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दर्दनाक माहवारी का दर्द आपको अपने बिस्तर पर बार-बार लुढ़कने पर मजबूर कर देता है। कुछ महिलाओं को इस दर्द से बाहर निकलने के लिए दर्द निवारक गोलियां, गर्म पानी की थैलियां, या यहां तक कि गर्म पानी से नहाने से भी आराम मिलता है। कई महिलाएं पीरियड के दौरान नहाना पसंद करती हैं तो कुछ नहीं से परहेज करती है। अगर आप उन महिलाओं में से हैं जो शॉवर के नीचे या बाथटब में नहाने के बाद साफ और अधिक आरामदायक महसूस करती हैं, तो आज हम आपको पीरियड के दौरान नहाने से जुड़ी कुछ बातें बताएंगे जो आपको हाईजीन रखने में मदद करेगी। शायद आपको सुनकर थोड़ा सा अटपटा लग सकता है, लेकिन हां, कुछ महिलाएं ऐसी भी हो सकती हैं जो पीरियड्स के दौरान बाथटब में आराम करने का आनंद लेती हैं। क्या आप सोच रहे हैं कि क्या पीरियड्स के दौरान बाथटब में नहाना ठीक है? कई लोग इससे सहमत होंगे तो कुछ लोग असहमत, यह वास्तव में व्यक्तिगत पसंद का मामला है!
पीरियड के दौरान कैसे स्नान करें?
आपको साफ रखने के अलावा, सामान्य तौर पर नहाने से आपके मूड और तनाव के स्तर पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। लेकिन पीरियड्स के दौरान नहाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पैड, टैम्पोन या कप निकालना न भूलें
शॉवर में ब्लीडिंग होना ठीक है। संक्रमण से बचने के लिए पैड या टैम्पोन को ठीक से फेंक दें और मासिक धर्म कप को समय-समय पर धोते रहें।
मासिक धर्म के दौरान गंध को रोकने और संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए नियमित रूप से स्नान करना आवश्यक है।
अगर आप बाथटब का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे साफ करें
यदि आप एक टब का उपयोग करना चाहते हैं, तो उसमें प्रवेश करने से पहले और निश्चित रूप से उपयोग करने के बाद भी इसे साफ करें!
वजाइना को बाहर से साफ करें
यूट्रस शरीर का एक ऐसा अंग है जिसका अंदर से सफाई करने से पीएच संतुलन बिगड़ सकता है और संक्रमण हो सकता है। योनि के बाहरी हिस्से को पानी से धो लें।
सेन्टेड और केमिकल प्रोडक्ट से बचें
योनि को साफ करने के लिए सादे पानी का प्रयोग करें। कठोर उत्पादों का उपयोग न करें जो योनि में जलन पैदा कर सकते हैं और एलर्जी और संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
पहली बार मां बनना एक्साइटमेंट के साथ-साथ नर्वस भी हो सकते हैं। पहली बार मां बनने वाली अधिकांश महिलाएं इस बात को लेकर निश्चित रहती है कि वे बेबी की देखभाल में कोई कसर न छोड़ें और अपने बच्चे की सर्वोत्तम तरीके से देखभाल करें। लगातार रातों की नींद हराम और अगनित बार डायपर चेंज करने के माध्यम से, पहली बार मां बनना बहुत थका देने वाला हो सकता है।
किसी एक्सपर्ट का सही मार्गदर्शन निश्चित रूप से पहली बार के लिए डायपर बदलने की ड्यूटी को बहुत आसान बना सकता है। आइए जानते है कि नई मांओं को बच्चें में डायपर बदलते हुए हाईजीन से जुड़ी किन बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए-
बार-बार डायपर बदलें
चूंकि बच्चे हर कुछ घंटों में डायपर गीला कर देते हैं, इसलिए नियमित अंतराल पर डायपर बदलना उनके आराम और स्वच्छता के लिए बेहद जरूरी है। आपको बच्चे के निचले हिस्से को साफ या पोंछना चाहिए। कम से कम हर 2-3 घंटे में डायपर बदलना चाहिए। एक गंदे डायपर में नमी चकत्ते का कारण बनती है और विभिन्न संक्रमणों को आकर्षित करती है, इसलिए यह बच्चों के निचले हिस्से को ज्यादा से ज्यादा सूखा रखें।
