Monday, 23 December 2024

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मानसून में भी फैशनेबल और स्टाइलिश दिख सकती हैं और वो भी बिना किसी परेशानी के।.....

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रिमझिम फुहारों के साथ मानसून दस्तक दे चुका है। इस मौसम में बारिश चाहे जब शुरू हो जाती है ऐसे में कई बार आप भीग जाती हैं और गीलेपन में बैठना यानी ठंड और बीमारी को बुलावा देना है। कई बार तो ऐसा होता है कि जिस दिन आपने अपने पसंद की ड्रेस या फुटवेयर पहनी उसी दिन जोरों से बारिश आ गई और आपकी नई ड्रेस या फुटवेयर पूरे खराब हो गए।
 
बारिश का अपना मजा है लेकिन कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो आपका मजा किरकिरा कर देती हैं। जैसे न चाहते हुए भी आपकी ड्रेस का भीग जाना, जुतों व सैंडिल का कीचड़ में हो जाना, हेयरस्टाइल किए हुए बालों का भीग जाना, आपका मेकअप बारिश में भीग कर खराब हो जाना। ये चीजें खासतौर से फैशनेबल लड़कियों को तो इस मौसम में ज्यादा ही परेशान करती हैं।
 
यहा पेश हैं आपके लिए लेटेस्ट मानसून फैशन ट्रेंड्स, जिन्हें अपनाकर आपको इस मौसम में भी साधारण रहन-सहन रखने की जरूरत नहीं है। आप इस मौसम में भी फैशनेबल और स्टाइलिश दिख सकती हैं और वो भी बिना किसी परेशानी के।
 
 
1) इस मौसम में कौनसा कलर पहने?
ब्राइट और बोल्ड कलर मानसून के लिए सबसे सही चॉइस है। आप नियॉन कलर भी पहन सकतीं है। कॉलेज गर्ल्स में ये बहुत चल रहा है।
 
2. इस मानसून में कैसी ड्रेसेस पहने?
इस मौसम में आप अपनी कैप्री, बरमूडा, शॉर्ट्स और स्कर्ट को अलमारी से बाहर निकालने लें। यह इनके लिए सबसे अच्छा और सही समय है।
 
3. कैसी फिटिंग की ड्रेसेस पहने इस मानसून में?
लड़्कियों को बारिश में आरामदेह और लूज कपड़ों का चयन करना चाहिए।
4. मानसून में कौन से प्रिंट ट्रेंड् में रहते हैं?
बोल्ड प्रिंट, फ्लोरल प्रिंट और ब्राइट कलर
 
5. इस मौसम में कौन से पैटर्न के कपड़े चूनें?
टैंक टॉप ट्राई करें। लैगिंग और डेनिम के फुल पैंट भी चुन सकती हैं। इस मौसम में नायलॉन, शिफॉन, जॉर्जेट और कॉटन मिक्स कपड़ों को तरजीह दें। ये गीले होने पर जल्दी सूख जाते हैं। सफेद रंग के कपड़ों को लाइक्रा मटेरियल की ड्रेसेज़ पार्टीवियर के हिसाब से बेस्ट है।
 
6 हेयरस्टाइल कैसी रखें ?
मानसून में बालों का टूटना, गिरना, झड़ना आम बात है। इलिकिए पोनीटेल और चोटी गूंथना इस मौसम के लिए सबसे अच्छी हेयरस्टाइल है। इसमें भी आप फिशटेल ब्रैड (चोटी), साइड ब्रैड, टाई-बैक ब्रैड, फ्रिंज ब्रैड के अलावा और भी कई तरीकों से चोटी बना सकतीं हैं। अगर चाहें तो आप बॉब कट भी ट्राई कर सकतीं हैं।
 
7. मानसून में कैसी ऐक्सेसरीज़ कैरी करें ?
ऐक्सेसरीज़ आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगाती हैं। इस मौसम में हाई हील्स और स्टलेटोज़ को पहनना अवॉइड करें। इनकी जगह ट्रेंडी फ्लिप फ्लॉप, सैंडल को अपने संग्रह में शामिल करें। इस रंगीन मौसम में सुस्त काले छाते के बजाय ट्रेंडी-रंगीन, पोल्का डॉटेड, मल्टीकलर, ग्राफिक या ट्रांसपेरेंट छाते और रेनकोट के साथ बाहर निकलें। वॉटर प्रुफ बैग जरूर रखें जो आपके मोबाइल, पैसों और डॉक्युमेंट्स को गीले होने से बचाएगा।
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गलत फूड कॉम्बिनेशन के कारण बच्चों को पेट दर्द, गैस, कब्ज़ और डायरिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।...... 



