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मानसून का मौसम बड़े व्यक्तियों को भले ही अच्छा लगे, लेकिन यह छोटे बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। दरअसल, इस मौसम में तापमान में बार-बार उतार-चढ़ाव बच्चे को बीमार करता है। साथ ही, इससे उन्हें अक्सर रैशेज भी हो जाते हैं, जो बहुत अधिक जलन व इरिटेशन का कारण बनते हैं। मानसून के मौसम में शिशुओं में हीट रैश व डायपर रैश जैसी समस्याएं होना बेहद ही आम बात है। ऐसे में इस समस्या के उपचार के लिए कुछ उपाय अपनाने की जरूरत होती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बेबी में मानसून रैश की समस्या के उपचार के लिए कुछ आसान उपायों के बारे में बता रहे हैं-
मानूसन में शिशुओं में रैश की समस्या इसलिए होती है, क्योंकि गर्म, नम या आर्द्र मौसम के दौरान पसीने की ग्रंथियों के छिद्र अवरुद्ध हो जाते हैं। ऐसे में बेबी की गर्दन, छाती और ऊपरी पीठ पर छोटे, गुलाबी धब्बे दिखाई देते हैं। वहीं, इस मौसम में डायपर रैश भी बेहद आम है। अगर मानसून में बेबी को डायपर लगाने के बाद उसे बहुत देर के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है और आपका शिशु बहुत देर तक गीला रहता है, तो यह उसके बॉटम में जलन पैदा करता है, जिससे उसे डायपर रैशेज हो जाते हैं।
बच्चे को हीट रैशेस से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है उसकी क्लीनिंग पर अतिरिक्त ध्यान देना। आप अपने बच्चे के चेहरे और शरीर को साफ करने के लिए बेबी वाइप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। बेबी की स्किन वयस्कों की तुलना में 20-30 प्रतिशत पतली होती है और अभी भी विकसित हो रही है। साथ ही, बरसात के मौसम में यह और भी संवेदनशील हो जाता है। ऐसे में उनकी स्किन पर अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत होती है। आप चाहें तो बच्चे के लिए बैम्बू वाइप्स भी चुन सकती हैं, जो बच्चे की त्वचा के लिए भी पूरी तरह से प्राकृतिक, जैविक, मुलायम और कोमल हों। बैम्बू वाइप्स की एक खास बात यह भी होती है कि बांस के रेशे हाइपोएलर्जेनिक और रोगाणुरोधी होते हैं। जिससे यह बच्चे को मानसून में कई तरह के रोगाणुओं से बचाते हैं।
मानसून में बच्चे डायपर रैश के कारण सबसे अधिक परेशान होते हैं। डायपर रैशेज बच्चे के जननांग क्षेत्र पर होते हैं, जो उन्हें बहुत अधिक तंग कर सकते हैं। ऐसे में इन्हें जल्द ठीक करने का तरीका होता है डायपर रैश क्रीम का इस्तेमाल करना। यह ना केवल रैशेज को जल्द ठीक करती है, बल्कि एक मॉइश्चराइजर की तरह भी काम करती है। मानसून में बच्चे की रूखी, खुरदरी, पपड़ीदार, खुजली वाली त्वचा और मामूली स्किन की जलन के इलाज या रोकथाम के लिए डायपर रैश क्रीम बेहद ही प्रभावी तरीके से काम करती है।
पाउडर का करें इस्तेमाल
इस मौसम में नमी को दूर रखने के लिए पाउडर का इस्तेमाल करना भी एक अच्छा विचार है। हालांकि, बच्चे की स्किन केयर रूटीन में भूल से भी टेलकम पाउडर शामिल ना करें, बल्कि टैल्क-फ्री पाउडर को यूज करें। यह नमी को अवशोषित करता है, त्वचा पर त्वचा के घर्षण को कम करता है, और छोटों में मानसून रैशेज को ठीक करता है। इसके इस्तेमाल का एक लाभ यह भी है कि यह पसीने और गंध को सोख लेता है और आपके बच्चे को पूरे दिन तरोताजा रखता है।
पीरियड के दिनों में लड़कियां या महिलाएं, दाग-धब्बें, हेवी ब्लड फ्लो और पीरियड की गंध जैसी तनाव से गुजरती हैं। लेकिन इन सभी समस्याओं का एक ही हल है वो है सही सैनेट्री पैड का चयन। सैनेट्री पैड को लेकर भी महिलाओं के सीमित विकल्प ही हैं। जहां कुछ रियूजबेल पैड इस्तेमाल करना पसंद करती हैं, तो वहीं कुछ डिस्पोजेबल पैड।
रियूजेबल पैड के फायदे
