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खास बातें
गर्मियों के मौसम में अपनी स्किन को प्रोटेक्ट करने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते हैं. इस दौरान अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा जिस ब्यूटी प्रोडक्ट (Beauty product) इस्तेमाल करते हैं, वह है सनस्क्रीन (sunscreen) और सनब्लॉक (sunblock). दोनों ही प्रोडक्ट हमें सूरज की तेज किरणों से बचाने का काम करते हैं लेकिन, इनमें कुछ बेसिक अंतर होते हैं, जिसे जान लेना अच्छा है. तो चलिए बताते हैं सनस्क्रीन और सनब्लॉक में अंतर (basic difference of sunscreen & sunblock) क्या होता है.
सनस्क्रीन और सनब्लॉक में अंतर
सूर्य की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों को सनस्क्रीन फिल्टर करने का काम करती है. यह सूरज की खतरनाक पराबैंगनी किरणों को हमारे चेहरे पर डायरेक्ट आने से रोकती हैं. हालांकि सनस्क्रीन में सनब्लॉक की तुलना में स्थिरता कम होती है. यह क्रीम पसीना आने पर बह जाती है. इसका असर 3 से 4 घंटे ही होता है, ऐसे में इसे दोबारा लगाना पड़ता है. गर्मियों में तो इसे बाहर निकलने से पहले लगाने की सलाह जरूर जी जाती है.
सनस्क्रीन की तुलना में सनब्लॉक ज्यादा इफेक्टिव होता है. इसका उद्देश्य सूर्य की सभी हानिकारक किरणों को रोकना है. आपको बता दें कि यह क्रीम अलग तरीके से बनाई जाती है जिससे इसका पेस्ट गाढ़ा होता है. यही कारण है कि इसमें स्थिरता लंबी होती है और सूरज की किरणें हमारे चेहरे को नुकसान नहीं पहुंचा पाती हैं. इसके अलावा सनस्क्रीन को आसानी से साफ किया जा सकता है चेहरे से लेकिन, सनब्लॉक वक्त लेता है चेहरे से उतरने में. आप अगर स्विमिंग करती हैं, तो इस क्रीम को लगाकर ही पूल में उतरें अन्यथा सनबर्न का शिकार हो जाएंगी. एक बात और आप सनस्क्रीन के साथ सनब्लॉक का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. यह आपकी त्वचा को दोगुना सुरक्षा प्रदान करेंगे.तो ये रहे सनस्क्रीन और सनब्लॉक में बेसिक अंतर.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.
बच्चों को संभालना बड़ा ही मुश्किल काम है, और उनके सुबह से लेकर रात तक की दिनचर्या में जो सबसे परेशान करने वाली चीज है वो है डायपर लीकेज की समस्या। जिसके कारण ना सिर्फ बच्चे को गीलेपन की शिकायत रहती है, बल्कि ज्यादा देर तक गीले बिस्तर पर लेटे रहने से सर्दी-जुकाम और इंफेक्शन का भी खतरा रहता है। तो इस समस्या से छुटकारा कैसे पाया जा सकता है, इसके बारे में हम आपको बताने जा रहे है-
बेबी का डायपर लीक आखिर होता क्यों है?
