Monday, 23 December 2024

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डिलीवरी के बाद पराम्‍परागत खानपान पर ज्‍यादा ध्‍यान देना चाहिए.....

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डिलीवरी के बाद हर महिला का शरीर बहुत कमजोर हो जाता है। क्‍योंकि एक नन्‍हीं सी जान का जन्‍म देना कोई आसान काम नहीं होता है। प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अपना खूब ध्‍यान रखना होता है लेकिन डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को अपना खास ख्‍याल रखना होता है। हालांकि डिलीवरी के बाद सारा ध्‍यान न्‍यू बोर्न बेबी की तरफ चला जाता है। लेकिन शिशु के साथ डिलीवरी के बाद महिला का ध्‍यान रखना भी जरुरी होता है।

क्‍योंकि डिलीवरी के बाद महिला के शरीर में काफी कमजोरी आ जाती है। इस कमजोरी से बाहर आने में काफी समय लग जाता है। इसलिए डिलीवरी के बाद महिला को अपने स्‍वास्‍थय पर ध्‍यान देते हुए खास किस्‍म के डाइट पर ध्‍यान देना चाहिए।

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खासतौर पर दादी नानी के जमाने से चले आ रहे हैं पराम्‍परागत खानपान पर ज्‍यादा ध्‍यान देना चाहिए। आज हम आपको डिलीवरी के बाद खाएं जाने वाले कुछ हैल्दी फूड्स के बारें में बताएंगे, जो प्रसब के बाद शरीर को बिल्कुल फिट रखने में मदद करेंगे।

गौंद

प्रेगनेंसी के बाद गौंद के लड्डू जोड़ों को लूब्रिकेंट करने मे मदद करते हैं और कमर दर्द के साथ जोड़ों के अन्य दर्द को कम करते हैं। यह स्तनपान कराने वाली मां के शरीर के पोषण के लिए उन्हें दिया जा सकता है। यह वसा और रेशे से भरपूर होता है और स्तनपान कराने वाली मां को प्रतिरक्षा के लिए दिया जा सकता है क्योंकि यह प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है।

अजवाइन

माना जाता है कि अजवाइन न सिर्फ पेट दर्द और गैस से निजात दिलाता है, इससे ब्रेस्‍टमिल्‍क का दूध भी बनता है। आयुर्वेद में अजवाइन को एक औषधि के तौर पर बताया गया है। अजवाइन में एंटीऑक्‍सीडेंट, एंटीबैक्‍टीरियल औार एंटीफंगल गुण होते है। महिलाएं डिलीवरी के बाद अजवाइन के पराठा से लेकर हलवा तक खा सकती है। इससे उनका एनर्जी लेवल भी बढ़ेगा। 

सौंठ

डिलीवरी के बाद महिला के सौंठ का सेवन जरूर करना चाहिए। आप चाहे तो इसके लड्डू बनाकर खा सकती है। इसमें खूब सारा देसी घी और ड्राई फ्रूट्स डालें, जो डिलीवरी के बाद महिला में होने वाली कमियों को पूरा करने में मदद करेगा।

दालें

दालों में प्रोटीन के अलावा अन्य पोषक तत्व भी मौजूद होते है। डिलीवरी के बाद दाल को उबालकर उसका सूप बनाकर पीने से काफी फायदा मिलता है। इसके अलावा मूंग दाल का हलवा भी बनाकर खिलाएं। इससे बैस्ट मिल्क बढ़ेगा और कमजोरी भी दूर होगी।

साबुत अनाज

डिलीवरी के बाद नाश्ते में साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए क्योंकि इससे पूरे दिन शरीर में एनर्जी बनी रहती है। नाश्ते में ओट्स, दलिया आदि का भी सेवन करें। इससे भी महिला को पोषक तत्व मिलते हैं।

हरी सब्जियां

हरी सब्जियों में आयरन भरपूर होता है, जो महिला के शरीर में ब्लड की मात्रा को बढ़ाने के साथ शिशु को भी फायदा देता है। खासकर पालक का सूप या सब्जी बनाकर खाएं।

