Monday, 23 December 2024

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क्या महिलाएं भी धारण कर सकती हैं रुद्राक्ष?.....

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में शिव-आराधन का विशेष महत्व है। शिवजी को प्रिय लगने वाले सभी चीजें श्रावण मास में संपन्न की जाती हैं चाहे वह अभिषेक हो, स्तुति हो, बिल्वपत्र अर्पण हो या फिर धारण करना। पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष को शिवजी की आंख का अश्रु माना गया है।
 
वास्तविक रूप में रुद्राक्ष एक फल की गुठली होता है। इस वृक्ष की सर्वाधिक पैदावार दक्षिण-पूर्व एशिया में होती है। रुद्राक्ष का वृक्ष एक सदाबहार वनस्पति है जिसकी ऊंचाई 50 से 60 फीट तक होती है। रुद्राक्ष के वृक्ष के पत्ते लंबे होते हैं। यह एक कठोर तने वाला वृक्ष होता है। रुद्राक्ष के वृक्ष का फूल सफेद रंग का होता है और इसमें लगने वाला फल शुरू में हरा, पकने पर नीला एवं सूखने पर काला हो जाता है। रुद्राक्ष इसी काले फल की गुठली होता है। इसमें दरार के सदृश दिखने वाली धारियां होती हैं जिन्हें प्रचलित भाषा में 'रुद्राक्ष का मुख' कहा जाता है। ये धारियां 1 से लेकर 14 तक की संख्या में हो सकती हैं
 
पौराणिक मान्यता के अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष अतिशुभ माना जाता है। इसे साक्षात शिव का स्वरूप माना गया है, वहीं दोमुखी रुद्राक्ष को शिव-पार्वती का संयुक्त रूप माना जाता है।
 
ज्योतिष में रुद्राक्ष का महत्व-
 
अनिष्ट ग्रहों की शांति हेतु रुद्राक्ष धारण की अहम भूमिका होती है। रुद्राक्ष को लाल रेशमी धागे में धारण करने से अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभावों में कमी आती है।
 
आइए जानते हैं कि किस ग्रह की शांति के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण लाभदायक रहता है?
 
1. सूर्य- एकमुखी
2. चन्द्र- दोमुखी
3. मंगल- तीनमुखी
4. बुध- चारमुखी
5. गुरु : पांचमुखी
6. शुक्र- छहमुखी
7. शनि- सातमुखी
8. राहु- आठमुखी
9. केतु- नौमुखी
 
 
रुद्राक्ष कैसे धारण करें?
 
रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण मास सर्वाधिक उत्तम रहता है। आप श्रावण मास के सोमवार के दिन अपने लिए उपयुक्त रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ की यथाशक्ति पूजा-अर्चना करें तत्पश्चात रुद्राक्ष को शिवलिंग पर अर्पण करें। इसके उपरांत स्वयं रुद्राक्ष को धारण करें।
 
क्या महिलाएं भी धारण कर सकती हैं रुद्राक्ष?
 
सामान्यत: महिलाओं के रुद्राक्ष धारण करने की परंपरा नहीं है, केवल साध्वियां ही रुद्राक्ष धारण करते देखी गई हैं। किंतु वर्तमान समय में महिलाओं में भी रुद्राक्ष धारण करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। हमारे मतानुसार यदि महिलाएं रुद्राक्ष धारण करें तो अशुद्धावस्था आने से पूर्व इसे उतार दें एवं शुद्धावस्था प्राप्त होने पर पुन: धारण करें।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
संपर्क: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.
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माता-पिता की ज़िम्‍मेदारी बनती है कि वो अपने बच्‍चे के महत्‍वपूर्ण अंगों का ध्‍यान रखें और उन्‍हें किसी भी तरह के संक्रमण से बचाएं।....