डायपर रैशेज से बचने के लिए आपको हमेशा डायपर की नमी को नियंत्रित करना चाहिए। नमी को दूर करने के लिए अधिक लिक्विड सोखने वाले डायपर का ही इस्तेमाल करना चाहिए। बच्चे के डायपर को अधिक गंदा होने से पहले ही बदल दें। बच्चों को ज्यादा देर गीले डायपर में नहीं रखना चाहिए। बच्चों के डायपर में मौजूद नमी संक्रमण और चक्कते का कारण बन सकते हैं। इसलिए डायपर पहनाते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
हाथों को साफ करें
बच्चों को डायपर पहनाने के पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ जरूर कर लें। डायपर पहनाते समय हाथ साफ न होने से बच्चे को कई संक्रमण हो सकते हैं। बच्चों की स्किन को संक्रमण से बचाने के लिए आप अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ जरूर कर लें।
डायपर रैशेज डायपर से नमी और जलन के कारण ही होते हैं। बच्चों को डायपर रैश होने पर कॉटन बाल, गर्म पानी और क्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि, कुछ डायपर रैशेज गंभीर समस्या की वजह से भी हो सकते हैं। अधिकांश डायपर रैशेज अपेक्षाकृत हल्के होते हैं, लेकिन कुछ काफी गंभीर हो सकते हैं, जिससे दर्दनाक लाल धब्बे हो जाते हैं और कभी-कभी त्वचा में दरार आ जाती है।
सिजेरियन डिलीवरी, सामान्य डिलीवरी से बिल्कुल अलग होती है। इसमें बच्चें को निकालने के लिए पेट पर एक बड़ा कट लगाया जाता है। सीजेरियन डिलीवरी में सबसे ज्यादा चिंता की बात होती है कि टांके वाली जगह का ध्यान कैसे रखना है। यदि इस दौरान टांकों की ठीक तरह से देखभाल न की जाए तो रिकवर होने में देरी या इंफेक्शन का खतरा रहता है। सीजेरियन डिलीवरी में कई महिलाओं के टांके पक जाते हैं, ऐसा क्यों होता है, महिलाओं को क्या सावधानियां रखनी चाहिए, किन लापरवाहियों से बचना चाहिए।
कैसे पक जाते है टांके?
ज्यादातर केसेस में महिलाओं को कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन महिला यदि डायबेटिक है या बहुत ज्यादा मोटी है, तो ऐसी महिलाओं के टांके ठीक होने में ज्यादा समय लगता है। ऐसी महिलाओं को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। यदि टांकें ठीक नहीं हो पा रहे हैं, तो रोजाना ड्रेसिंग करने की जरूरत भी पड़ती है और कई बार उन्हें खोलकर फिर से स्टिचेस करने पड़ते हैं। कई बार इंफेक्शन की स्थिति में लैब में टेस्ट के लिए भी भेजना पड़ सकता है और इसका कारण जानने की कोशिश की जाती है। जो महिलाएं सही डाइट नहीं लेतीं, उनके टांके पकने में भी समय लग सकता है।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद हम महिलाओं को एंटीबायोटिक, विटामिन सी, एंटी इन्फ्लेमेंट्री आदि देते हैं। एंटीबायोटिक देने और नियमित ड्रेसिंग के बाद भी यदि टांके ठीक नहीं होते, तो कई बार उन्हें खोलकर फिर से स्टिचेस की जरूरत पड़ती है। फिर सात दिन के बाद ड्रेसिंग की जाती है। जिन्हें कोई दिक्कत न हो, उनके टांके अपने आप ठीक हो जाते हैं।
सिजेरियन डिलिवरी के बाद टांके की देखभाल करते वक्त कपड़े जरूर बदलें
- यदि आप अस्पताल से बैंडेड लगाकर घर जा रही हैं, तो दिन में एक बार टांकों को कवर करने वाले कपड़ों को जरूर बदलें। टांकों के गीला होने पर कपड़े एक से अधिक बार बदलें। टांकों को कितने वक्त तक ढंक कर रखना है, इस बारे में डॉक्टर आपको सलाह दे सकते हैं।
- टांकों के ताजा होने के कारण घर आने के बाद भी कुछ दिनों तक नहाने से बचना चाहिए। अगर नहाना हो तो विशेषज्ञ के निर्देशानुसार ही नहाएं वर्ना पानी के इस्तेमाल से इंफेक्शन की समस्या हो सकती है।
- कई महिलाओं को टांके ठीक होते समय खुजली होती है, ऐसा होना सामान्य है। ऐसे में मां को बढ़े हुए नाखून नहीं रखने चाहिए, इससे बच्चे और उनके शरीर को नुकसान हो सकता है। जो महिलाएं सफाई का ध्यान नहीं रखती, उनके टांके भी पक सकते हैं, इसलिए सफाई का खास ध्यान रखें।