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मनुष्य सर्वाहारी होता है यानी फलों, सब्ज़ियों से लेकर मांस मछली सभी कुछ खाने वाला। यहां तक कि शुरुआती दौर में हमारे पूर्वज भी शिकारी हुआ करते थे क्योंकि उस वक़्त भोजन का स्रोत जानवर थे इसलिए वे इनका शिकार किया करते थे। समय के साथ बदलाव आया और मनुष्य एक जगह पर बसने लगा, तब उसने खेती की शुरुआत की। इसी समय से चावल और सब्ज़ी जैसी चीज़ें इनका मुख्य भोजन बन गए लेकिन इस तरह के भोजन का चुनाव इनकी उपलब्धता पर निर्भर करने लगा। समय के साथ और भी बदलाव आए और आज लगभग हम सब कुछ खाते हैं। प्रकृति में साग सब्ज़ियों और जानवरों के अलावा भी ऐसे कई खाद्य पदार्थ है जिनके संश्लेषण कृत्रिम रूप से संभव है (इसके लिए सारा श्रेय और धन्यवाद तरक्की करती साइंस और टेक्नोलॉजी को जाता है)।
हालांकि हमें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि कई चीज़ें जो हम खाते हैं वह हमारे लिए सुरक्षित और सेहतमंद नहीं होती। बच्चों के मामले में यह कई हद तक सच है। उनकी पाचन शक्ति बड़ों की तुलना में बहुत कमज़ोर होती है। आपको बता दें कि गलत फूड कॉम्बिनेशन के कारण बच्चों को पेट दर्द, गैस, कब्ज़ और डायरिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इस लेख में हमने कुछ गलत फ़ूड कॉम्बिनेशन की सूची तैयार की है जो आपके बच्चों के लिए बेहद नुकसानदेह है।
1. सेरेल और जूस
2. बर्गर और फ्रेंच फ्राई
3. पिज़्ज़ा और सोडा
4. केला और दूध
5. वाइट ब्रेड और जेली
6. टमाटर और पास्ता
7. फल और योगर्ट
8. मीट और आलू
सेरेल और जूस
माता पिता होने के नाते हम अपने बच्चों को हमेशा स्वस्थ देखना चाहते हैं हालांकि दिन भर उनके खाने पीने पर नज़र रखना हमारे लिए मुमकिन नहीं होता (स्कूल जाने वाले बच्चे ज़्यादातर समय वहां चलते फिरते रहते हैं)। इसलिए हम सोचते हैं कि सुबह के पहले भोजन में हम उन्हें पौष्टिक आहार ही दें। इसी उद्देश्य से हम उन्हें सीरियल और जूस नाश्ते में दे देते हैं। हालांकि यह एकदम गलत है क्योंकि साइट्रस जूस अनाज में मौजूद कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने के लिए आवश्यक एंज़ाइमों की गतिविधि को कम करते हैं। इसलिए यदि आप अपने बच्चे को यह खाने में दे रहे हैं तो उसे ज़रूरी न्यूट्रिशन नहीं मिल पाएगा। साथ ही इस तरह का खाना उसकी सेहत के लिए भी हानिकारक है।
बर्गर और फ्रेंच फ्राई
यह बच्चों के खाने की मनपसन्द चीज़ों में से एक है। कई रेस्टोरेन्ट्स में इस तरह के फ़ूड कॉम्बिनेशन उपलब्ध होते हैं। बर्गर और फ्रेंच फ्राई दोनों ही डीप फ्राइड होते हैं। इस तरह की चीज़ों को खाने से ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है। हो सकता है बड़े इस तरह की समस्या को झेल पाएं लेकिन बच्चों के लिए यह मुमकिन नहीं है। इसलिए भूलकर भी अपने बच्चों को ऐसी खाने पीने की चीज़ें न दें।
पिज़्ज़ा और सोडा
यह एक अन्य स्वादिष्ट फ़ूड कॉम्बिनेशन है जो बच्चों को बहुत भाता है हालांकि यह इनके लिए उतना ही हानिकारक होता है। एक बार में स्टार्च, प्रोटीन और कार्बेट्स खाने से आपके पाचन तंत्र पर बोझ पड़ सकता है। ऐसे में आपका बच्चा फूला हुआ महसूस करेगा जो उसके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
केला और दूध
दूध और केले दोनों में ही ढेर सारे न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो आपके बच्चे के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपका बच्चा इन दोनों चीज़ों का सेवन एक साथ न करे क्योंकि यह काफी भारी हो जाता है जिससे आपका बच्चा सुस्त हो जाता है और उसे हमेशा नींद आने की समस्या होने लगती है। कुछ गंभीर मामलों में यह बच्चों की मानसिक क्षमता को भी कमज़ोर कर देता है इसलिए अपने बच्चे को एक्टिव रखने के लिए और उसके सही विकास के लिए इस फ़ूड कॉम्बिनेशन से उन्हें दूर रखें।