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मानव शरीर में पांच इंद्रियां हैं जो हमारे अस्तित्व का आधार है। आंख, कान, नाक, जीभ और स्‍पर्श। ये सभी इंद्रियां बहुत महत्‍वपूर्ण मानी जाती हैं और इसीलिए इनका ध्‍यान रखना भी बहुत ज़रूरी होता है। इनकी अत्‍यधिक देखभाल करने का एक कारण ये भी होता है कि अगर इन्‍हें कोई नुकसान पहुंचता है तो इन्‍हें बदला नहीं जा सकता है। इसलिए ये हमारी ज़िम्‍मेदारी है कि हम अपने शरीर के महत्‍वपूर्ण अंगों का ख्‍याल रखें। ये हमें प्राकृतिक रूप से मिले हैं। हालांकि, नवजात शिशु और बच्‍चों में इन अंगों की देखभाल करने की क्षमता नहीं होती है। ऐसे में ये माता-पिता की ज़िम्‍मेदारी बनती है कि वो अपने बच्‍चे के महत्‍वपूर्ण अंगों का ध्‍यान रखें और उन्‍हें किसी भी तरह के संक्रमण से बचाएं।

ear infection in kids

ऐसा करने के लिए ज़रूरी है कि आप इनमें होने वाले इंफेक्‍शन के कारण और ज़रूरी बचाव एवं उपायों के बारे में भी जान लें। इसके लक्षण अधिकतर अंदरूनी होते हैं और कुछ मामलों में माता-पिता को बच्‍चे के अंगों में कोई बाहरी लक्षण नज़र नहीं आते हैं। कुछ गंभीर मामलों में कान के आसपास का हिस्‍सा लाल या सूजने लगता है। आज हम आपको बच्‍चों में होने वाले कान के इंफेक्‍शन के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि आप अपने नन्‍हे बच्‍चे के अंगों की देखभाल अच्‍छी तरह से कर सकें।

बच्‍चों के कान में संक्रमण का कारण

एडेनॉएड्स में सूजन

एडेनॉएड्स वो हालांकि, टिश्‍यू होते हैं जो टॉन्सिल के आसपास होते हैं। इनका प्रमुख कार्य बैक्‍टीरिया, वायरस और अन्‍य माइक्रो ऑर्गेनिज्‍म को रोक कर इन्‍हें शरीर में प्रवेश करने से रोकना है। हालांकि, इनकी सामान्‍य क्रिया के दौरान किसी चोट या इंफेक्‍शन की वजह से एडेनॉएड्स में सूजन आने लगती है। वैसे आपको इसके लिए ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। इस वजह से कानों में संक्रमण हो सकता है। ये समस्‍या ज़्यादातर 2 से 5 साल के बच्‍चों में होती है।

वायु दाब में बदलाव

सामान्‍य युवा एयर प्रेशर यानि वायु दाब में बदलाव को आसानी से हैंडल कर लेते हैं। हालांकि, नवजात शिशु और बच्‍चों में ऐसा नहीं हो पाता है। सड़क पर चलते हुए, हिल स्‍टेशन या प्‍लेन के टेक ऑफ या लैंड करते हुए बच्‍चे ईयर इंफेक्‍शन का शिकार हो जाते हैं। कुछ गंभीर मामलों में वायु दाब में बदलाव के कारण बच्‍चों में लंबे समय तक संक्रमण का असर रहता है।

एलर्जी

बच्‍चों में कई तरह की एलर्जी होने का खतरा रहता है। इनमें कान में इंफेक्‍शन होने का एक कारण अधिक म्‍यूकस बनना भी है। म्‍यूकस कान की ग्रंथियों को ब्‍लॉक कर देता है। साइनस इंफेक्‍शन आदि भी बच्‍चों में कान के संक्रमण का कारण बन सकता है। अगर आपके बच्‍चे के कान में ज़्यादा म्‍यूकस बन रहा है तो आपको उसे तुरंत डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए वरना ये संक्रमण का रूप ले सकता है।

कान के संक्रमण के उपाय

बच्‍चों को कुछ भी होता है तो माता-पिता चिंता में आ जाते हैं। कई मामलों में कान में सक्रंमण होना कोई गंभीर बीमारी या समस्‍या नहीं होती है। इसलिए आपको पहले 24 घंटे खुद ही इस संक्रमण के ठीक होने का इंतज़ार करना चाहिए। कई मामलों में ये खुद ही ठीक हो जाता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो आप पीडियाट्रिशियन से सलाह ले सकते हैं। इसके अलावा आपको पहले से ही अपने बच्‍चे से जुड़ी बातों के लिए पीडियाट्रिशियन से सलाह लेनी चाहिए। सीधा ईएनटी के पास ना जाएं।