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मनुष्य सर्वाहारी होता है यानी फलों, सब्ज़ियों से लेकर मांस मछली सभी कुछ खाने वाला। यहां तक कि शुरुआती दौर में हमारे पूर्वज भी शिकारी हुआ करते थे क्योंकि उस वक़्त भोजन का स्रोत जानवर थे इसलिए वे इनका शिकार किया करते थे। समय के साथ बदलाव आया और मनुष्य एक जगह पर बसने लगा, तब उसने खेती की शुरुआत की। इसी समय से चावल और सब्ज़ी जैसी चीज़ें इनका मुख्य भोजन बन गए लेकिन इस तरह के भोजन का चुनाव इनकी उपलब्धता पर निर्भर करने लगा। समय के साथ और भी बदलाव आए और आज लगभग हम सब कुछ खाते हैं। प्रकृति में साग सब्ज़ियों और जानवरों के अलावा भी ऐसे कई खाद्य पदार्थ है जिनके संश्लेषण कृत्रिम रूप से संभव है (इसके लिए सारा श्रेय और धन्यवाद तरक्की करती साइंस और टेक्नोलॉजी को जाता है)।

हालांकि हमें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि कई चीज़ें जो हम खाते हैं वह हमारे लिए सुरक्षित और सेहतमंद नहीं होती। बच्चों के मामले में यह कई हद तक सच है। उनकी पाचन शक्ति बड़ों की तुलना में बहुत कमज़ोर होती है। आपको बता दें कि गलत फूड कॉम्बिनेशन के कारण बच्चों को पेट दर्द, गैस, कब्ज़ और डायरिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इस लेख में हमने कुछ गलत फ़ूड कॉम्बिनेशन की सूची तैयार की है जो आपके बच्चों के लिए बेहद नुकसानदेह है।

1. सेरेल और जूस
2. बर्गर और फ्रेंच फ्राई
3. पिज़्ज़ा और सोडा
4. केला और दूध
5. वाइट ब्रेड और जेली
6. टमाटर और पास्ता
7. फल और योगर्ट
8. मीट और आलू

सेरेल और जूस

माता पिता होने के नाते हम अपने बच्चों को हमेशा स्वस्थ देखना चाहते हैं हालांकि दिन भर उनके खाने पीने पर नज़र रखना हमारे लिए मुमकिन नहीं होता (स्कूल जाने वाले बच्चे ज़्यादातर समय वहां चलते फिरते रहते हैं)। इसलिए हम सोचते हैं कि सुबह के पहले भोजन में हम उन्हें पौष्टिक आहार ही दें। इसी उद्देश्य से हम उन्हें सीरियल और जूस नाश्ते में दे देते हैं। हालांकि यह एकदम गलत है क्योंकि साइट्रस जूस अनाज में मौजूद कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने के लिए आवश्यक एंज़ाइमों की गतिविधि को कम करते हैं। इसलिए यदि आप अपने बच्चे को यह खाने में दे रहे हैं तो उसे ज़रूरी न्यूट्रिशन नहीं मिल पाएगा। साथ ही इस तरह का खाना उसकी सेहत के लिए भी हानिकारक है।

बर्गर और फ्रेंच फ्राई

यह बच्चों के खाने की मनपसन्द चीज़ों में से एक है। कई रेस्टोरेन्ट्स में इस तरह के फ़ूड कॉम्बिनेशन उपलब्ध होते हैं। बर्गर और फ्रेंच फ्राई दोनों ही डीप फ्राइड होते हैं। इस तरह की चीज़ों को खाने से ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है। हो सकता है बड़े इस तरह की समस्या को झेल पाएं लेकिन बच्चों के लिए यह मुमकिन नहीं है। इसलिए भूलकर भी अपने बच्चों को ऐसी खाने पीने की चीज़ें न दें। 

पिज़्ज़ा और सोडा

यह एक अन्य स्वादिष्ट फ़ूड कॉम्बिनेशन है जो बच्चों को बहुत भाता है हालांकि यह इनके लिए उतना ही हानिकारक होता है। एक बार में स्टार्च, प्रोटीन और कार्बेट्स खाने से आपके पाचन तंत्र पर बोझ पड़ सकता है। ऐसे में आपका बच्चा फूला हुआ महसूस करेगा जो उसके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

