो रात के लिए बनाया गया यह कार्यक्रम वैसा नहीं था जैसा कि मैंने सोचा था।"..... "इस पूरे ट्रिप के दौरान मेरे सभी दोस्त अपने गर्दन झुकाए स्मार्टफ़ोन में व्यस्त रहे। उस ट्रिप की यादों में उनके चेहरे से ज़्यादा उनके सिर मेरे ज़ेहन में हैं।"
 
'फ़बिंग' का क्या पड़ता है असर?
 
वो कहते हैं, "बहुत सारी उलझनों को लेकर उस ट्रिप से मैं घर लौटा और इस सोच में पड़ गया कि क्या मेरे दोस्तों का वो व्यवहार सामान्य था? आख़िर क्या हुआ है उन्हें? क्या होगा अगर इस दुनिया में रहने वाले अधिकतर लोग ऐसा ही व्यवहार दिखाने लगें?"

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"और फिर मैंने इसकी पढ़ाई करने के लिए पीएचडी प्रोग्राम के लिए अप्लाई कर दिया।"... "रिसर्च के दौरान हमने पाया कि सामने वाले व्यक्ति पर 'फ़बिंग' का बहुत नकारात्मक असर पड़ता है। बातचीत के दौरान 'फ़बिंग' से सामने वाला व्यक्ति कम संतुष्ट होता है। वो बातचीत के दौरान खुद को कम जुड़ा हुआ महसूस करता है।
 
अगर 'फ़बिंग' बार बार हो
 
अगर कोई 'फ़बिंग' कर रहा हो तो सामने वाले व्यक्ति का उसमें यकीन कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में मनोदशा 'सकारात्मक कम' और 'नकारात्मक अधिक' होती है। अगर किसी व्यक्ति के साथ 'फ़बिंग' की घटना बार बार होती है तो वो 'फ़बिंग' का ज़िक्र लोगों से करता है और ऐसे में यदि पाता है कि बातचीत के दौरान अपने फ़ोन पर लगे रहना आज आम बात है तो वो खुद भी ऐसा करना शुरू कर देता है।
 
थाइलैंड, एशियाई देशों और यूरोप में मोबाइल के इस्तेमाल में बहुत बड़ा फर्क है। थाईलैंड में लोग पांच घंटे प्रतिदिन अपने मोबाइल फ़ोन पर लगे रहते हैं वहीं इंग्लैंड में यह दो से ढाई घंटा है। यानी थाईलैंड में ब्रिटेन की तुलना में फ़बिंग करने वालों की संख्या बहुत अधिक है।
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के कॉन्टैक्ट लिस्ट में का हेल्पलाइन नंबर आने के बाद खलबली मच हुई है.....

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के कॉन्टैक्ट लिस्ट में का हेल्पलाइन नंबर आने के बाद खलबली मच हुई है। को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं उनके डेटा का गलत इस्तेमाल न हो जाए। ट्‍विटर पर भी ट्रेंड करता रहा। यूजर्स ने इसे लेकर UIDAI पर निशाना साधा। यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया को इस मामले को लेकर स्पष्टीकरण देना पड़ा। स्मार्टफोन में अपने आप आधार हेल्पलाइन नंबर सेव होने को लेकर मचे घमासान के बाद एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनी ने माफी मांगी है। गूगल ने कहा है कि अनजाने में स्मार्ट फोन में नंबर सेव हुआ है, लेकिन एंड्रॉयड सिस्टम हैक नहीं हुआ है। हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे टिप्स जिनसे आप इस तरह की परेशानियों से बच सकते हैं।
 
नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें : अक्सर स्मार्ट फोन पर एप इंस्टाल करते हैं तो नियम व शर्तों को ध्यान से नहीं पढ़ते हैं। नया एप इंस्टॉल होने के बाद पहली बार उसका यूज करने पर वह आपसे कुछ जरूरी ऐक्सेस मांगता है। आप उसे एक्सेस देते समय सावधानी रखें। सेटिंग में जाकर आप देख सकते हैं कि उसे क्या ऐक्सेस दिया है।
 
इनका एक्सेस देने से बचें : ज्यादातर ऐप कॉन्ट्रेक्ट, मेमोरी, गैलरी, कैमरा और माइक्रोफोन का ऐक्सेस मांगते हैं। ये ऐक्सेस उन ऐप्स को ही दें, जिनके लिए वे बहुत जरूरी हों। ऐप की आवश्यकता का भी विशेष ध्यान रखें।
 
जरूर ऐप को ही करें डाउनलोड : इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जो ऐप आपके लिए आवश्यक हों, उन्हें अपने स्मार्ट फोन में इंस्टाल करें। कई बार हम फेक ऐप स्मार्ट फोन में डाउनलोड करते हैं, ‍जो आपकी निजता के लिए खतरा हो सकते हैं। हमेशा सही ऐप का प्रयोग करें और ऐप स्टोर से बाहर का ऐप मोबाइल में इंस्टॉल न करें।
 
डेटा चोरी करने पर कैद की सजा : डेटा चोरी के मामले सामने आने के बाद डेटा चोरी पर रोक के लिए ड्राफ्ट बिल तैयार किया जा चुका है। बीएन श्रीकृष्णा समिति ने 27 जुलाई को केंद्र सरकार को इस बिल का ड्राफ्ट सौंपा। इसमें किसी कंपनी के एग्जिक्युटिव्स की जानकारी में या उनकी लापरवाही के चलते डेटा और संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी की चोरी होने पर 5 साल जेल की सजा का प्रस्ताव सुझाया गया है। समिति ने सुझाव दिया है कि डेटा प्रॉटेक्शन लॉ के उल्लंघन को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना जाना चाहिए।
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