स्‍तनपान

जिन बच्‍चों को जन्‍म के बाद स्‍तनपान नहीं करवाया जाता है उनमें संक्रमण का खतरा ज़्यादा रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि मां के दूध में ऐसे एंटीबॉडीज़ होते हैं जो शरीर को कई तरह के संक्रमणों, कान के इंफेक्‍शन आदि से बचाने में मदद करता है। अगर आपके बच्‍चे की उम्र दो साल से कम है और उसे कान में इंफेक्‍शन हुआ है तो हो सकता है कि उसे स्‍तनपान करवाने से ये ठीक हो जाए। अगर आपके बच्‍चे को कान में इंफेक्‍शन नहीं भी हुआ है तो भी उसे ताउम्र इस समस्‍या से बचाने के लिए स्‍तनपान ज़रूर करवाएं।

गरम सिकाई

ये सबसे आसान तरीका है क्‍योंकि इससे ना केवल संक्रमण ठीक हो जाएगा बल्कि बच्‍चे को दर्द से भी राहत मिलेगी। गरम कपड़े से बच्‍चे के कान पर हल्‍की सी सिकाई करें। ऐसा करते हुए अपने बच्‍चे का सिर अपनी गोद में रखें। इससे उसे आराम मिलेगा। ज़रूरत पड़े तो दिन में दो-तीन बार सिकाई करें।

 धूम्रपान के धुएं से दूर रखें

हम सभी जानते हैं कि धूम्रपान पीने वाले को इससे नुकसान ही पहुंचता है लेकिन इसके धुएं में सांस लेने का असर भी खराब ही होता है। इसके धुएं का सबसे ज़्यादा असर कान पर पड़ता है और बच्‍चों को कान में दर्द की शिकायत होने लगती है। कभी-कभी बच्‍चों की सुनने की क्षमता भी कम हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि स्‍मोक से इंउस्‍टैचिअन ट्यूब (Eustachian tube) में जलन होने लगती है जिसकी वजह से संक्रमण हो जाता है। अगर आप धू्म्रपान करते हैं तो बच्‍चों को इससे दूर ही रखें। बच्‍चों को कान के संक्रमण से बचाने के लिए सबसे ज़्यादा इस बात का ध्‍यान रखें।

एसेरामिनोफेन दवा

अधिकतर पीडियाट्रिशियन इस दवा को लेने की सलाह देते हैं। इससे बच्‍चे में कान का दर्द ठीक हो जाता है। कुछ मामलों में डॉक्‍टर बच्‍चे को इबुप्रोफेन लेने की सलाह भी देते हैं। कई मामलों में पीडियाट्रिशियन द्वारा बताया गया एंटीबायोटिक्‍स का सिंपल कोर्स भी काम कर जाता है।

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कोई कर रहा है आपका पीछा, डर रही हैं, इस खतरें को भापें और इस तरह रहें सुरक्षित....

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आपको लगता है कि कोई आपके पीछे है। किसी को आपके आने जाने की खबर है। कहीं भी जाती हैं ये आदमी हर बार नजर आता है। आपको आने लगे हैं ब्लैंक कॉल, भद्दे मैसेज और घटिया बातों से भरे फोन। आपकी स्टॉकिंग हो रही है। सरल भाषा में आपका पीछा किया जा रहा है। आपको बेहद सावधानी और समझदारी की जरूरत है क्योंकि खतरा हर वक्त आप पर मंडरा रहा है।

कौन होते हैं स्टॉकर
 
ये आदमी अपराधी भी हो सकता है। सनकी भी हो सकता है। मानसिक बीमार भी हो सकता है। यह स्टॉकर है। विशेषज्ञों के मुताबिक ये साइकोलॉजिकल डिसआर्डर से पीड़ित हो सकते हैं। कुछ हो जाने के बाद उसे जेल हो भी गई तो क्या फायदा। आप अपनी सुरक्षा के जानें।

किसके पीछे लगते हैं स्टॉकर
 
कभी नकाब में तो कभी खुलेआम, कभी वाहन पर तो कभी पैदल ही ये किसी का पीछा कर सकते हैं। अक्सर शहरों आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले ये लोग स्कूल-कॉलेज की लड़कियों को अपना शिकार बनाते हैं। उनका मकसद लड़कियों के प्रति सैक्सुअल अपराध को अंजाम देना है। खासतौर पर बड़े शहरों में इस तरह के अपराध अधिक होते हैं।
 