केला और दूध

दूध और केले दोनों में ही ढेर सारे न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो आपके बच्चे के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपका बच्चा इन दोनों चीज़ों का सेवन एक साथ न करे क्योंकि यह काफी भारी हो जाता है जिससे आपका बच्चा सुस्त हो जाता है और उसे हमेशा नींद आने की समस्या होने लगती है। कुछ गंभीर मामलों में यह बच्चों की मानसिक क्षमता को भी कमज़ोर कर देता है इसलिए अपने बच्चे को एक्टिव रखने के लिए और उसके सही विकास के लिए इस फ़ूड कॉम्बिनेशन से उन्हें दूर रखें।

वाइट ब्रेड और जेली

इस तरह का नाश्ता बच्चों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है क्योंकि इसमें भारी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट कंटेंट पाए जाते हैं। अचानक से ब्लड शुगर के स्तर में परिवर्तन के कारण आपके बच्चे के शरीर को आवश्यक मात्रा में इन्सुलिन के उत्पादन के लिए एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ती है। इसका दूसरा खतरनाक प्रभाव भी होता है जिसमें एक बार शुगर का स्तर कम होने से आपके बच्चे को अचानक भूख लगने लगती है इससे वे चिड़चिड़ा भी महसूस करने लगता है और अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता।

टमाटर और पास्ता

पास्ता में टमाटर का प्रयोग आम है। बड़ों के लिए यह कॉम्बिनेशन ज़्यादा नुकसानदेह नहीं होता जबकि बच्चों के लिए यह किसी भी तरह से ठीक नहीं है।एसिडिक नेचर की वजह से टमाटर स्टार्च को पचाने में बाधा उतपन्न करता है। (स्टार्च पास्ता में मौजूद होता है) एक सामान्य व्यस्क का पेट ऐसी चीज़ों से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में एन्ज़ाइम्स का उत्पादन करता है। वहीं दूसरी ओर बच्चों के मामले में ऐसा नहीं होता। उनका पेट पर्याप्त मात्रा में एन्ज़ाइम्स का उत्पादन नहीं कर पाता इसलिए इस तरह के फ़ूड कॉम्बिनेशन उनके लिए नुकसानदेह होते हैं। इससे पेट फूलना, गैस्ट्रिक और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आती है।

पास्ता में हरी सब्ज़ियां एड करें।

फल और योगर्ट

एक और फ़ूड कॉम्बिनेशन जो आपके बच्चे के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। इस कॉम्बिनेशन से जिन टॉक्सिन्स का उत्पादन होता है वह दस साल से कम उम्र के बच्चों की आँतों को नुकसान पहुंचाता है। कुछ मामलों में इसके कारण, सर्दी, ज़ुकाम, साइनस, कफ या और कोई एलर्जी भी हो जाती है। इसलिए आपको सुझाव दिया जाता है कि फल खिलाने के कम से कम एक घंटे बाद ही अपने बच्चे को दही खिलाएं।

 
 
मीट और आलू

भारतीय संदर्भ में, यह एक बहुत ही आम संयोजन है क्योंकि मांस की तैयारी आलू के बिना अधूरी समझी जाती है। हालांकि, इसमें कोई फाइबर नहीं होता।भोजन में फाइबर पाचन प्रक्रिया में सहायक होता है। इसलिए यदि आप इस तरह का खाना अपने बच्चे को दे रहे हैं तो इससे उनकी पाचन शक्ति प्रभवित हो सकती है और अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं।

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प्लानिंग के बाद भी नहीं हो रहीं गर्भवती, गर्भधारण महत्वपूर्ण सुझाव .....

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कैफीन के सेवन को घटाना और अल्कोहल से दूरी बनाना भी गर्भधारण के अवसरों को बढ़ा सकता है, प्रजनन क्षमता से जुड़ी कुछ समस्याओं के मामले में निवारण संभव नहीं है.