वाइट ब्रेड और जेली
इस तरह का नाश्ता बच्चों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है क्योंकि इसमें भारी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट कंटेंट पाए जाते हैं। अचानक से ब्लड शुगर के स्तर में परिवर्तन के कारण आपके बच्चे के शरीर को आवश्यक मात्रा में इन्सुलिन के उत्पादन के लिए एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ती है। इसका दूसरा खतरनाक प्रभाव भी होता है जिसमें एक बार शुगर का स्तर कम होने से आपके बच्चे को अचानक भूख लगने लगती है इससे वे चिड़चिड़ा भी महसूस करने लगता है और अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता।
टमाटर और पास्ता
पास्ता में टमाटर का प्रयोग आम है। बड़ों के लिए यह कॉम्बिनेशन ज़्यादा नुकसानदेह नहीं होता जबकि बच्चों के लिए यह किसी भी तरह से ठीक नहीं है।एसिडिक नेचर की वजह से टमाटर स्टार्च को पचाने में बाधा उतपन्न करता है। (स्टार्च पास्ता में मौजूद होता है) एक सामान्य व्यस्क का पेट ऐसी चीज़ों से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में एन्ज़ाइम्स का उत्पादन करता है। वहीं दूसरी ओर बच्चों के मामले में ऐसा नहीं होता। उनका पेट पर्याप्त मात्रा में एन्ज़ाइम्स का उत्पादन नहीं कर पाता इसलिए इस तरह के फ़ूड कॉम्बिनेशन उनके लिए नुकसानदेह होते हैं। इससे पेट फूलना, गैस्ट्रिक और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आती है।
पास्ता में हरी सब्ज़ियां एड करें।
फल और योगर्ट
एक और फ़ूड कॉम्बिनेशन जो आपके बच्चे के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। इस कॉम्बिनेशन से जिन टॉक्सिन्स का उत्पादन होता है वह दस साल से कम उम्र के बच्चों की आँतों को नुकसान पहुंचाता है। कुछ मामलों में इसके कारण, सर्दी, ज़ुकाम, साइनस, कफ या और कोई एलर्जी भी हो जाती है। इसलिए आपको सुझाव दिया जाता है कि फल खिलाने के कम से कम एक घंटे बाद ही अपने बच्चे को दही खिलाएं।
भारतीय संदर्भ में, यह एक बहुत ही आम संयोजन है क्योंकि मांस की तैयारी आलू के बिना अधूरी समझी जाती है। हालांकि, इसमें कोई फाइबर नहीं होता।भोजन में फाइबर पाचन प्रक्रिया में सहायक होता है। इसलिए यदि आप इस तरह का खाना अपने बच्चे को दे रहे हैं तो इससे उनकी पाचन शक्ति प्रभवित हो सकती है और अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं।
::/fulltext::कैफीन के सेवन को घटाना और अल्कोहल से दूरी बनाना भी गर्भधारण के अवसरों को बढ़ा सकता है, प्रजनन क्षमता से जुड़ी कुछ समस्याओं के मामले में निवारण संभव नहीं है.
कई बार शादीशुदा जोड़ों की लाइफ में सब सही चल रहा होता है, दोनों की सेहत भी एकदम दुरुस्त होती है. लेकिन जब बात फैमिली प्लानिंग की होती है, तो लोग अक्सर परेशानी का समाना करते हैं. किसी भी जोड़े के लिए बच्चे के आगमन की खबर या इसकी प्लानिंग बेहद अहम खबर है. क्योंकि भारत में आज हर छह में से एक जोड़ा प्रजनन संबंधी समस्या का सामना कर रहा है, ऐसे में कई दंपतियों के लिए बच्चे को दुनियां में लाने की यह प्रक्रिया कठिनाई भरी और तनावपूर्ण हो जाती है.
हालांकि प्रजनन क्षमता से जुड़ी कुछ समस्याओं के मामले में निवारण संभव नहीं है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण कदम ऐसे हैं, जिन्हें उठाकर नई जिंदगी की शुरुआत की जा सकती है. अगर आपके करीबी लोगों में से कोई गर्भधारण के लिए लंबे समय से प्रयासरत हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही तो नारायणा हेल्थकेयर्स वीमंस एंड चाइल्ड इंस्टीट्यूट की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. लावण्या किरण तथा एमएमजी जिला अस्पताल, गाजियाबाद के डॉ. अनिल प्रकाश ने छह महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं जो गर्भधारण को आसान बनाएंगे.