डिस्पोजेबल पैड के मुकाबले रियूजेबल पैड इको-फ्रेंडली ऑप्शन में आते है। कपड़े से बने इन पैड को सिर्फ एक बार ही नहीं, बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, यूज करने के बाद इसे धोने की जहमत तो आपको उठानी ही होगी, लेकिन धोने के बाद आप आप उसी पैड का फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन इसको दिन में 5-6 घंटे के अंतराल में बदलना जरूरी होता है।
रियूजेबल पैड, डिस्पोजेबल पैड के मुकाबले थोड़े महंगे होते है। ऐसे मे शुरुआत में आपको इन पैडस के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे, लेकिन ये वन टाइम इंवेस्टमेंट है। ऐसा करके आप हर महीने सेनेट्री पैड लाने की दिक्कत से बचते हुए अपना पैसा और टाइम दोनों बचा सकेंगे।
ईको फ्रैंडली
आमतौर पर एक महिला के पीरियड्स 5 दिनों तक चलते हैं, इस तरह अगर एक महिला दिन में 5-6 घंटे में पैड बदलती है तो उसे कम से कम 3-4 पैड एक दिन में बदलने होंगे। अब अगर एक दिन में इतने डिस्पोजल पैड यूज होंगे, तो ये ना सिर्फ आपको महंगा पड़ेगा, बल्कि इससे आपके आसपास बहुत सारा कचरा बढ़ जाएगा। जो पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं है।
डिस्पोजेबल पैड कैमिकल से बने होते हैं, जिनका ज्यादा देर तक इस्तेमाल जलन पैदा करने के साथ आपके पीएच को भी असंतुलित कर सकता हैं। जबकि, रियूजेबल पैड किसी कैमिकल या प्लास्टिक से नहीं बनते है, बल्कि अगर आप इनका इस्तेमाल करते है तो आपके शरीर का ये नाजुक हिस्सा बैक्टीरिया से सुरक्षित रह सकता है। सबसे अच्छी बात ये है कि आप इसे अपनी साइज और पैटर्न के हिसाब चुन सकते है
नुकसान
हर बार धोने की परेशानी
इस्तेमाल के बाद हम अपने डिस्पोजेबल पैड को सीधे कूड़ेदान में फेंकते हैं लेकिन कपड़े के पैड के साथ ऐसा नहीं कर सकते। बल्कि रियूजेबल पैड को दागरहित रखने के लिए आपको उसे तुरंत धोना होगा।
आसानी से उपलब्ध नहीं होते
लोकल सुपरमार्केट में डिस्पोजेबल पैड आसानी से नहीं मिलते हैं। इसलिए, यदि आपको इमरजेंसी में पैड की आवश्यकता है, तो डिस्पोजेबल पैड ही आपके लिए सबसे अच्छा ऑप्शन हैं।
डिस्पोजेबल पैड भी पीरियड्स में होने वाली ब्लीडिंग को बाहर आने से रोकते है, लेकिन इन्हें सिर्फ एक बार इस्तेमाल किया जा सकता हैं। आप बस इन्हें 5-6 घंटे के लिए इस्तेमाल करें और फेंक दें।
धोने का झंझट नहीं
रियूजेबल पैड को पीरियड में धोने के बाद कई बार यूज में लिया जा सकता है। वहीं बात करें हम डिस्पोजेबल पैड की, तो ये एक बार से अधिक चलते नहीं हैं। देखा जाए तो यही कारण है कि महिलाएं रियूजेबल पैड के मुकाबले डिस्पोजेबल पैड पसंद करती है।
जाहिर सी बात है रियूजेबल पैड की तुलना में डिस्पोज़ल पैड सस्ते होते है, लेकिन लंबे समय तक ये आपके लिए एक बड़ा खर्च है, क्योंकि रीयूजेबल पैड तो बार-बार नहीं खरीदने पड़ते, लेकिन अगर दिन में हर 5-6 घंटे में पैड बदलना जरुरी होता है, तो इस हिसाब से डिस्पोजेबल पैड खरीदने आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है।
हानिकारक कैमिकल होते है
डिस्पोजेबल पैड बनाने में कई तरह के कैमिकल का उपयोग किया जाता हैं। जो एनवायरमेंट और आपकी स्किन दोनों के लिए नुकसानदेह है। अब क्यूंकि आपकी वेजिना के आसपास की स्किन बहुत ज्यादा नाजुक होती है, बैक्टीरिया यहां आसानी से पनप सकते है, पैड में मौजूद कैमिकल आपके ब्लडस्ट्रीम में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अपने 50 वर्षीय रो बनाम वेड के फैसले को पलट दिया है। इसी फैसले के आने के बाद अमेरिकी महिलाओं के लिए गर्भपात के हक का कानूनी दर्जा खत्म हो गया है। पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। हालांकि राहत की बात यह है कि अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं।
क्या है 'रो बनाम वेड' कानून ?