रागी या मडुआ

दक्षिण भारत का रागी और उत्‍तर भारत में मडुआ के नाम से जाने वाला अनाज, डिलीवरी के बाद खाने वाले पोष्टिक आहार में से एक है। यह शरीर में स्‍टेमिना बढ़ाता है। और जो माएं डेयरी प्रॉडक्‍ट से एर्लिजिक है। वो इसे डोसा, इडली और हलवा के साथ मिलाकर खा सकती है।

दूध का सेवन

दूध से बनी चीजों का सेवन भी महिला के लिए बहुत जरूरी है। इससे शरीर को कैल्शियम भी पर्याप्त मात्रा मिलती है,जिससे शिशु की हड्डियों का विकास और महिला के शरीर में डिलीवरी के दौरान आई कमजोरी भी दूर होती है।

 तिल के लड्डू

तिल के लड्डू केल्शियम, आयरन, कॉपर, मैग्‍नीशियम और फास्‍फोरस से भरा हुआ होता है। यह शरीर में आवश्‍यक तत्‍वों की पूर्ति करता है। इसके अलावा यह आंतों की क्रिया को नियंत्रित करता है। तिल के लड्डू वैसे भी अपने टेस्‍ट के वजह से काफी मशहूर है।

बादाम

बादाम में कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, विटामिन बी12 और ई के अलावा अन्य कई मिनरल्स होते हैं। प्रसव के बाद महिला यदि बादाम को अपनी डाइट में शामिल करें तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद है। आप चाहे तो बादाम का हल्वा बनाकर भी महिला को दे सकते है।

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पहली बार मां बनती है तब बहुत जरूरी बात है, बच्चे को सही तरीके से दूध पिलाना....

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जब आप पहली बार मां बनती है तब आपके लिए और बच्चे से जुड़ी सभी बातें नई होती हैं। इन्ही बातों में से एक बहुत जरूरी बात है, बच्चे को सही तरीके से दूध पिलाना। अकसर माताओं को सही तरीका पता नहीं होता। जिससे बच्चे को दूध पीते समय कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे उनकी नाक दबना जिससे उन्हें सास लेने में दिक्कत आती है, कान का दबना आदि। नवजात शि‍शु अपनी समस्या बता भी नहीं सकते। ऐसे में माताओं को ही बेबी फीडिंग कराते वक्त कुछ सवधानियां बरतने की जरूरत है।
 
आइए जानते है, कि बेबी को फीड करवाते समय आपको किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है:
 
1. स्तनपान के दौरान अपने बच्चे का सिर उसकी छाती से ऊंचा या 45 डिग्री के कोण में रखना चाहिए। इसीलिए बैठकर स्तनपान कराना उचित होता है।
 
2. लेटे-लेटे ही स्तनपान कराने से कान के इंफेक्शन का खतरा दो गुना बढ़ जाता है। उसी प्रकार बोतल से दूध पीने वाले बच्चे का सिर तकिए पर ऊंचा उठाकर ही बोतल देनी चाहिए।
 
3. शिशु को दूध पिलाने के बाद एकदम बिस्तर पर नहीं लिटाना चाहिए क्योंकि यदि आप ऐसा करते हैं तो शिशु पिया हुआ दूध मुंह से निकाल सकता है। शिशु को दूध पिलाने के बाद उसे कंधे पर लेकर उसकी पीठ पर धीरे-धीरे हाथ फेरें। इससे बच्चे के पेट में दूध का पाचन होता है।

 
4. दूध पिलाने के तुरंत बाद यदि आपने शिशु को बिना डकार दिलाए लेटा दिया तो कई बार डकार के साथ दूध निकलकर शिशु की श्वास नलिका से होते हुए फेफड़ों में प्रवेश कर जाता है और शिशु की जान को खतरा हो सकता है।
 
5. बच्चे के जन्म के बाद उसे मां का दूध पिलाना चाहिए। बच्चे के लिए मां का दूध जीवन दायिनी शक्ति होता है और बच्चे को कई रोगों से बचाता है। बच्चे को दो-तीन घंटे के अंतराल से जब भी वह रोये स्तनपान कराना सर्वोत्तम है।
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