स्वास्थ्यपरक आहार का सेवन करें : कई दंपति इस बात पर ध्यान नहीं देते, जबकि भोजन और प्रजनन दोनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं. इसके लिए संतुलित और पोषक आहार का सेवन करें, जिसमें विटामिन और आयरन से भरपूर सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली तथा साबुत अनाज, जैसे साबुत गेहूं, ब्राउन राइस तथा बाजरा और पनीर, अंडा, मछली, सोयाबीन जैसे प्रोटीन वाले पदार्थ शामिल हों, प्रोसेस्ड फूड, मैदा और शक्कर से दूरी बनाकर रखें.
फिट और एक्टिव रहें : इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपना अधिकांश समय जिम में बिताए. लेकिन अपनी दिनचर्या में एक सामान्य एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करें. इससे हार्मोन संतुलन और रक्त संचार को बनाए रखने एवं गर्भधारण के अवसरों को बढ़ाने में मदद मिलती है. आपके लिए ब्रिस्क वॉक, लाइट जॉगिंग, साइकिलिंग और स्वीमिंग जैसी एक्टिविटीज बेहतर साबित होगी.
फर्टिलिटी मॉनिटर का उपयोग करें : महिलाओं के प्रत्येक प्राकृतिक चक्र के दौरान केवल कुछ ही दिन ऐसे होते हैं, जब गर्भधारण की संभावना होती है. प्रत्येक दंपति के लिए यह आवश्यक है कि वे स्वयं को अपने गर्भधारण के सबसे अधिक संभावना वाले दिनों को लेकर सजग करें, क्योंकि प्रत्येक महिला का चक्र अलग होता है जो कि उनमें हार्मोन्स के स्तर के हिसाब से नियंत्रित होता है इसलिए फर्टिलिटी मॉनिटर का प्रयोग करने से बहुत बड़ी मदद मिल सकती है. ये मॉनिटर आपकी साइकिल के कम से कम 6 सबसे अधिक गर्भधारण की संभावना वाले दिनों की पहचान कर सकते हैं. इनिटो, डेजी जैसे ब्रांड्स के फर्टिलिटी मॉनिटर आजकल बहुत लोकप्रिय हैं.
तनाव नहीं लें : स्ट्रेस और एंग्जायटी दोनों ही फर्टिलिटी हार्मोन्स की रिलीज को घटाते हैं और ओवेल्यूशन की प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं. तो तनाव महसूस होने पर मेडिटेशन या योग के द्वारा खुद को नियंत्रित करने का प्रयास अवश्य करें. अपनी भावनाओं को अपने जीवनसाथी, दोस्तों या परिवार संग साझा करें, इससे मन हल्का होता है.
कैफीन और अल्कोहल के सेवन से बचें : कैफीन के सेवन को घटाना और अल्कोहल से दूरी बनाना भी गर्भधारण के अवसरों को बढ़ा सकता है. हालांकि थोड़ी मात्रा में चाय या कॉफी का सेवन सुरक्षित है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा लेने से बचना चाहिए. दूसरी तरफ अल्कोहल हर तरह से बुरा असर डाल सकता है और इसकी वजह से अनियमित मासिक तथा ओवेल्यूशन में कमी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.
नई दिल्ली: देश में अधिकतर महिलाएं पेट के निचले हिस्से के दर्द से परेशान रहती हैं। पीरियड्स के दौरान या लंबे समय तक बैठे रहने से यह समस्या बढ़ जाती है। अगर पेट दर्द की समस्या छह महीने से अधिक समय तक बनी रहती है, तो यह पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (पीसीएस) के लक्षण हो सकते हैं। देश में हर 3 में से 1 महिला अपने जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर पेल्विक दर्द से पीड़ित होती है। चौकाने वाली बात यह है कि, महिलाएं अपने शरिर में होने होने वाले इन बदलावों के बारे में न ज्यादा जानकारी रखती हैं और न ही इन पर ज्यादा बात करती हैं।
पेल्विक पेन पर और ज्यादा जानकारी दे रहें हैं, वसंत कुंज में फोर्टिस हास्पिटल के हेड इंटरवेशनल रेडियोलोजिस्ट डॉ. प्रदीप मुले:
क्या है पेल्विक दर्द या पीसीएस-
किस को होता है पीसीएस-
क्या है वजह-
लक्षणों को न करें नजहअंदाज-