क्यों स्टॉकिंग को माना गया है मनोरोग
 
मानव स्वभाव के जानकार डॉक्टर स्टॉकिंग को एक मानसिक बीमारी के तौर पर देखते हैं। यह अधिक बढ़ने पर सनक या पागलपन का रूप ले लेती है। किसी लड़की के कॉलेज या स्कूल पहुंच जाना, हर वक्त पीछा या उसके करीब रहने की कोशिशों को लगातार अंजाम दिया जाता है। कुछ स्टॉकर्स सीजोफ्रेनिया या मीनिया जैसे साइकोलॉजिकल डिसआर्डर से ग्रस्त हो सकते हैं। दिन में सपने देखना इनकी आदत है। जिसे पसंद करते हैं उसे नुकसान पहुंचाकर इन्हें मजा आता है।
 
कैसे करें अपनी सुरक्षा
 
1. हिम्मत और चालाकी दिखाएं। बहस न करें और किसी तरह बातों में उलझाकर इनके पास से निकलने की कोशिश करें।
 
2. अगर स्टॉकिंग का भरोसा है तो पुलिस और परिवार को बताने में एक क्षण की भी देरी न करें।
 
3. अगर कोई अंदेशा है तो मोबाइल साथ में रखें। किससे लेनी है पहले से ही तय कर लें। जरूरी नंबर मोबाइल में जरूर सेव रखें।

4. अकेले में सड़क पर खुद में न खोई रहें। अपने आसपास के लोगों को लेकर चौकन्नी रहें।
 
5. अगर स्टॉकर को पहचान लिया है और वह लगातार पीछा कर रहा है तो अजनबियों से भी मदद लें।
 
किससे मांगें मदद
 
महिलाओं की सुरक्षा के लिए खास नंबर
 
पीड़ित महिलाएं या युवतियां 181 नंबर पर कॉल कर सकती है। तुरंत मदद मिलेगी। स्टॉकर का मकसद जाने बिना उस पर कार्रवाई करना नामुमकिन है। उसकी हरकतों का पूरा ब्यौरा ध्यान रखें। आपसे पूछा जाएगा। यूं ही किसी को स्टॉकर करार नहीं दिया जा सकता।
 
कौन सी एप हैं विश्वसनीय
 
स्मार्टफोन लेकर चलती हैं तो स्मार्ट बनिए भी। अपने मोबाइल में इन को जरूर जगह दें ताकि समय पर तुरंत मदद आपके पास पहुंच सके।
 
1. Nirbhaya: Be Fearless (निर्भया एप): इसमें एक जीपीएस सिस्टम है। इसके इस्तेमाल से दोस्तों और परिवार को अपनी जगह की जानकारी दी जा सकती है।
 
2. Feel Safe (फील सेफ) : इस एप के तहत आपको जिन लोगों से मदद की उम्मीद है उनकी इमरजेंसी कॉंटेक्ट लिस्ट तैयार करनी होती है। जैसे ही आप मदद के लिए इस एप का इस्तेमाल करती हैं, इन इमरजेंसी नंबरों को एक मैसेज और कॉल पहुंच जाता है। जो भी मददगार आपका यह कॉल रिसीव करता है, एप तुरंत ही इसकी जानकारी आपको दे देता है।

3. Women Security (वीमेन सीक्योरिटी) : इस एप की सबसे खास बात यह है कि यह बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी काम करता है। इसमें 45 सेंकड के वॉइस मैसेज रिकॉर्ड कर मददगार को भेजे जाते हैं।
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रेणुका ने ग्रामीणों को गार्डन बनाकर एक ऐसा नायाब उपहार दिया है. लोग शुध्द पर्यावरण और ताजी हवाओं का आनंद ले रहे हैं.....

