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प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोनल बदलाव के वजह से महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते है। ऐसे में महिलाओं को एक चिंता है जो सबसे ज्यादा सताती है वो है बैडोल स्तन। प्रेगनेंसी के बाद स्तनपान कराते हुए अक्सर लापरवाही के चलते महिलाओं के स्तनों के आकार बढ़ जाते है। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि एक स्तन दूसरे स्तनों की तुलना में काफी बड़े नजर आते है। जो किसी भी महिला की खूबसूरती को बिगाड़ सकता है। बच्चे को स्तनपान कराने के लिए स्तनों में जमे दूध की वजह से स्तन का आकार धीरे धीरे बढ़ता है।
स्तनों के आकार में असतुंलन अक्सर महिलाओं के दूध पिलाने की तकनीक पर भी निर्भर करता है। माँ बच्चे को अधिक अवधि के बाद स्तन से दूध पिलाती है तो दूध का संचय बहुत हद तक बढ़ जाता है। आपने कभी इस बारे में विचार नही किया होगा| सबसे पहले आप अपने स्तन से बच्चे को दूध पिला सकती है, अपने बच्चे को दूध पिलाते हुए आपको अपने स्तन के बीच संतुलन बनाने की तकनीक के बारे में सीखना जरुर है
आपके एक स्तन में दूसरे पक्ष की तुलना में कम दूध होता है। मांओं को स्तनपान की शुरुआत काम दूध वाले स्तन से करनी चाहिए। जितना अधिक आप दूध पिलाएगी, उतना अधिक उस स्तन में दूध का उत्पादन होगा। ये ना सोचे कि कम दूध की वजह से स्तनों से दूध खत्म हो जाएगा वो फिर से स्तनों में बन जाता है।
स्तनपान कराने वाली मांओं को एक ही स्तन से दूध नहीं पिलाते रहना चाहिए, क्योंकि इससे इससे निपल्स में दर्द और स्तन बढ़ सकते हैं आपको स्तनों को बदलते रहना चाहिए। जब मां के एक स्तन का दूध खत्म होने लगे तो मां को तुरंत बच्चें को दूसरे स्तन से दूध पिलाना शुरु कर देना चाहिए। जब एक स्तन में माँ का दूध समाप्त होने लगे तो यह आपके शरीर का संकेत है कि दूसरे पक्ष में दूध उत्पादन की गति धीमी हो गई है।
आपको स्तनपान में अपने बच्चे के लिए एक नियमित प्रक्रिया करनी चाहिए। आप अपने बच्चे को 15 से 20 मिनिट की अवधि पर अपने स्तन के दूध बच्चे को पिला सकती है, यह आपके शरीर के लिए भी नुकसान नही होगा। यहाँ तक एक लम्बे समय के लिए माँ के दूध बच्चे को पिलाने में दर्द और पीड़ा मिलती है और अगर 15 से 20 मिनिट के अंतराल में बच्चे को स्तनपान कर रहे हो तो इससे बच्चे को अधिक पोषण मिलेगा।
जब आप बच्चें को लगातार एक ही ब्रेस्ट से दूध पिला रही है, जिसका आकार छोटा है तो ऐसे में दूसरा स्तन दूध जमा होने की वजह से ओवरलीक होने लगता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ओवरलिकिंग से बचना चाहिए। ऐसे में महिलाएं चाहें तो हाथों से बेस्टमिल्क निकालकर बाद में यूज ले सकती है।
जो स्तन ज्यादा हैवी नजर आ रहा है, उसे बिल्कुल नजरअंदाज न करें। दूध भरने की वजह से स्तनों में भारीपन नजर आता है। इसलिए जिन स्तनों में कम दूध है उसमें पम्पिंग करने से दूध की मात्रा बढ़ेगी और वो स्तन भी थोड़ा हैवी नजर आने लगेंगे।
आपको मालूम होना चाहिए कि महिलाओं के दोनो ब्रेस्ट साइज एक समान नहीं होते है, एक स्तन बड़ा होता है और दूसरा छोटा होता है। ऐसे में प्रेगनेंसी में दूध बनने के वजह से ऐसा लगने लगता है कि एक ब्रेस्ट बड़ा और दूसरा छोटा है, इसके अलावा आपके स्तनों का बड़ा छोटा होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप किस स्तन से बच्चे को ज्यादा दूध पिला रही है। जिस स्तन से आप बच्चें को ज्यादा दूध पिलाएंगी उस स्तन में ज्यादा दूध का उत्पादन होगा और वो ज्यादा आकार में बढ़ेगा।
