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सेक्स से असंतुष्ट, कहीं ये गलतियां तो नहीं कर रहे....
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कई बार लाइफ में सब कुछ सही चल रहा होता है मगर उसके बावजूद हम अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नहीं रहते। कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है। हमने कुछ एक्सपर्ट से बात करके ऐसे 6 कारणों का पता किया है जो हो सकता है आपकी भी सेक्स लाइफ को बोरिंग बना रहे हों। आप भी जानिए कहीं ऐसा कुछ आपके साथ तो नहीं हो रहा...
अक्सर देखने को मिलता पूरे ऐक्ट में कपल्स खाली क्लाइमैक्स के बारे में सोचते हैं और बाकी चीजों को नहीं इंजॉय करते। ऐसा करने से आप अपनी सेक्स लाइफ को जानबूझकर बोरिंग कर रहे हैं। हमेशा यह जरूरी नहीं है कि आपको क्लाइमैक्स मिले। ऐसे में आप सेक्स को बोरिंग मानने लग जाते हैं।
ऐक्ट के वक्त पार्टनर से प्यार भरी बातें आपके ऐक्ट को खूबसूरती देती हैं। इस दौरान आपको पार्टनर से अपनी फ़ैंटसीज़ भी शेयर करनी चाहिए। इससे आप दोनों के बीच इंटीमेसी और बढ़ती है।
अगर आप भी अपनी सेक्स लाइफ में ऐसी भूल कर रहे हैं तो बोर होना लाजमी है। ऐक्ट के दौरान आपको भी कुछ नई पोजीशंस ट्राइ करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी सेक्स लाइफ में नयापन रहता है और हर दिन आप एक नए उत्साह के साथ फिर से तैयार हो जाते हैं।
ऐसी गलती अक्सर लोग करते हैं और अपने पार्टनर में पॉर्न स्टार को इमेजिन करने लगते हैं। ये सही नहीं है। आप अपने पार्टनर को ऐसे ही एक्सेप्ट करें जैसा वो है और उसकी हर एक्टिविटी को इंजॉय करें।
यह भी हो सकता है कि आप सेक्स करके थक चुके हैं। सुनने में यह थोड़ा अजीब जरूर है लेकिन कई बार लोग अपनी सेक्स लाइफ अजीब प्रकार की थकान महसूस करने लगते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि आप पार्टनर के साथ कोई अच्छी सी आउटिंग प्लान करें।
आपके मन में जो फीलिंग्स होती हैं वह आपकी चीजों में भी झलक जाती हैं। इसलिए हमेशा खुश रहने की कोशिश करें। ऐसा करना आपकी सेक्स लाइफ के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।
::/fulltext::यदि इंसान में जुनून है तो वह असम्भव को भी सम्भव बना देता है. ऐसा ही कुछ जुनून लेकर साइकिल से कश्मीर से कन्याकुमारी की यात्रा पर निकला महाराष्ट्र का एक युवक पूरे देश में सड़क सुरक्षा, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और भ्रूण हत्या के खिलाफ अलख जगा रहा है.
बिना ब्रेक और बिना पैण्डल की पुरानी साइकिल पर सवार होकर देश भ्रमण के लिए निकले इस माराठी युवक का नाम है घोण्डीराम. लॉ ग्रेजुएट घोण्डीराम स्वामी विवेकानन्द को अपना आदर्श मानते हैं. उन्ही की प्रेरणा से महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के रहने वाले घोण्डीराम ने साइकिल से देश का भ्रमण करने का फैसला किया. घोण्डीराम अपनी साइकिल यात्रा के दौरान तीन सूत्रवाक्य को साथ लेकर चल रहे है. सड़क सुरक्षा, बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ और भ्रूणहत्या के खिलाफ मुहिम चलाने वाले घोण्डीराम लोगों को जागरुक भी कर रहे हैं.
घोण्डीराम ने दो वर्ष पहले कश्मीर से अपनी यात्रा की शुरुआत की थी. घोण्डीराम अब तक कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखण्ड की यात्रा पूरी कर चुके हैं और अब यूपी के विभिन्न जिलों और शहरों में जाकर लोगों से मिल रहे हैं. घोण्डीराम महिलाओं और बेटियों के साथ हो रही छेड़खानी की घटनाओं से बहुत आहत है. उनका कहना है कि सरकार को इस पर कड़ा फैसला लेना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओ को रोका जा सके.
