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आज कल टीनएजर्स का देर रात तक मोबाइल चलाना ,लैपटॉप पर लगे रहना, घंटों टीवी पर प्रोग्राम देखना या फिर दोस्तों के साथ मोबाइल पर बातें करना इन सब के कारण किशोरों को देर से सोने और कम नींद लेने की आदत पड़ जाती है। और इस आदत का खामियाजा किशोरों के लिए काफी बड़ा होता है।नींद की कमी टीनएजर्स को बीमार कर सकती है। कम सोना सेहत के लिए नुकसानदेह होता है ,इसकी वजह से दिल की बीमारी और डायबिटीज आदि हो सकते हैं। देर रात तक जगना आज कल के बच्चो के लिए आम बात हो गयी है। पर इसके बहुत सारे नकारात्मक प्रभाव होते है जो आपके बच्चो को बीमार बना सकते है। ऐसे बच्च को धुम्रपान ,शराब और अवैध नशे की लत लग जाती है।
इसके साथ ही देर रात तक जागने वाले समूह के लोग डायबिटीज, पेट और सांस की तकलीफ, मनोवैज्ञानिक विकार, कम नींद की समस्या से ग्रस्त होते हैं. साथ ही ये लोग शराब, कॉफी का सेवन भी अधिक करते हैं।
कैसे छुटकारा दिलाये इस आदत से
बच्चो के मोबाइल ,लैपटॉप ,टीवी आदि का टाइम सेट करे। उन्हें निर्धारित समय से ज्यादा इन उपकरणों का उपयोग ना करने दें। रात को बिस्तर पर जाते ही उनके सभी उपकरण उनसे ले लें। सोने से पहले उन्हें पढने की आदत डाले इससे उन्हें अच्छी नींद आयेगी।
लंदन: जो महिलाएं अधिक संभोग (Sex) करती हैं, उनमें रजोनिवृत्ति होने की संभावना कम होती है. हफ्ते में एक बार संभोग (सेक्स) करने वाली महिलाओं में रजोनिवृत्ति (मीनोपॉज) की संभावना महीने में एक बार संभोग करने वाली औरतों से 28 फीसदी कम होती है. एक शोध में यह जानकारी मिली है. शोधकर्ताओं ने कहा कि संभोग के भौतिक संकेत शरीर को संकेत दे सकते हैं कि गर्भवती होने की संभावना है.
अध्ययन में कहा गया है कि जो महिलाएं मिड लाइफ (35 व इससे अधिक उम्र) में बार-बार संभोग नहीं करती हैं, उनमें जल्द रजोनिवृत्ति देखने को मिलती है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन की अध्ययनकर्ता मेगन अर्नोट ने कहा, "अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि अगर कोई महिला यौन संबंध नहीं बना रही है और गर्भधारण का कोई मौका नहीं है, तो शरीर अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) बंद कर देता है क्योंकि यह व्यर्थ होगा."
अध्ययन में कहा गया है कि अंडोत्सर्ग के दौरान महिला की प्रतिरक्षा क्षमता बिगड़ जाती है, जिससे शरीर में बीमारी होने की संभावना अधिक होती है. यह शोध 2,936 महिलाओं से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है, जो कि 1996/1997 में एसडब्ल्यूएएन अध्ययन के तहत किया गया था.
इस दौरान महिलाओं को कई सवालों के जवाब देने के लिए कहा गया था, जिसमें यह भी शामिल था कि पिछले छह महीनों में उन्होंने अपने साथी के साथ संभोग किया है या नहीं. संभोग करने के अलावा उनसे पिछले छह महीनों के दौरान कामोत्तेजना से जुड़े अन्य प्रश्न भी किए गए, जिनमें मुख मैथुन, यौन स्पर्श और आत्म-उत्तेजना या हस्तमैथुन के बारे में भी विस्तृत जानकारी ली गई.
यौन क्रियाओं में भाग लेने संबंधी सबसे अधिक उत्तर साप्ताहिक (64 फीसदी) देखने को मिले. दस साल की अनुवर्ती अवधि में देखा गया कि 2,936 महिलाओं में से 1,324 (45 फीसदी) ने 52 वर्ष की औसत उम्र में प्राकृतिक रजोनिवृत्ति का अनुभव किया.
बता दें कि रजोनिवृत्ति उस स्थिति को कहा जाता है जब महिलाओं में मासिक धर्म चक्र बंद हो जाता है. असल में इसे प्रजनन क्षमता का अंत माना जाता है. शोध की रिपोर्ट को जर्नल रॉयल सोसायटी ओपन साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है. इस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में इसके कारण का उल्लेख नहीं किया गया है.