अगर शिशु मना कर दे स्तनपान से
अगर आप अपने शिशु को स्तनपान करवा रही है और आपका शिशु आपके स्तन के एक पक्ष से दूध पीने को मना करे दे तो उसे जबरदस्ती दूध न पिलाएं। हो सकता हो उसका ब्रेस्ट प्रिफरेंस दूसरे पक्ष का स्तन हो। अगर वो एक ही पक्ष के स्तन से दूध पी रहा है या पीने की इच्छा जाहिर कर रहा है तो मालूम कीजीए कि आखिर आपका बेबी किन कारणों से दूसरे पक्ष के स्तन से दूध नहीं पीना चाहता है।
जिन महिलाओ के निप्पल का आकर छोटा होता है पूरी तरह से विकसित नहीं हो पता वह महिलाएं अपने बच्चे को दूध पिलाने में असमर्थ होती है। इन महिलाओ को अपने स्तन के आकर के लिए विशेष रूप से ध्यान देने की जरुरत है। अगर एक ही स्तन में दूध का उत्पादन हो रहा है तो दूसरे स्तन परभी ध्यान दे। दोनों स्तनों को ध्यान दे कर आप अपने स्तनों के आकर को संतुलित कर सकती है।
क्रीम लगाना ग़लत नहीं है, लेकिन ये देखना ज़रूरी है कि क्रीम किस वजह से लगाई जा रही है. शरीर के किस हिस्से पर लगाई जा रही है और क्रीम में क्या-क्या मिला हुआ है.
विशेषज्ञों के मुताबिक़ अगर आप इन सारी बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो आपको क्रीम से गंभीर साइड-इफेक्ट हो सकते हैं. दरअसल, क्रीमों को बाज़ार में उतारने से पहले इन्हें कुछ ज़रूरी जांचों से गुज़रना होता है, लेकिन ज़्यादातर क्रीम इन जांच को पास नहीं कर पाती. ऐसी क्रीम में पारे जैसा ख़तरनाक पदार्थ हो सकता है. अगर इनमें ज़रूरत से ज़्यादा पारा डाल दिया जाए तो इससे आपकी सेहत ख़तरे में पड़ सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ चार में से तीन महिलाएं डॉक्टर की सलाह के बगैर ब्लीच इस्तेमाल करती हैं.
ब्रिटेन की नेशलन हेल्थ सर्विस के मुताबिक "महिलाएं चेहर के निशान छिपाने और सुंदरता बढ़ाने के लिए गोरा करने वाली क्रीम इस्तेमाल करती हैं".
इसे झाइयों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. झाई एक तरह की त्वचा की समस्या है, इसमें शरीर के कुछ हिस्सों पर हल्के भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं. झाइयां आम तौर पर गर्भवती महिलाओं को होती हैं.
फेयरनेस क्रीम किस तरह काम करती है?
गोरा करने वाली क्रीम हमारे शरीर में मौजूद मेलेनिन पर असर करती है. हमारी त्वचा का रंग मेलेनिन से तय होता है और ये फेयरनेस क्रीम उस मेलेनिन को कम कर देती है.
मेलेनिन कम करने के ये तरीके
क्रीम में दो तरह के ब्लीचिंग एजेंट होते हैं- हाइड्रोक्विनोन या कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स.
त्वचा विशेषज्ञों के मुताबिक़ क्रीम में हाइड्रोक्विनोन का स्तर 4% से कम होना चाहिए. एक त्वचा विशेषज्ञ के मुताबिक, "वहीं खुजली की समस्या से परेशान लोगों को कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या टॉपिकल स्टेरॉइड्स दिए जाते हैं, लेकिन बहुत से लोग बिना चमड़ी की समस्या के ही इसे इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां तक लोग सालों तक इन्हें लगाते रहते हैं."
क्रीम को कहां और कितनी लगाएं?
डॉक्टरों के मुताबिक जिन क्रीमों में हाइड्रोक्विनोन होता है, उन्हें दिन में दो बार से ज़्यादा नहीं लगाना चाहिए. इसे सिर्फ हाथ और पैर पर लगाया जाना चाहिए, चेहरे पर नहीं. इसके अलावा आठ या 12 हफ्तों से ज़्यादा समय तक इस क्रीम को नहीं लगाना चाहिए. लेकिन कुछ लोग इन क्रीमों को डॉक्टर की सलाह के बगैर ही लंबे समय तक लगाते रहते हैं. वे लोग इन क्रीमों को चेहरे और आंखों के आस-पास भी लगा लेते हैं, जिससे उन्हें इन हिस्सों में जलन हो सकती है.