अपने उद्धेश्य को अपना जुनून बना चुके घोण्डीराम ने इस काम के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया. घोण्डीराम का कहना है कि रास्ते में मदद करने वाले तमाम लोग मिल जाते हैं. बलरामपुर से लुम्बिनी और फिर काठमाण्डू के लिए निकले घोण्डीराम का यह संकल्प लोगों के लिए अनुकरणीय है.
::/fulltext::सुषमा ने फिलीपींस में भारतीय दूतावास को मदद करने के लिए कहा है।
नई दिल्ली. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को ट्विटर पर कश्मीरी छात्र शेख अतीक को भूगोल का पाठ पढ़ाया। हुआ यूं कि फिलीपींस में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक कश्मीरी छात्र ने नए पासपोर्ट के लिए सुषमा से मदद मांगी थी। लेकिन उसकी प्रोफाइल पर लोकेशन 'भारत अधिकृत कश्मीर' लिखी थी। यह देखकर सुषमा ने सबसे पहले उसके पते पर आपत्ति जताई। इस पर स्टूडेंट ने अपनी प्रोफाइल में बदलाव किया, जिसे देख विदेश मंत्री ने प्रसन्नता जताई।
डेंट अतीक को रिप्लाई में दो ट्वीट किए
- अतीक ने गुरुवार सुबह 6 बजे ट्वीट कर विदेश मंत्री से कहा, "मेरा पासपोर्ट डैमेज हो गया है। इस वजह से मैं भारत नहीं आ पा रहा हूं। मुझे मेडिकल चेकअप के लिए भारत आना है। मैंने एक महीने पहले इसके लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया। आप इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मेरी मदद करें।"
सुषमा ने कहा- 'भारत अधिकृत कश्मीर' जैसा कोई स्थान नहीं
- सुषमा स्वराज ने छात्र के ट्वीट के जवाब में लिखा, "अगर आप जम्मू-कश्मीर राज्य से हैं, तो हम निश्चित रूप से आपकी मदद करेंगे। लेकिन आपकी प्रोफाइल कहती है कि आप 'भारत अधिकृत कश्मीर' से हैं। ऐसा कोई स्थान नहीं है।"
- स्वराज के ट्वीट के तुरंत बाद छात्र ने अपनी प्रोफाइल से 'भारत अधिकृत कश्मीर' हटा लिया। जिसके बाद स्वराज ने खुशी जाहिर करते हुए मनीला में भारतीय दूतावास से उसकी मदद करने के लिए कहा।
मदद मांगने के बाद हटाई प्रोफाइल
- कश्मीर स्टूडेंट के प्रोफाइल में भारत अधिकृत कश्मीर लिखे जाने पर ट्विटर पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई है। लोगों ने गुस्से में कई कमेंट किये, जिसके बाद अब इस यूजर ने अपना अकाउंट डिलीट कर दिया है।
खराब फ्रिज को लेकर मांगी मदद
- सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को अक्सर लोगों को मदद करते देखा जाता है। ऐसे लोगों की संख्या अधिक है, जिन्होंने ट्विटर के जरिए घर बैठे मदद पाकर विदेश मंत्री को साधुवाद किया।
- 13 जून 2016 को वेंकेट नाम के यूजर ने ट्वीट किया कि उन्हें एक कंपनी ने खराब फ्रिज बेच दिया है। अब कंपनी इसे बदलने के लिए तैयार नहीं है। साथ ही इसकी मरम्मत पर जोर दे रही है। इस पर सुषमा स्वराज ने जवाब दिया कि भाई! मैं रेफ्रिजरेटर से जुड़े मामले में आपकी मदद नहीं कर सकती। मैं संकटग्रस्त लोगों की मदद करने में व्यस्त हूं। इसके बाद ट्विटर पर जमकर मजाक उड़ना शुरू हो गया। साथ ही सुषमा की हाजिरजवाबी की जमकर तारीफ की गई।
गीता को पाकिस्तान से वापस लाने में वाहवाही