नोर्मा मैककॉर्वी जिन्हें अब 'जेन रो' के नाम से जाना जाता है, उन्होंने 1969 में अबॉर्शन को लीगल कराने के लिए लड़ाई लड़ी थी।
जेन रो ने जब अबॉर्शन को लीगल कराने करने के लिए याचिका दायर की थी, तब सरकारी वकील हेनरी वेड ने विरोध में जिरह की थी। इस वजह से इस मामले को दुनिया भर में 'रो बनाम वेड' से जाना जाने लगा।
दुष्कर्म पीड़ित, कौटुंबिक व्यभिचार की शिकार या नाबालिग 24 हफ्ते तक गर्भपात की इजाजत है। ऐसी महिलाएं जिनकी वैवाहिक स्थिति गर्भावस्था के दौरान बदल गई हो (विधवा हो गई हो या तलाक हो गया हो) और दिव्यांग महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक गर्भपात अधिकार है। अगर भ्रूण में कोई ऐसी विकृति या गंभीर बीमारी हो, महिला की जान का खतरा हो, तो भी 24 हफ्ते में गर्भपात का अधिकार है। यदि ठोस वजह ना होने पर भी गर्भपात कराया जाता है तो पकड़े जाने पर 3 साल की सजा हो सकती है। यदि इसमें महिला की सहमति नहीं है तो दोषी को 10 साल या उम्र कैद की भी सजा हो सकती है।
बाकी जगह क्या है हालात?
जापान में
जापान में प्रेग्नेंसी के 21 सप्ताह और 6 दिनों तक गर्भपात कानूनी है। हालांकि जापान और बाकी दुनिया के गर्भपात कानूनों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि गर्भपात कराने से पहले जापान में बच्चे के पिता की सहमति आवश्यकता होती है।
सऊदी अरब
सऊदी अरब में गर्भपात की अनुमति तभी दी जा सकती है, जब महिला की जान बचानी जरुरी हो। हालांकि इसके लिए भी महिला को अपने पति की अनुमति लेनी जरूरी होती है।
यहां है प्रतिबंध
इराक, मिस्र,सूरीनाम, पौलेंड, माल्टा, फिलीपींस जैसे 26 देश हैं दुनिया में, जहां गर्भपात कराना महिलाओं के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यहां ऐसा करना पूरी तरह प्रतिबंधित है, फिर चाहे महिला या बच्चे की जान पर ही क्यों ना बन रही हो।
खास बातें
महिलाएं औसतन अपने जीवन के लगभग 7 साल मासिक धर्म में बिताती हैं. यह दर्शाता है कि मेंट्रुअल साइकिल कितनी महत्वपूर्ण और प्रभावशाली है. पीरियड्स में ऐंठन और दर्द का अनुभव नियमित रूप से किसी के मूड और डेली काम करने की उनकी क्षमता में बाधा पैदा कर सकता है. पीरियड्स पेन काम, मनोदशा और कई अन्य कारकों पर किसी की प्रोडक्टिविटी को खराब कर सकता है. किसी का वर्कआउट रूटीन और लाइफस्टाइल के अलावा, पीरियड्स के दर्द (Period Pain) को कुछ फूड्स भी प्रभावित करते हैं. यहां हम आपको ऐसे बेस्ट फूड्स के बारे में बता रहे हैं जो पीरियड्स क्रैम्प्स और दर्द को कम कर सकते हैं.
