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चेन्नई. तमिल सीरियल्स में अपनी खास पहचान बना चुकी संगीता बालन चेन्नई पुलिस ने जिस्मफरोशी के लिए गिरफ्तार किया है. शो ‘वानी रानी’ में अपने किरदार को लेकर संगीता इंडस्ट्री में खासी अच्छी पहचान बना चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चेन्नई के निजी रिसॉर्ट से पुलिस ने उन्हें प्रोस्टिट्यूशन के आरोप में गिरफ्तार किया. सिर्फ संगीता ही नहीं बल्कि शुरुआती दौर में और कई एक्ट्रेस के नाम सामने आए हैं. छापेमारी के दौरान पुलिस ने संगीता समेत एक शख्स और कई एक्ट्रेस को हिरासत में लिया है. बता दें कि चेन्नई पुलिस को खुफिया सुत्रों के यह जानकारी मिली थी, जिसके बाद ये छापेमारी की गई. बता दें कि छापेमारी के दौरान संगीता और सुरेश नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है. कहा जा रहा है कि इस रैकेट से जुड़े कई और लोगों के नाम सामने आने की संभावना है. साथ ही कई एक्ट्रेस के नाम भी प्रोस्टिट्यूशन में जुड़े रहने की संभावना जताई जा रही है. अभी फिलहाल पकड़े गए लोगों में संगीता का नाम पॉपूलर है. संगीता कई टीवी शोज में काम कर चुकी हैं. वहीं कई तमिल फिल्मों में भी नजर आ चुकी हैं.
::/fulltext::गर्भवती होना और इस दुनिया में एक नये जीवन को लाने में सक्षम होना निश्चित रूप से सबसे बड़ा सुख है। हालांकि, प्रेगनेंसी की ऐसी भी कई स्थितियां होती हैं, जिनमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। खासकर जब आपका डॉक्टर यह बतता है कि आप एक्टोपिक प्रेगनेंसी से जुझ रही हैं।
क्या है एक्टोपिक प्रेगनेंसी?
माना जाता है कि फर्टिलाइज्ड एग (अण्डाणु) के लिये खुद को जोड़ने की सबसे बेहतर जगह गर्भाशय के अंदर होती है और अगर यह गर्भाशय के बाहर कहीं भी जुड़ता है, तो गर्भावस्था के इस रूप को एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते हैं। इस तरह की ज़्यादातर स्थितियों में फर्टिलाइज्ड एग (अण्डाणु) खुद को फैलोपियन ट्यूब से जोड़ता है इसलिये प्रेगनेंसी की इस अवस्था को ट्यूबल प्रेगनेंसी के नाम से भी जाना जाता है। फैलोपियन ट्यूब्स को इस तरीके से डिजाइन नहीं किया गया है कि वो गर्भाशय की तरह विकसित हो रहे भ्रूण को सपोर्ट कर सके इसलिए प्रेगनेंसी की इस स्थिति में तत्काल ध्यान देने और इलाज की ज़रूरत होती है। हालांकि इस तरह की प्रेगनेंसी असामान्य नहीं है लेकिन फिर भी इनकी संख्या कम हैं। प्रेगनेंसी के लगभग 50 केस में से ऐसा एक केस में दिख जाता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्यों होता है? इसके पीछे क्या वजहें हो सकती हैं? चलिए जानें एक्टोपिक प्रेगनेंसी की स्थिति पैदा होने की कुछ वजह के बारे में।
• फैलोपियन ट्यूब में सूजन या संक्रमण, जिससे ब्लॉकेज की संभावना होती है।
• अगर फैलोपियन ट्यूबों पर कोई सर्जिकल प्रक्रिया की गई है, तो यह अण्डाणु के मूवमेंट में बाधा डाल सकती है।
• फैलोपियन ट्यूब में पहले कभी इंफेक्शन होने की स्थिति में भी अण्डाणु के मूवमेंट में दिक्कत आ सकती है।
• पेल्विक क्षेत्र या फैलोपियन ट्यूब के आसपास हुई सर्जरी भी इसकी एक वजह बन सकती है।
जानें एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कुछ संभावित कारण
• अतीत में एक्टोपिक प्रेगनेंसी से जुझ चुकी महिलाओं में दोबारा इस तरह की प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
• 35 साल या उससे ज़्यादा की उम्र में प्रेगनेंट होने पर एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा रहता है।
• जिन महिलाओं की पहले कभी पेल्विक या अब्डॉमिनल सर्जरी हुई है, उनमें भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
• पेल्विक में सूजन संबंधी बीमारियों से जुझ रही महिलाएं।
• कई बार गर्भपात होना भी इसकी वजह बन सकती है।
• धूम्रपान करने वाली महिलाएं।
• ट्यूब्ल से जुड़ने के बाद गर्भ गिरना।
• आईयूडी (IUD) के प्लेस होने के बाद गर्भ का गिरना।
एक्टोपिक गर्भावस्था के लक्षण