- सुषमा स्वराज ने पिछले साल कराची से मूक-बधिर भारतीय लड़की गीता को स्वदेश वापस लाने के लिए अहम प्रयास किए थे। गीता की वापसी के लिए उनके अहम प्रयासों ने वाहवाही लूटी थी। भारत आने पर उन्होंने गीता को गले लगाकर आत्मीयता दर्शाई थी।
पाकिस्तान के तैमूर को ट्विट के 24 घंटे में मिल गया था वीजा
- पिछले वर्ष 19 अक्टूबर 2017 दीवाली पर पाकिस्तान की सुमैरा हमद मलिक ने सुषमा स्वराज को ट्वीट कर मदद मांगी थी। सुमैरा ने अपने भाई कैंसर पीड़ित तैमूर उल हसन के इलाज के लिए वीजा दिलाने की रिक्वेस्ट की। यह परिवार 6 माह से वीजा मिलने की उम्मीद लगाए था। ट्विटर पर सक्रिय सुषमा ने तुरंत जवाब दिया और तैमूर को 24 घंटे के भीतर भारत आने का वीजा मिल गया।
मिस्र की महीला को भी मिला भारत का वीजा
- 4 दिसंबर 2016 को मुंबई के डॉ. मुफ्फी लकड़ावाला ने मिस्र की इमान अहमद की तस्वीर के साथ विदेश मंत्री सुषमा को ट्विट कर मदद मांगी। उन्होंने बताया, मिस्र की इमान का वजन 500 किलोग्राम है। साधारण प्रक्रिया से उसे मेडिकल वीजा मना हो गया है। इस ट्विट के रिप्लाई में सुषमा ने कहा, मेरी नजर में यह मामला लाने के लिए शुक्रिया। मैं जरूर इनकी मदद करूंगी। दो दिन बाद 6 दिसंबर को डॉ. लकड़वाला ने जानकारी दी कि काहिरा में भारतीय दूतावास ने उन्हें बताया है कि इमान को मेडिकल वीजा मिल गया है।
सऊदी से वापस लौटी महिला ने किया शुक्रिया
ईरम आगा
पुरुषों से भरे एक ऑडिटोरियम में जब दो बुर्कानशीं महिलाएं पहुंचती हैं तो सबकी निगाहें उनकी तरफ मुड़ जाती हैं. वक्फ बोर्ड की मीटिंग में महिलाओं का शामिल होना आम घटना नहीं है. वक्फ के एक सदस्य कहते हैं कि इन दो महिलाओं पर उन्हें गर्व है. तमिलनाडु की रहने वाली अमातुल आतिफा (36) और फातिमा मुज्जफर पहली दो महिलाएं हैं जिन्हें वक्फ बोर्ड में विद्वान के तौर पर शामिल किया गया है. ये दोनों न सिर्फ स्टीरियोटाइप तोड़ रही हैं बल्कि उनकी नियुक्ति को लेकर रूढ़िवादियों में बड़ी बहस जारी है.
ओडिशा वक्फ बोर्ड के एक बुजुर्ग सदस्य गर्व के साथ कहते हैं, “तमिलनाडु ने यह करिश्मा कैसे कर दिखाया?” इस पर एक अन्य सदस्य कहते हैं, 'मेरी दुआ है कि दोनों इस काम में सफल हों और नई ऊंचाइयों को छुएं.' दोनों महिलाओं ने वक्फ बोर्ड में सुन्नी समुदाय के प्रमुख काज़ी मोहम्मद सलाउद्दीन अय्युब और शिया समुदाय के प्रमुख काज़ी गुलाम मेहदी खान की जगह ली है. इससे पहले यह जगह सिर्फ काज़ियों को दी जाती थी.
यह पहली बार नहीं है जब तमिलनाडु में महिलाएं वक्फ बोर्ड में शामिल हुई हैं. 2002 में बदर सयीद वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकी हैं. इसके बाद के सालों में भी बोर्ड में महिला सदस्य शामिल रही हैं. हालांकि यह पहली बार है जब महिलाओं को बोर्ड में विद्वानों की श्रेणी में शामिल किया गया है.
इन महिलाओं का कहना है कि 30 अप्रैल को उनकी नियुक्ति को लेकर तमिलनाडु वक्फ बोर्ड को मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. आतिफा कहती हैं, “एक काज़ी ने मेरी विद्वता पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर मेरे काम को नकार दिया. पर चूंकि मैं एक टीवी नेटवर्क में प्रवचन कर चुकी हूं तो मुझे जनता से और शिया पर्सनल लॉ बोर्ड से काफी समर्थन मिला.”