कई बार शादीशुदा जोड़ों की लाइफ में सब सही चल रहा होता है, दोनों की सेहत भी एकदम दुरुस्त होती है. लेकिन जब बात फैमिली प्लानिंग की होती है, तो लोग अक्सर परेशानी का समाना करते हैं. किसी भी जोड़े के लिए बच्चे के आगमन की खबर या इसकी प्लानिंग बेहद अहम खबर है. क्योंकि भारत में आज हर छह में से एक जोड़ा प्रजनन संबंधी समस्या का सामना कर रहा है, ऐसे में कई दंपतियों के लिए बच्चे को दुनियां में लाने की यह प्रक्रिया कठिनाई भरी और तनावपूर्ण हो जाती है. 

हालांकि प्रजनन क्षमता से जुड़ी कुछ समस्याओं के मामले में निवारण संभव नहीं है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण कदम ऐसे हैं, जिन्हें उठाकर नई जिंदगी की शुरुआत की जा सकती है. अगर आपके करीबी लोगों में से कोई गर्भधारण के लिए लंबे समय से प्रयासरत हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही तो नारायणा हेल्थकेयर्स वीमंस एंड चाइल्ड इंस्टीट्यूट की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. लावण्या किरण तथा एमएमजी जिला अस्पताल, गाजियाबाद के डॉ. अनिल प्रकाश ने छह महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं जो गर्भधारण को आसान बनाएंगे.

स्वास्थ्यपरक आहार का सेवन करें : कई दंपति इस बात पर ध्यान नहीं देते, जबकि भोजन और प्रजनन दोनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं. इसके लिए संतुलित और पोषक आहार का सेवन करें, जिसमें विटामिन और आयरन से भरपूर सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली तथा साबुत अनाज, जैसे साबुत गेहूं, ब्राउन राइस तथा बाजरा और पनीर, अंडा, मछली, सोयाबीन जैसे प्रोटीन वाले पदार्थ शामिल हों, प्रोसेस्ड फूड, मैदा और शक्कर से दूरी बनाकर रखें. 

फिट और एक्टिव रहें : इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपना अधिकांश समय जिम में बिताए. लेकिन अपनी दिनचर्या में एक सामान्य एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करें. इससे हार्मोन संतुलन और रक्त संचार को बनाए रखने एवं गर्भधारण के अवसरों को बढ़ाने में मदद मिलती है. आपके लिए ब्रिस्क वॉक, लाइट जॉगिंग, साइकिलिंग और स्वीमिंग जैसी एक्टिविटीज बेहतर साबित होगी. 

फर्टिलिटी मॉनिटर का उपयोग करें : महिलाओं के प्रत्येक प्राकृतिक चक्र के दौरान केवल कुछ ही दिन ऐसे होते हैं, जब गर्भधारण की संभावना होती है. प्रत्येक दंपति के लिए यह आवश्यक है कि वे स्वयं को अपने गर्भधारण के सबसे अधिक संभावना वाले दिनों को लेकर सजग करें, क्योंकि प्रत्येक महिला का चक्र अलग होता है जो कि उनमें हार्मोन्स के स्तर के हिसाब से नियंत्रित होता है इसलिए फर्टिलिटी मॉनिटर का प्रयोग करने से बहुत बड़ी मदद मिल सकती है. ये मॉनिटर आपकी साइकिल के कम से कम 6 सबसे अधिक गर्भधारण की संभावना वाले दिनों की पहचान कर सकते हैं. इनिटो, डेजी जैसे ब्रांड्स के फर्टिलिटी मॉनिटर आजकल बहुत लोकप्रिय हैं. 

तनाव नहीं लें : स्ट्रेस और एंग्जायटी दोनों ही फर्टिलिटी हार्मोन्स की रिलीज को घटाते हैं और ओवेल्यूशन की प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं. तो तनाव महसूस होने पर मेडिटेशन या योग के द्वारा खुद को नियंत्रित करने का प्रयास अवश्य करें. अपनी भावनाओं को अपने जीवनसाथी, दोस्तों या परिवार संग साझा करें, इससे मन हल्का होता है. 

कैफीन और अल्कोहल के सेवन से बचें : कैफीन के सेवन को घटाना और अल्कोहल से दूरी बनाना भी गर्भधारण के अवसरों को बढ़ा सकता है. हालांकि थोड़ी मात्रा में चाय या कॉफी का सेवन सुरक्षित है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा लेने से बचना चाहिए. दूसरी तरफ अल्कोहल हर तरह से बुरा असर डाल सकता है और इसकी वजह से अनियमित मासिक तथा ओवेल्यूशन में कमी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

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महिलाएं पेट के निचले हिस्से के दर्द से परेशान रहती हैं। पीरियड्स के दौरान या लंबे समय तक बैठे रहने से यह समस्या बढ़ जाती है।...... 