ये फूड्स दिलाते हैं पीरियड्स पेन और क्रैम्प से राहत
1. क्रूसिफेरस सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियों के रूप में जानी जाने वाली क्रूसिफेरस सब्जियों में पालक, केल, ब्रोकली, पत्ता गोभी, फूलगोभी आदि शामिल हैं. ये कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर होती हैं, जो पीरियड्स के दर्द और क्रैम्प्स से राहत दिलाने में मदद करते हैं.
2. पानी से भरपूर फूड्स
शरीर में पानी की कमी से भी पीरियड्स के दौरान डिहाइड्रेशन और सिरदर्द हो सकता है. पानी से भरपूर फूड्स जैसे खीरा, तरबूज आदि खाने से आपका शरीर हाइड्रेटेड रहता है.
मछली आयरन, प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड आदि से भरपूर होती है. इन सभी पोषक तत्वों को खाने से मासिक धर्म के दर्द को कम करने में मदद मिलती है. ओमेगा -3 से भरपूर डाइट खाने से भी मूड बेहतर होता है.
दही प्रोबायोटिक्स से भरपूर भोजन है और यह शरीर को पोषण देने और आपकी वेजाइना को उन संक्रमणों से बचाने के लिए जाने जाता है जो आपके मासिक धर्म के दौरान हो सकते हैं.
6. क्विनोआ
कई अन्य साबुत अनाज की तरह क्विनोआ वेजिटेरियन लोगों के लिए प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत है. यह कई पोषक तत्वों और फाइबर में भी भरा है जो बेहतर पाचन में मदद कर सकता है.
7. अंडे
अंडे एक और पॉपुलर सुपरफूड हैं. वे कई पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जो पीरियड्स के दर्द को कम करने में मदद करते हैं. वे आपको अधिक समय तक भरा हुआ भी रखते हैं.
8. बीज
बीज कई पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, ओमेगा -3, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन आदि से भरपूर होते हैं. ये सभी पोषक तत्व पीरियड्स के लक्षणों से निपटने में मदद करते हैं. अलसी के बीज कब्ज में मदद करते हैं जो मासिक धर्म का एक सामान्य लक्षण है.
दाल प्रोटीन और आयरन का एक और बेहतरीन स्रोत है, खासकर वेजिटेरियन्स और वेगन लोगों के लिए. वे आपको अस्वास्थ्यकर स्नैक्स से बचने में मदद कर सकते हैं जिनके लिए आप तरस रहे हैं.
10. डार्क चॉकलेट
डार्क चॉकलेट को एक कारण से सुपरफूड माना जाता है. डार्क चॉकलेट आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर होती है. ये दोनों पोषक तत्व पीरियड्स के दर्द को कम करते हैं. इसके अलावा, डार्क चॉकलेट मूड को बेहतर बनाने में मदद करती है.
11. अदरक
अदरक के कई स्वास्थ्य लाभ हैं और इसे एक सुपरफूड माना जाता है. अगर आप अपने पीरियड्स के दौरान मतली का अनुभव करती हैं तो अदरक आपको बेहतर महसूस करने में भी मदद कर सकता है.
12. नट
पीनट, अखरोट आदि जैसे नट्स प्रोटीन, मैग्नीशियम, ओमेगा -3 फैटी एसिड आदि से भरपूर होते हैं. ये सभी पोषक तत्व मासिक धर्म के दर्द को कम करने के लिए जाने जाते हैं.
13. टोफू
टोफू प्रोटीन और कई अन्य पोषक तत्वों का एक बहुत लोकप्रिय स्रोत है. टोफू और कई अन्य सोया प्रोडक्ट्स आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम आदि से भरपूर होते हैं.
हम जो खाते हैं उसका हमारे मेंट्रुअल साइकिल पर और लक्षणों सहित हमारे समग्र स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. इन फूड्स को खाने के साथ हम आपको कुछ ऐसे फूड्स से बचने की सलाह भी देते हैं जो आपके ऐंठन को बढ़ा सकते हैं. आप कुछ ऐसे व्यायाम भी कर सकते हैं जो आपको पीरियड्स क्रैम्प्स से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.