एक्टोपिक प्रेगनेंसी में आमतौर पर गर्भवती महिलाओं में जो लक्षण दिखाई देते हैं, उसके अलावा कुछ विशिष्ट लक्षण भी देखने को मिलते हैं। हम इन विशेष लक्षणों के बारे में बता रहे हैं। अगर प्रेगनेंसी के दौरान आपको भी ये लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
• अचानक तेज़ दर्द होना और फिर दर्द खत्म हो जाना, हर बार दर्द की तीव्रता में अंतर हो सकता है। ज़्यादातर ये दर्द पेल्विक और पेट के आस-पास होता है। हालांकि, कभी-कभी दर्द कंधे और गर्दन के आसपास भी महसूस होता है। यह तब होता है जब रप्चर एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती है और इसका रक्त डायाफ्रम के नीचे जमा होता है।
• योनि से रक्तस्राव, जो आपकी सामान्य पीरियड्स के मुकाबले ज़्यादा या कम हो सकता है।
• अचानक गैस संबंधी परेशानी का होना।
• हर समय थकान और कमज़ोरी महसूस होना, बहुत ज़्यादा चक्कर आना। जब तेज़ रक्तस्राव के साथ पेल्विक क्षेत्र के चारों ओर दर्द महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की ज़रूरत है। ऊपर दिये गए किसी भी लक्षण का संकेत मिलने पर जब आप अपने डॉक्टर से संपर्क करते हैं, तो वह एक्टोपिक प्रेगनेंसी की जांच करने के लिये कुछ टेस्ट करवाते हैं। यह दर्द के जगह की पहचान करने के लिए एक सामान्य पेल्विक टेस्ट से शुरू होता है। इसके अलावा, पेट संबंधी दूसरे टेस्ट भी किये जाते हैं। यह जांचने के लिए कि गर्भाशय में विकासशील भ्रूण है या नहीं, स्कैन किया जाता है। एचसीजी (HCG) और प्रोजेस्टेरोन के लेवल को मापा जाता है और अपेक्षित से कम होने पर एक्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना हो सकती है। कलडोसेंटिस नामक एक प्रक्रिया भी की जाती है, इस प्रक्रिया में योनि (वजाइना) के शीर्ष पर एक सुई डाली जाती है, जो गर्भाशय के पीछे और रेक्टम के आगे की जगह है। यदि इस जगह में रक्त पाया जाता है, तो यह एक टूटने वाली फैलोपियन ट्यूब को इंगित कर सकता है।
इलाज
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के निम्नलिखित इलाज हैं:
• अगर प्रेगनेंसी को बहुत समय नहीं हुआ है, तो ज़्यादातर मामलों में मेथोट्रैक्सेट दिया जाता है जो बॉडी को प्रेगनेंसी टिशू को अवशोषित करने की अनुमति देकर फैलोपियन ट्यूब को बचाता है।
• यदि फैलोपियन ट्यूब ज़्यादा फैली हुई है या रक्तस्राव के कारण टूट गई है, तो ऐसे मामलों में, इसे पूरी तरह से या आंशिक रूप से हटाने की ज़रूरत हो सकती है। ऐसे में इमरजेंसी सर्जरी की ज़रूरत होती है।
• लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है, जिसमें सर्जन एक्टोपिक प्रेगनेंसी को बाहर निकालने के लिये लैप्रोस्कोप का उपयोग कर सकता है। यह जनरल एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्रभावित फैलोपियन ट्यूब का इलाज या उसे निकालना भी शामिल है। अगर किसी केस में लैप्रोस्कोपी सफल नहीं होता है, तो लैप्रोटोमी किया जाता है।
कुछ मामलों में, एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बाद नॉर्मल प्रेगनेंसी की संभावना कम हो जाती है। हालांकि, अपने डॉक्टर के साथ इस बारें में चर्चा कर आप फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का रास्ता निकाल सकते हैं, जो सामान्य रूप से गर्भ धारण करने के लिए अनुकूल हो सकता है।
::/fulltext::सेक्स या यौन संबंध बनाना हर इंसान की शारीरिक आवश्यकताओं में से एक होता है। सेक्स करने के जितने फायदे होते है। नहीं करने के उतने नुकसान भी होते है। अगर आप सेक्स से करने से परहेज करते हैं तो आपको नहीं मालूम आप कहीं न कहीं अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हो सकता है कि आपके स्पर्म की क्वॉलिटी कम हो जाये ता आपको कैंसर होने का खतरा भी बना रहता है।शायद आपको ये पता नहीं कि सेक्स करना कितना सेहतमंद होता है क्योंकि इससे दूरी बरतने पर आपको कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है। आइए जानतें है कि सेक्स से दूरी बनाने का क्या खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
एक अध्ययन के अनुसार जो सेक्स से दूर रहते हैं वो जल्दी तनाव का शिकार बन जाते है कई मौकों पर उन्हें तनाव महसूस होने लगता है, खासकर भीड़भाड़ वाली जगह पर भी कई बार तनाव में आ जाते है क्योंकि सेक्स करने पर एंडोर्फीन हार्मोन यानि फिल गुड हार्मोन का निष्कासन होता है जो स्ट्रेस को कंट्रोल करने में मदद करता है।