छोटे बच्चे सभी को प्यारे लगते हैं खासतौर पर उनकी कोमल स्किन। लेकिन किन्ही किन्ही बच्चों के शरीर पर काफी सारे बाल होते हैं जिसे देखकर अक्सर माएं परेशानी में पड़ जाती हैं कि इन्हें हटाया कैसे जाए। आपको बता दें कि बच्चे के शरीर पर कम और अधिक बाल उनके जीन पर निर्भर करता है।
जब बच्चे का जन्म होता है तो जन्म के समय बच्चे की त्वचा सूखी होती है। साथ ही साथ बच्चे के पूरे शरीर पर महीन बाल भी होते हैं। बच्चे के सर पे बाल तो समझ में आता है मगर पूरे शरीर में बाल, बहुत से माँ या बाप के समझ से बाहर होता है। कई माँ या बाप के लिए तो ये एक चिंता का विषय भी होता है।
नवजात के शरीर पर ये बाल काफी महीन होते हैं और आसानी से देखे जा सकते हैं। कोख में जब बच्चे 18 से 20 सप्ताह के होते हैं तब से उसके शरीर पे यह बाल उगने शुरू हो जाते हैं। जन्म के बाद, कुछ सप्तहा से ले कर कुछ महीने के भीतर ये बाल अपने आप ही गिर कर समाप्त हो जाते हैं।
अगर आप अपने नवजात के पूरे शरीर पे बालों को देख कर चिंतित हैं, तो चिंता ना करें क्योंकि आज हम आपको कुछ ऐसे आसान से घरेलू उपाय बताएंगे, जिनकी मदद से आप इन अनचाहे बालों से उसे मुक्ती दिला सकती हैं।
आटे और बेसन को एक साथ गूथ लें। इसे बच्चे के पुरे शरीर पे मल लें। बेहद आराम से करें ये काम। ध्यान रहे की बच्चे को तकलीफ न हो। ऐसे करने से बालों की जड़ मुलायम हो जाएगी और बाल खुद बा खुद गिर जायेंगे।
2. बेबी ऑइल से मसाज करें
धीरे धीरे अपने बेबी की बेबी ऑइल से मसाज करें। यह मसाज रोजाना दो बार करना है, एक सुबह और एक बार शाम को। इससे आप उसके शरीर के बाल में कमी देख सकते हैं।
चंदन पावडर, दूध और हल्दी पावडर का पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को अपने बच्चे के शरीर पर उस जगह पर लगाएं जहां बाल दिखाई दे रहे हैं। बाल हटाने के लिये पेस्ट को धीरे से लगाएं। इसे बच्चे को नहलाने से कुछ घंटे पहले लगाएं। ऐसा कुछ हफ्तों तक करें।
4. जैतून तेल से मालिश करें
अपने बच्चे की पहले जैतून तेल से मालिश करें और फिर उसके शरीर पर लाल मसूर की दाल और दूध से बने पेस्ट को लगा कर धीरे-धीरे उन हिस्सों पर मालिश करें जहां पर बाल दिखाई दे रहे हैं। कुछ ही दिनों में आपको महत्वपूर्ण अंतर देखने को मिलेगा।
नवजात शिशु को आप साबुन से बिल्कुल दूर रखें। बेबी को साफ करने के लिए और उसके बालों को हटाने के लिए आप दूध में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर लगा सकती हैं।
6. दूध और ब्रेड
बच्चे का अचानक दूध पीना बंद कर देना, क्या हो सकते हैं कारण? सभी जानतें हैं कि माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के सामान होता है ये बच्चे को न केवल पोषण प्रदान करने का काम करता है, बल्कि उसे कई तरह की बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी देता है, लेकिन कई बार नवजात शिशुओ में स्तनपान ना कर पाने के कारण ये एक चिंता का विषय बन जाता है। छोटे बच्चे जब भूख के कारण रोते है और सही प्रकार से दूध नहीं पी पाते तो ऐसे में समझ नहीं आता की क्या किया जाये, इसके लिए आपको कारण समझना होगा, कि हो सकता हो, बच्चे के शरीर में कोई दिक्क़त हो जिस कारण वह सही प्रकार से दूध ना पी पा रहा हो।
बच्चा अभी छोटा है तो वह बोलकर नहीं बता सकता, वह तो बस रोकर ही बता सकता है। इसके लिए आपको सही कारण को समझकर बच्चे के शरीर की जाँच करनी होगी, यदि फिर भी आपको समस्या समझने में दिक्क़त हो रही है तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
बच्चे का मां का दूध नहीं पीने के पीछे कारण और उनके उपाय
अगर आपका बच्चा अचानक से आपका दूध पीना बंद कर दे, परेशान न हों। तो नीचे दी गयी बातों पर गौर करें और बताये गए उपायों को जरूर आजमाएं...