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नई दिल्ली:  देश में अधिकतर महिलाएं पेट के निचले हिस्से के दर्द से परेशान रहती हैं। पीरियड्स के दौरान या लंबे समय तक बैठे रहने से यह समस्या बढ़ जाती है। अगर पेट दर्द की समस्या छह महीने से अधिक समय तक बनी रहती है, तो यह पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (पीसीएस) के लक्षण हो सकते हैं। देश में हर 3 में से 1 महिला अपने जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर पेल्विक दर्द से पीड़ित होती है। चौकाने वाली बात यह है कि, महिलाएं अपने शरिर में होने होने वाले इन बदलावों के बारे में न ज्यादा जानकारी रखती हैं और न ही इन पर ज्यादा बात करती हैं।

पेल्विक पेन पर और ज्यादा जानकारी दे रहें हैं, वसंत कुंज में फोर्टिस हास्पिटल के हेड इंटरवेशनल रेडियोलोजिस्ट डॉ. प्रदीप मुले:

क्या है पेल्विक दर्द या पीसीएस-

  • पेट के निचले भाग में दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं, उसमें से सबसे सामान्य कारणों में से एक है पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (पीसीएस)। यह युवा महिलाओं में अधिक देखा जाता है। पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम को पेल्विक वेन इनकम्पेटेंस या पेल्विक वेनस इनसफिशिएंशी भी कहते हैं।
  • यह महिलाओं में होने वाली एक चिकित्सीय स्थिति (जिसका इलाज हो) है। इस स्थिति में तेज दर्द होता है जो खड़े होने पर और बढ़ जाता है, लेटने पर थोड़ा आराम मिलता है। पीसीएस जांघों, नितंब या योनि(वजाइना) के आसपास की वैरिकोस वेन्स से संबंधित होता है। इसमें नस सामान्य से ज्यादा खिंच जाती हैं।

किस को होता है पीसीएस-

  • जो महिलाएं मां बन चुकी हैं और युवा हैं उनमें यह परेशानी अधिक होती है क्योंकि इस उम्र की महिलाएं अपने लक्षणों को नजरअंदाज करती हैं इसलिए उनमें यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। पीसीएस का कारण साफ नहीं है। हालांकि शरीर रचना या हार्मोन्स के स्तर में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी इसका कारण हो सकती है। इससे प्रभावित होने वाली ज्यादातर महिलाएं 20-45 की उम्र की होती हैं और जो कई बार प्रेग्नेंट हो चुकी होती हैं।

क्या है वजह-

  • गर्भावस्था या प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन संबंधी बदलावों, वजन बढ़ने और पेल्विक एरिया की एनाटॉमी(शरीर-रचना) में परिवर्तन आने से अंडाशय (ओवरी) की नसों में दबाव बढ़ जाता है जिससे शिराओं की दीवार कमजोर हो जाती है जिससे वह सामान्य से ज्यादा फैल जाती हैं।
  • इस दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन शिराओं(वेंस) की दीवार को कमजोर कर देता है। सामान्य शिराओं में रक्त पेल्विस से ऊपर हृदय की ओर बहता है और शिराओं में मौजूद वॉल्व के कारण इसका वापस शिराओं में फ्लो नहीं होता है। जब अंडाशय की शिराएं फैल जाती हैं, वॉल्व पूरी तरह से बंद नहीं होता है जिससे रक्त वापस बहकर शिराओं में आ जाता है, जिसे रिफ्लक्स के नाम से भी जाना जाता है जिसके परिणामस्वरूप पेल्विस क्षेत्र में रक्त की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।

लक्षणों को न करें नजहअंदाज-

  • इसका सबसे प्रमुख लक्षण पेट के निचले भाग में दर्द होना है। यह अधिक देर तक बैठने या खड़े रहने के कारण गंभीर हो जाता है। इसके कारण कई महिलाओं में पैर में भारीपन भी लगता है।
  • इसके अलावा पीसीएस में ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे पेल्विक एरिया में लगातार दर्द होना। पेट के निचले भाग में मरोड़ अनुभव होना। पेल्विक क्षेत्र में दबाव या भारीपन अनुभव होना। शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द होना। यूरीन या मल त्यागते समय दर्द होना। लंबे समय तक बैठने या खड़े होने में दर्द होना।
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