वहीं कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स वाली क्रीमों को नाज़ुक हिस्सो पर लगाया जा सकता है, क्योंकि ये क्रीम खुजली जैसी त्वचा से जुड़ी समस्या के इलाज के लिए इस्तेमाल होती है. लेकिन फिर भी ये देखना ज़रूरी है कि क्रीम में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के साथ और क्या-क्या मिलाया गया है और क्रीम किस तरह की है
ये ज़रूरी है कि आप डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल करें और उनके बताए निर्देशों का पालन करें. अगर आप ऐसा नहीं करते तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
साइड-इफेक्ट
नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक इन ब्लीचिंग एजेंट्स के ग़लत इस्तेमाल से कई तरह के साइड-इफेक्ट हो सकते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इससे जलन, सूजन, त्वचा पर दरारे पड़ने जैसे साइड-इफेक्ट हो सकते हैं. कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें क्रीमों का बुरा असर लंबे वक़्त तक रहा है. ऐसे लोगों की त्वचा पतली हो गई, शरीर की नसें साफ दिखने लगीं, लिवर पर निशान दिखने लगे और किडनी पर भी बुरा असर पड़ा. इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान ग़लत तरह से क्रीम इस्तेमाल करने पर बच्चे को भी नुक़सान हो सकता है.
डॉक्टर से सलाह लिए बगैर क्रीम इस्तेमाल करने पर गंभीर और लंबे समय तक रहने वाला असर हो सकता है. और हो सकता है आप गोरा होने के लिए क्रीम लगा रहे हों और उल्टा और काले हो जाएं. डॉक्टरों के मुताबिक ये भी फेयरनेस क्रीम का एक साइड-इफेक्ट हो सकता है.
::/fulltext::सपने पूरे करने की कोई उम्र नही होती. सपने किसी भी उम्र में देखे जा सकते हैं और किसी भी उम्र में पूरे किए जा सकते हैं.
आसाम के धुबरी की रहने वाली लतिका चक्रबर्ती ने सर्वेयर अधिकारी कृष्णा लाल चक्रबर्ती के शादी की. उनके जाने के बाद लतिका अपने बेटे भारतीय नौसेना अधिकारी में कैप्टन राज चक्रबर्ती के साथ रहने लगीं. उन्होंने अपने जीवन में बहुत ट्रैवल किया और अपने हर सफर से साड़ी और कुर्ती जैसे तमाम कपड़ों की खरीदारी भी की. इन कपड़ों पर किए गए काम से वो बहुत प्रभावित हुआ करती थीं. इसी वजह से उन्हें खुद भी डिज़ाइनिंग करना और सिलाई काफी पसंद थी. अपने बच्चों के लिए भी वही कपड़े सिला करती थीं. लेकिन अब वो अपना यही प्यार पोटली के जरिए लोगों तक पहुंचा रही हैं.
2014 से उन्होंने इन पोटलियों को बनाना शुरू किया और अब तक 300 से ज्यादा पोटली बना चुकी हैं. इन पोटलियों को अपने ही वो अपनी ही सूट और साड़ियों के बचे हुए कपड़ों से बनाती हैं. लतिका हर खास मौकों पर अपनी इन्हीं बनी हुई पोटलियों को दोस्तों और परिवार वालों को गिफ्ट किया करती थीं.
उनके इस गिफ्ट से ही उन्हें इतनी तारिफ और प्यार मिला कि अब वो इन्हीं पोटलियों को ऑनलाइन सेल भी करती हैं. latikasbags.com नाम से उनकी एक वेबसाइट है जिसे जर्मनी से उनका पोता चलाता है. इन पोटलियों की कीमत डॉलर में है.
यहां देखें लतिका चक्रबर्ती के बनाए हुए ये खास पोटलियां.
लतिका चक्रबर्ती की बनाई हुई पोटली 'Tabu'
लतिका चक्रबर्ती की बनाई हुई पोटली 'Ananya'
लतिका चक्रबर्ती की बनाई हुई पोटली 'kala'
ये हैं लतिका चक्रबर्ती, जो 89 साल की उम्र में पोटली बैग्स बनाकर ऑनलाइन सेल करती हैं.
6 बातें जो बढ़ा सकती हैं आपका पीरियड में दर्द.
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