दरअसल कम्प्रेशन लीक होना या फिर प्रेशर के साथ पॉटी बाहर आना भी इसका बड़ा कारण हो सकता है। इसलिए जब भी बच्चे को डायपर पहनाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि वह बच्चे की कमर में फिट आए और बहुत ज्यादा टाइट न हो। वहीं, डायपर के मटेरियल की वजह से भी यह लीक हो सकता है। डायपर जितना कम अब्सॉर्ब कर पाएगा लीकेज उतना ही ज्यादा होगा और डायपर जितना ज्यादा अब्सॉर्ब कर पाएगा लीकेज उतना ही कम होगा। ऐसे में यदि बच्चे ने खराब क्वालिटी का डायपर पहना है तो यह लीक हो सकता है। इसके अलावा यदि डायपर का साइज बहुत छोटा है या यह बहुत टाइट है और यदि इसकी इलास्टिसिटी खत्म हो जाती है और यह पैरों व बॉटम में फिट नहीं आता है तो इससे भी लीकेज के चांसेज रहते है।
1. परफेक्ट साइज का डायपर खरीदें
यदि आपके बच्चे का डायपर बार-बार लीक होता है तो आपको बड़े साइज का डायपर खरीदना चाहिए। यानि कि अगर आपके बच्चे की उम्र या वजन के हिसाब से आप उसे सामान्यत: उसे स्मॉल साइज का डायपर पहनाते है तो सोने से पहले उसे मीडियम साइज का डायपर पहनाएं। क्यूंकि यह बच्चे की पॉटी को अब्सॉर्ब करेगा और इससे लीकेज भी नहीं होगा।
2. सही से डायपर लगाएं
डायपर को फोल्ड करके सही से पैक नहीं करने के कारण भी डायपर लीकेज की समस्या हसे सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि बच्चे को सही से डायपर न लगाया गया हो। यानि कि डायपर की फिटिंग ढीली है या डायपर में इलास्टिसिटी बहुत ज्यादा है। इसलिए बच्चे की कमर व पैर में डायपर को अच्छी तरह से रैप करें ताकि इसकी फिटिंग अच्छी हो और साइड से लीकेज न हो सके। कमर की जगह हमेशा नाभि से नीचे होनी चाहिए।
बच्चे का डायपर लीक फीडिंग शेड्यूल की वजह से भी हो सकता है। ऐसे में बच्चे को दिन में दूध देने, नैप से पहले और बाद में दूध पिलाने और बेड टाइम से ठीक पहले दूध पिलाते समय ध्यान रखें। टॉडलर्स को सोने से पहले कोई भी ड्रिंक या जूस देने से बचें ताकि डायपर लीकेज न हो।
4. कम अंतराल में डायपर बदलें
बच्चे को इंफेक्शन और डायपर रैश से बचाने के लिए उसका डायपर जल्दी-जल्दी बदलनें, खासकर सोने से पहले आवश्यक रूप से बदलने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा यदि सिर्फ रात में ही डायपर बदलने की जरूरत पड़ती है तो उसे दिन में डायपर न पहनाएं। इससे बच्चे के बॉटम को आराम मिलेगा और वह आराम से सो सकेगा।
यदि रेगुलर डायपर से बच्चे को कोई भी आराम नहीं मिल रहा है तो बच्चे के लिए ओवरनाइट डायपर का उपयोग करें। ओवरनाइट डायपर बहुत ज्यादा अब्सॉर्बेंट होता है, जो काफी समय तक चलता है और पूरी रात काम करता है।
6. डायपर बूस्टर लें
अगर ओवरनाइट डायपर भी सक्सेसफुल साबित नहीं हो रहे है बच्चे के लिए डायपर बूस्टर पैड्स खरीदें। डायपर बूस्टर पैड्स डायपर को जल्दी गीला होने से बचाने के लिए एक एक्स्ट्रा लेयर के रूप में लगाई जाती है और यह लेयर डायपर गीला होने से पहले तक लगभग 225 मिलीलीटर फ्लूइड तक अब्सॉर्ब कर सकती है।
क्या आपने कभी पेशाब करते समय जलन का अनुभव किया है? जब कुछ भी न हो तो भी पेशाब करने की लगातार इच्छा होती है? मूत्राशय में दर्द? यदि आपने कभी भी इन लक्षणों का अनुभव होता है, तो आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हुआ है। अध्ययनों से पता चला है कि यूरिन इंफेक्शन का खतरा जीवन में कभी न कभी सभी को जरुर होता है। यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) यूरिनरी सिस्टम का एक इन्फेक्शन है जो किडनी, यूरेटर्स, ब्लैडर या यूरेथ्रा सहित किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि यूटीआई आमतौर पर आंत से बैक्टीरिया के कारण होता है। हालांकि, कवक और वायरस भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
यूटीआई के लिए घरेलू उपचार रुजुता दिवेकर द्वारा