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गरियाबंद. अक्सर आपने गांव के सरपंचों के बारे में अपने कार्य में लापरवाही की ही बात सुनी होगी. लेकिन हम आज आपको एक ऐसी सरपंच के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसके बारे में आप जानकर आपको सरपंचों के बारे में सुनी सारी बातें मिथक लगने लगेंगी. दरअसल ये कहानी है फिंगेश्वर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कुम्ही की महिला सरपंच रेणुका साहू की, जिसने ऐसा कार्य किया है कि वो अब इस जिले में मिसाल बन गई हैं. बता दें कि रेणुका ने ग्रामीणों को पांच एकड़ पड़त भूमि में गार्डन बनाकर एक ऐसा नायाब उपहार दिया है. जिससे पूरे गांव के लोग शुध्द पर्यावरण और ताजी हवाओं का आनंद ले रहे हैं. दरअसल गांव के इस जमीन पर अतिक्रमण का खतरा मंडरा रहा था,जिसे भांपते हुए सरपंच ने इस शानदार कार्य को मूर्त रूप दिया है. ऐसे में सरपंच की इस सोच का सर्मथन करने से पंचायत प्रतिनिधि भी पीछे नहीं हटे और पंचायत में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर गार्डन गार्डन विकसित करने की योजना को साकार किया.

आस-पास के ग्रामीण भी…

बकली रोड़ की ओर 5 एकड़ क्षेत्र में विकसित इस गार्डन की सुन्दरता देखते ही बनती है. गार्डन इतना सुंदर है कि राहगीरों का ध्यान भी बरबस ही अपने ओर खींचता है. वहीं इसी सुंदरता के कारण न केवल गांव के लगो बल्की आस-पास के ग्रामीण भी यहां ताजी सांस लेने आते हैं.

इस गार्डन को हमेशा सुंदर बनाए रखने के लिए फलदार,फूलदार और सजावटी पौधों से गार्डन से सजाया गया है. साथ ही इस गार्डन में सिंचाई हेतु 5 एचपी का मोटर पंप लगाया गया है,जिससे गार्डन में सिंचाई की जाती है. वहीं लोगों के आराम से बैठने के लिए एक चबूतरा का भी निर्माण किया गया है,जिसमें बैठकर लोग सुकून महसूस करते हैं.

आकर्षक पेंट एवं चित्रों से…

इतना ही गार्डन विकसित करने में शासन की योजनाओं का अभिसरण भी बेहतर तरीके से किया गया है. जिसका नतीजा है कि इसी गार्डन में मनरेगा के तहत एक तालाब भी बनाया गया है जो जलसंवर्धन और निकासी पानी के सरंक्षण के लिए उपयोगी है. गार्डन के बाउण्ड्रीवाल को आकर्षक पेंट एवं चित्रों से  सजाया गया है जो काफी आकर्षक लगता है.रात होते-होते तो गार्डन की सुंदरता में और चार चांद लग जाते हैं. क्योंकि रात में ये गार्डन एल ई डी लाईट की रोशनी से जगमगा उठता है.

कलेक्टर ने कहा…

बता दें कि बीते दिन जिले के कलेक्टर श्याम धावड़े भी यहां पहुंचे थे. उनका इस गार्डन को लेकर कहना है कि कुम्ही में जो गार्डन विकसित हुआ हैं. जो पंचायत कीअच्छी सोच का परिणाम है. संम्भवता यह जिले का  पहला गांव है, जहां 5 एकड़ क्षेत्र में  खुबसूरत  गार्डन बनाया गया है.

जनपद स्तर का भी मिला सहयोग…

आपको बता दें कि कुंभ नगरी राजिम से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो हजार आबादी वाले गांव की तस्वीर बदलते ही जा रही है. शायद यही कारण हैं कि शहर के जैसी सुविधा मिलने से ग्रामीण भी खुश हैं. वहीं रेणुका साहू का कहना है कि इसे विकसित करने में जनपद स्तर पर भी सहयोग मिला और पंचायत प्रतिनिधि के अलावा ग्रामवासियों का भी सहयोग मिला, जिससे यह संभव हो सका है.

कैरियर के संबंध में भी तैयारी करने में मदद मिलती….

वहीं गांव के सेवकराम साहू कहते है कि बच्चें, बुढ़े और युवा लोग भी गार्डन का मजा ले रहे है, यहाँ आकर सुकुन भरा वातावरण से मन आनंदित हो जाता है. गांव के ही युवक हरिशंकर ने कहा कि हम प्रतिदिन अपने दोस्तो के साथ यहाँ टहलने आते हैं. यहां का शांत वातावरण में हम पढ़ाई और कैरियर के संबंध में भी तैयारी करने में मदद मिलती है.

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