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प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के लिए खास होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अपना ख्याल ज्यादा रखती है, ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे को कोई नुकसान ना हो। प्रेग्नेंसी के दौरान परिवार भी बच्चे और मां का खास ध्यान रखते है। गर्भवती महिला को कई तरह की सलाह दी जाती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान क्या खाना चाहिए क्या नहीं चाहिए। वहीं प्रेग्नेंसी को लेकर कई तरह के मिथ भी है, कुछ महिलाएं इन मिथ पर भरोसा करती है वहीं कुछ महिलाएं इन मिथ पर भरोसा नहीं करती है। चलिए जानते है प्रेग्नेंसी से जुड़े कुछ मिथ के बारे में जिसपर किसी को भरोसा नहीं करना चाहिए।
प्रेग्नेंसी को लेकर कई तरह के मिथ है इसमें से एक मिथ यह है कि कॉफी और चाय पीने से बच्चा काला होता है। जो कि पूरी तरह से गलत है। खाने पीने की चीजों से बच्चे के रंग पर कोई भी असर नहीं होता है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि दूध, पनीर और अंडे का सेवन करने से बच्चा गौरा होगा, जबिक यह भी एक तरह से गलत है। बच्चे का रंग माता- पिता के रंग पर जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा कैफीन का सेवन करना ठीक नहीं होता है। इसलिए प्रेग्नेंसी को दैरान कम से कम कैफीन का सेवन करना चाहिए।
अंडे के छिलके पहनना
रुस में कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान गले में अंडे के छिलके का पहनती है। उनका कहना है कि जब तक अंडे का छिलका सही रहेगा बच्चा भी स्वस्थ रहेगा। रुस में महिलाएं बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए अंडे के छिलके पहनती है।
प्रेग्नेंसी को लेकर कई तरह के मिथ है। गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग पता करने के लिए लोग बच्चे के लात मारने के तरीके से उनके लिंग का पता लगाते है। अगर बच्चा लेफ्ट की ओर लात मारता है तो लड़का होगा और राइट साइड लात मारे तो लड़की होगी। इस बात में कोई सच्चाई नहीं है यह केवल एक तरह का मिथ है।
खास बातें
नई दिल्ली: ज़्यादातर महिलाओं को लगता है कि पीरियड्स में सेक्स करना सबसे सेफ होता है. इस दौरान वो कभी भी प्रेग्नेंट नहीं हो सकती. लेकिन आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है सेक्स करने से प्रेग्नेंसी का खतरा हमेशा बना रहता है पीरियड्स में भी. रिसर्चर और गाइनोकॉलोजिस्ट्स बताते हैं कि महीने के 'उन दिनों' में1 से 15 प्रतिशत तक प्रग्नेंट होने के चांसेस होते हैं.
इसे आप इस तरह समझिए. ओवरी से अंडा निकलने की प्रक्रिया को ऑव्यूलेशन कहा जाता है. फैलोपियन ट्यूब के जरिए अंडा यूट्रेस यानी कि गर्भाशय में पहुंचता है. फैलोपियन ट्यूब ही वह जगह है जहां स्पर्म के संपर्क में आकर अंडा फर्टीलाइज होता है. लेकिन अगर कंसेप्शन यानी कि गर्भ धारण नहीं होता है तो अंडा ब्लीडिंग के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है. इस ब्लीडिंग को ही पीरियड कहते हैं.
ज़्यादातर महिलाओं का मंथली साइकल 28 दिनों का होता है. इसमें ऑव्यूलेशन प्रक्रिया आपके 28 दिनों के मंथली साइकल के बीचों बीच 14वें दिन शुरू होती है. इसमें पहले दिन से ही 24 घंटे तक आपके अंडे जीवित रहते हैं . वहीं, स्पर्म 5 से 7 दिन तक जिंदा रह सकते हैं. इस प्रक्रिया के हिसाब से ऑव्यूलेशन प्रक्रिया सबसे ज़्यादा एक्टिव 13वें, 14वें, 15वें और 16वें दिन रहती है.
लेकिन कभी-कभी पीरियड्स का साइकल छोटा होता है. अगर यह गैप 22 दिन से कम है तो पीरियड्स के तुंरत बाद ऑव्यूलेशन होता है. यह गैप सिर्फ तीन-चार दिन का भी हो सकता है. इसका मतलब है कि अगर आपने बिना प्रोटेक्शन के पीरियड्स के आखिरी दिन या पांचवें दिन इंटरकोर्स किया और फिर ऑव्यूलेशन होता है तो स्पर्म से मिलकर अंडा फर्टलाइज़ हो जाएगा. जाहिर है कि छोटे पीरियड साइकल वाली महिलाओं में पीरियड्स के दौरान प्रेग्नेंसी का खतरा ज़्यादा होता है.
वहीं, MensHealth.com की एक सर्वे के मुताबिक पीरियड्स के दौरान लड़के प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करने से बचते हैं. ऐसे में दोनों पार्टनर्स को कई तरह के इंफ्केशन जैसे STDs और हेपटाइटस ( hepatitis)जैसे यौन समस्याओं का खतरा बना रहता है. इसीलिए इस दौरान प्रेंग्नेंसी और इन इंक्फेशन्स से बचने के लिए हमेशा लेटैक्स कंडोम का इस्तेमाल करें. ताकी आपके ब्लड से एक प्रोटेक्टिव लेयर बनी रहे. साथ ही, इंटरकोर्स के बाद खुद को क्लीन भी करें.