परंपरागत रूप से, यूटीआई के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, लेकिन कुछ घरेलू उपचार लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकते हैं। पोषण विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर का कहना है कि हार्मोन, स्वच्छता और आदतें मुख्य कारक हैं जो यूटीआई का कारण या इलाज करते हैं।
दिवेकर इस बात पर जोर देते हैं कि यूटीआई से बचने के लिए आपको हर दिन ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। संक्रामक रोग सोसायटी ऑफ अमेरिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जिन महिलाओं को बार-बार यूटीआई होता है, वे अधिक पानी का सेवन करने पर जोखिम को कम करने में सक्षम हो सकती हैं। संक्रमण से बचने के लिए सुनिश्चित करें कि आप हर दिन 6-8 गिलास पानी पिएं।
नीरा का सेवन करें
पोषण विशेषज्ञ के अनुसार, नीरा या ताड़ का रस उन लोगों की मदद करता है जो यूटीआई से पीड़ित हैं। यह कई प्रकार के ताड़ी हथेलियों के पुष्पक्रम से एकत्रित रस से बना पेय है।
इन ड्रिंक्स को ट्राई करें
मौसम के आधार पर, मूत्र प्रणाली से अवांछित उत्पादों को बाहर निकालने में सहायता के लिए नारियल पानी, नींबू पानी या गन्ने का रस पिएं। वह यूटीआई से ग्रस्त लोगों से कोकम, बेल, आंवला, बुरांश और रोडोडेंड्रोन जूस पीने पर भी जोर देती हैं जो महत्वपूर्ण विटामिन, खनिज, इलेक्ट्रोलाइट्स और एंटीऑक्सिडेंट में उच्च होते हैं। हालांकि, दोपहर से पहले इन्हें पीने की सिफारिश की जाती है।
अगर आपको यूटीआई है तो अपने आहार में शामिल करने के लिए कुल्थी की दाल एक अच्छा विकल्प है। यह फाइबर से भरपूर होता है, जो यूटीआई के जोखिम को कम करते हुए शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
पैरों के तलवों में घी
रुजुता का सुझाव है कि सोने से पहले अपने पैरों के तलवों पर घी की एक बूंद फैलाकर या कश्यची वटी से मालिश करना यूटीआई से राहत पाने के लिए मदद कर सकता है।
नए साल की शुरुआत लोग बहुत सी नई उम्मीदें और आशाओं के साथ करते हैं। कई दंपत्तियों की उम्मीदें संतान प्राप्त करने की होती है। उनकी यह ख्वाहिश होती है कि उनके घर भी एक छोटा मेहमान आये। लेकिन कई बार सालों साल तक यह ख्वाहिश अधूरी ही रह जाती है। निःसंतानता की समस्या में जीवनशैली या शारीरिक समस्या के अलावा ग्रह नक्षत्र भी कारक हो सकते हैं। आज हम आपके लिए ज्योतिष शास्त्र के कुछ ऐसे उपाय लाएं हैं जिनके ज़रिये संतान प्राप्ति की आपकी ख्वाहिश पूरी हो सकती है।
यदि महिला को गर्भधारण करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो यह ज्योतिष उपाय उनके लिए है। उन्हें लाल गाय और उसके बछड़े की सेवा करनी चाहिए। उसके अलावा भूरे रंग के कुत्ते को पालने का उपाय भी कारगर साबित हो सकता है।
कृष्ण को भेंट करें चांदी की बांसुरी
यदि आप भी अपने घर में बच्चे की किलकारियां सुनने की मुरादें मांग रहे हैं तो इस उपाय को अपनाकर वह इच्छा पूरी हो सकती है। श्री कृष्ण को चांदी की बांसुरी अर्पित करके आपकी समस्या का समाधान हो सकता है।
कई महिलाओं के साथ गर्भ ठहरने में दिक्कत होती है। इसके लिए शुक्रवार को लाल कपड़े में गोमती चक्र बांधकर गर्भवती महिला के कमर पर बांध दें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उनके गर्भ धारण प्रक्रिया को आसान बनाएगा और उनके गर्भपात को रोकेगा।
पितृ दोष को करें दूर
गर्भधारण में समस्या होने का एक कारण पितृ दोष या काल सर्प योग भी हो सकता है। इन दोषों की मुक्ति के लिए किसी योग्य ब्राहम्ण से इसका पूजन कराना चाहिए या कुंडली दिखाकर विधिवत उपाय करना चाहिए। पितृ दोष के निवारण के लिए पीपल के पौधे की सेवा करना भी सहायक हो सकता है।
विवाह के बाद काफी समय गुज़रने के बाद भी संतान का सुख ना मिल पाने वालों के लिए यह उपाय काम कर सकता है। महिला को अपने पीरियड्स के सातवें दिन सफेद आकड़े यानि सफेद अकौआ की जड़ को शिवलिंग पर सात बार घुमाकर इसे लाल कपड़े में बांधकर अपनी कमर पर बांधना चाहिए। यह उपाय गर्भधारण में सहायक हो सकती है।