वहीं दूसरी तरफ सुन्नी विद्वान और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य मुज्जफर कहती हैं कि रूढ़िवादियों और काज़ियों के समर्थकों ने उन्हें काफी परेशान किया. वह कहती हैं, “उन्होंने मुझसे कहा कि मेरे पास थोड़ी नैतिकता होनी चाहिए और मुझे यह छोड़ देना चाहिए था.”
सभी समुदायों की महिलाओं के लिए बराबरी के अधिकार की वकालत करती हूई मुज्जफर कहती है, “कट्टरपंथी परंपराओं से बाहर निकलना महिलाओं के लिए हमेशा से मुश्किल रहा है. फिर चाहे पोप की बात हो या पुजारी की. हमारा संघर्ष एक जैसा है.”
ये दोनों मानती हैं कि उनकी नियुक्ति में वनियाम्बाडी विधायक और वक्फ बोर्ड मंत्री डॉक्टर निलोफर कफील की महत्वपूर्ण भूमिका रही. कई सुझावों पर गौर करने के बाद डॉक्टर कफील ने आतिफा और मुजफ्फर को स्कॉलर कैटिगरी में चुना.
नियम के मुताबिक बोर्ड में एक चेयरपर्सन होते हैं. हर इलेक्टोरल कॉलेज से एक या अधिकतम दो सदस्य जिन्हें राज्य सरकार इस पद के लिए उचित समझती है. राज्य की विधानसभा के मुस्लिम सदस्य, राज्य की बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य, वक्फ के वो मुतावल्ली जिनकी सालाना आय 1 लाख या उससे अधिक है.
प्रतिष्ठित मुस्लिम संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक या अधिकतम दो सदस्यों को राज्य सरकार चुनती है. इस्लामिक थियोलॉजी के स्कॉलर्स में से एक या अधिकतम दो लोगों को राज्य सरकार नामित कर सकती है. राज्य सरकार में डिप्टी सेक्रेटरी या उससे ऊपर की रैंक के एक अधिकारी.
सरकार और सेंट्रल वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेश के मुताबिक बोर्ड में कम से कम दो सदस्य महिलाएं होनी चाहिए.
पद पर नियुक्ति से पहले अपने संघर्ष को याद करती हुई मुजफ्फर कहती हैं कि जब उन्हें चुना गया तो एक याचिका दायर कर सवाल उठाए गए कि कैसे एक औरत काज़ी की जगह ले सकती है? उन्होंने बताया, “मद्रास हाईकोर्ट ने यह साफ किया कि सरकार के प्रावधानों और सेंट्रल वक्फ ट्रिब्यूनल की मदद के आधार पर ही यह किया जा रहा है. ”
मुज्जफर कहती हैं कि वह पीछे हटने वालों में नहीं है. वह जस्टिस अहमद बशीर महिला कॉलेज में हुई एक घटना का जिक्र करती हुई कहती हैं कि वह वहां यूनियन हेड थीं और वहीं उन्होंने 20 सालों बाद कल्चरल प्रोग्राम दोबारा शुरू करवाए थे.
वह कहती हैं, “कॉलेज प्रबंधन को लगता था कि महिला कॉलेज में ये सारी चीजें नहीं होनी चाहिए लेकिन 1991 में मैंने यह करिश्मा कर दिखाया. यह अब भी जारी है.”
वहीं शिया स्कॉलर आतिफा ने कहा कि लोगों की स्वीकार्यता नहीं मिलना सबसे बड़ा चैलेंज है. उन्होंने कहा, “किसी को वक्फ बोर्ड से कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन हमारे आने के बाद इसकी चर्चा होने लगी.”
दोनों महिलाएं एक ही कॉलेज से पढ़ी हैं और अब दोनों एक ही बोर्ड की सदस्य हैं. दोनों महिला सशक्तिकरण, महिलाओं के स्किल डेवलपमेंट, लोगों की भलाई के लिए वक्फ की संपत्ति का जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल पर फोकस करेंगी.
आतिफा ने कहा, 'हम शिया समुदाय की मदद करेंगे ताकि वे सरकार की सभी स्कीमों का फायदा उठा सकें. जानकारी की कमी की वजह से अब तक वे उसका फायदा नहीं उठा सके हैं.'