#1. स्तनों में दूध का कम होना -
यदि माँ के स्तनों में दूध नहीं उतर रहा है तो बच्चे को दूध पीने के लिए ज्यादा एनर्जी लगानी पड़ती है और बच्चा दूध नहीं पीना चाहता है।
उपाय: यदि आपके स्तनों में दूध की कमी हो गयी है तो, आप अलग से अपने शिशु को बोतल से भी दूध पिलाये जिससे की बच्चे की भूख शांत हो सके और उसे आवश्यकतानुसार आहार मिल सके।
#2. स्तनों में दूध का तेज बहाव -
शिशु के स्तनपान के दौरान पहले यदि बच्चा खांसता है और स्तनों को मुंह से बाहर निकाल कर रोने लगता है या फिर कभी- कभी स्तनपान के दौरान ज्यादा खांसने लगे और उलटी करदे, तो इससे आपको समझ जाना चाहिए की आपके स्तनों में दूध का बहाव तेजी से आता है और इससे बच्चे को दूध पीने में परेशानी हो रही है।
उपाय: ऐसी स्थिति में आप सीधे लेटकर अपने बच्चे को अपने पेट पर लिटाकर उसी स्थिति में दूध पीलाये थोड़ी देर बाद जब बच्चा शांत हो जाये, तब आप चाहे तो अपनी स्थिति बदल भी सकती है, जिससे बच्चे को दूध पीने में आसानी होगी।
#3. सांस लेने में परेशानी -
कई बार बच्चे सही प्रकार से सांस ना ले पाने के कारण भी दूध नहीं पी पाते और रोने लगते है। स्तनपान करते समय बच्चा मुँह का इस्तेमाल साँस लेने के लिए नहीं कर सकता हैं। और ऐसी स्थिति में बच्चे को दूध पीने में दिक्क़त आती है।
उपाय: ऐसे में आपको बच्चे की नाक में नोजल स्प्रे डालना चाहिए या फिर बच्चे की नाक को आराम-आराम से साफ़ करने की कोशिश करनी चाहिए।
#4. बच्चे के पेट में समस्या -
अक्सर नवजात शिशुओ में पेट दर्द, पेट में गैस या फिर कब्ज की समस्या देखी जा सकती है, ऐसे में आपको बच्चे का पेट हल्के हाथों से दबाकर देखना चाहिए। यदि बच्चा पेट के छूने पर रोने लगता है या कराहने लगता है तो बच्चे के पेट में कब्ज या गैस की समस्या हो सकती है, ऐसे में पहले आपको बच्चे की पेट की समस्या का उपाय करना होगा।
उपाय: बच्चे को गैस की समस्या से राहत दिलाने के लिए बच्चे को डकार दिलाएं। उसे अपने कंधे पर सुलाकर हाथों से बच्चे की पीठ को सहलाये।
#5. दांत निकलना -
जब दांत निकाल रहे होते है तो भी बच्चे अचानक दूध पीना छोड़ देते है और हम समझ नहीं पाते की बच्चे को क्या हुआ। शुरुआत में बच्चे के मुंह में दूध पीते वक्त दांत चुभने लगते है और बच्चे दूध आसानी से नहीं पी पाते।
उपाय - जब बच्चे का दांत निकल रहा हो तो ऐसे में बच्चे को गाय का दूध या टोंड मिल्क दे, इसके साथ बच्चे को मुंग दाल का पानी भी देना बेहतर होगा।
#6. बुखार की समस्या -
बच्चा यदि बुखार में है तो भी बच्चा दूध नहीं पी पायेगा, क्योकि ऐसे में बच्चा ज्यादा एनर्जी नहीं लगा पाता थका हुआ महसूस करता है, तो सबसे पहले बच्चा दूध पीना छोड़ देता है।
उपाय - जैसे ही आपको शिशु के शरीर में बुखार की अनुभूति होती है वैसे ही सबसे पहले आपको नरम कपडे को पानी में भिगोकर ठंड़ी पट्टी शिशु के सिर पर रखनी चाहिए। और डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
#7. शरीर में दर्द -
बच्चे के शरीर में भी कोई दिक्क़त हो सकती है। जैसे रैशेश, कान में दर्द, या फिर शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो सकता है, जिसके कारण बच्चा रोता हो और दूध पीना छोड़ देता है।
उपाय - ऐसी समस्याओं को समझ कर इसकी सलाह डॉक्टर से लेनी चाहिए।
कई बार बच्चे- अचानक से स्तनपान करना बंद कर देते है, इसका मतलब साफ है कि बच्चे को कुथ शारीरिक समस्या है। बच्चे की सही तकलीफ की पहचान कर ऊपर दिए गए इन उपायों को अपनाए और अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श लें।