सेक्स से परहेज करने का सबसे बड़ा नुकसान अक्सर पुरूष डिप्रेशन में चले जाते हैं उसी तरह महिलायें भी अवसादग्रस्त हो सकती हैं। एक अध्ययन के अनुसार मेलाटोनीन, सेरोटोनीन और ऑक्सिटोसीन पुरूषों के सीमेन या वीर्य में रहता है जो महिलाओं के मूड को बनाने में मदद करता है।
एक शोध के अनुसार जो लोग हफ़्ते में दो बार सेक्स करते हैं वे इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या से उतना नहीं जूझते है जितने कि सेक्स नहीं करने वाले जूझते है। क्योंकि सेक्स बार-बार करने पर पेनाइल मसल्स को मजबूती मिलती है।
क्या आपको पता है कि सेक्स कम करने से प्रतिरोधक क्षमता पर फर्क पड़ता है। यानि कम से कम हफ़्ते में एक या दो बार भी सेक्स करने से उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक रहती है क्योंकि उनका आईजीए का लेवल ज्यादा रहता है सेक्स नहीं करने वालों की तुलना में।
अगर आपने सेक्स करना बंद कर दिया है तो जान लें कि शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता भी कमजोर हो जायेगी। अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसियेशन के अनुसार जो बार-बार सेक्स करते हैं उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना कम होती है सेक्स न करनेवालों की तुलना में।
::/fulltext::सोशल मीडिया पर लड़कियों और महिलाओं को सॉफ्ट टार्गेट समझने वाले लोगों को सबक सिखाने की तैयारी की जा रही है. महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट, ट्रोल और धमकी जैसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ एक पूरी फौज खड़ी की जा रही है. इसके लिए जल्द ही राष्ट्रीय महिला आयोग साइबर पीस फाउंडेशन के साथ मिलकर 60 हजार लड़कियों और महिलाओं को ट्रेंड करेगा. ये 60 हजार लड़कियां और महिलाएं पहले ऑनलाइन अपराधों को रोकने के लिए सुरक्षित डिजिटल उपयोग और खासतौर पर सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि एप्लीकेशन का इस्तेमाल, सेफ मेलिंग की ट्रेनिंग लेंगी. इसके बाद ऑनलाइन अपराधों की शिकार हो रहीं अन्य महिलाओं को इससे बाहर निकलने और इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल करने में भी मदद करेंगी.
कहा-कहा चलाया जाएगा ट्रेनिंग प्रोग्राम
महिलाओं और लड़कियों को ट्रेनिंग देने की तैयारी कर रहा राष्ट्रीय महिला आयोग 18 जून 2018 से अपने इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत करने जा रहा है. इन लड़कियों को साइबर पीस फाउंडेशन की टीम ट्रेंड करेगी. फाउंडेशन के अध्यक्ष विनीत कुमार बताते हैं कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले चरण में हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, मणीपुर, सिक्किम, मेघालय, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में चलाया जाएगा. इसकी शुरुआत चंडीगढ़ से होने जा रही है.
अलग-अलग क्षेत्रियों भाषाओं में दी जाएगी जानकारी
विनीत बताते हैं कि इस प्रशिक्षण का मकसद महिलाओं को सोशल मीडिया पर सुरक्षित रखने के साथ ही इंटरनेट और ई-मेल से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी देना है. इस दौरान डिजिटल मीडिया के खतरों से भी महिलाओं को रूबरू कराया जाएगा. अगर कोई महिला अपने साथ हुए साइबर क्राइम की शिकायत करती है तो तत्काल उसकी रिपोर्ट सोशल मीडिया एजेंसी और राष्ट्रीय महिला अायोग को दी जाएगी. साथ ही महिलाओं को बताया जाएगा कि वे किस तरह ऐसे अपराधों की शिकायत कर सकती हैं. सबसे खास बात होगी कि विभिन्न क्षेत्रों में 18 साल से ऊपर की सभी महिलाओं को उनकी क्षेत्रीय भाषा में यह जानकारी दी जाएगी. इसके लिए राज्य सरकार, राज्य महिला आयोग और विश्वविद्यालय महिलाओं तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं. कोशिश की जा रही है कि इन महिलाओं को प्रमाण पत्र भी दिया जाए, हालांकि अभी इसपर बातचीत चल रही है.
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